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रज्अत शिया मुसलमानो का एक मुसल्लम अक़ीदा

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रज्अत शिया मुसलमानो का एक मुसल्लम अक़ीदा

यह सही है कि इंसानों के लिए असली इनाम और सजा का स्थान आख़िरत है, लेकिन खुदा ने यह इरादा किया है कि उनका कुछ इनाम और सजा इसी दुनिया में भी दिया जाए।

ज़ुहूर के समय एक अहम घटना रज्अत है, जिसमें नेक और बुरे लोग इस दुनिया में वापस पलटाए जाऐंगे। यह शिया मुसलमानो का एक मुसल्लम अक़ीदा है।

रज्अत की परिभाषा

शब्दकोश में रजआत का मतलब है "वापसी"। धार्मिक संस्कृति में इसका मतलब है कि अल्लाह के हुक्म से, इलाही हुज्जत और मासूम इमाम (अ) और कुछ सच्चे मोमिन और काफ़िर और मुनाफ़िक इस दुनिया में वापस लौटेंगे। इसका मतलब यह है कि वे फिर से ज़िंदा होंगे और दुनिया में आएंगे। यह एक तरह से क़यामत का एक पहलू है, जो क़यामत से पहले इसी दुनिया में होगा।

रज्अत का फ़लसफ़ा

यह सही है कि इंसानों के लिए असली इनाम और सजा का असली स्थान आख़िरत है, लेकिन खुदा ने यह इरादा किया है कि उनका कुछ इनाम और सजा इसी दुनिया में भी दिया जाए।

इस बारे में इमाम बाकर (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया है:

... أَمَّا اَلْمُؤْمِنُونَ فَیُنْشَرُونَ إِلَی قُرَّةِ أَعْیُنِهِمْ وَ أَمَّا اَلْفُجَّارُ فَیُنْشَرُونَ إِلَی خِزْیِ اَللَّهِ إِیَّاهُمْ ...  ... अम्मल मोमेनूना फ़युंशरूना एला क़ुर्रते आयोनेहिम व अम्मल फ़ज्जारो फ़युंशरूना एला ख़िज़्इल्लाहे इय्याहुम ...

मोमिन वापस आते हैं ताकि वे सम्मानित हों और उनकी आँखें रोशन हों, और बुरे लोग वापस आते हैं ताकि अल्लाह उन्हें अपमानित करे। (बिहार उल अनवार, भाग 53, पेज 64) 

रज्अत का एक और मकसद यह भी है कि मोमिन, हज़रत वली-ए-अस्र (अ) की मदद और साथ पाने की खुशी का अनुभव करें।

उदाहरण के तौर पर, इमाम अस्र (अ) की एक ज़ियारत में हम उनसे इस तरह दुआ करते हैं:

... مَوْلاَیَ فَإِنْ أَدْرَکَنِیَ اَلْمَوْتُ قَبْلَ ظُهُورِکَ فَإِنِّی أَتَوَسَّلُ بِکَ وَ بِآبَائِکَ اَلطَّاهِرِینَ إِلَی اَللَّهِ تَعَالَی وَ أَسْأَلُهُ أَنْ یُصَلِّیَ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَنْ یَجْعَلَ لِی کَرَّةً فِی ظُهُورِکَ وَ رَجْعَةً فِی أَیَّامِکَ لِأَبْلُغَ مِنْ طَاعَتِکَ مُرَادِی وَ أَشْفِیَ مِنْ أَعْدَائِکَ فُؤَادِی ... ... मौलाया फ़इन अदरकनिल मौतो क़ब्ला ज़ुहूरेका फ़इन्नी अतवस्सलो बेका व बेआबाएकत ताहेरीना इलल्लाहे तआला व अस्अलोहू अय योसल्लेया अला मोहम्मदिव वा आले मोहम्मदिन व अन यज्अला ली कर्रतन फ़ी ज़ोहूरेका व रज्अतन फ़ी अय्यामेका ले अबलोग़ा मिन ताअतेका मुरादी व अशफ़ेया मिन आदाएका फ़ोआदी ... 

मेरे मालिक! यदि आपकी ज़ाहिर (उदय) से पहले मेरी मौत हो जाए, तो मैं आप और आपके पाक बाप-दादाओं के ज़रिए अल्लाह तआला से दुआ करता हूँ कि वह मुहम्मद और उनके परिवार पर सलाम भेजे, और मुझे आपकी ज़ाहिर के समय और आपके दौर में वापसी का मौका दे ताकि मैं आपकी इबादत में अपनी मुराद (इच्छा) पूरी कर सकूँ और आपके दुश्मनों से अपने दिल को ठीक कर सकूँ।  (बिहार उल अनवार, भाग 99, पेज 116)

रज्अत का स्थान

रज्अत शिया मुसलमानो के मुसल्लम अक़ाइद में से एक है, जिसका आधार क़ुरआन की दर्जनों आयतें और पैग़बर मुहम्मद (स) और मासूम इमाम (अलैहिमुस्सलाम) की सैकड़ों हदीसें हैं।

अज़ीम मुहद्दिस, मरहूम शेख हुर्रे आमोली ने अपनी किताब «अल ईक़ाज़ो मिनल हज्اअते बिल बुरहाने अलर रजअत» के अंत में लिखा है:

"इस किताब में हमने रज्अत के बारे में 620 से अधिक हदीसें, आयतें और सबूत पेश किए हैं, और मुझे नहीं लगता कि किसी भी अन्य फिक़्ही (इस्लामी कानून) या उसूल (मूल सिद्धांत) के मसले में इतनी अधिक प्रमाण सामग्री मिलती हो।"

इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)

 

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