رضوی

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भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र संघ और विशेष रूप से सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग उठाई है। यूएनएससी में बदलाव की मांग को दोहराते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रभारी राजदूत आर. रविंद्र ने कहा कि 'हाल ही में वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की रक्षा करने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ है।

भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग कर रहा है। अब एक बार फिर भारत ने मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा काउंसिल (यूएनएससी) में बदलाव की मांग की है और कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में जब दुनियाभर में संघर्ष बढ़ रहे हैं, उनमें यूएनएससी पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ साबित हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक उच्चस्तरीय परिचर्चा में जी4 देशों-ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की ओर से बयान देते हुए भारतीय राजदूत ने ये बात कही।

 

 

ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा पट्टी के उत्तर में खान यूनिस शहर में हमद क्षेत्र को खाली करने की चेतवानी दी है जिसके बाद फ़िलिस्तीनी नागरिक इस क्षेत्र से निकल कर सुरक्षित स्थान की तलाश में भटक रहे हैं।

:قال الامام المجتبي عليه السلام

ما بَقِىَ فِى الدُّنْيا بَقِيَّةٌ غَيْرَ هَذَا القُرآنِ فَاتَّخـِذُوهُ إماما يَدُلُّكُمْ عـَلى هُداكُمْ، وَإنَّ أَحَقَ النّاسِ بِالقُرآنِ مَنْ عَمِلَ بِهِ وَإنْ لَمْ يَحْفَظْهُ وَأَبْعَدَهُمْ مِنْهُ مَنْ لَمْ يَعْمَلْ بِهِ وَإنْ كانَ يَقْرَأُهُ

ارشاد القلوب، ديلمى، ص۱۰۲

इमाम हसन मुज्तबा :

इस फानी दुनिया में जो चीज़ बाक़ी रह जाएगी वह क़ुरआने करीम है। अतः क़ुरआने मजीद को अपना इमाम, रहबर और पेशवा क़रार दो ताकि सिराते मुस्तक़ीम और सीधे रस्ते की तरफ हिदायत हो।

बेशक क़ुरआन के क़रीबी लोग वह हैं को उस पर अमल करते हैं चाहे उन्होंने उसकी ज़ाहिरी आयात को हिफ़्ज़ न किया हो और क़ुरआन से सबसे दूर वह लोग हैं जो उस पर अमल नहीं करते चाहे वह क़ारियाने क़ुरआन ही क्यों न हों।

 

मीडिया सूत्रों ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिम में "दश्त बरची" के शिया इलाके में "सरकारी तेल टैंक" क्षेत्र में एक आतंकवादी बम विस्फोट की सूचना दी है।

काबुल के पश्चिम में एक सूत्र ने अबना रिपोर्टर को बताया कि रविवार शाम को काबुल शहर के दश्त बरची इलाके में एक विस्फोट के परिणामस्वरूप, एक नागरिक शहीद हो गया और चार महिलाओं सहित 12 अन्य नागरिक भी घायल हो गए।

इस सूत्र के अनुसार, घायलों को काबुल शहर के "अली जिनाह" और "आपातकालीन" अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया है।

 

तेहरान में शहीद इस्माइल हानिया पर ज़ायोनी शासन के हमले के बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई की घोषणा की है। ईरान के हमले के समय को लेकर विश्व मीडिया में तरह-तरह की टिप्पणियों और विश्लेषण का दौर जारी हैं।

ऐसे में बीते दिन मस्जिद जमकरान में ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई की मौजूदगी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। क्षेत्रीय मुद्दों पर गहरी नजर रखने वाले इराकी विश्लेषक नजाह मोहम्मद अली ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए एक्स पर लिखा है कि  सुप्रीम लीडर ने कल रात जमकरान मस्जिद में हाज़िरी दर्ज कराई। आशा है जल्दी ही कुछ अच्छी खबर सुनने को मिलेगी।

इराकी पर्यवेक्षक ने ईरान के जोरदार जवाबी हमले के बारे में आगे लिखा है कि ज़ायोनी युद्ध मंत्री ने कहा है कि ईरान और प्रतिरोध संगठनों के हमलों को देखते हुए इस्राईल और उन्हें इन दिनों कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है।

 

इमाम हुसैन अ.स. के अरबईन के मौके पर होने वाला मार्च दुनिया के सबसे शानदार और भावुक धार्मिक समारोहों में से एक है जो हमेशा त्याग, सहानुभूति, ईमानदारी और यक़ीन के सबसे सुंदर उदाहरण पेश करता है।

भारत के एक पूर्व राजनयिक भद्र कुमार का ख़याल ​​है कि ईरान अपनी स्मार्ट शक्ति का इस्तेमाल करके, इजराइली शासन की शत्रुतापूर्ण नीतियों पर प्रभावी हमला करेगा और इस्राईल के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन कम कर देगा।

"ईरान के स्मार्ट पॉवर से इज़राइल को बड़ा झटका" शीर्षक के अंतर्गत एक लेख में भारत के पूर्व राजनयिक एम. के. भद्र कुमार पश्चिम एशिया के हालिया घटनाक्रमों पर रोशनी डालते हुए इस क्षेत्र में ईरान की भूमिका की ओर इशारा करते हैं।

उनका मानना ​​है कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में हालिया बदलाव, ईरान की बढ़ती शक्ति और अमेरिका की ईरान विरोधी नीतियों के लिए क्षेत्रीय समर्थन में कमी के संकेत देते हैं।

लेखक यह इशारा करते हुए कि ईरान की नई सरकार, दुनिया के साथ रचनात्मक बातचीत की कोशिश में है,  इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ईरान की विदेश नीति में इन परिवर्तनों के इज़राइल और अमेरिका के के लिए महत्वपूर्ण परिणाम होंगे।

उनका कहना था कि श्री मसऊद पिज़िश्कियान की चुनाव में जीत, ईरान में एक धड़े की शक्ति को ज़ाहिर करती है, एक ऐसा धड़ा जो उन पुरानी नीतियों को अप्रभावी बना सकता है जिनका इस्तेमाल देश के दुश्मनों द्वारा ईरान में सामाजिक अस्थिरता भड़काने के लिए किया जाता रहा है।

श्री कुमार ने इन घटनाक्रमों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं पर भी रोशनी डाली और डॉक्टर पिज़िश्कियान से तत्काल बैठक के लिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी के अनुरोध की तरफ़ इशारा किया।

श्री भद्र कुमार ग्रॉसी के इस क़दम को ईरान और आईएईए के बीच बातचीत के महत्व का संकेत मानते हैं जिससे परमाणु सहयोग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हो सकता है।

लेख के दूसरे हिस्से में भारत के पूर्व राजनयिक एम. के. भद्र कुमार ईरान के प्रति फ़ार्स की खाड़ी के देशों के दृष्टिकोण में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि ये देश, विशेष रूप से सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात, वाशिंगटन के ईरान विरोधी रुख से ख़ुद को दूर कर रहे हैं।

वह अरब लीग की आतंकवादी संगठनों की सूची से हिजबुल्लाह का नाम हटाने को, जिसे अमेरिकी दबाव के कारण शामिल किया गया था, दृष्टिकोण के इस बदलाव के इशारों में एक मानते हैं और इस बात पर ज़ोर देते हैं कि इन बदलावों को ख़ासकर इस्राईल के लिए एक गंभीर ख़तरा माना जाता है।

वह कहते हैं:

आम तौर पर, फ़ार्स की खाड़ी के रजवाड़े, जो ईरान के घटनाक्रमों पर क़रीब से नज़र रखते हैं, पैराडाइम में बदलाव महसूस कर रहे हैं। अहम बात यह है कि श्री पिज़िश्कियान, कट्टरपंथ के परिणामों से निपटने के लिए एक क्षेत्रीय गठबंधन पर ज़ोर देते हैं।

श्री कुमार डॉक्टर पिज़िश्कियान के शब्दों का भी हवाला देते हैं कि: कट्टरपंथियों की आवाज़ से लगभग दो अरब शांतिप्रिय मुसलमानों की आवाज़ दबनी नहीं चाहिए, इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है।

लेखक लिखते हैं कि 1979 की इस्लामी क्रांति के पैंतालीस साल बाद, इस्लामी गणतंत्र को संयम और तर्कसंगतता की आवाज़ के रूप में पेश किया गया! वह कहते हैं:

अलबत्ता, इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान और प्रतिरोध के मोर्चे के अन्य सदस्य, इज़राइल की हालिया कार्रवाइयों पर अपने जवाबी हमले को नरम कर देंगे। हनिया की हत्या का ईरान का प्रतिशोध, निश्चित रूप से उससे भी अधिक गंभीर और दर्दनाक होगा जिसका तेल अवीव ने अब तक अनुभव किया है।

भारत के पूर्व राजनयिक श्री कुमार का मानना ​​है कि ईरान के साथ युद्ध, अरब देशों के साथ इजराइली शासन के पिछले युद्धों से बहुत अलग होगा। उनके अनुसार, यह युद्ध तब तक अंतहीन रहेगा जब तक इज़राइल फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना की अनुमति नहीं दे देता।

वह लिखते हैं: इजराइल की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाएगी, जैसा कि हिज़्बुल्लाह के साथ हुआ था। ईरान के मध्यावधि और दीर्घकालिक फ़ायदे, इज़राइल की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं और इसके साथ ही, युद्ध कई मोर्चों पर और ग़ैर-सरकारी खिलाड़ियों के साथ होगा।

आर्टिकल में आगे आया है:

अमेरिका की ओर से किसी प्रकार की हरी झंडी के बिना, इस बात पर विश्वास करना कठिन है कि इज़राइल ने अपने दम पर ईरान की संप्रभुता पर हमला किया होगा जो कि युद्ध के समान होता है। यह "ज्ञात अज्ञात" वजह स्थिति को बहुत ही खतरनाक बना देती है।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला ख़ामेनेई पहले ही इजराइली क्षेत्र पर सीधे हमले का आदेश दे चुके हैं। श्री कुमार ने क्षेत्र में अमेरिकी नौसैनिक बलों की तैनाती की ओर भी इशारा किया और इसे स्थिति के बिगड़ने और ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ने की संभावना का संकेत क़रार दिया है।

इस संबंध में वह पेंटागन द्वारा जारी रिपोर्टों का हवाला देते हैं जो फ़ार्स की खाड़ी क्षेत्र और पूर्वी भूमध्य सागर में 12 अमेरिकी युद्धपोतों की तैनाती के बारे में जानकारी देती हैं।

भारत के पूर्व राजनयिक श्री कुमार के अनुसार, इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू, पश्चिम एशिया में एक नई वास्तविकता बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका के समर्थन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

कुमार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि नेतन्याहू इन प्रयासों में न केवल निर्देशक बल्कि स्क्रिप्ट राइटर की भूमिका भी निभाते हैं और अन्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को उनके साथ समन्वय करने पर मजबूर करना चाहते हैं।

आख़िर में, भद्र कुमार ने यह नतीजा दिया कि पश्चिम एशिया के हालिया घटनाक्रम, क्षेत्र में शक्ति संतुलन में बड़े बदलाव का संकेत देते हैं जिसका क्षेत्र की भविष्य की नीतियों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

उनके अनुसार, ईरान एक अहम खिलाड़ी के रूप में, इजराइल की शत्रुतापूर्ण नीतियों पर प्रभावी हमला करने और इस शासन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन को कम करने के लिए अपनी स्मार्ट शक्ति का इस्तेमाल करने में कामयाब रहा है।

 

सोत्र:

M.K. Bhadrakumar. 2024. Iran To Hit Israel Hard With Smart Power. Eurasiareview

 

 

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के क़ानून के आर्टिकल 8 के अनुसार, किसी तीसरे पक्ष द्वारा किसी दूसरे देश की आधिकारिक यात्रा के दौरान किसी देश की आधिकारिक पार्टी के नेता की हत्या का प्रयास एक अंतरराष्ट्रीय अपराध है।

पार्सटुडे यह लेख ज़ायोनी शासन द्वारा ईरान में हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माईल हनिया और उनके बॉडीगार्ड की हत्या के बाद लिखा गया। यह एक खुला हुआ पत्र है जो संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवहारिक कमज़ोरी और उसके द्वारा नज़र अंदाज़ किए जाने की आलोचना करता है:

सरकारों की अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी के अनुसार, जिसे 2001 में संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय क़ानून आयोग द्वारा बनाया गया था, क्या आपकी आतंकवादी कृत्यों के हवाले से कोई ज़िम्मेदारी नहीं हैं?! क्या ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विभिन्न आयामों के संबंध में आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव और संधियां पारित की हैं?! इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में एक "आतंकवादी बांबिंग के ख़िलाफ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन" है, जिस पर दुनिया के 164 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।

इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 के अनुसार, जो कोई भी किसी सार्वजनिक स्थान, सरकारी भवन और सार्वजनिक परिवहन सिस्टम्स के स्टेशनों पर किसी भी तरह से विस्फोटक पदार्थ लाने, रखने और विस्फोट करने का प्रयास करता है, जिससे लोगों में तबाही आती है, चोट या मौत होती है, वह आतंकवादी कृत्य करता है।

मिस्टर युनाइटेड नेशन्स!

क्या 2001 में संयुक्त इंटरनैशनल लॉ कमीशन में पास होने वाले State International Responsibility प्रस्ताव के मुताबिक़ आतंकी गतिविधियों के बारे में आपकी कोई रेस्पांसिबिलिटी नहीं है?! क्या यह सच नहीं है कि इंटरनैशनल कम्युनिटी ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के अलग अलग पहलुओं के बारे में कई आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव पास कर रखे हैं? टेररिस्ट बॉम्बिंग कन्वेंशन इनमें से बड़ा महत्वपूर्ण कन्वेंशन हैं जिस पर दुनिया के 164 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।

इस कन्वेंशन का दूसरा अनुच्छेद कहता है कि जो भी, जिस तरह से भी किसी सार्वजनिक स्थान पर, सरकारी इमारत में, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के स्टेशनों पर विस्फोटक पदार्थ ले जाने, प्लांट करने और विस्फोट करने में लिप्त हो और उसके नतीजे में विध्वंस हो या कोई घायल हो या मारा जाए तो उसने आतंकी हरकत की है।

मिस्टर यूएनओ!

एक दूश के राजनैतिक दल के नेता की दूसरे देश की सरकारी यात्रा के दौरान तीसरी ताक़त के हाथों टारगेट किलिंग इंटरनैशनल क्रिमनल कोर्ट के घोषणात्रपत्र के 8वें आर्टिकल के अनुसार एक अंतर्राष्ट्रीय अपराध है। एक फ़िलिस्तीनी पोलीटिकल फ़ीगर की हत्या फ़िलिस्तीन की सावरेंटी पर हमला और उस आर्टिकल के मुताबिक़ जिसका हवाला दिया और युएनओ जनरल असेंबली के प्रस्ताव 3314 के अनुसार भी अंतराष्ट्रीय अपराध और अग्रेशन है।

मिस्टर यूएनओ!

ज़ायोनिस्ट रेजीम की कार्यवाही यूएनओ चार्टर के कई आर्टिकल्ज़ का वाइलेशन है। चार्टर के आर्टिकल 2 में देशों की अखंडता, राजनैतिक स्वाधीनता और संप्रभुता की बात की गई है। इज़राइल ने फ़िलिस्तीन के हमास आंदोलन के नेता को दूसरे देश में क़त्ल किया है यह मेज़बान देश यानी ईरान की संप्रभुता का हनन है। सब जानते हैं कि किसी भी देश के अधिकारियों पर हमला चाहे वो सैन्य अधिकारी हों या सिविलियन अधिकारी हों उस देश की संप्रभुता पर हमला है।

मिस्टर यूनएनओ!

इस्माईल हनीया फ़िलस्तीन की एक क़ानूनी पोलिटिकल पार्टी के नेता और एक राजनेता की हैसियत से डिप्लोमैटिक पास्पोर्ट के साथ ईरान आए थे। हम सब जानते हैं कि किसी भी देश की सरकार से जुड़े व्यक्ति और सम्पत्ति को दूसरे देश में इम्युनिटी हासिल होती है। इसलिए जो इस आतंकवादी हमले ने सरकारों की इम्युनिटी  के क़ानून को भी तोड़ा है और साथ ही यह दूसरे देश की अखंडता पर हमला भी है। इस। इस चार्टर के सातवें आर्टिकल में साफ़ तौर पर कहा गया है कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। क़ाबिज़ रेजीम ने ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया और यह हरकत ईरान की सरकार की सूचना और अनुमति के बग़ैर अंजाम दी गई।

मिस्टर यूएनओ!

क़ाबिज़ इस्राईल के इस अपराधी गैंग का यह अमल अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद है। यह सरकार  सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा को गैर क़ानूनी तरीक़े से इस्तेमाल कर रही है और उसका मक़सद आतंकित तरना है। यह अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का सबसे बुनियादी तत्व है जिसके नतीजे में इस्माईल हनीया और उनके बाडीगार्ड की मौत हुई। इस्राईल के इस अपराध पर उसे अंतर्राष्ट्रीय तौर पर जवाबदेह ठहराना ज़रूरी है।

मिस्टर यूएनओ!

इस रेजीम के रिकार्ड में जनसंहार और अग्रेशन की घटनाओं की लंबी सूची है। अपने क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में वह रोज़ाना मानवता विरोधी अपराध कर रही है। हैरत है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय वर्चस्ववाद और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का समर्थन भी हासिल है। हर  हक़ीक़त हमारे सामने दुनिया में यह एसी रेजीम है जो किसी भी अंतर्राष्ट्रीय क़ानून की पाबंद नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद भी जो अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदार है ज़ायोनिस्ट रेजीम के अधिकारियों पर अंकुश लगाने में बेबस है। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि ज़ायोनिस्ट रेजीम युनाइटैड स्टेट्स की सत्ता का एक हिस्सा है।

मिस्टर यूएनओ!

ईरान,  ईरानी जनता और दुनिया के आज़ाद इंसानों के पास इस अपराध का इंतेक़ाम लेने का अधिकार पूरी तरह सुरक्षित है।

 

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने पेरिस ओलंपिक 2024 में ईरान के खेल कारवां के मुक़ाबले पूरे होने पर शुक्रिया संदेश जारी किया।

राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख के एक ख़त के जवाब में अपने एक संदेश में उन्होंने देश के खिलाड़ियों, खेल संघों के प्रमुखों और कोचों का शुक्रिया अदा किया है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता का संदेश इस प्रकार है:

बिस्मेही तआला

प्यारे और अच्छे जज़्बे वाले और मज़बूत इरादे के खिलाड़ियों, खेल संघों के प्रमुखों, कोचों और राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का दिल से शुक्रिया जो हालिया मुक़ाबलों में खेल के मैदान में देश की ख़ुशी और गौरव का कारण बने। आप सब कामयाब रहें,  इनशाअल्लाह।

सैयद अली ख़ामेनेई

12 अगस्त 2024

ओलंपिक राष्ट्रीय कमेटी के प्रमुख महमूद ख़ुस्रवी वफ़ा ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के खिलाड़ियों के कारवां की कुछ उपलब्धियों के संबंध में "ख़ादिमुर्रज़ा" शीर्षक के अंतर्गत लिखा और जानकारी दी थी। इस पत्र में उन्होंने ईरानी महिला ख़िलाड़ियों को मिलने वाली कुछ उपलब्धियों और उनके अच्छे प्रदर्शन का ज़िक्र किया था।

ईरानी खिलाड़ियों के कारवां ने पेरिस ओलंपिक 2024 में कुछ खेलों में पदक प्राप्त किया और फ्री स्टाइल कुश्ती और ताइक्वांडो में ओलंपिक में उप चैंपियन का ख़िताब जीत लिया। पेरिस ओलंपिक में 200 से अधिक देशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया।

पेरिस ओलंपिक में यूक्रेन 22वें स्थान पर, बेल्जियम 25वें स्थान पर, डेनमार्क 29वें स्थान पर, ऑस्ट्रिया 36वें स्थान पर, दक्षिण अफ्रीक़ा 44वें स्थान पर, मिस्र 52वें स्थान पर, तुर्किये 64वें स्थान पर और भारत 71वें स्थान पर रहा जबकि ईरान 21वें स्थान पर रहा।

ज्ञात रहे कि पेरिस ओलंपिक 2024 में ईरान के खेल कारवां ने ग्रीको रोमन और फ़्री स्टाइल कुश्ती और ताइक्वांडो में 12 पदक (3 स्वर्ण, 6 रजत और 3 कांस्य पदक) जीते।

ब्रिटिश में तोड़फोड़ हिंसक प्रदर्शन के दौरान लीवरपूल, हल, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, ब्लैकपूल और बेलफास्ट में बोतलें फेंकी गईं कई जगहों पर पुलिस पर हमले किए।

ब्रिटिश में तोड़फोड़ हिंसक प्रदर्शन के दौरान लीवरपूल, हल, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, ब्लैकपूल और बेलफास्ट में बोतलें फेंकी गईं कई जगहों पर पुलिस पर हमले किए।

जो गोरे कभी आधी दुनिया पर राज किया करते थे वे अब हम जैसे लोगों से कह रहे हैं कि आपने यहां आकर हमारी नौकरियां छीन लीं हैं आख़िर ऐसा क्यों है?

लगभग 70-75 साल पहले हमारे पूर्वज गोरों से आज़ादी पाने के लिए अपने घर से निकले थे.ब्रिटेन में होटलों पर दुकानों पर मस्जिदों पर हमले हो रहे हैं।

वज़ीर ए आज़म कहते हैं कि यह बदमाश हैं वहीं मीडिया कहता है कि ये प्रो-यूके विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं ब्रिटेन में तीन बच्चियों की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन अब तक 90 लोग गिरफ़्तारकोई यह नहीं बताता कि यह ग़ुस्सा गोरे देशों से आए आप्रवासियों पर क्यों नहीं निकलता है।

सरकार भी और गोरे नागरिक भी अपने घरों के दरवाजे़ खोलकर उनका स्वागत करते हैं. ऐसा करना भी चाहिए।

गोरा भले ही कम पढ़ा लिखा हो भारत पाकिस्तान जैसे देश में जाकर वह खुद को प्रधान समझने लगता है और अगर वहां से कोई सर्जन बनकर भी आ जाए तो कई गोरों के लिए वह अप्रवासी और ग़ैरक़ानूनी ही रहता है।

जब किसी ढाके वाले के ढाबे का चिकन टिक्का मसाला खा-खा कर बीमार पड़ जाएगा तो उसका इलाज कोई गुजरात से आया डॉक्टर ही करेगा, नर्स भी जमैका की होगी. और फिर दवा लेने के लिए फ़ार्मेसी जाएगा।

वहां भी कोई हमारा ही भाई-बहन खड़ा होगा .ब्रिटेन के चुनावों में जीत का परचम लहराने वाले ये हैं भारतीय मूल के नेताब्रिटेन के राजनेताओं ने अपनी सारी अक्षमताओं का भार विदेश से आए काले और भूरे लोगों पर डाल दिया है।