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मंगलवार, 19 मार्च 2024 15:50

बंदगी की बहार- 8

पवित्र रमज़ान को मुसलमानों के बीच विशेष महत्व प्राप्त है।

रमज़ान का महीना वास्तव में एक नई शुरूआत का महीना है।  यह महीना पापों से दूरी और ईश्वर से निकटता का महीना है।  न केवल इस्लामी देशों में बल्कि उन देशों में भी मुसलमान, रमज़ान को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं जहां पर वे बहुसंख्यक नहीं हैं।  मुसलमान कहीं पर भी हों वे रमज़ान में रोज़े अवश्य रखते हैं।  कार्यक्रम में हम यह देखने का प्रयास करेंगे कि संसार के विभिन्न देशों में रमज़ान कैसे मनाया जाता है।  तो पहले रुख़ करते हैं फ़िलिपीन का।

फ़िलिपीन में लगभग एक करोड़ बीस लाख मुसलमान वास करते हैं।  इस देश में पवित्र रमज़ान का स्वागत बहुत ही उत्साह के साथ किया जाता है।  फ़िलिपीन में रमज़ान के आगमन की सूचना इस देश का राष्ट्रीय मुसलमान आयोग करता है।  इस देश में मुसलमान, रमज़ान आरंभ होने से पहले ही मस्जिदों की सफाई में लग जाते हैं।  फ़िलिपीन में रमज़ान आने से पहले ही मस्जिदों की सफाई-सुथराई करके उनको सजाया जाता है।  इस महीने में वहां पर मस्जिदों के भीतर नमाज़ पढ़ने और पवित्र क़ुरआन का पाठ करने का चलन अधिक है।  फ़िलिपीन की मशहूर मस्जिदों में से एक, "डिमाउकोम" मस्जिद है।  यह गुलाबी मस्जिद के नाम से ही जानी जाती है।  सन 2014 में गुलाबी मस्जिद बनकर तैयार हुई थी।  डिमाउकोम मस्जिद को इसाई मज़दूरों ने बनाया है।  यही कारण है कि गुलाबी मस्जिद, फिलिपीन में धर्मों के बीच एकता का प्रतीक है।  शांति एवं प्रेम की भावना के दृष्टिगत डिमाउकोम मस्जिद का नाम गुलाबी मस्जिद रखा गया है।  रमज़ान के महीने में फ़िलिपीन के मुसलमान, सामान्यतः गुलाबी कपड़े पहनकर जाते हैं।  इसका एक उद्देश्य दूसरों के साथ एकता का प्रदर्शन करना है।

फ़िलिपीन में बच्चे, रमज़ान के दौरान बहुत ही सक्रिय दिखाई देते हैं।  वे मस्जिदों में एकत्रित होकर उस बच्चे के साथ पवित्र क़ुरआन का पाठ करते हैं जो उनमें सबसे अधिक क़ुरआन पढ़ना जानता हो।  वहां पर लोगों के बीच इस्लामी शिक्षाओं को प्रचलित करने का चलन बहुत दिखाई देता है।  सहर से पहले बच्चे रंगबिरंगे कपड़े पहनकर हाथ में मोमबत्ती लिए हुए स्थानीय भाषा में गीत गाकर लोगों को सहर खाने के लिए उठाते हैं।  रमज़ान के महीने में फ़िलिपीनवासी, खाने का विशेष प्रबंध करते हैं।  इस प्रकार वे सहर और इफ़्तार में रंग-बिरंगे खाने खाते हैं।  वे लोग रमज़ान के खानों को बहुत सजाते हैं।  फ़िलिपीन में सहर और इफ़्तार दोनो समय दस्तरख़ान पर एक विशेष प्रकार का शेक रखा होता है जो दूध, बादाम, केले और शकर से बना होता है।  इसके अतिरिक्त खाने के लिए भी वे एक विशेष प्रकार का मीठा व्यंजन तैयार करते हैं जिसका नाम "अलअयाम" है।  ईद के दिन फ़िलिपीन के मुसलमान ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद मस्जिदों तथा धार्मिक स्थलों से निकलकर" सड़कों पर जश्न मनाते हैं।

अब हम चीन में मुसलमानों के बीच रमज़ान के दौरान होने वाली गतिविधियों के बारे में चर्चा करेंगे।  चीन संसार में आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है।  यहां की जनसंख्या एक अरब चार करोड़ है।  चीन में दो करोड़े से अधिक मुसलमान रहते हैं।  चीन में 56 प्रकार की जातियां हैं जिनमें मुसलमान 10 जातियों में बंटे हुए हैं।  इन दस जातियों में चीन में मुसलमानों की दो जातियां बहुत प्रसिद्ध हैं उईगूर और हूई जाति।  चीन की कुल जनसंख्या की तुलना में इस देश में मुसलमानों की जनसंख्या का अनुपात कम है किंतु फिर भी वे करोड़ो में हैं।  चीन के मुसलमान, संसार के अन्य मुसलमानों की तुलना में पवित्र रमज़ान का खुले मन से स्वागत करते हैं।  वे लोग अपने घरों और मस्जिदों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं।  चीनी मुसलमानों के बीच मस्जिदों को बहुत महत्व प्राप्त है।  इन मस्जिदों में से एक, न्यूजी मस्जिद है।  रमज़ान के महीने में इस मस्जिद में चहल-पहल बहुत बढ़ जाती है।  इसमें 1000 से अधिक लोगों के लिए नमाज़ पढ़ने की जगह है।  न्यूजी मस्जिद, बीजिंग में स्थित सबसे पुरानी मस्जिद है।  न्यूजी मस्जिद का निर्माण सन 996 ईसवी में करवाया गया था।

चीन की मस्जिदों में इफ़्तारी का बहुत ही उपयुक्त प्रबंध किया जाता है।  वहां की एक परंपरा यह है कि जिसका घर मस्जिद से निकट होता है वह अपनी क्षमता के अनुसार खाने-पीने का सामान मस्जिद में लाता है।  इफ़्तार के समय सबलोग एकसाथ बैठकर रोज़ा खोलते हैं।  चीन में रोज़े को सामान्यतः खजूर, केले, किशमिश और ख़रबूज़े से खोला जाता है।  रमज़ान के दौरान चीन में एक विशेष प्रकार का व्यंजन तैयार किया जाता है जिसको "डोउज़ोऊ" कहते हैं।  इसको चीनी बहुत पसंद करते हैं।  जब ईद आती है तो चीनी मुसलमान साफ़ सुथरे होकर उसका स्वागत करते हैं।  वे लोग अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर मस्जिदों में एकत्रित होते हैं और ईद की नमाज़ पढ़ते हैं।  ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद चीन में क़ब्रिस्तान जाने का चलन है।  क़ब्रिस्तान जाकर वे अपने मुर्दों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।  चीन के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में ईद के दिन सामान्यतः छुट्टी रहती है।

इन्डोनेशिया में मुसलमान बहुसंख्यक हैं।  इस देश की जनसंख्या में 86 प्रतिशत मुसलमान हैं।  इन्डोनेशिया के मुसलमान, संसार के अन्य मुसलमानों की ही भांति पवित्र रमज़ान का स्वागत करते हैं।  इन्डोनेशिया में रमज़ान से संबन्धित कुछ परंपराए हैं जिसमें से Nyorog, Perlon, Nyadran अर्थात नियोराग, परलोन और नियाड्राम की ओर संकेत किया जा सकता है।  नियोराग नाम परंपरा इन्डोनेशिया के बेटावी क़बीले में प्रचलित है।  इस परंपरा में लोग अपने परिवार के बड़े-बूढ़ों जैसे दादा-दादी, नाना-नानी, मामा, चाचा या अन्य परिजनों के घर जाते हैं।  वे लोग अपने साथ परिवार के सदस्यों के लिए खाने की कोई चीज़ अवश्य अपने साथ ले जाते हैं जिसे "नयाराक़" कहते हैं।  यह एक प्रकार का उपहार है जिसमें सामान्यतः खाने-पीने की चीज़ें होती हैं।

इन्डोनेशिया में जब रमज़ान का चांद दिख जाता है तो लोग सड़को पर निकलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं।  वहां पर सहर के समय लोगों को उठाने के लिए ढोल बजाई जाती है।  अन्य देशों की भांति इन्डोनेशिया में भी इफ़्तार से कुछ पहले ही लोग मस्जिदों में पहुंचने लगते हैं।  कुछ मस्जिदों में लोग अपने घरों से खाने का सामान ले जाते हैं जबकि कुछ अन्य मस्जिदों में उस मस्जिद की ओर से इफ़्तार का प्रबंध किया जाता है।  इन्डोनेशिया में इफ़्तारी में कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किये जाते हैं।

रमज़ान का अंत इन्डोनेशिया में भी ईद से होता है।  जब ईद का चांद दिखाई देता है तो लोग सड़कों पर निकलकर अल्लाहो अकबर के नारे लगाते हैं।  बाद में ईद से विशेष संगीत बजाया जाता है।  ईद का चांद देखते ही इन्डोनेशिया वासी एक-दूसरे को ईद की बधाई देने लगते हैं।  वहां पर ईद के दौरान दूसरे शहरों की यात्रा का भी सफर प्रचलित है।  ईद की छुट्टियों में वहां के लोग लंबी-लंबी यात्राओं पर निकलते हैं।  इन्डोनेशिया में ईद की छुट्टी एक सप्ताह की होती है।

इन्डोनेशिया के बाद अब हम रुख़ करते हैं मलेशिया का।  मलेशिया में मुसलमानों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत है।  मलेशिया में मलायो जाति के अतिरिक्त चीनी तथा भारतीय भी रहते हैं।  मलेशिया के लोग अपनी भाषा में रमज़ान को "बुलान पुआसा" कहते हैं।  बुलान का अर्थ होता है महीना और पुआसा का मतलब है रोज़ा रखना।  मलेशिया में मस्जिदें सुबह की अज़ान से एक घण्टा पहले खुल जाती हैं जो शाम में इशा की नमाज़ तक खुली रहती हैं।  इस दौरान वहां पर मस्जिदों में रमज़ान के दौरान कई प्रकार के आयोजन किये जाते हैं जैसे क़ुरआन पढ़ना, लोगों को इस्लामी जानकारी उपलब्ध कराना।  इस दौरान क़ुरआन पढने और पढ़ाने के कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया जाता है।  इन कार्यक्रमों में बहुत बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं।  मलेशिया में कुछ टीवी चैनेल रमज़ान के दौरान पवित्र क़ुरआन पढ़ने और पढ़ाने के कार्यक्रम पेश करते हैं।  इनपर इस्लामी शिक्षाएं भी दी जाती हैं।

क्वालालंपुर में रमज़ान का प्रभाव केवल वहां की जनता पर ही नहीं पड़ता बल्कि इसे हर ओर देखा जा सकता है।  वहां पर कुछ रेस्टोरेंट शाम के समय खुलते हैं जो पूरी रात खुले रहते हैं।  मलेशिया में रमज़ान के दौरान मस्जिदों में बहुत रौनक़ होती है।  लोग अपनी अधिकांश नमाज़ें मस्जिदों में जाकर ही पढ़ते हैं।

अंत में आपको यह बताना चाहते हैं कि रमज़ान में सहरी खाने पर विशेष बल दिया गया है।  आहार विशेषज्ञों का कहना है कि सहरी करना सबसे अहम बिन्दु है। रोज़ा रखने वालों को नींद के चक्कर में सहरी खाना कभी नहीं छोड़नी चाहिए। क्योंकि सहरी खाने से बहुत लाभ हैं।  जानकारों का कहना है कि रात का खाना कभी भी सहरी का स्थान नहीं ले सकता।  आप सहरी ज़रूर खाएं चाहे कुछ नवाले ही सही।  पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है कि सहरी अवश्य खाओ चाहे एक खजूर या एक घूंट पानी ही सही।

 

ईरानी कैलेंडर के आख़िरी महीने इसफ़ंद के आख़िरी दिन को ईरान मे तेल के राष्ट्रीयकरण के दिन के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन ईरान की संसद से पूरे ईरान में तेल उद्योग के राष्ट्रीय करण का क़ानून पास हुआ और देश की जनता के अधिकारों व हितों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम उठाया गया। इसके बाद से तेल उद्योग साम्राज्यवादी ताक़तों के चंगुल से आज़ाद हो गया।

यह क़ानून 20 मार्च 1951 को पास हुआ था। उस समय पश्चिमी एशिया में ईरान सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश था जबकि विश्व स्तर पर अमरीका, वेनेज़ोएला और सोवियत संघ के बाद चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश था। अमरीका और रूस दोनों की नज़रें ईरान के तेल पर थीं और दरअस्ल ईरान के तेल पर साम्राज्यवादी ताक़तों के बीच मुक़ाबला था।

इस मुक़ाबले में एक दूसरे को पीछे छोड़ने और अपने अपने हित साधने के लिए यह ताक़तें ईरान के राजनैतिक और आर्थिक मंचों पर हर प्रकार का प्रभाव इस्तेमाल करती थीं। बाहरी ताक़तों की यह कोशिश होती थी कि दरबार में और संसद में उनकी पाठ रहे। इसके लिए तानाशाह को अलग अलग तरीक़ों से दबाव में लाया जाता था।

स्थिति यह हो गई थी कि दरबार से जुड़े लोगों के अनुसार संसद में कि जो एक दिखावटी संस्थान था वही लोग सदस्य बनते थे जिनके नामों पर बाहरी ताक़तों की मुहर लगती थी। यह हालत हो गई थी कि विदेशी दूतावासों में सांसदों और अधिकारों के नामों की सूची तैयार की जाने लगी थी।

ईरान में प्रधानमंत्री मुहम्मद मुसद्दिक़ की सरकार ने तेल उद्योग के राष्ट्रीय करण के क़ानून को अप्रैल 1951 में लागू करने के लिए अपने एजेंडे में शामिल किया तो मुसद्दिक़ सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश शुरू हो गई। अगस्त 1953 में मुसद्दिक़ की सरकार के ख़िलाफ़ अमरीका और ब्रिटेन ने मिलकर बग़ावत करवा दी।

बग़ावत के बाद सरकार गिर गई और ईरान के तेल उद्योग के दरवाज़े एक बार फिर विदेशी कंपनियों के लिए खुल गए। शेल, ब्रिटिश पेट्रोलियम और केलीफ़ोर्निया और टेक्सास की कंपनियों ने ईरान के तेल के कुंओं पर अपना नियंत्रण और भी बढ़ा लिया।

ईरान में 1979 में इस्लामी क्रांति सफल हुई  तो उसके बाद ईरान के तेल संसाधनों पर विदेशी कंपनियों के नियंत्रण से संबंधित समझौते रद्द कर दिए गए। अब तेल के संसाधन खोजने और तेल निकालने और रिफ़ाइन करने क ठेके ईरान की नेशनल आयल कंपनी के हाथ में आ गए।

इस्लामी क्रांति की सफलता और अमरीका के दूतावास पर छात्रों के नियंत्रण के बाद जो जासूसी और साज़िश का केन्द्र बन गया था ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका की पाबंदियों का सिलसिला शुरू हो गया। अमरीका को अच्छी तरह पता था कि ईरान की अर्थ व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए तेल उद्योग को निशाना बनाया जाना ज़रूरी है।

पाबंदियां लगाने के पीछे अमरीका का लक्ष्य यह था कि ईरान आर्थिक रूप से बेबस हो जाए वह न तो तेल का उत्पादन कर सके और न तेल की आमदनी उसे हासिल हो। क्योंकि इससे पहले तक ईरान का तेल उद्योग उन उपकरणों पर निर्भर था जो पश्चिमी देशों से इम्पोर्ट किए जाते थे।

मगर व्यवहारिक रूप से यह हुआ कि ईरान तेल और गैस के उद्योग में धीरे धीरे आत्म निर्भर होता गया। दोनों उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले जटिल उपकरण और बड़ी मशीनों भी ईरान के भीतर ही बनाई जाने लगीं। इससे जहां एक तरफ़ तेल व गैस उद्योग में ईरान आत्म निर्भरता की तरफ़ बढ़ा वहीं मशीनों के निर्माण के मैदान में भी उसे अनुभव हासिल होने लगे।

यह तो वास्तविकता है कि तेल और गैस को ईरान की अर्थ व्यवस्था में बहुत बुनियादी पोज़ीशन हासिल है लेकिन ईरान ने इस बीच यह भी किया है कि देश की अर्थ व्यवस्था के स्रोतों में विविधता लाने के लिए भी बड़ी परियोजनाओं पर काम किया है। ईरान इसके लिए प्राइवेट सेक्टर को लगातार सक्रिय करता जा रहा है और उसकी क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोग्राम बनाए और लागू किए जा रहे हैं।

ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मेजर जनरल मोहम्मद बाक़ेरी ने सोमवार को तेहरान में सीरियाई रक्षा मंत्री अली महमूद अब्बास के साथ मुलाक़ात में कहा कि इस्राईल की आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए दोनों देशों के बीच निरंतर परामर्श की ज़रूरत है।

ग़ज़ा युद्ध में ज़ायोनी सेना के युद्ध अपराधों का ज़िक्र करते हुए मेजर जनरल बाक़ेरी ने कहा कि इस युद्ध में पीड़ित और असहाय फ़िलिस्तीनियों ने युद्ध की शुरुआत से ही ज़ायोनी शासन ख़िलाफ़ प्रतिरोध का एक नया इतिहास रच दिया है।

उन्होंने यह उल्लेख किया कि क़रीब पिछले छह महीनों के दौरान, इस्राईल के अब तक के सबसे भयानक हमलों के ख़िलाफ़ ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के प्रतिरोध ने प्रतिरोधी मोर्चे की उच्च शक्ति और क्षमता का प्रदर्शन किया है।

इस मुलाक़ात में सीरियाई रक्षा मंत्री का कहना था कि ग़ज़ा स्थित प्रतिरोधी संगठनों द्वारा 7 अक्तूबर को इस्राईल के ख़िलाफ़ किए गए अल-अक़सा स्टॉर्म ऑपरेशन के बाद से वैश्विक समीकरण बदल गए हैं।

सीरियाई रक्षा मंत्री अब्बास ने कहाः प्रतिरोधी मोर्चे के सदस्यों के रूप में ईरान और सीरिया की सशस्त्र सेनाओं ने आपसी संबंधों में एक बड़ी सफलता हासिल की है और सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मज़बूत बनाया जाना चाहिए।

ईरान के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ईसा ज़ारेपूएर का कहना है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान उपग्रह और अंतरिक्ष प्रक्षेपण व्हीकल के निर्माण में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में से एक है।

 

ज़ारेपूर ने ईरान के अरबी भाषा के टेलीविज़न चैनल अल-आलम के साथ एक साक्षात्कार में कहाः ईरान के पास अंतरिक्ष में उपग्रह लॉन्च करने और उपग्रहों से डेटा प्राप्त करने के लिए ग्राउंड स्टेशन मौजूद हैं।

 

1979 की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद, अंतरिक्ष कार्यक्रम में ईरान की सफलता को एक मील का पत्थर बताते हुए उन्होंने कहाः उदाहरण के लिए हमारे अंतरिक्ष प्रक्षेपण व्हीकल 200 किलोग्राम तक वज़न वाले उपग्रहों को ले जा सकते हैं और उन्हें अंतरिक्ष में स्थापित कर सकते हैं।

 

ईरानी मंत्री का कहना था कि तेहरान अगले 5 वर्षों में अंतरिक्ष में भारी उपग्रह भेजने की भी योजना बना रहा है।

 

ज़ारेपूर ने ईरानी कैलेंडर के नए साल में जो 21 मार्च से शुरू हो रहा है, अंतरिक्ष कार्यक्रम में देश की महत्वपूर्ण प्रगति की ओर इशारा किया और कहाः पहली बार ईरान अपने उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने में सफल रहा है, जो पृथ्वी से 450 से 2,000 किमी की दूरी पर हैं। ईरानी वैज्ञानिकों और अधिकारियों के प्रयासों से अब ईरानी उपग्रह अंतरिक्ष में हैं।

 

 

 

फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले 24 घंटों के दौरान ग़ज़ा में ज़ायोनी सैनिकों ने 81 फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार किया और 116 को ज़ख़्मी कर दिया।

इसके बाद से ग़ज़ा युद्ध में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 31,726 हो गई है, जबकि 73,792 ज़ख़्मी हैं, वहीं 8,000 लापता हैं, जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे मलबे के नीचे दबकर मर गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक़, मरने वालों में 70 फ़ीसद बच्चे और महिलाएं हैं।

इसके अलावा, सोमवार को इस्राईली सेना ने तोपों और टैंकों से अल-शिफ़ा अस्पताल पर हमला कर दिया, जहां क़रीब 30,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों ने शरण ले रखी है।

ज़ायोनी सेना ने यह हमला उस वक़्त किया, जब लोग रोज़ा इफ़्तार करने की तैयारी कर रहे थे।

अस्पताल पर इस्राईल के हमले में दर्जनों लोग शहीद हो गए और 80 से ज़्यादा लोगों को ज़ायोनी सैनिक उठाकर लेकर गए।

अक्तूबर में ग़ज़ा पर हमले की शुरूआत के बाद से ही ज़ायोनी सेना अल-शिफ़ा अस्पताल को निशाना बनाती रही है।

आर्मीनिया ने भारत के साथ बड़ी रॉकेट डील की है। इससे आर्मीनिया की आर्मी को 40 से लेकर 70 किमी तक दुश्‍मन के किसी भी ठिकाने को तबाह करने की ताकत मिल जाएगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आर्मीनिया की आर्मी भारत से पिनाका का अपडेटेड संस्करण खरीद रही है। इस डील के साथ ही आर्मीनिया ने यह संकेत दे दिया है कि वह रूस के बनाए ग्रैड बीएम 21 स‍िस्‍टम से दूरी बनाने जा रहा है। भारत का पिनाका रॉकेट सिस्‍टम रूसी सिस्‍टम से बहुत आगे है और नवीनतम तकनीक से लैस है।

एक पिनाका रॉकेट सिस्टम में 6 रॉकेट लॉन्चर होते हैं। साथ ही लोडर व्हीकल भी होते हैं जो तेजी से रॉकेट को दोबारा लोड करके हमले के लिए प्रिपेयर कर देते हैं। इसके अलावा एक फायर कंट्रोल सिस्‍टम और मौसम की जानकारी देने वाला रडार भी होता है। इस डील का खुलासा उस समय हुआ, जब एक ताजा वीडियो में पिनाका रॉकेट के फैक्‍टरी में कई पॉड दिखाए दिए। पिनाका को भारत की कई रक्षा कंपनियों ने मिलकर बनाया है।

यूरोएशियन टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मीनिया ने भारत में बने जेन एंटी ड्रोन सिस्‍टम को खरीदा। भारतीय वायुसेना ने भी साल 2021 में इस एंटी ड्रोन सिस्‍टम को खरीदा था।

अमरीका ने गाजा पट्टी के भीड़भाड़ वाले शहर रफ़ाह पर इस्राईल के संभावित हमले को लेकर अब तक की सबसे कड़ी सार्वजनिक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इस तरह के ज़मीनी हमले से इस इलाक़े में मानवीय संकट अधिक गहरा जाएगा।

अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहाः हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन हमास को हराने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन उन्होंने इस्राईली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से कहा है कि रफ़ाह में ज़मीनी हमला एक बड़ी ग़लती होगी।

सुलिवन ने कहाः इस हमले में अधिक निर्दोष लोग मारे जाएंगे, पहले से ही जारी गंभीर मानवीय संकट और बदतर हो जाएगा, ग़ज़ा में अराजकता फैल जाएगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्राईल पहले से भी ज़्यादा अलग-थलग पड़ जाएगा।

ग़ौरतलब है कि 7 अक्तूबर से जारी ग़ज़ा युद्ध में ज़ायोनी सेना 31,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों का क़त्लेआम कर चुकी है।

सुलिवन के मुताबिक़, बाइडन ने टेलफ़ोन पर बातचीत में नेतनयाहू से कहा है कि वह ख़ुफ़िया और सैन्य अधिकारियों की एक टीम वाशिंगटन भेजें, ताकि उन्हें रफ़ाह पर किसी भी संभावित हमले के बारे में आगाह किया जा सके।

युद्ध के दौरान, इस्राईल ने लोगों से कहा था कि वे उत्तर से दक्षिण की ओर पलायन कर जाएं, जिसके बाद लाखों फ़िलिस्तीनियों ने रफ़ाह में शरण ले रखी है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने कहा है कि मॉस्को यूक्रेन में अपने आक्रमण से पीछे नहीं हटेगा और उसकी यूक्रेन के लंबी दूरी के और सीमा पार हमलों से रक्षा करने के लिए एक बफर जोन बनाने की योजना है।

रूस में हालिया राष्ट्रपति चुनाव में व्लादिमीर पुतीन ने भारी जीत दर्ज की और एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति बन गए। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी कि यदि नाटो ने सक्रियता दिखाई तो तीसरा विश्वयुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता है।

रूस की सेना ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में प्रगति की है लेकिन प्रगति की यह रफ्तार धीमी रही है और महंगी साबित हुई है। यूक्रेन ने रूस में तेल रिफाइनरी और डिपो को निशाना बनाने के लिए अपने लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग किया है। यूक्रेन में स्थित क्रेमलिन के प्रतिद्वंद्वियों के एक समूह ने सीमा पार हमले भी शुरू किए हैं। पुतीन ने रविवार देर रात कहा कि हम जरूरी होने पर यूक्रेनी सरकार द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों पर कुछ सुरक्षित क्षेत्र बनाने पर विचार करेंगे।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि इस सुरक्षित क्षेत्र यानी बफर जोन में दुश्मन के पास उपलब्ध विदेशी हथियारों का इस्तेमाल कर घुसना मुश्किल होगा। इससे पहले रूस के केंद्रीय चुनाव अयोग ने सोमवार को कहा था कि देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव में पुतीन ने रिकॉर्ड जीत हासिल कर पांचवी बार राष्ट्रपति बने।

पुतीन ने पश्चिमी देशों को यूक्रेन में सैन्य बलों को तैनात करने के खिलाफ एक बार फिर चेतावनी दी। उन्होंने सचेत किया कि रूस और नाटो के बीच एक संभावित संघर्ष से दुनिया तीसरे विश्व युद्ध से मात्र एक कदम पीछे रह जाएगी।

गौरतलब है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों को व्लादिमीर पुतीन की ताजपोशी से लगा झटका लगा है। यूक्रेन को लगातार सैन्य और आर्थिक मदद करने वाले पश्चिमी देशों को लग रहा था कि रूस में पुतीन को लगातार जंग का खामियाजा जनता के गुस्से के रूप में देखना पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को कुछ दक्षिपंथी हिंदू संगठनों द्वारा तथाकथित श्रीकृष्ण जन्मभूमि बताने के विवाद से संबंधित मस्जिद कमेटी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।

मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

इस याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने विवाद से जुड़े 15 मामलों का मुक़दमा एक साथ जोड़कर चलाने के लिए कहा था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का कहना था कि यह सभी मुक़दमे एक ही तरह के हैं और इनमें एक ही जैसे सबूतों के आधार पर फ़ैसला किया जाना है। इसलिए कोर्ट का समय बचाने के लिए यह बेहतर होगा कि इन सभी मुक़दमों को एक साथ जोड़कर सुनवाई की जाए।

हालांकि हाई कोर्ट के इस फ़ैसले से नाराज़ मस्जिद कमेटी ने इंसाफ़ के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की यह याचिका ख़ारिज कर दी।

 

जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि चुनौती के तहत आदेश को वापस लेने का एक आवेदन हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है, इसलिए मस्जिद ट्रस्ट को पूर्व के नतीजे से असंतुष्ट होने पर वर्तमान अपील को फिर से शुरु करने की स्वतंत्रता दी गई है।

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللّٰهُمَّ أَعِنِّی فِیهِ عَلَی صِیامِهِ وَقِیامِهِ، وَجَنِّبْنِی فِیه مِنْ ھَفَواتِهِ وَآثامِهِ، وَ ارْزُقْنِی فِیهِ ذِکْرَكَ بِدَوامِهِ، بِتَوْفِیقِكَ یَا ھادِیَ الْمُضِلِّینَ.

اے معبود! آج کے دن مجھے روزہ رکھنے اور عبادت کرنے میں مدد کر اور اس میں مجھے بے کار باتوں اور گناہوں سے بچائے رکھ اور اس میں مجھے یہ توفیق دے کہ ہمیشہ تیرے ذکر میں رہوں اے گمراہوں کو ہدایت دینے والے.

ऐ माबूद ! आज के दिन मुझे रोज़ा रखने और इबादत करने में मदद कर और उसमें मुझे बेकार बातों और ग़ुनाहों से बचा रख और उसमें मुझे यह तौफीक दे कि हमेशा तेरे ज़िक्र में रहूं ए ग़ुमराहओं को हिदायत देने वाले,

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम