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लेबनान के ग्रामीण इलाके पर इजरायली हवाई हमले में 5 लोग घायल
लेबनानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हवाई हमले मे दक्षिणी लेबनान के एक सीमावर्ती गांव को निशाना बनाया जिसमें पांच लोग घायल हो गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,लेबनानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हवाई हमले मे दक्षिणी लेबनान के एक सीमावर्ती गांव को निशाना बनाया जिसमें पांच लोग घायल हो गए।
एलनाश्रा ने कहा इस बीच इजरायली सैन्य वाहन दक्षिणी शहर ऐन अरब के केंद्र की ओर बढ़े और फिर वाता खियाम क्षेत्र की ओर जाने वाली सड़क पर तैनात हो गए।
इसमें कहा गया है कि इजराइली सैनिकों ने कफ़र किला गांव के बाहर ताल नाहास क्षेत्र से सीमावर्ती गांव वज़ानी की ओर जाने वाली सड़क के साथ-साथ कफ़र किला और वज़ानी के बीच अन्य क्षेत्रों की ओर जाने वाली तथाकथित हवाईअड्डा सड़क पर भी बुलडोज़र चला दिया।
इसके अलावा लेबनान की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने बताया कि एक इजरायली ड्रोन को बेरूत और उसके दक्षिणी उपनगरों में कम ऊंचाई पर उड़ते देखा गया था।
जॉर्डन ने सीरिया से मिलने वाली सीमा को बंद कर दिया
जॉर्डन के आंतरिक मंत्री माजेन फरैया ने दक्षिणी सीरिया में सुरक्षा स्थितियों के कारण सीरिया के साथ जाबेर सीमा को बंद कर दिया हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,जॉर्डन के आंतरिक मंत्री माजेन फरैया ने दक्षिणी सीरिया में सुरक्षा स्थितियों के कारण सीरिया के साथ जाबेर सीमा को बंद कर दिया हैं।
मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार निर्णय के तहत, जॉर्डन के नागरिकों और ट्रकों को राज्य में लौटने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन सीरियाई क्षेत्रों के लिए बाहरी यातायात प्रतिबंधित रहेगा।
बयान के मुताबिक मंत्रालय ने कहा कि जॉर्डन सीरिया में घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है जबकि सशस्त्र बल सीमाओं की सुरक्षा करना जारी रखे हुए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, दमिश्क अम्मान अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित जाबेर क्रॉसिंग, जिसे सीरिया में नसीब क्रॉसिंग के रूप में जाना जाता है दोनों देशों के बीच एकमात्र परिचालन यात्री और वाणिज्यिक सीमा क्रॉसिंग थी।
ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, शुक्रवार को सीरिया में नसीब क्रॉसिंग के पास झड़पें हुईं, जहां सशस्त्र समूहों ने कथित तौर पर क्षेत्र में घुसपैठ की और सीरियाई सेना की चौकियों पर हमला किया।
जॉर्डन और सीरिया दो मुख्य सीमा क्रॉसिंग साझा करते हैं अलगोमरुक अलकादिम क्रॉसिंग, जिसे जॉर्डन की ओर रामथा के नाम से जाना जाता है।
छात्रों के हाथों में साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष का झंडा कभी झुकने नहीं पाएगा
हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने स्टूडेंट डे के मौके पर जारी अपने संदेश में कहा, इस्तेकबार (साम्राज्यवाद) के खिलाफ जद्दोजहद का परचम छात्रों के हाथ से कभी नहीं गिरेगा और यह संघर्ष हमेशा जारी रहेगा, यहाँ तक कि आखिरी हुज्जते इलाही हज़रत इमाम मेहदी अ.स. के ज़ुहूर तक पूरी ताकत के साथ चलता रहेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार,हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने स्टूडेंट डे के मौके पर जारी अपने संदेश में कहा, इस्तेकबार (साम्राज्यवाद) के खिलाफ जद्दोजहद का परचम छात्रों के हाथ से कभी नहीं गिरेगा और यह संघर्ष हमेशा जारी रहेगा, यहाँ तक कि आखिरी हुज्जते इलाही हज़रत इमाम मेहदी अ.स. के ज़ुहूर तक पूरी ताकत के साथ चलता रहेगा।
संदेश कुछ इस प्रकार है:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
«قُلْ إِنَّمَا أَعِظُکُمْ بِوَاحِدَةٍ ۖ أَنْ تَقُومُوا لِلَّهِ مَثْنَیٰ وَفُرَادَیٰ ثُمَّ تَتَفَکَّرُوا»
कह दो मैं तुम्हें सिर्फ एक बात की नसीहत करता हूं कि तुम अल्लाह के लिए दो दो और अकेले अकेले उठ खड़े हो फिर सोच विचार करो।
(सूरह सबा, आयत 46)
7 दिसंबर 1953 ईरान के इतिहास का वह यादगार दिन है, जो ईरानी जनता की साम्राज्यवाद (इस्तेकबारी ताकतों) के खिलाफ संघर्ष और प्रतिरोध का प्रतीक बन चुका है यह दिन ईरानी कैलेंडर में हमेशा यादगार रहेगा। यह गर्व का दिन ईरानी युवाओं और विद्यार्थियों को समर्पित है।
16 आज़र की घटना में जब छात्रों ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की ईरान यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी इस आंदोलन की जड़ें और गहरी हो गईं। इस्लामी क्रांति से पहले यह आंदोलन पनप रहा था और आज यह एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है।
विद्यार्थी किसी भी समाज में प्रगति परिपक्वता और सामाजिक ऊर्जा का प्रतीक होते हैं। 16 आज़र का दिन उनके महत्व और गरिमा को सम्मान देने का एक अनूठा अवसर है।
आज ईरान की तेज़ी से होती प्रगति जो शैक्षिक संस्थानों के विद्वतापूर्ण माहौल में पनप रही है उम्मीद और उजाले के सफर को आगे बढ़ा रही है यह गति रुकने वाली नहीं है।
इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम खुमैनी र.ह. द्वारा शुरू की गई फिलिस्तीन की समर्थन की मुहिम आज पूर्व और पश्चिम में फैल चुकी है। दुनिया भर के छात्र फिलिस्तीन और ग़ाज़ा की मज़लूम जनता के समर्थन में खड़े हैं।
इस्राइल के ज़ुल्म के खिलाफ उनके प्रदर्शन वैश्विक स्तर पर न्याय की लड़ाई का हिस्सा बन चुके हैं यह आंदोलनों का सिलसिला इमाम ज़माना अजलल्लाहु तआला फराजहुम शरीफ के ज़हूर का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
यदि छात्र अपने किसी भी राजनीतिक रुझान के बावजूद दुश्मनों की साज़िशों को सच्चाई से पहचान लें और उन तत्वों को समाप्त कर दें जो विश्वविद्यालयों के विद्वतापूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं तो वे साम्राज्यवाद और उसके छिपे हुए एजेंटों के खिलाफ एक सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्ष में सक्रिय रह सकते हैं।
16 आज़र साम्राज्यवाद के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की याद का दिन है। छात्र इन पवित्र रक्तों के संरक्षक हैं और अपने शहीद साथियों के मार्ग को जारी रखने के सबसे अधिक योग्य हैं।
हम 16 आज़र के शहीदों रक्षात्मक युद्ध के शहीद छात्रों और अपने शहीद वैज्ञानिकों जैसे डॉ. अली मोहम्मदी, मोहसिन फखरीज़ादे, दरियूश रज़ाई नेजाद, मजीद शहरीयारी, और मुस्तफा अहमदी रोशन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हमें विश्वास है कि साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष का झंडा छात्रों के हाथों से कभी नहीं गिरेगा यह संघर्ष हमेशा जारी रहेगा और अंतिम ईश्वरीय प्रतिनिधि के प्रकट होने तक मजबूती से आगे बढ़ता रहेगा।
अली रज़ा आराफी
प्रमुख हौज़ा-ए-इल्मिया
07 दिसंबर 2024
ग़ाज़ा में शहीदों की संख्या 44,612 तक पहुंच गई
ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 7 अक्टूबर 2023 से जारी इज़राइली हमलों के परिणामस्वरूप शहीदों की संख्या 44,612 हो गई है, जबकि 1,05,834 लोग घायल हो चुके हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 7 अक्टूबर 2023 से जारी इज़राइली हमलों के परिणामस्वरूप शहीदों की संख्या 44,612 हो गई है, जबकि 1,05,834 लोग घायल हो चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ग़ज़ा युद्ध में शहीद होने वालों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं और बच्चे शामिल हैं जो इस मानवीय त्रासदी की गंभीरता को और भी अधिक स्पष्ट करते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है, क्योंकि कई शव अभी भी तबाह हुई इमारतों के मलबे में दबे हुए हैं।
यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है, ताकि ग़ज़ा के लोगों को और अधिक जानमाल का नुकसान होने से बचाया जा सके।
इसराइल ने सीरिया में पड़ोसी देशों को दखल अंदाजी न देने की चेतावनी दी
सीरिया में विद्रोहियों और सेना में चल रही लड़ाई के बीच इसराइल ने अपने पड़ोसी देशों के लिए दखल अंदाजी न देने की चेतावनी जारी की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,सीरिया में विद्रोहियों और सेना में चल रही लड़ाई के बीच इसराइल ने अपने पड़ोसी देशों के लिए दखल अंदाजी न देने की चेतावनी जारी की है।
इसराइली सेना ने कहा है कि उसने गोलन हाइट्स के क्षेत्र में हवाई और ज़मीनी बलों को और भी मज़बूत कर दिया है।
गोलन हाइट्स दक्षिणी-पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पहाड़ी इलाका है. इसराइल ने 1967 में सीरिया के साथ छह दिन के युद्ध के बाद गोलन हाइट्स पर कब्ज़ा कर लिया था।
इसराइल ने जारी चेतावनी में कहा है कि सेना सीरिया की घटना पर नज़र रखे हुए है और हमले से जुड़ी किसी भी स्थिति के लिए तैयार है.इसराइल ने यह भी कहा है कि वह इसराइल की सीमा के नज़दीक किसी भी ख़तरे को नाक़ाम करने के लिए तैयार है।
इस बीच, जॉर्डन के गृह मंत्रालय ने सीरिया के साथ अपने देश की सीमा को बंद करने का आदेश दिया है।
सीरिया: 27 नवंबर से अब तक 2 लाख 80 हजार लोग बे घर हो चुके हैं
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, ''सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान 27 नवंबर, 2024 से अब तक 2 लाख 80 हज़ार लोग बे घर हो चुके हैं। यू एन चेताया कि वर्तमान स्थिति को ध्यान मे रखते हुए बे घर होने वाले लोगो की संख्या 15 लाख होने का ख़तरा है।''
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के आपातकालीन समन्वय के प्रमुख समीर अब्दुल जब्बार ने जिनेवा में हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार से बात करते हुए कहा, ''सीरिया में युद्ध के कारण 27 नवंबर से अब तक 2 लाख 80 हजार लोग बे घर हुए हैं.'' एक सप्ताह पहले इस्लामिक समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) द्वारा सीरिया में हमले शुरू करने के बाद से इसमें वृद्धि हुई है। याद रहे कि पिछले महीने इजराइल और सीरियाई राष्ट्रपति बशीर असद के समर्थक हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम समझौता हुआ था। डब्ल्यूएचपी ने चेतावनी दी, "13 साल पहले शुरू हुए युद्ध के तेरह साल बाद भी लोग बड़े पैमाने पर बे घर हो रहे हैं।"
अब्दुल जब्बार ने कहा कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और अन्य मानवीय एजेंसियां "जहां लोगों को जरूरत है" वहां पहुंचने की कोशिश कर रही हैं और बड़ी संख्या में लोगों के बे घर होने के संकट को देखते हुए स्वयंसेवक लोगों तक सहायता पहुंचाने के लिए सुरक्षित मार्ग खोजने की कोशिश कर रहे हैं सहायता हेतु अनुरोध किया गया है। अब्दुल जब्बार ने कहा, "वर्तमान स्थिति को देखते हुए हमें लगता है कि 15 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो सकते हैं।"
हज़रत फातिमा ज़हेरा स.ल.युवाओं के लिए एक बेमिसाल आदर्श
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ईमामी कशानी ने कहा,कि मौजूदा दौर में जब मीडिया युवाओं के सामने झूठे और कृत्रिम नमूने पेश कर रहा है हज़रत फातिमा ज़हेरा स.अ.विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए एक बेमिसाल और वास्तविक आदर्श हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ईमामी कशानी ने कहा,कि मौजूदा दौर में जब मीडिया युवाओं के सामने झूठे और कृत्रिम नमूने पेश कर रहा है हज़रत फातिमा ज़हेरा स.अ.विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए एक बेमिसाल और वास्तविक आदर्श हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अगर हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. हज़रत मासूमा स.अ. शहीदों और विद्वानों के जीवन के तरीकों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए तो युवा पीढ़ी उनसे उत्तम प्रेरणा ले सकती है और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकती है।
हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ईमामी कशानी ने कहा कि इमाम मासूमीन अ.स.शहीदों और विद्वानों के नैतिक गुणों को प्रस्तुत करने में सभी सांस्कृतिक संस्थाओं, विशेष रूप से हौज़ा ए इलमिया, आलिमों, मीडिया, शिक्षा और प्रशिक्षण के संस्थानों और मदरसों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को युवाओं के लिए सही और अनुकरणीय आदर्श प्रदान करने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने इमाम ज़माना अ.ज. के कथन फ़ि इब्नत-ए-रसूल-ए-अल्लाह उस्व-ए-हसना का उल्लेख करते हुए कहा कि इमाम मेंहदी अ.ज. ने फरमाया है कि हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ. मेरे लिए एक श्रेष्ठ नमूना हैं।
यह बात इस तथ्य को उजागर करती है कि एक मासूम इमाम भी हज़रत ज़हरा स.ल. को एक पूर्ण आदर्श मानते हैं जो उनकी महानता और कमालात का स्पष्ट प्रमाण है।
हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन इमामी ने कहा कि इस बात से यह सिद्ध होता है कि महिलाएं पुरुषों के लिए भी एक आदर्श नमूना हो सकती हैं। हज़रत फातिमा ज़हरा स.ल.का जीवन सभी क्षेत्रों में, जैसे सामाजिक राजनीतिक पारिवारिक और प्रशिक्षण के क्षेत्रों में सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इस्लामी गणराज्य ईरान सीरिया के साथ है: डॉ. अब्बास अराक़ची
सीरिया के पड़ोसियों को ईरानी नेता की सलाह, अमेरिकी साज़िश में मत फंसो
ईरान के पार्लियामेंट स्पीकर मोहम्मद बाक़िर कालिबाफ ने एक बार फिर सीरिया में तकफ़ीरी आतंकवाद के सर उभारने पर पड़ोसी देशों को ख़बरदार करते हुए कहा है कि वह अमेरिका के षड्यंत्र का शिकार न बनें।
ईरान पार्लियामेंट के अध्यक्ष मोहम्मद बाक़र क़ालिबाफ़ ने सीरिया की घटनाओं का जिक्र करते हुए अपने निजी पेज पर लिखा कि आतंकवादी-तकफ़ीरी समूहों की हरकतें अमेरिका और नाजायज़ ज़ायोनी शासन की योजना का हिस्सा हैं। सीरिया के पड़ोसियों को सतर्क रहना चाहिए और उनके मंसूबों के जाल में नहीं फंसना चाहिए।
क़ालिबाफ़ ने कहा ज़ायोनी शासन की हार के बाद एक बार फिर इस्लामी गणतंत्र ईरान और प्रतिरोध की धुरी पहले की तरह ही इस नई साजिश के खिलाफ सीरियाई सरकार और राष्ट्र का समर्थन जारी रखेगी।
सम्भल: सुप्रीम कोर्ट ने नए सर्वे पर लगाई रोक
सर्वे कमिश्नर की रिपोर्ट पर लगी मुहर खोलने का आदेश दिया, मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया, तब तक निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
संभल की जामा मस्जिद के सर्वे से यूपी समेत पूरे देश में बिगड़े हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ संज्ञान लिया, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के मकसद से जामा मस्जिद के किसी भी नए सर्वे पर रोक लगा दी। साथ ही कई अहम निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे मुस्लिम पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि हाई कोर्ट से स्पष्ट निर्देश मिलने तक वे इस मामले में कोई कार्रवाई न करें।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मस्जिद समिति की अपील पर सुनवाई करते समय यह स्पष्ट था कि समिति को अपनी कानूनी शक्तियों का प्रयोग करने का अवसर मिलना चाहिए, चाहे वह उच्च न्यायालय हो या निचली अदालत। इसलिए, मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और सद्भाव को प्राथमिकता देते हुए, हम ये आदेश जारी कर रहे हैं कि मस्जिद समिति को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। हाई कोर्ट को भी इस मामले में जल्द फैसला देना चाहिए। तब तक निचली अदालत को कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। साथ ही निचली अदालत में पेश की जाने वाली सर्वे कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखा जाए। यह रिपोर्ट किसी भी कीमत पर लीक नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार को निष्पक्षता दिखाने की भी सलाह दी। उन्हें शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। इस एक मुद्दे पर देश की शांति-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जा सकता।