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इस्राइली मीडिया ने खबर दी है कि यमन की ओर से कब्ज़ा किए गए फ़िलिस्तीनी इलाकों की तरफ एक आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई है जिसके चलते बिन गोरियन हवाई अड्डे की सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया है।

कुछ समय पहले कब्जे वाले इलाकों जिनमें क़ुद्स (यरूशलम) और तेल अवीव के बड़े हिस्से शामिल हैं, वहां सायरन बजने लगे जिससे इस्राइली अधिकारियों में दहशत फैल गई।

इस्राइली मीडिया ने बाद में जानकारी दी कि यमन से फ़िलिस्तीन की तरफ एक आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई है इस्राइली सेना के प्रवक्ता ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यमन से इस्राइल की ओर एक मिसाइल दागी गई थी, जिसे उनके डिफेंस सिस्टम ने रोकने की कोशिश की।

मिसाइल हमले के बाद इस्राइली मीडिया ने बताया कि बिन गोरियन एयरपोर्ट की सभी उड़ानों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद इस्राइली सेना ने दावा किया कि उन्होंने मिसाइल को रास्ते में ही नष्ट कर दिया।

हालांकि यमन की सशस्त्र बलों की ओर से अब तक इस हमले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है और जानकारी आने पर साझा की जाएगी।

 

लंदन ब्रिटेन के इस्लामी नेताओं और संगठनों ने इज़राइल के साथ चल रही व्यापारिक वार्ताओं को तुरंत रोकने की मांग करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री को एक संयुक्त खुला पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने फिलिस्तीन में चल रहे संघर्ष पर गहरी चिंता जताई है।

लंदन ब्रिटेन के इस्लामी नेताओं और संगठनों ने इज़राइल के साथ चल रही व्यापारिक वार्ताओं को तुरंत रोकने की मांग करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री को एक संयुक्त खुला पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने फिलिस्तीन में चल रहे संघर्ष पर गहरी चिंता जताई है। 

ब्रिटेन की कई इस्लामी संस्थाओं और मस्जिदों ने प्रधानमंत्री से इज़राइल के साथ व्यापारिक वार्ताएं तुरंत बंद करने की अपील की है। साथ ही, उन्होंने फिलिस्तीन में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई की भी मांग की है। 

लंदन की जामा मस्जिद इंस्टीट्यूट, मैनचेस्टर इस्लामिक एकेडमी और एसोसिएशन ऑफ़ मुस्लिम स्कॉलर्स जैसे संगठनों ने कहा है कि इज़राइल द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ़ उठाए गए कदम बहुत धीमे और नाकाफ़ी हैं। 

पत्र में लिखा गया है,पिछले 18 महीनों से हम गाजा में मानवता के विरुद्ध हो रहे विनाश को देख रहे हैं। इज़राइल ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए भूख को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।

उन्होंने ब्रिटिश सरकार से निम्नलिखित चार मुख्य मांगें रखी हैं: 

  1. युद्धविराम की बहाली
  2. .गाजा की नाकाबंदी तुरंत खत्म करना
    फिलिस्तीन की वर्तमान स्थिति को मान्यता देना
    4.इज़राइल को हथियारों की बिक्री पर रोक लगाना क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

पत्र में कहा गया है कि इस गंभीर स्थिति में ब्रिटिश सरकार की निष्क्रियता बेहद चिंताजनक है। 

इसमें आगे लिखा गया,अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन चुनिंदा या पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए। मानवाधिकार, समानता और नस्लवाद के खिलाफ़ सिद्धांत सार्वभौमिक होने चाहिए हमें न्याय, समानता और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर शांति का मार्ग अपनाना होगा।

ध्यान देने योग्य है कि इज़राइली सेना ने अंतरराष्ट्रीय युद्धविराम की अपीलों को नज़रअंदाज़ करते हुए अक्टूबर 2023 से गाजा पर कई बर्बर हमले किए हैं, जिनमें अब तक 53,800 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

 

ग़ाज़ा और फिलस्तीन के समर्थन में लाखों लोगों का इंसानी तूफ़ान उमड़ा, जो यमन की फिलस्तीन के मुद्दे पर अटल स्थिति को दर्शाता है।

अलमसीरा के हवाले से बताया है कि आज यमन की राजधानी सना के "मैदान अल-सबईन" में ग़ाज़ा और फिलस्तीन के समर्थन में लाखों लोगों का इंसानी तूफ़ान उमड़ा, जो यमन की फिलस्तीन के मुद्दे पर अटल स्थिति को दर्शाता है।

यह रैली अब्दुल मलिक अलहौसी की अपील पर निकाली गई, जिसमें सना का सबसे बड़ा मैदान और उसके आस-पास की सड़कों पर भारी भीड़ जमा हुई।

रैली में लोगों ने यमन और फिलस्तीन के झंडे लहराए, अरब दुनिया की ग़ाज़ा में हो रहे जनसंहार और भुखमरी के प्रति चुप्पी की निंदा की और इस्लामी जगत से तुरंत कदम उठाने की मांग की।

बयान में यह भी कहा गया हम ग़ाज़ा के बहादुर लोगों, उनकी ऐतिहासिक पायेदारियों, महान धैर्य और उनकी मिसाली बहादुरी पर गर्व करते हैं  चाहे वे प्रतिरोधी हों या आम नागरिक।

प्रदर्शनकारियों ने इस्राईल पर यमनी सशस्त्र बलों की सैन्य कार्रवाई को समर्थन देते हुए कहा कि इन हमलों ने दुश्मन को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने इस्लामी उम्मत से अपील की कि वह इस शर्मनाक निष्क्रियता की हालत से बाहर आए और ग़ाज़ा में हो रहे अपराधों के खिलाफ़ ठोस और तत्काल क़दम उठाए।

 

ग़ज़्ज़ा पट्टी में इजरायल की कड़ी घेराबंदी, लगातार बमबारी और सहायता आपूर्ति की कमी ने मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है। भूख और अकाल का सामना कर रहे 2.4 मिलियन फिलिस्तीनियों के लिए अब केवल चार ब्रेड की दुकानें चल रही हैं।

, ग़ज़्ज़ा पट्टी में इजरायल की कड़ी घेराबंदी, लगातार बमबारी और सहायता आपूर्ति की कमी ने मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है। भूख और अकाल का सामना कर रहे 2.4 मिलियन फिलिस्तीनियों के लिए अब केवल चार ब्रेड की दुकानें चल रही हैं।

ग़ज़्ज़ा में बेकर्स यूनियन के प्रमुख अब्देल नासिर अजरामी ने शनिवार को कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) द्वारा अनुबंधित 25 दुकानों में से केवल चार चालू हैं, जो सभी देइर अल-बलाह क्षेत्र में स्थित हैं। इजरायली बमबारी और सैन्य घेराबंदी के कारण अन्य दुकानों को बंद करना पड़ा है।

अजरामी के अनुसार, खराब सुरक्षा स्थिति, लगातार हमलों और आबादी के विस्थापन के कारण खान यूनिस में कोई भी ब्रेड की दुकान नहीं चल रही है।

उन्होंने कहा कि नुसेरत कैंप में एक ब्रेड की दुकान केवल एक दिन के लिए खुली थी, लेकिन भयंकर अव्यवस्था और भूखे लोगों की भीड़ के कारण उसे बंद करना पड़ा। दुकान मालिकों ने उपलब्ध आटा और अन्य आपूर्ति विश्व खाद्य कार्यक्रम को वापस कर दी।

उत्तरी ग़ज़्ज़ा में भी स्थिति ऐसी ही है, जहां अधिकांश ब्रेड की दुकानों पर बमबारी की गई है और शेष दुकानें भीषण लड़ाई के कारण बंद हैं।

अजरामी ने बताया कि पूरे ग़ज़्ज़ा में 140 ब्रेड की दुकानों में से केवल 50 को ही अब तक नष्ट नहीं किया गया है। इनमें से 25 विश्व खाद्य कार्यक्रम से जुड़ी थीं और उनकी वर्तमान स्थिति ज्ञात है, लेकिन मार्च के बाद से अन्य 25 दुकानों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले मंगलवार को इजरायली अधिकारियों ने आटे से भरे कुछ ट्रकों को ग़ज़्ज़ा में प्रवेश करने की अनुमति दी, लेकिन यह मात्रा दैनिक जरूरतों के लिए बहुत अपर्याप्त है।

बुधवार को, इज़राइल ने 81 दिनों के बाद ग़ज़्ज़ा में 87 सहायता ट्रकों को जाने की अनुमति दी, जबकि प्रतिदिन कम से कम 500 ट्रकों की आवश्यकता होती है।

संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के आयुक्त-जनरल फिलिप लाज़ारिनी ने कहा कि ग़ज़्ज़ा में प्राप्त की जा रही सहायता “भूसे के ढेर में सुई” की तरह है। उनके अनुसार, फिलिस्तीनियों को प्रतिदिन 500 से 600 ट्रक सहायता की आवश्यकता होती है, जो संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा प्रदान की जाती है।

2 मार्च से सहायता आपूर्ति पर इज़राइल की नाकाबंदी ने स्थिति को अकाल के कगार पर ला दिया है, और खाद्यान्न की कमी से मरने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

 

आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश, व्यापार व रक्षा मामलों के मंत्री ने घोषणा की है कि यह देश एक ऐसे क़ानून को पारित करने की दिशा में कोशिश व प्रयास कर रही है जिसके तहत फ़िलिस्तीन के अतिग्रहित क्षेत्रों में स्थित ज़ायोनी कंपनियों के साथ व्यापार को निलंबित किया जाएगा।

आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश, व्यापार एवं रक्षा मंत्री साइमन हैरिस ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "एक्स" पर एक संदेश में कहा कि: आयरलैंड एक ऐसे क़ानून को पारित करने की दिशा में काम कर रहा है जिसके तहत फ़िलिस्तीन के अतिग्रहित क्षेत्रों में स्थित ज़ायोनी कंपनियों के साथ व्यापार को निलंबित किया जाएगा।

 उन्होंने कहा कि आयरलैंड सरकार इस विधेयक पर आधिकारिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में है और उसे उम्मीद है कि विदेश मामलों की समिति जून महीने में इस विधेयक की समीक्षा शुरू करेगी।

 हैरिस ने यह भी कहा कि उन्होंने ग़ज़ा की घेराबंदी के दौरान बच्चों को भूखा रखने और भोजन को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की कड़ी निंदा की है।

 उनके अनुसार इस नाकेबंदी के कारण 80 से अधिक दिनों तक 6 हज़ार से ज़्यादा फिलिस्तीनियों के लिए सहायता पहुंचाने वाले हज़ारों ट्रक, जिनमें आयरलैंड के ट्रक भी शामिल हैं, ग़ज़ा में प्रवेश नहीं कर सके।

 वायु रक्षा प्रणालियों के विकास में ईरान की उल्लेखनीय प्रगति

 ब्रिगेडियर जनरल अलीरज़ा सबाही फ़र्द, जो कि ख़ातम अल-अंबिया (स) संयुक्त वायु रक्षा मुख्यालय के कमांडर हैं, ने कल इस बल के कमांडरों और अधिकारियों की एक सभा में ईरानी सशस्त्र बलों की शक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा: इस्लामी गणराज्य ईरान की सशस्त्र सेनाओं की सैन्य शक्ति और प्रतिरोधक क्षमता एक महत्वपूर्ण और निर्णायक चीज़ है और इसे बढ़ाने के लिए सभी उपलब्ध क्षमताओं और संसाधनों का भरपूर उपयोग किया जाएगा।

 सबाही फ़र्द ने वायु रक्षा प्रणालियों के विकास में प्रगति की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा: जैसा कि हाल ही में सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ द्वारा भी कहा गया, स्वदेशी हथियार प्रणालियों के डिज़ाइन और विकास के क्षेत्र में हमने उल्लेखनीय सफलताएँ प्राप्त की हैं।

 उन्होंने यह भी कहा कि सामग्री और उपकरणों की कार्यक्षमता बढ़ाने के क्षेत्र में निरंतर और दिन-रात मेहनत की जा रही है ताकि इन लक्ष्यों को पूरी तरह से हासिल किया जा सके।

 अमेरिका के टेक्सास राज्य में कई मस्जिदों पर हमला

शनिवार शाम अमेरिकी मीडिया ने रिपोर्ट किया कि टेक्सास राज्य की राजधानी ऑस्टिन में तीन मस्जिदों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई है। इस घटना के बाद इस्लामी संस्थाओं ने पुलिस से मस्जिदों के आसपास सुरक्षा उपायों को बढ़ाने का आग्रह किया है।

 ऑस्टिन शाखा, अमेरिकी-इस्लामी संबंध परिषद ने ऑस्टिन पुलिस विभाग से अनुरोध किया है कि वह नोएसिस मस्जिद, अहल-ए-बैत इस्लामी एसोसिएशन  और ऑस्टिन की अन्य मस्जिदों के आसपास सुरक्षा गश्त बढ़ाए।

 यह अनुरोध इसके बाद किया गया है कि ऑस्टिन धर्म केंद्र, नोएसिस मस्जिद और अहले - बैत इस्लामी एसोसिएशन की मस्जिदों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की गई है।

 लेबनान के प्रधानमंत्री: हम इसराइली शासन की गारंटी पर भरोसा नहीं करते

 लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ़ सलाम ने कल कहा कि उनका देश लगातार अपने बंदियों की रिहाई और अतिग्रहित क्षेत्रों को वापस पाने के प्रयास में लगा हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लेबनान सरकार इसराइली शासन की गारंटियों पर भरोसा नहीं करती।

 रूस ने यूक्रेन में तीन और कस्बों पर कब्ज़ा कर लिया

 रूस के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को घोषणा की कि रूसी बलों ने डोनेट्स्क क्षेत्र में दो कस्बों और यूक्रेन के उत्तर में सुमी क्षेत्र में एक कस्बे पर कब्ज़ा कर लिया है।

 रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, रूसी सेना ने डोनेट्स्क क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में कोस्टीआन्टिनिका के पास स्थित स्तोपुचकी गांव पर कब्ज़ा किया है, जो हाल ही में रूसी दबाव में था।

 साथ ही बयान में कहा गया है कि रूसी बलों ने एक हज़ार किलोमीटर पश्चिमी मोर्चे पर वेस्टरन इलाके में उडराड्ने गांव और रूसी सीमा के भीतर सुमी क्षेत्र में लोकेन्या गांव को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है।

 ऑस्ट्रेलियाई सांसद: ऑस्ट्रेलिया को इज़राइल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए

 ऑस्ट्रेलिया के लेबर पार्टी के सदस्य और पूर्व उद्योग एवं विज्ञान मंत्री एड हॉसिच ने शनिवार को इज़राइल द्वारा ग़ज़ा की घेराबंदी के प्रति ऑस्ट्रेलिया सरकार के रुख की आलोचना की और कहा कि ऑस्ट्रेलिया को इज़राइली शासन के खिलाफ अधिक सख्त रवैया अपनाना चाहिए।

 उन्होंने गार्डियन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि: अभी ऑस्ट्रेलिया अधिक क़दम उठा सकता है और उठाना चाहिए। सबसे पहले, हमें इज़राइल के राजदूत को तलब करना चाहिए ताकि स्पष्ट रूप से यह मांग की जा सके कि इज़राइल सरकार को मानवीय सहायता के अधिक स्वतंत्र और तेज़ ट्रांसफर की अनुमति देनी चाहिए। जो वर्तमान में ग़ज़ा में सहायता पहुंचाने की अनुमति है, वह बिल्कुल अपर्याप्त और अस्वीकार्य है।

 

 

इस्लामी गणराज्य ईरान ने एविएशन (हवाई यातायात) के क्षेत्र में एक अहम प्रगति करते हुए आधुनिक स्वदेशी एयर ट्रैफिक रडार सिस्टम का औपचारिक उद्घाटन किया है।

इस्लामी गणराज्य ईरान ने गैर न्यायपूर्ण प्रतिबंधों के बावजूद एविएशन सेक्टर में यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है और एक आधुनिक स्वदेशी एयर ट्रैफिक रडार सिस्टम का उद्घाटन किया है।

ईरानी राष्ट्रपति डॉ. मसऊद पिज़ेश्कियान ने शनिवार को वीडियो लिंक के माध्यम से देश के दक्षिण-पश्चिमी शहर अबादान के हवाई अड्डे पर इस रडार सिस्टम की स्थापना का आदेश दिया।

ईरान के परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, यह आधुनिक रडार सिस्टम क्षेत्र में एयर ट्रैफिक कंट्रोल नेटवर्क को और मजबूत बनाएगा।

ईरान एयरपोर्ट्स एंड एयर नेविगेशन कंपनी के सीईओ मोहम्मद अमीरानी ने बताया कि यह सिस्टम पूरी तरह से ईरानी कंपनियों द्वारा डिज़ाइन और तैयार किया गया है।

उन्होंने आगे बताया कि इस परियोजना में इस्फहान यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया, और यह रडार 450 किलोमीटर की परिधि में देश और विदेश की उड़ानों की निगरानी करने की क्षमता रखता है।

अमीरानी के अनुसार, सरकार ने इस परियोजना पर 60 मिलियन यूरो खर्च किए हैं। इस सिस्टम के चालू हो जाने से आयात पर होने वाला खर्च 10 लाख यूरो तक कम हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस रडार सिस्टम की शुरुआत देश की एविएशन इंडस्ट्री में आत्मनिर्भरता और तरक्की की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

यह उल्लेखनीय है कि ईरानी एविएशन अथॉरिटीज़ ने वर्ष 2024 के अंत में यह ऐलान किया था कि देश ने बोइंग और एयरबस विमानों के इंजन पार्ट्स बनाने की तकनीक में महारत हासिल कर ली है।

 

इंसान दो पहलुओं से बना है: शरीर और आत्मा। उसकी ज़रूरतें भी दो तरह की होती हैं: भौतिक (मटेरियल) और आध्यात्मिक। इसलिए, कमाल पाने के लिए, इंसान को दोनों पहलुओं में सोच-समझ कर और सही तरीके से कदम उठाने चाहिए।

हज़रत इमाम महदी (अ) की वैश्विक हुकूमत का मक़सद इंसान को अल्लाह के करीब लाना है, क्योंकि इस काएनात की रचना का उद्देश्य इंसान का कमाल और अल्लाह तआला के करीब होना है। इस महान लक्ष्य को पाने के लिए ज़रूरी साधन और उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं।

इंसान के शरीर और आत्मा दोनों की ज़रूरतों को पूरा करना जरूरी है, और इस रास्ते में "न्याय" (अदालत) जो कि इलाही हुकूमत का बड़ा फल है, इंसान की भौतिक और आध्यात्मिक विकास की सुरक्षा करता है।

इसलिए, बारहवें इमाम (अलैहिस्सलाम) की सरकार के उद्देश्य दो मुख्य हिस्सों (आध्यात्मिक विकास) और (न्याय का कार्यान्वयन और उसका विस्तार) में समझे जा सकते हैं:

आध्यात्मिक विकास

जब इंसान अल्लाह के हुक्मरान की सरकार से दूर रहता है, तो उसकी आध्यात्मिकता और आध्यात्मिक मूल्य क्या स्थिति में होते हैं? क्या यह सच नहीं है कि इंसानियत लगातार आध्यात्मिक गिरावट की ओर बढ़ रही है? इंसान अपनी नफ़्सानी इच्छाओं और शैतानी फरेबों का पालन करता है, जिससे वह अपनी ज़िंदगी की खूबसूरती को भूल जाता है और खुद ही उसे वासना के कब्रिस्तान में दफन कर देता है।

संक्षेप में कहा जाए तो, इंसान की ज़िंदगी में आध्यात्मिकता (मानवयत) अब लगभग खत्म हो चुकी है, और कई जगहों पर तो इसका कोई निशान तक नहीं बचा है।

बारहवें इमाम की सरकार इस इंसानी मानवयत को फिर से ज़िंदा करने की कोशिश करती है ताकि इंसान असली ज़िंदगी का मीठा स्वाद चख सके और सभी को याद दिलाए कि शुरू से ही यह तय था कि इंसान ऐसी ज़िंदगी जिएगा, जैसा कि क़ुरआन में भी बताया गया है।

یَا أَیُّهَا الَّذِینَ آمَنُوا اسْتَجِیبُوا لِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ إِذَا دَعَاکُمْ لِمَا یُحْیِیکُمْ या अय्योहल लज़ीना आमनुस तजीबू लिल्लाहे व लिर रसूले इज़ा दआकुम लेमा योहयीकुम

ऐ ईमान लाने वालों! जब अल्लाह और उसके रसूल आपको उस चीज़ के लिए बुलाएं जो आपको ज़िंदगी देती है, तो उनकी पुकार का जवाब दो। (सूर ए अन्फाल, आयत 24)

इसलिए, आध्यात्मिक जीवन, जो इंसानों को जानवरों से अलग करता है, इंसान के अस्तित्व का मुख्य और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, जब परवरदिगार के वली की सरकार होती है, तो इंसान के इस आध्यात्मिक हिस्से को सही दिशा मिलती है और इंसानी मूल्य जीवन के हर पहलू में खिल उठते हैं।

न्याय व्यवस्था

समाज के शरीर पर सबसे बड़ा घाव हमेशा से अन्याय और अत्याचार रहा है। इंसानियत हमेशा से अपने हक़ों से वंचित रही है और कभी भी भौतिक और आध्यात्मिक संसाधन लोगों में बराबर नहीं बंटे। हमेशा कुछ लोग पेट भरे हुए होते हैं, जबकि कई भूखे रहते हैं। महलों के पास कुछ लोग सड़क किनारे और फुटपाथ पर सोते हैं। इंसान हमेशा न्याय और समानता की चाह में रहा है और न्याय के खिलने वाले युग का इंतजार करता रहा है।

इस इंतजार का अंत होगा इमाम महदी (अ) की हुकूमत के दौरान। वे सबसे बड़े न्यायप्रिय नेता और इंसाफ करने वाले होंगे, जो पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में न्याय लागू करेंगे। यह बात कई धार्मिक कथनों में भी बताई गई है, जो उनके आने की खुशखबरी देते हैं। इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) ने भी ऐसा कहा है:

لَوْ لَمْ یَبْقَ مِنَ اَلدُّنْیَا إِلاَّ یَوْمٌ وَاحِدٌ لَطَوَّلَ اَللَّهُ عَزَّ وَ جَلَّ ذَلِکَ اَلْیَوْمَ حَتَّی یَخْرُجَ رَجُلٌ مِنْ وُلْدِی فَیَمْلَأَهَا عَدْلاً وَ قِسْطاً کَمَا مُلِئَتْ جَوْراً وَ ظُلْماً کَذَلِکَ سَمِعْتُ رَسُولَ اَللَّهِ صَلَّی اَللَّهُ عَلَیْهِ وَ آلِهِ یَقُولُ लौ लम यब्क़ा मेनद दुनिया इल्ला यौमुन वाहेदुन लतव्वलल्लाहो अज़्ज़ा व जल्ला ज़ालेकल यौमा हत्ता यख़रोजा रजोलुन मिन वुलदी फ़यमलअहा अदलन व क़िस्तन कमा मुलेअत जौरन व ज़ुल्मन कज़ालेका समेअतो रसूलल्लाहे सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि यक़ूलो

अगर दुनिया में सिर्फ एक दिन बचा हो, तो अल्लाह उस दिन को इतना लंबा कर देगा कि मेरा एक बेटे (इमाम महदी) निकलेगा और वह धरती को न्याय और इंसाफ से भर देगा, जैसे कि वह पहले अत्याचार और अन्याय से भरी हुई थी। मैंने पैग़म्बर मुहम्मद (स) से ऐसा ही सुना है। (क़मालुद्दीन, भाग 1, पेज 317)

और भी कई हदीसें हैं जो बताती हैं कि आखिरी मौऊद इलाही की सरकार में पूरी दुनिया में न्याय कायम होगा और अन्याय और अत्याचार खत्म हो जाएंगे।

इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)

 

इस्राइली शासन द्वारा दक्षिण लेबनान पर किए गए नवीनतम हमलों में कई इलाकों और गांवों को हवाई हमलों का निशाना बनाया गया है।

शुक्रवार की सुबह के पहले घंटे में, लेबनानी सूत्रों ने बताया कि इसराइली शासन के हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों ने दक्षिण लेबनान के कई इलाकों, जिनमें "शमअ" "वादी अल-अज़ीज़ी" और "दीर अनतार" गांव शामिल हैं, को निशाना बनाया।

 गुरुवार से दक्षिणी लेबनान के इलाकों पर इस्राइली शासन द्वारा हवाई हमलों का एक नया दौर शुरू हुआ है। इन हमलों में इस्राइली लड़ाकू विमानों ने कई क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिसके कारण एक नागरिक शहीद हो गया और स्थानीय लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुँचा।

साथ ही  हिज़बुल्लाह के महासचिव शेख़ नईम क़ासिम ने घोषणा की है कि लेबनान की स्वतंत्र व आज़ाद सेना अपने दक्षिणी गौरवशाली इलाके की एक इंच भी ज़मीन नहीं छोड़ेगी।

 शेख़ नईम क़ासिम ने दक्षिण लेबनान के लोगों को एक संदेश में कहा: हम अपने दक्षिणी गौरवशाली इलाके की एक इंच भूमि भी नहीं छोड़ेंगे और इज़राइल द्वारा हमारी मातृभूमि की एक इंच ज़मीन पर भी कब्ज़ा करने को स्वीकार नहीं करेंगे।

 शनिवार को लेबनान के "दक्षिण" और "नबातिया" प्रांतों में नगर और ग्राम परिषदों के चुनाव का अंतिम चरण आयोजित हुआ जो कि पिछले कुछ घंटों में इज़राइल के बढ़ते हमलों और तबाही के बीच हुआ है।

 लेबनान में नगर और ग्राम परिषद चुनाव 4 मई को जबल क्षेत्र में, 11 मई को उत्तर क्षेत्र में और पिछले रविवार को बेरूत और बेक़आ क्षेत्र में संपन्न हो चुके हैं। आज दक्षिण और नबातिया क्षेत्रों में चुनाव होंगे।

 लेबनान के प्रधानमंत्री नवाफ़ सलाम ने इस्राइली शासन के बार-बार किए जा रहे लेबनान पर हमलों की कड़ी निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे इन हमलों को रोकने के लिए तेल अवीव पर दबाव डाले।

 

शहीद इब्राहीम रईसी की बेटी हानिया सादात रईसी ने इस्फहान में महिलाओं की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनके पिता ने अपनी पूरी ज़िंदगी ईमानदारी, परहेज़गारी और जनता की सेवा में बिताई और आज पूरी क़ौम इस रास्ते को समझदारी और जागरूकता के साथ आगे बढ़ा रही है।

शहीद सदर इब्राहीम रईसी की बेटी हानिया सादात रईसी ने इस्फहान में महिलाओं के एक भव्य सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनके पिता ने अपनी पूरी ज़िंदगी को ईमानदारी, परहेज़गारी और जनता की सेवा में समर्पित कर दिया था और आज पूरी क़ौम उस रास्ते को समझदारी और सूझबूझ के साथ आगे बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा कि उनके पिता ने अपनी ज़िंदगी नेक कामों, जनसेवा और धार्मिक व नैतिक सिद्धांतों के अनुसार बिताई उन्होंने बताया कि देश की जनता अब शहीद रईसी के रास्ते को गहरे समझ के साथ पहचान चुकी है, और पूरे देश में जारी "मिल्लात-ए-खिदमत आंदोलन" इसी समझ का प्रतीक है, जो ईद-उल-अज़हा तक जारी रहेगा।

उन्होंने शहीद रईसी द्वारा वंचित क्षेत्रों, माज़ंदरान की जनता और पूर्वी इस्फहान के जल संकट पर विशेष ध्यान देने को याद करते हुए कहा कि वे हमेशा दर्दमंद दिल से लोगों की सेवा में लगे रहते थे और कभी भी समय बर्बाद नहीं करते थे। उनका निजी जीवन इबादत, परहेज़गारी और अल्लाह पर भरोसे (तवक्कुल) से भरा हुआ था और वे रातों को इबादत में बिताते थे।

शहीद रईसी की बेटी ने रहबर-ए-मुअज़्ज़म (सर्वोच्च नेता) द्वारा शहीद रईसी की प्रशंसा का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये अल्फ़ाज़ हमारे लिए एक बड़ी ज़िम्मेदारी का एहसास कराते हैं।

उन्होंने कहा कि उनके पिता केवल एक राजनीतिज्ञ नहीं थे बल्कि एक धार्मिक, ईमानदार और विश्वसनीय नेता थे, जिन्होंने यहाँ तक कि रूस के राष्ट्रपति को भी यह समझा दिया था कि वे कभी अपनी धार्मिक पहचान को राजनीति के लिए कुर्बान नहीं करेंगे।

अंत में उन्होंने कहा कि अगर आज शहीद रईसी हमारे बीच नहीं हैं, तो यह क़ौम हज़ारों "रईसी" पैदा कर सकती है, और यही उनके रास्ते की असली तक़मील (पूर्णता) है। इस सभा में शहीद रईसी और सैयद हसन नसरुल्लाह के नाम से जुड़े एक स्मृति-चिह्न का अनावरण भी किया गया।

 

अरबी अखबार राय अल-यौम ने अपनी एक रिपोर्ट में ज़ायोनी शासन द्वारा गाज़ा युद्धविराम वार्ताओं में की जा रही धोखाधड़ी का ज़िक्र करते हुए लिखा है: "ज़ायोनी शासन अपनी धोखेबाज़ी और हठधर्मिता के ज़रिए युद्ध को लंबा खींचने की कोशिश कर रहा है।

मध्यस्थों का गुस्सा: ज़ायोनी  शासन का अड़ियल रवैया

राय अल-यौम ने बताया कि गाज़ा युद्धविराम वार्ताओं में शामिल मध्यस्थ, ज़ायोनी शासन की ज़िद और सनक के कारण नाराज़ और निराश हैं, जो हर संभव समझौते को असंभव बना रहा है। अखबार ने इज़रायल के व्यवहार का विश्लेषण करते हुए कहा कि वह जानबूझकर गाज़ा युद्ध को लंबा करना चाहता है। जब भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता है, इज़रायल क़तर में वार्ता के लिए अपनी टीम भेजने की बात करता है, लेकिन अंत में वार्ता को गतिरोध में धकेल देता है। 

समय बर्बाद करने की रणनीति

रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकाने और दबाव से बचने के लिए "तकनीकी वार्ताओं" का बहाना बनाकर समय निकाल रहा है। इस बीच, हमास ने कई बार इज़रायली कैदियों की रिहाई के बदले युद्ध समाप्ति और गाज़ा से इज़रायली सेना की वापसी की पेशकश की है, लेकिन नेतन्याहू सरकार नई शर्तें रखकर  गाज़ा पर कब्ज़ा जमाए रखने पर अड़ी हुई है। 

अमेरिकी समर्थन से बढ़ रहा है नरसंहार

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अमेरिका का ज़ायोनी शासन को समर्थन फिलिस्तीनी नागरिकों, खासकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ़ नरसंहार को और बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते युद्धविराम वार्ताओं में नई गतिविधियाँ शुरू हो सकती हैं।