
رضوی
मशहूर नौहा ख़्वान हाज अहमद शम्स ने दुनिया को अलविदा कहा
ईरान के मशहूर नौहा ख़्वान और बीबी मासूमा ए क़ुम के रोज़े के ख़ादिम हाज अहमद शम्स ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
आपका इंतेक़ाल इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कमसिन शहज़ादी हज़रत सकीना की शबे शहादत में हुआ।
इमाम हुसैन अलैहिसलाम की शहादत के बाद भी क्यों हक़ का साथ लोग नहीं देते ?
कर्बला से हमने क्या सीखा ? क्या लोगों का किरदार इमाम हुसैन अलैहिसलाम के शहादत के बाद सुधरा ?
असत्य पे सत्य की जीत की पूरी दुनिया में पहचान बन चुके हुसैन पैगंम्बर ऐ इस्लाम हज़रत मुहम्मद के नाती थे और मुसलमानो के खलीफा हज़रत अली के बेटे थे | इमाम हुसैन की माँ हज़रत मुहम्मद की इकलौती बेटी फातिमा बिन्ते मुहम्मद थीं | इस घराने ने हमेशा दुनिया के हर मसले का हल शांतिपूर्वक तलाशने की कोशिश की यहां तक की लोग जब इनपे ज़ुल्म करते तो यह सब्र करते | इनका पैग़ाम था समाज में जहां रहते हो वहाँ हक़ का साथ दो , इन्साफ से काम लो और जो अपने लिए पसंद करते हो वही दूसरों के लिए पसंद करो और दुनिया के हर धर्म के इंसानो के साथ नेकी करो मानवता का त्याग कभी मत करना |
जैसा की दनिया में होता आया है सत्य का परचम जहां लहराया की असत्य की राह पे चलने वालों को तकलीफ होते लगती है क्यों की उनको उनका वजूद ख़त्म होता दिखाई देने लगता है | ऐसा ही उस दौर के असत्य की राह पे चलने वालों लगता था और वे हज़रत मुहम्मद के इस घराने पे ज़ुल्म किया करते थे लोगों को उनके लिए अफवाहों और झूटी कहानियों से भ्रमित किया करते थे लेकिन इस घराने ने कभी सत्य का हक़ का और सब्र का साथ नहीं छोड़ा |
पैगंम्बर ऐ इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स ) की वफ़ात के बाद से इस घराने पे ज़ुल्म बढ़ते गए | हज़रत अली के इल्म के आगे कोई नहीं था लेकिन मिम्बर ऐ रसूल पे लोगों ने साज़िश फरेब से किसी और को बिठा दिया | हज़रत अली की नमाज़ के आगे क्या किसी की नमाज़ थी लेकिन उनके खिलाफ अफवाह फैलाई और उन्हें बेनमाजी क़रार दिया गया और यह अफवाह इतनी फैली की जब मस्जिद ऐ कूफ़ा में सजदे में शहादत पायी तो लोग पूछते थे अरे अली मस्जिद में क्या कर रहे थे ?
यह ज़ुल्म का सिलसिला हज़रत अली के बाद इमाम हुसैन के साथ बढ़ता चला गया और इंतेहा यह हो गयी की शराबी यज़ीद ज़ालिम यज़ीद खलीफा बन गया और कमाल तो यह की मुसलमानो ने बग़ावत भी न की जबकि सब जानते थे हक़ क़ुरआन है हक़ हुसैन के साथ है |
आज भी यह सिलसिला जारी है | हक़ का साथ देने वाला , इन्साफ करने वाला, , आलिम और जाहिल का फ़र्क़ करने वाला , सब्र करने वाला , हराम माल से परहेज़ करने वाला , अफवाहों को फैलाने से परहेज़ करने वाला , झूटी तोहमतें न लगाने वाला, औरतों की इज़्ज़त करने वाला , दूसरों के अकेले में किये गए गुनाहों को आम न करने वाला शिया ने अली , हुसैनी कहलाता और जो कोई भी इसके खिलाफ चले वो खुद को चाहे कुछ भी कहे हुसैनी नहीं हो सकता |
अफ़सोस का मक़ाम है की कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद आज भी मजमा ऐ आम उस दौर की तरह अपना दुनियावी फायदा देख के लोगों का साथ देता , इज़्ज़त करता नज़र आता है जबकि देना चाहिए उसका साथ जो क़ुरआन के साथ हो जो हुसैन के नक़्शे क़दम पे चलने की कोशिश करता हो जो इंसाफ पसंद हो अब ऐसे में हमारे वक़्त ऐ इमाम का ज़हूर हो जाय तो क्या होगा ? खुदा न करे हमारी आदत हक़ पसंदगी की न रही खौफ से लालच से हक़ का साथ न देने की आदत रही तो कहीं फिर एक कर्बला ना हो जाय की अलअजल की दुआ कर के इमाम को बुलाने वाले कोफ़ियों की तरह साथ न छोड़ दें?
अपने किरदार को हुसैनी किरदार बनाएं और यक़ीन रखें ज़हूर ऐ इमाम ऐ वक़्त जल्द से जल्द होगा और कर्बला के शहीदों को इन्साफ मिलेगा और हमें ज़ुल्म से निजात |
इस्राईल को बचाने के लिए अमेरिका ने कमर कसी, मीडिल ईस्ट में विमान और हथियार तैनात
ईरान में हमास चीफ की हत्या कर संकट में घिरे इस्राईल को बचने के लिए अमेरिका ने पूरा ज़ोर लगा दिय्या है। अमेरिका मध्य पूर्व में लड़ाकू विमानों और अन्य साधनों को तैनात कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अवैध राष्ट्र इस्राईल पर ईरान और हिज़्बुल्लाह के संभावित हमले के कारण तनाव बहुत अधिक है। दावा किया जा रहा है कि अमेरिका ने भी इस जंग के लिए तैयारी पूरी कर ली है। अमेरिकी वायुसेना के एफ-22 रैप्टर विमान, अमेरिकी सेंट्रल कमांड के जिम्मेदारी वाले क्षेत्र में पहुंचे हैं।
अमेरिका की न्यूज वेबसाइट एक्सियोस ने दावा किया है कि कुछ ही दिनों में ईरान और हीज़बबुल्लाह अवैध राष्ट्र इस्राईल पर हमला कर सकते हैं। हमास और हिज़्बुल्लाह के शीर्ष नेताओं की मौत के बाद से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है, क्योंकि ईरान और हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी शासन से बदला लेने की बात कही है। हालांकि, अभी तारीख तय नहीं है कि हमला कब होगा लेकिन कहा जा रहा है कि ईरान और हिज़्बुल्लाह दोनों जवाबी कार्रवाई ज़रूर करेंगे।
ग़ज़्ज़ा में स्कूल पर पर इस्राईल के बर्बर हमले,90 से अधिक लोगों की मौत
ग़ज़्ज़ा में विस्थापित हुए बेघर लोगों के आवास वाले स्कूल पर ज़ायोनी सेना के बर्बर हमले में कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई। इस्राईल ने दावा किया है कि यह हमला का हमास कमांड सेंटर पर किया गया था।
ग़ज़्ज़ा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने शनिवार को कहा कि ग़ज़्ज़ा शहर में स्कूल पर तीन ज़ायोनी रॉकेट गिरे। उसने इस घटना को भयानक नरसंहार बताया, जिसमें कुछ शवों में आग लग गई। ज़ायोनी सेना ने शनिवार को कहा कि उसने अल-ताबेईन स्कूल में स्थित हमास कमांड और कंट्रोल सेंटर में सक्रिय हमास पर सटीक हमला किया।
इस हमले से 2 दिन पहले ही ग़ज़्ज़ा के अधिकारियों ने कहा था कि ग़ज़्ज़ा शहर में दो अन्य स्कूलों पर ज़ायोनी हमलों में 18 से अधिक लोग मारे गए हैं जबकि ज़ायोनी सेना ने उस वक्त भी कहा था कि उसने हमास के कमांड सेंटर पर हमला किया था।
जब तक इसराइल मौजूद है दुनिया में सुख और शांति स्थापित नहीं हो सकती
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुसवी ने कहां,इज़राईलीयों में इंसानियत, सम्मान और गरिमा जैसी कोई चीज़ नहीं है,यदि वे फ़िलिस्तीन में रहे तो न केवल फ़िलिस्तीन, बल्कि पूरी दुनिया की सुख और शांति छीन लेंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार , हमदान के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद महमूद मुसवी ने अपने खुत्बे मे कहां,आज फिलिस्तीन और गाज़ा को एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए इस्लामी जगत की इसकी रक्षा की जानी चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद महमूद मुसवी ने कहां,इज़राईलीयों में इंसानियत, सम्मान और गरिमा जैसी कोई चीज़ नहीं है,यदि वे फ़िलिस्तीन में रहे तो न केवल फ़िलिस्तीन, बल्कि पूरी दुनिया की सुख और शांति छीन लेंगे।
उन्होंने आगे कहा पश्चिमी देश और अमेरिका केवल अपना हित देख रहे हैं उन्हें लगता है कि वे इजराइल जैसे कैंसरग्रस्त ट्यूमर को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और है और वे ऐसा कभी नहीं कर पाएंगे, एक दिन ऐसा आएगा जब यही इजराइल उनके लिए भी सज़ा बन जाए।
उन्होंने कहा,इज़राईल किसी समझौते या नियम या क़ानून का पालन नहीं करता इज़राईल ईसा मसीह के धर्म या यहूदी धर्म में विश्वास नहीं करता लेकिन अगर यह कहा जाए कि इज़राईल ईश्वर में भी विश्वास नहीं करता तो गलत नहीं होगा।
इमाम ए जुमआ हमदान ने कहा,इजराइल के अपराधों के सामने क्षेत्र के विश्वासघाती देशों की चुप्पी निंदनीय है इन देशों ने ईरान के जंग के दौरान भी सद्दाम की मदद की थी।
बहरैन, हज़रत सकीना के शोक में निकला मातमी जुलूस
बहरैन, हज़रत इमाम हुसैन (अ.स) की कमसिन शहज़ादी हज़रत सकीना की शहादत के शोक में बहरैन के कजकान गाँव में शोक जुलूस निकाला गया जिसमे बड़ी संख्या में अहले बैते नबी (अ.स.) के चाहने वालों ने हिस्सा लिया।
बांग्लादेश, प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को घेरा, चीफ जस्टिस ने दिया इस्तीफा
बांग्लादेश की सत्ता से शैख़ हसीना को बेदखल करने के बाद अब प्रदर्शनकारियों के निशाने पर देश की न्यायपालिका है।
बांग्लादेश में अब प्रदर्शनकारी छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया है और मांग की है कि चीफ जस्टिस सहित सभी जज अपना इस्तीफा दें। सैकड़ों प्रदर्शनकारी जिन्होंने बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया, जिसके बाद चीफ जस्टिस ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
ब्रिटेन में जारी विरोध प्रदर्शन हुए हिंसक, सरकार सख्त
ब्रिटेन से लगातार हिंसा की खबरें आ रही है। एक बार फिर कई जगहों पर हिंसा की आग भड़क गई है। साउथपोर्ट में चाकू से हमला किए जाने की झूठी सूचना के विरोध में दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों ने ब्रिटेन के कई शहरों में अराजकता फैला दी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लिवरपूल, मैनचेस्टर, सुंदरलैंड, हल, बेलफास्ट और लीड्स सहित कई स्थानों पर हिंसा और अशांति फैली है, और पूरे दिन प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें तेज होती जा रही हैं।
वहीं सरकार ने दंगाईयों को चेतावनी दी है। सरकार ने शनिवार को चेतावनी देते हुए कहा है कि ब्रिटेन में फैली हिंसक झड़पों की लहर के लिए दंगाइयों को “कीमत चुकानी पड़ेगी”।
ब्रिटेन के गृह सचिव यवेट कूपर ने कहा कि पुलिस को यथासंभव कठोर कार्रवाई करने के लिए सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त होगा। उन्होंने कहा, “ब्रिटेन की सड़कों पर आपराधिक हिंसा और अव्यवस्था के लिए कोई जगह नहीं है।
मस्जिदे कूफ़ा, हज़रत सकीना के शोक में आयोजित सभा का मंज़र
हज़रत इमाम हुसैन अ.स. की कमसिन शहज़ादी हज़रत सकीना की शहादत के शोक में इराक की मस्जिदे कूफ़ा में शोक सभा आयोजित की गई जिसमे बड़ी संख्या में अहले बैते नबी अ.स. के चाहने वालों ने हिस्सा लिया।
माइक्रोसॉफ्ट की कथित रिपोर्ट पर ईरान की प्रतिक्रिया: अमेरिकी चुनाव इस देश का आंतरिक मुद्दा है
संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिनिधि ने साइबर हमलों के माध्यम से 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में तेहरान के हस्तक्षेप के बारे में "माइक्रोसॉफ्ट" कंपनी की रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए कहा कि: अमेरिकी चुनाव इस देश का आंतरिक मुद्दा है।
अमेरिकी कंपनी "माइक्रोसॉफ्ट" ने हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया है कि ईरान ने अमेरिका के नवम्बर के चुनावों में हस्तक्षेप करने और अपने हैकरों और फ़र्ज़ी समाचार वेबसाइटों सहित देश के राजनीतिक समाज के ध्रुवीकरण को मज़बूत करने के अपने प्रयास बढ़ा दिए हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधिमंडल ने माइक्रोसॉफ्ट के दावे को ख़ारिज करते हुए एक बयान में घोषणा की: ईरान, अपने देश के बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक सेवा केंद्रों और उद्योगों के खिलाफ विभिन्न साइबर हमलावर आप्रेशन्ज़ का शिकार रहा है और ईरान की साइबर शक्ति रक्षात्मक और आनुपातिक है और उसका सामना खतरों से होता रहता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधिमंडल ने इस बयान में बल देकर कहा: ईरान के पास साइबर हमले का कोई लक्ष्य या योजना नहीं है क्योंकि अमेरिकी चुनाव का मुद्दा, इस देश का आंतरिक मुद्दा है और ईरान की इसमें कोई भागीदारी नहीं है।
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधि ने अमेरिकी चुनावों को बाधित करने के ईरान के प्रयासों और 2024 के चुनावों के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनल्ड ट्रम्प के चुनाव अभियानों पर नकारात्मक प्रभाव के बारे में अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के दावों के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा था कि इनमें से अधिकांश आरोप चुनाव अभियानों को ग़लत गति देने के लिए मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन का हिस्सा हैं।
ज्ञात हो कि अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में 81 वर्षीय जो बाइडेन, जिन्होंने डोनल्ड ट्रम्प के साथ अपनी हालिया डिबेट के दौरान बेइज़्ज़ती का सामना किया था, अंततः दबाव में आकर 21 जुलाई, 2024 को राष्ट्रपति चुनाव से हट गए और डेमोक्रेटिक पार्टी से "कमला हैरिस" ने उनकी जगह ले ली।
अमेरिका के अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए अमेरिकी जनता 5 नवम्बर 2024 को मतदान करेगी। इस चुनाव का विजेता जनवरी 2025 से राष्ट्रपति के रूप में अपना चार साल का कार्यकाल शुरू करेगा।