
رضوی
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम नजात की कश्ती और हिदायत का चिराग हैं।
आज इमामबाड़ा गुफरान मआब में अशरए मोहर्रम की चौथी मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी साहब ने हदीसे रसूल की रोशनी में अहलेबैत अलै. और इमाम हुसैन की अजमत को बयान करते हुए फ़रमाया कि रसूल अल्लाह स. ने फ़रमाया है कि मेरा हुसैन हिदायत का चिराग और नजात की कश्ती है दूसरी हदीस में है कि मेरे अहले बैत की मिसाल नूह की कश्ती जैसी है जो इस पर सवार हुआ वह नजात पा गया और जिसने अपना मुंह मोड़ लिया वह डूब गया पहली हदीस में रसूल ने सिर्फ इमाम हुसैन को नजात की कश्ती बताया है और दूसरी हदीस में तमाम अहलेबैत को सफिनए नजात बताया है मौलाना ने कहा कि हमारे लिए रसूल अकरम स. की सीरत और सुन्नत हुज्जत है मौलाना ने मसाएब में जनाबे मुस्लिम के बेटों की शहादत का जिक्र इस तरह से किया कि मजमे में कोहराम मच गया और गिरिया की आवाज़ बुलंद हो गई।
ज़ैनब बिन्ते अली , कर्बला की नायिका
ज़ैनब, शहीदों के ख़ून का संदेश लानी वाली, अबाअब्दिल्लाहिल हुसैन (अ) की क्रांति की सूरमा, अत्याचारियों और उनके हामियों को अपमानित करने वाली, सम्मान, इज़्ज़त, लज्जा, सर बुलंदी और श्रेष्ठता की उच्चतम चोटी पर स्थित महिला का नाम है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिवार में हज़रत ज़ैनब (स) का स्थान इतना अधिक उच्च और आपका पद इतना ऊँचा है कि क़लम आपकी श्रेष्ठता को लिख नहीं सकता और ज़बान उसको बयान नहीं कर सकती है।
महान फ़क़ीह और इतिहासकार अल्लामा मोहसिन अमीन आमुली हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की महानता को बयान करते हुए फ़रमाते हैं
“हज़रत ज़ैनब, महिलाओं में सबसे अधिक महान और उनकी फ़ज़ीलत इससे कहीं अधिक है कि उसको बयान किया जा सके या क़लम उसके लिख सके”।
हज़रत ज़ैनब (स) के व्यक्तित्व की उच्ता, महानता, तार्किक शक्ति, अक़्ल की श्रेष्ठता, ज़बान की फ़साहत और बयान की बलाग़त कूफ़े और शाम में आपने जो ख़ुत्बे दिये हैं उनमें दिखाई देती है और बताती है कि यह उस अली (अ) की बेटी है जिसने अपने युग में वह खुत्बे दिये कि अगर आज उनके एक छोटे से भाग को एक पुस्तक के रूप में संकलित कर दिया गया तो उसका नाम नहजुल बलाग़ा हो गया और दुनिया आज भी उसको देखकर अचंभित है। आपने यज़ीद और इबने जियाद के मुक़ाबले में इस प्रकार तार्किक बाते की हैं और ख़ुत्बे दिये हैं कि इन मलऊनों को ख़ामोश कर दिया और उनको इतना तर्क विहीन कर दिया कि उन लोगों ने बुरा भला कहने, गालियां देने और उपहास को अपना हथियार बनाया जो यह दिखाता है कि उनके पास अपने बचाओ के लिये कोई तर्क नहीं रह गया है।
हज़रत ज़ैनब (स) ने अपने चचाज़ाद अब्दुल्लाह बिन जाफ़र बिन अबी तालिब से शादी की और आपके “अली ज़ैनबी” “औन” “मोहम्मद” “अब्बास” और “उम्मे कुलसूम” नामक संतानें हुआ जिनमें से औन और मोहम्मद कर्बला के मैदान में विलायत की सुरक्षा करते हुए हुसैन (अ) पर शहीद हो गये।
हज़रत ज़ैनब (स) एक ऐसी हस्ती हैं जिनको इतिहास की पुस्तकों में “उम्मुल मसाएब” यानी मुसीबतों की माँ कहा गया है, और अगर आपकी जीवनी का अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि आपको उम्मुल मसाएब सही कहा गया है, उन्होंने अपने नाना पैग़म्बरे इस्लाम (स) के निधन का दुख देखा, अपनी माँ और सैय्यद ए निसाइल आलमीन हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) की अत्याचारों और ज़ुल्म सहने के बाद शहादत को देखा, अपने पिता अमरुल मोमिनी हज़रत अली (अ) के ग़मों और अंत में इबने मुलजिम के हाथों मस्जिद में शहादत को बर्दाश्त किया, आपने अपने भाई हसन (अ) के जिगर के बहत्तर टुकड़ों को तश्त में गिरते देखा, और इन सबके बाद कर्बला में अपने चहेते भाई हुसैन (अ) को तीन दिन का भूखा प्यासा बर्बरता से शहीद होते देखा, औऱ आपकी मुसीबतें यहीं समाप्त नहीं हुईं बल्कि हुसैन (अ) की शहादत के बाद क़ैदी बना कर आपको अहले हरम के साथ कभी कूफ़ा के बाज़ारों में बे पर्दा घुमाया गया तो कभी शाम के दरबार में यज़ीदियों के सामने लाया गया।
ज़ैनब (स) इमाम हुसैन (अ) की क्रांति के आरम्भ से ही अपने भाई के साथ थी और इस आन्दोलन के हर पड़ाव पर अपने भाई की हमदम और हमराह थी, शबे आशूर कभी अपने भाई से बात करती दिखाई देतीं हैं तो, कभी आशूर के दिन शहीदों की लाशों का स्वागत करती है, ग्यारह मोहर्रम की रात हुसैन की पामाल लाश के पास फ़रियाद करना और पैग़म्बर (स) को संबोधित करके यज़ीदियों की शिकायत करना यह सब आपके जीवन के वह स्वर्णिम अध्याय हैं जो आपकी महानता, श्रेष्ठता और फ़ज़ीलत को बयान करते हैं।
आपने आशूर के बाद यतीम बच्चों की सरपरस्ती की औऱ हुसैन (अ) के आन्दोलन को जन जन तक पहुँचाया।
कूफे में जब लोगों ने पैग़म्बर (स) के परिवार वाली को इस दयनीय स्थिति में देखा और रोना आरम्भ किया तो आपने इस प्रकार फ़रमायाः
“हे कूफ़े वालों! हे धोखे बाज़ों! और ख़यानत करने वालों और बेवफ़ाओं! तुम्हारी आँखों से आँसू न सूखें और तुम्हारी आवाज़ें बंद न हो.... वाय हो तुम पर जानते हो पैग़म्बर के किस जिगर को टुकड़े टुकड़े किया है और किस संधि को तोड़ा है और कौन पर्दा नशीन महिलाओं को बाहर लाए हो और उनके सम्मान को ठेस पहुँचाई है और किस ख़ून को बहाया है”
कूफ़े में ज़ैनब (स) के रूप में अली (अ) थे जो बोल रहे थे और जिन्होंने अली को सुना था वह कह रहे थे “ईश्वर की सौगंध इस प्रकार की बा हया और पर्देदार बोलने वाली महिला को नहीं देखा थे ऐसा लगता है जैसे कि अपने अंदर अली (अ) की ज़बान रखती है”।
जब इबने ज़ियाद ने अहंकार में चूर हो कर अपने दरिंगदी दिखाते हुए आलुल्लाह को बुरा भला कहा तो आपने सदैव बाक़ी रह जाने वाले शब्दों से उसको झूठ को उजागर कर दिया और फ़रमायाः
“ईश्वर की सौगंध, तू ने हमारे बुज़ुर्ग को क़त्ल कर दिया और मेरे परिवार को बरबाद कर दिया और मेरी शाखों को काट दिया और मेरी जड़ों को उखाड़ दिया, अगर यह कार्य तेने इंतेक़ाम की आग को ठंडा करता है तो तू ठंडा हो गया”।
और जब यज़ीद ने अपने तख़्त पर बैठ कर अपने लोगों और दूसरे देशों से आए दूतों के सामने अपनी शक्ति को दिखाने के लिये यह दिखाना चाहा कि जो कुछ हुआ है वह अल्लाह का किया हुआ है, तो हज़रत ज़ैनब (स) उठ खड़ी हईं और अपने अपने ख़ुत्बे को इस प्रकार आरम्भ कियाः
“हे आज़ाद किये गए दासों के बेटे (यह कहकर आपने सबके सामने यज़ीद की वास्तविक्ता को खोल कर रख दिया) क्या यह न्याय है कि तेरी औरते हैं दासिया तो पर्दे में रहे और पैग़म्बर के ख़ानदान की औरतों को तू क़ैदी बनाए? तूने उनके पर्दों को खोल दिया उनके चेहरों को खोल दिया और उनको एक शहर से दूसरे शहर घुमाते हैं”?
आपने अपने इस थोड़े से शब्दों से यज़ीद के सारे इतिहास जंग में ग़ुलाम होने और आज़ाद किये जाने उसके पूर्वजों के इस्लाम लाने आदि को बयान कर दिया और इस प्रकार सबको यह बता दिया कि यह व्यक्ति जो अपने आप को ख़लीफ़ा कह रहा है और इस्लामी हुकूमत पर राज कर रहा है वह इसके योग्य नहीं है।
यह हज़रत ज़ैनब (स) के ख़ुत्बों और शब्दों का ही प्रभाव था कि यज़ीन ने शाम को उग्र होते हुए देखा और उसकों चिंता हुई की कही अली की बेटी की यह बातें उसके तख़्त को न हिला दें तो उसने आपको शाम से मदीने की तरफ़ भेज दिया।
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दानिशनान ए अमीरुल मोमिनीन (अ) जिल्द 1 पेज 167
मुहर्रम के पहले जुमे को 45 देशों में मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय अली असग़र दिवस।
अंतरराष्ट्रीय अली असग़र दिवस के प्रोग्राम में माएं अपने दुधमुंहे बच्चों को करबला में शहीद होने वाले 6 महीने के अली असग़र की याद में मख़सूस हरा लिबास पहनाकर लाती हैं और हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम से नज़्र व अहद करती हैं।
ऐ साहिबुज़्ज़मान। मैं अपने बच्चे को आपकी नुसरत व मदद के लिए नज़्र कर रही हूं। इसको अपने ज़ुहूर के लिए जो क़रीब है चुन लीजिए और हिफ़ाज़त फ़रमाइये।
ज्ञात रहे कि अली असग़र दिवस दुनिया के 45 देशों में मुहर्रम महीने के पहले जुमे को एक साथ मनाया जाता है।
हज़रत अली असग़र, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के 6 महीने के बेटे थे जो करबला में मौजूद थे यह भी भूखे प्यासे थे और जब इमाम हुसैन अलै. ने इनके लिए पानी मांगा तो हुरमुला ने तीन भाल के तीर से इन्हें भी भूखा प्यासा बेरहमी से शहीद कर दिया था।
सिडनी में इमाम हुसैन अलै. की अज़ादारी
मुहर्रम महीने के पहले अशरे में सिडनी में बच्चों के लिए अज़ादारी के प्रोग्राम किए गए और अंजुमनों ने भी इमाम हुसैन अलै. का ग़म मनाया।
ग़ाज़ा शहर के विभिन्न इलाकों में भारी बमबारी
गाज़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों पर इज़राइल द्वारा कल रात किए गए हमलों में कई फ़िलिस्तीनी शहीद और घायल हो गए
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , गुरुवार की सुबह फ़िलिस्तीनी मीडिया ने गाज़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सेना के लगातार हमलों और बमबारी की सूचना दी हैं।
अलजज़ीरा नेटवर्क ने बताया कि गाजा शहर के अलरेमाल और तल अलहावी क्षेत्रों पर ज़ायोनी सेना द्वारा तीव्र हमले किए गए हैं साथ ही गाजा शहर के पश्चिम में अंसार पर कब्ज़ा कर लिया गया है।
दूसरी ओर अलमयादीन नेटवर्क ने यह भी बताया हैं कि अलमगाज़ी शिविर दक्षिण में खान यूनिस शहर के पूर्वी क्षेत्र में और अलमगाज़ी शिविर मध्य में स्थित है गाजा पट्टी को भी ज़ायोनीवादियों ने निशाना बनाया हैं।
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर, 2023 से गाजा पट्टी पर आपराधिक हमले शुरू होने के बाद से ज़ायोनी सरकार ने 38,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को मार डाला है और कम से कम 88,000 लोग घायल हुए हैं जिन्हें इन परिस्थितियों में निकालना मुश्किल है और हजारों लापता हैं जिनका अभी भी पता नहीं चल पाया है।
ग़ज़ा युद्ध से ज़ायोनीज़म का ख़तरनाक चेहरा सबके सामने आ गया
यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव ने कहा है कि फ़िलिस्तीनियों पर होने वाले ज़ुल्म और इस्राईली अपराधों ने पूरी दुनिया के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव अब्दुल मलिक बद्रुद्दीन अल-हौसी ने गुरुवार को अपने भाषण में कहाः ग़ज़ा युद्ध मानवता के लिए एक वास्तविक परीक्षा है। फ़िलिस्तीनियों की पीड़ा और ज़ायोनियों के अपराध ने मानव समाज को जागरुक किया है, जिसमें सदियों से ज़ायोनीवाद का महिमामंडन किया जा रहा था।
उन्होंने पश्चिमी देशों द्वारा ज़ायोनी शासन के व्यापक और अंधे समर्थन की आलोचना करते हुए कहा कि इस्राईल के अपराधों पर चुप्पी का मतलब, मानव के अस्तित्व, मानवीय गरिमा और जीवन के अधिकार को बर्बाद करना है।
अमरीकी स्मार्ट बमों से फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को शहीद किया जा रहा है
यमन के नेता ने ज़ायोनी सेना के हाथों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार की निंदा करते हुए कहाः इस्राईली सेना उन क्षेत्रों में शरणार्थियों को निशाना बनाती है, जिन्हें वह सुरक्षित घोषित करती है। दर असल, इस तरह से वह निर्दोष और बेसहारा लोगों के लिए जाल बिछाते हैं।
यमनी क्रांति के नेता ने अपने भाषण में कहा कि पीड़ित अमरीका को यह हरगिज़ पसंद नहीं है कि क्षेत्रीय इस्लामी प्रतिरोध फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन करे।
उन्होंने यमन, इराक़ और लेबनान में प्रतिरोधी समूहों द्वारा फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन की सराहना करते हुए कहाः यमन, इराक़ और लेबनान के मोर्चों ने दुश्मन के ख़िलाफ़ युद्ध में नए मानक स्थापित किए हैं और समीकरणों को बदलकर रख दिया है।
अमरीकी युद्धपोत के भागने पर यमनी क्रांति के नेता का कटाक्ष
अल-हौसी ने यमनी दुश्मनों विशेष रूप से अमरीका को संबोधित करते हुए कहाः तुम्हारा हाथी चूहे से नहीं, बल्कि दहाड़ते हुए शेर से डरकर भाग खड़ा हुआ। यमनी सेना एक दहाड़ता हुआ शेर है, जो तम्हारा सामना करने के लिए तैयार है।
7 अक्टूबर, 2023 से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के असहाय और पीड़ित लोगों के ख़िलाफ़ गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में एक व्यापक युद्ध छेड़ रखा है। दूसरी ओर फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया के प्रतिरोधी समूह मैदान में हैं और वे ज़ायोनी शासन से उसके अपराधों का हिसाब मांग रहे हैं।
ईरान के नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह 30 जुलाई को होगा
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता 28 जुलाई 2024 को नए ईरानी राष्ट्रपति डॉ. मसूद पिज़िशकियान को एक आधिकारिक आदेश जारी करेंगें।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नवनिर्वाचित ईरानी राष्ट्रपति डॉ. मसूद पिज़िशकियान के नियमित राष्ट्रपति बनने का आधिकारिक आदेश 28 जुलाई, 2024 को जारी किया जाएगा इस संबंध में तेहरान में इमाम खुमैनी र.ह. के हुसैनिया में एक उच्च स्तरीय समारोह होगा जिसमें शीर्ष सरकारी अधिकारी भाग लेंगे।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जुलाई 2024 को सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनेई द्वारा जारी आधिकारिक फरमान जारी होगा उसके बाद डॉ. मसूद पिज़िशकियान को नए ईरानी राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होगा मंगलवार, 30 जुलाई 2024 को आयोजित किया जाएगा जिसमें ईरानी संरक्षक परिषद, न्यायपालिका, सैन्य और नागरिक संस्थानों के अधिकारी भाग लेंगे।
गौरतलब है कि नवनिर्वाचित ईरानी राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 121 के अनुसार शपथ लेंगे और अपने कर्तव्यों को ठीक से निभाने की शपथ लेंगे और अंत में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर भी करेंगे।
अमरीका और ब्रिटेन आतंकवाद के जननी हैं।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि अमरीका और ब्रिटेन आतंकवाद के जननी हैं।
गुरुवार की रात इमाम हुसैन (अ) और उनके साथियों की कर्बला में शहादत की याद में आयोजित शोक सभा को संबोधित करते हुए हसन नसरुल्लाह ने कहाः अमरीकी और ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसियां आतकंवादी गुटों को जन्म देती हैं।
उन्होंने कहा कि आतकंवादी गुटों के गठन का मक़सद, जिहाद, शहादत और प्रतिरोध का अपमान करना और उन्हें बदनाम करना है।
हिज़्बुल्लाह प्रमुख का कहना था कि सन् 2,000 के बाद, पश्चिम में बड़े पैमाने पर एक कैंपेन शुरू की गई, जिसमें इस्लामी प्रतिरोध को बदमान किया गया और जिहाद शब्द को ही एक नकारात्मक शब्द में बदल दिया गया।
हालांकि अमरीका और ब्रिटेन विश्व आतंकवाद को जन्म देने वाले और उसका भरण-पोषण करने वाले हैं।
दाइश के तत्वों को अमरीकी जेलों और कैम्पों में प्रशिक्षण दिया गया। सीरिया के हसका प्रांत में अल-हुलूल कैम्प एक ऐसा ही कैम्प है, जहां आतकंवादियों को रखा जाता है। अब तक कई ऐसी रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं, जिनमें उल्लेख किया गया है कि अमरीकी सेना जेलों से सैन्य अड्डों में आतंकवादियों को स्थानांतरित करती है और वहां उन्हें आतंकवादी हमलों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।
आतंकवादी क्षेत्रीय देशों में आतंकवादी हमले करते हैं, और इस तरह से वाशिंगटन एक तीर से दो शिकार करता है। आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के बहाने वह क्षेत्रीय देशों में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखता है।
दर असल, आजकल अमरीका पर क्षेत्रीय देशों से अपने सैनिक बाहर निकालने के लिए भारी दबाव है और इस इलाक़े के लोग मानते हैं कि इराक़ और सीरिया में अमरीका के हित, दाइश के अपराधों से जुड़े हुए हैं।
अमरीका और नाटो को चीन की कड़ी चेतावनी
चीन ने उत्तरी अटलांटिक संधि यानी नाटो पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अशांति फैलाने और वहां डर का माहौल पैदा करने की कोशिश का आरोप लगाया है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने नाटो पर एशिया-पेसिफ़िक क्षेत्र में डर का माहौल पैदा करने का आरोप लगाते हुए उसे चेतावनी दी कि इस क्षेत्र को अशांत करने का प्रयास न करे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को एशिया प्रशांत क्षेत्र के बारे में वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह बयान शीत युद्ध की मानसिकता की पैदावार है और इससे नफ़रत और दुश्मनी की बू आती है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने नाटो से शीत युद्ध की मानसिकता और तनावपूर्ण दृष्टिकोण को त्याग दे और चीन की सही छवि दिमाग़ में रखे। इसके अलावा, चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप, उसके ख़िलाफ़ निराधार आरोप लगाना और चीन और यूरोप के बीच संबंधों को बाधित करना बंद करे।
लिन जियान ने नाटो पर यूरोप में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहाः चीन दृढ़ता से अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास का आनंद लेने के अधिकार का बचाव करता है।
अंत में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहाः
अफ़ग़ानिस्तान और लीबिया की त्रासदियों से पता चलता है कि जहां भी नाटो मौजूद रहेगा, वहां अराजकता और हिंसा का राज होगा।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी अपने देश के ख़िलाफ़ नाटो नेताओं के आरोपों को निराधार और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि इस सैन्य संगठन को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
वाशिंगटन में आयोजित शिखर सम्मेलन में नाटो नेताओं ने चीन को यूक्रेन युद्ध में एक निर्णायक कारक और अटलांटिक महासागर के दोनों किनारों के बीच संबंधों के लिए एक गंभीर चुनौती बताया था। नाटो के इस रुख़ पर बीजिंग ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी।
चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग में संयुक्त स्टाफ़ के उप प्रमुख ने हाल ही में कहा था कि अमरीका क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, और वाशिंगटन एशिया में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन की एक कॉपी बनाना चाहता है। ताकि वह इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य जमा सके।
कर्बला में हबीब इब्ने मज़ाहिर अलअसदी की महान कुर्बानी
हज़रत हबीब इब्ने मज़ाहिर अलअसदी आपके अलकाब में फाज़िल कारी, हाफ़िज़ और फकीह बहुत ज़्यादा मशहूर है इनका सिलसिला-ऐ-नसब यह है की हबीब इब्ने मज़ाहिर इब्ने रियाब इब्ने अशतर इब्ने इब्ने जुनवान इब्ने फकअस इब्ने तरीफ इब्ने उम्र इब्ने कैस इब्ने हरस इब्ने सअलबता इब्ने दवान इब्ने असद अबुल कासिम असदी फ़कअसी हबीब के पद्रे बुजुर्गवार जनाबे मज़ाहिर हजरते रसूले करीम स० की निगाह में बड़ी इज्ज़त रखते थे रसूले करीम स० इनकी दावत कभी रद्द नहीं फरमाते थे।
हज़रत हबीब इब्ने मज़ाहिर अलअसदीआपके अलकाब में फाज़िल कारी, हाफ़िज़ और फकीह बहुत ज़्यादा मशहूर है इनका सिलसिला-ऐ-नसब यह है की हबीब इब्ने मज़ाहिर इब्ने रियाब इब्ने अशतर इब्ने इब्ने जुनवान इब्ने फकअस इब्ने तरीफ इब्ने उम्र इब्ने कैस इब्ने हरस इब्ने सअलबता इब्ने दवान इब्ने असद अबुल कासिम असदी फ़कअसी हबीब के पद्रे बुजुर्गवार जनाबे मज़ाहिर हजरते रसूले करीम स० की निगाह में बड़ी इज्ज़त रखते थे रसूले करीम स० इनकी दावत कभी रद्द नहीं फरमाते थे।
शहीदे सालिस अल्लमा नूर-उल्लाह-शुस्तरी मजलिस-अल-मोमिनीन में लिखते है की हबीब इब्ने मज़ाहिर को सरकारे दो आलम की सोहबत में रहने का भी शरफ हासिल हुआ था उन्होंने उनसे हदीसे सुनी थी। वो अली इब्ने अबू तालिब अल० की खिदमत में रहे और तमाम लड़ाइयों (जलम,सिफ्फिन,नहरवान) में उन के शरीक रहे शेख तूसी ने इमाम अली इब्ने अबू तालिब और इमाम हसन अलै० और इमाम हुसैन अलै० सब के असहाब में उन का जिक्र किया है।
शबे आशूर एक शब् की मोहलत के लिए जब हजरत अब्बास उमरे सअद की तरफ गए तो हबीब इब्ने मज़ाहिर आप के हमराह थे। नमाज़े जोहर आशुरा के मौके पर हसीन ल० इब्ने न्मीर की बद-कलामी का जवाब आप ही ने दे दिया था और इसके कहने पर की ‘हुसैन की नमाज़ क़ुबूल न होगी “आप ने बढ़ कर घोड़े के मुंह पर तलवार लगाईं थी और ब-रिवायत नासेख एक जरब से हसीन की नाक उड़ा दी थी।
आप ने मौका-ऐ-जंग में कारे-नुमाया किये थे। आप इज्ने जिहाद लेकर मैदान में निकले और नबर्द आजमाई में मशगूल हो गए यहाँ तक की बासठ (62) दुश्मनों को कत्ल करके शहीद हो गए ।