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ज़ायोनी सरकार की युद्ध कैबिनेट के ख़िलाफ़ तेल अवीव में एक प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी।

ज़ायोनी निवासी बुधवार रात को इज़रायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आवास के सामने एकत्र हुए, उन्होंने हमास द्वारा बंदी बनाए गए ज़ायोनीवादियों की तत्काल रिहाई और फिलिस्तीनी प्रतिरोध के साथ तत्काल युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने की मांग की।

कैदियों के परिवारों ने ज़ायोनी सरकार के आंतरिक सुरक्षा मंत्री इतामर बिन ग्वेर के ख़िलाफ़ नारे भी लगाए और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई। इस रिपोर्ट के अनुसार, फ़िलिस्तीनी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) और ज़ायोनी सरकार के बीच संघर्ष विराम को लेकर बातचीत गतिरोध पर पहुँच गई है और संघर्ष के पक्ष प्रस्तावित प्रस्तावों पर सहमत नहीं हो पाए हैं।

जटिल और निरर्थक वार्ता जारी रखने से ज़ायोनी शासन के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को लाभ हुआ, जो मुकदमा चलाए जाने और मुकदमा चलाए जाने के डर से युद्ध को लम्बा खींचना चाहते थे।

गाजा में ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए अपराधों की छाया में, हमास आंदोलन ज़ायोनी अपराधियों के साथ बातचीत नहीं करना चाहता है और मध्यस्थ देशों के सामने गंभीर और ठोस बातचीत शुरू करने या मामले को पूरी तरह से बंद करने के लिए एक विशिष्ट समय दबाव डालने के विकल्प निर्धारित किया है.

भारतीय चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई की है.

भारतीय चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी के भाषणों पर बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस जारी किया है.

भारत चुनाव आयोग ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे से 29 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है.

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी की शिकायत चुनाव आयोग से की थी और बीजेपी ने राहुल गांधी की शिकायत पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का संज्ञान लिया है.

भारत निर्वाचन आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों के आचरण के लिए प्राथमिक और बढ़ती जिम्मेदारी उठानी होगी।

राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के खिलाफ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की शिकायत पर चुनाव आयोग ने बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा से जवाब मांगा है.

 यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता ने गाजा पट्टी में सामूहिक कब्रों की खोज पर चिंता व्यक्त की और एक स्वतंत्र जांच की मांग की।

ब्रुसेल्स में पत्रकारों से बात करते हुए, यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता पीटर स्टैनो ने इस बात पर जोर दिया कि हम खान यूनिस और अल-शिफा अस्पतालों में सामूहिक कब्रों की खोज के बारे में गहराई से चिंतित हैं और हम एक स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं। उन्होंने गाजा में ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए क्रूर नरसंहारों को मानवाधिकारों का संभावित उल्लंघन बताया और कहा कि इस संबंध में एक स्वतंत्र जांच और जवाबदेही महत्वपूर्ण है।

स्टैनो ने कहा कि गाजा या किसी अन्य जगह के संबंध में यूरोपीय संघ का रवैया भी ऐसा ही रहा है और इसीलिए हम संघर्ष विराम चाहते हैं ताकि झड़पें खत्म हो जाएं.

यूरोपीय आयोग के वरिष्ठ प्रवक्ता यह बात ऐसे हालात में कह रहे हैं कि फिलिस्तीनी मीडिया सूत्रों ने खबर दी है कि ज़ायोनी सेना के पीछे हटने के बाद खान यूनिस के नासिर अस्पताल में एक और सामूहिक कब्र मिली है. इस सामूहिक कब्र में तिहत्तर फ़िलिस्तीनी शहीदों के अंतिम संस्कार पाए गए।

फिलिस्तीनी टीवी चैनल अल-कुद्स ने बताया है कि खान यूनिस में मिली सामूहिक कब्रों से दो अंतिम संस्कार निकाले गए हैं। गाजा पट्टी के नागरिक सुरक्षा संगठन ने भी घोषणा की है कि नासिर अस्पताल में तीन सामूहिक कब्रें हैं, जिनमें सैकड़ों शहीदों के अंतिम संस्कार होने का अनुमान है।

रफ़ा पर आक्रामक ज़ायोनी सेना के हमले में चार फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए जबकि दस अन्य घायल हो गए।

फिलिस्तीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हमला दक्षिणी गाजा के पूर्वी रफाह में अल-नज्र अस्पताल के पास एक आवासीय इमारत पर किया गया.

गाजा पट्टी में आधिकारिक सूचना कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, ज़ायोनी सरकार ने पिछले दो सौ दिनों में 3,250 नरसंहार किए, जिनमें 41,183 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए या गायब हो गए, और इनमें से 34,100 शहीदों को स्थानांतरित कर दिया गया अस्पतालों में और सात हजार अभी भी लापता हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक 77,143 फिलिस्तीनी घायल भी हुए हैं.

हॉलैंड के निवासी जनाब माहिन औलियाई द्वारा विभिन्न देशों के समकालीन सिक्कों का एक शानदार संग्रह अस्ताने कुद्स रिज़वी के म्यूजियम को दान किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, समकालीन सिक्कों के इस संग्रह में एशिया और यूरोप के विभिन्न देशों जैसे इंडोनेशिया, भारत, हांगकांग, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, इक्वाडोर और बहरीन सहित अन्य देशों के सिक्के शामिल हैं।

जनाब मेहीन ने कहा कि अहले बैत अ.स. से मुहब्बत और अकीदत इंसान के लिए दूरियां कम कर देती है यही वजह है कि आप दुनिया में कहीं भी हों इमामों अ.स. के हरम की तरफ खिचें चाले जाते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इस प्रेम और भक्ति के कारण सिक्कों का एक अद्भुत संग्रह हरम रिज़वी के संग्रहालय को दान दिया गया हैं।

उन्होंने कहा कि आस्तान कुद्स रिज़वी के संग्रहालयों में कई मूल्यवान और दुर्लभ चीजें पाई जाती हैं लेकिन यह अफ़सोस की बात है कि ऐसे अधिकांश आगंतुक, पड़ोसी और पर्यटक इस अनमोल खजाने से अनजान हैं।गौरतलब है कि स्टांप एल्बम और अतीत की संस्कृति का वर्णन करने वाली कई पुरावशेषें इस दानकर्ता द्वारा हरम रिज़वी के संग्रहालय को दान नें दी गई हैं।

दक्षिणी लेबनान के रिहायशी इलाकों पर ज़ायोनी सेना के आक्रामक हमलों के जवाब में हिज़्बुल्लाह लेबनान ने एक बार फिर उत्तरी कब्जे वाले फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमला किया है।

हिज़्बुल्लाह ने घोषणा की है कि ये हमले लेबनानी नागरिकों पर ज़ायोनी दुश्मन के हमलों के जवाब में किए गए थे। हिज़बुल्लाह ने गुरुवार को किए गए हमलों का एक वीडियो भी जारी किया है। वीडियो में हिज़बुल्लाह को ऐन ज़ेतिम ज़ायोनी सैन्य अड्डे और मार्गलियट और शुमीरा ज़ायोनी उपनिवेशों पर मिसाइल हमले करते हुए दिखाया गया है।

लेबनान में हिज़्बुल्लाह के ये हमले दक्षिणी लेबनान में मरून अल-रास, यारून और हौला कॉलोनियों के आसपास ज़ायोनी सेना के हमलों के जवाब में किए गए हैं। ज़ायोनी शासन फिलिस्तीनी और लेबनानी प्रतिरोध समूहों के खिलाफ अपनी हार का बदला लेने के लिए गाजा और दक्षिणी लेबनान में शहरी क्षेत्रों को क्रूर हमलों से निशाना बना रहा है।

लेबनान में फ़िलिस्तीनियों के भीषण अपराधों और नरसंहार के बाद हिज़्बुल्लाह पिछले कई महीनों से उत्तरी अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी शासन के सैन्य ठिकानों पर हमले कर रहा है।

लेबनान में हिज़्बुल्लाह के जवाबी हमलों से ज़ायोनी उपनिवेशों में चरमपंथी ज़ायोनीवादियों में दहशत फैल गई है और सीमा के पास स्थित ज़ायोनी उपनिवेश खाली हो गए हैं।

इस्लामाबाद की जवाबदेही अदालत ने पीटीआई के संस्थापक इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को राज्य संस्थानों और उनके अधिकारियों के खिलाफ बोलने से रोक दिया।

पाकिस्तान से मिली खबर के मुताबिक जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश नासिर जावेद राणा ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक के निष्पक्ष सुनवाई के अनुरोध पर एक बड़ा आदेश जारी किया. आदेश में कहा गया है कि अदालत ने मुकदमे के दौरान अदालत कक्ष में राज्य संस्थानों और उनके अधिकारियों के खिलाफ बोलने पर भी रोक लगा दी है।

आदेश के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि संस्थापक पीटीआई ने राज्य संस्थानों के सम्मानित व्यक्तियों के खिलाफ राजनीतिक, भड़काऊ और पक्षपातपूर्ण बयान दिए, ऐसे बयानों से न्याय देने की प्रक्रिया, अदालत की मर्यादा और निष्पक्ष सुनवाई में भी बाधा उत्पन्न होती है न्यायालय आवश्यकताओं का ध्यान रखे ।

फैसले में कहा गया कि मुकदमे की अदालती कार्यवाही के बीच में मीडिया आरोपियों के बयान की रिपोर्टिंग नहीं करेगा. आदेश में मीडिया को राज्य संस्थानों और उनके अधिकारियों को लक्षित करने वाले राजनीतिक, भड़काऊ आख्यानों को प्रकाशित करने से परहेज करने के लिए कहा गया, जो PEMRA दिशानिर्देशों के अधीन लंबित मामलों की चर्चा पर रोक लगाता है, PEMRA आचार संहिता के अनुसार, आरोपी का राजनीतिक बयान कानूनी रिपोर्टिंग में नहीं आता है.

प्राचीन समय से भारत विविधता के लिए मशहूर है यानी वहां विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एक दूसरे के साथ रहते हैं।

भारत दुनिया में क्यों बदनाम होता जा रहा है?पिछली शताब्दी में इंटरनेश्नल पैमाने पर भारत की यह छवि बनी कि वह साम्राज्यवाद विरोधी देश व समाज है परंतु पिछले एक दशक में विशेषकर पिछले दो सालों में विश्व जनमत के निकट इसमें बहुत गिरावट आयी है। आश्चर्य है कि भारत की छवि में गिरावट विश्व के उत्तरी देशों और पश्चिमी देशों में भी देखी गई जबकि ग़ैर पश्चिमी देशों में भी भारत की छवि को बहुत नुकसान पहुंचा है।

यहां हम तीन कारणों की ओर संकेत कर रहे हैं:

पश्चिम और पश्चिमी संचार माध्यम भारतीय लोगों से नफरत करते हैं।

प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशि शेखर वेमपति कहते हैं कि भारत हमेशा अपने ख़िलाफ़ पश्चिमी संचार माध्यमों के गलत दावों का जवाब देता है। वह कहते हैं:

पश्चिमी संचार माध्यम भारत को हाथियों, सांपों और निर्वस्त्र गरीब व निर्धन लोगों की सरज़मीन बताते हैं।

 वेमपति पश्चिमी संचार माध्यमों द्वारा भारत की छवि को खराब करने का कारण यह बयान करते हैं कि पश्चिम में संचार माध्यम अपने आडियंस बढ़ाने के लिए इस तरह की ख़बरें देते हैं।

वह आगे कहते हैं:

पश्चिमी संचार माध्यम चीन सहित बड़े बाज़ारों में अपने आडियंस बढ़ाने के लिए भारत की छवि बिगाड़ कर पेश करने की कोशिश करते हैं।

भारतीयों का मज़ाक़ बनाता जर्मन पत्रिका का कार्टून

 न्यूयार्क में रहने वाले और येल विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले पत्रकार श्रवण भट्ट भी कहते हैं:

समाचार पत्र और खबर के व्यापार में कहानी का बिकना ज़रूरी होता है और कहानी को बेचने के लिए नैरैटिव का बिकना ज़रूरी होता है।

यह उस हालत में है कि जब भारत के लोग हमेशा पश्चिम को पसंदीदा सरज़मीन और सभ्य लोगों की धरती की नज़र से देखते हैं।

श्रवण भट्ट इसी संबंध में पश्चिमी आडियंस विशेषकर अमेरिकी लोगों से यह सवाल पूछते हैं कि अगर पश्चिमी समाजों की वास्तविकतायें जैसे हथियारों से हमले, जातिवाद, भेदभाव और नशे के संकट जैसी बातें भारतीय लोगों के सामने पेश की जायें तो वे कैसा महसूस करेंगे? जबकि पश्चिमी संचार माध्यमों द्वारा खबरों में फेरबदल किए जाने के कारण भारतीय लोग आज भी पश्चिम की अवास्तविक और काल्पनिक सुन्दरता को देख रहे हैं।यह कार्टून यह दर्शाता है कि पश्चिमी राजनेताओं ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धोखा देकर और उनके साथ छलावा करके उन्हें अपने पड़ोसी देश चीन के मुकाबले में खड़ा कर दिया है।

 भारत में चरमपंथी तत्व और धड़े हावी हो गए हैं

इंटरनेश्नल पैमाने पर भारत की जो छवि थी कि वह महात्मा गांधी और विविधता की सरज़मीन की छवि थी। लेकनि हालिया दशकों में राजनीतिक परिवर्तनों के कारण वह विविधताओं और महात्मा गांधी की सरज़मीन से हिंसा और नफ़रत की सरज़मीन में बदल गयी है। भारत की यह जो तस्वीर बनी है उसका एक महत्वपूर्ण कारण भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का सत्ता में आना है। जाने अनजाने में भारतीय जनता पार्टी ने इस्लाम विरोधी गतिविधियां की हैं, इस्राईल का समर्थन किया है, पश्चिम के हितों की सेवा और पश्चिमी संचार माध्यमों की हां में हां मिलाई है।

नई दिल्ली में विकासशील समाज अध्ययन केंद्र (सीएसडीएस) द्वारा कराया गया सर्वे इस बात का सूचक है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों ने धार्मिक सांप्रदायिकता की खाई को और गहरा कर दिया है।

यह खाई हिन्दुओं और मुसलमानों के मध्य आज अधिक दिखाई दे रही है। वास्तविकता भी यही है कि भारतीय जनता पार्टी ने हिन्दुत्ववादी नारे लगाकर और हिन्दुओं को उकसा कर सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली और आरएसएस और शिवसेना जैसे कट्टरपंथी हिन्दु गुटों को उकसाकर आम लोगों का सोचने का अंदाज़ अपने स्वार्थों के अनुसार बदल दिया।

वर्ष 2014 में जब से भाजपा सत्ता में आयी है तब से भारत के विभिन्न नगरों में मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा में अभूतपूर्व वृद्धि हो गयी है। मस्जिदों में आग लगाना और उन्हें नुकसान पहुंचाना, धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन में अड़ंगा लगाना, मुसलमान शरणार्थियों को भारत में रहने की अनुमति न देना कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करना और मुसलमानों के खिलाफ कट्टरपंथी हिंदुओं के हमलों पर चुप्पी वे कार्य हैं जो हालिया वर्षों में भारतीय मुसलमानों के खिलाफ़ अंजाम दिये गये हैं। ये चीज़ें इस बात का कारण बनी हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और धार्मिक समाजों और इस्लामी देशों में भारत के खिलाफ़ भावनाएं भड़की हैं।

भारत का साम्राज्यवाद विरोधी छवि से दूरी बना लेना और साम्राज्यवादी धड़े की ओर झुकाव उसकी बदनामी का एक अन्य कारण है।  गुट निरपेक्ष आंदोलन से दूरी बनाकर भारत का झुकाव पश्चिम की ओर हो गया और इसी संदर्भ मे यह भी देखा गया कि भारत की विदेश नीति ज़ायोनी सरकार की ओर झुक गई।

इस संबंध में एक अजीब चीज़ हुई जिसने विश्व वासियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। मिसाल के तौर पर फ़िलिस्तीन के संबंध में भारत की नीति विरोधाभासों से भरी पड़ी है। पहले भारत की नीति यह थी कि वह इस्राईली क़ब्ज़े के मुकाबले में फ़िलिस्तीन के मज़लूमों का समर्थन करता था परंतु अब वह हमलावर और क़ाबिज़ का समर्थन करने लगा है और उसका यह समर्थन केवल राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं तक सीमित नहीं है बल्कि वह सैनिक क्षेत्र तक पहुंच गया है। जायोनी सरकार के साथ भारत के संबंधों में इतनी मज़बूती आ गयी है कि नरेन्द्र मोदी विश्व के उन पहले नेताओं में थे जिन्होंने तूफ़ान अलअक्सा ऑप्रेशन की निंदा की थी।

यही नहीं जब 27 अक्तूबर को राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में गज्जा पट्टी में मानवीय आधार पर युद्ध विराम कराने के संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया गया तो भारत ने युद्ध विराम प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने के बजाए मतदान में हिस्सा नहीं लेने का विकल्प चुना।

डिप्लोमैट वेबसाइट ने ख़ुलासा किया है कि इस्राईल के समर्थन पर आधारित भारत की इस नीति का भारत में यह असर हुआ कि कट्टरपंथी हिन्दू, ग़ज़ा में जो कुछ रहा है उसके संबंध में सोशल मीडिया पर जायोनी सरकार के हित में गुमराह करने वाली खबरें फैला रहे हैं। इतना ही नहीं इन दुष्प्रचारों में भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों को भी लक्ष्य बनाया गया।

अंत में यह कि पश्चिमी संचार माध्यमों का जातिवादी और साम्राज्यवादी नज़रिया और दूसरी तरफ़ भारतीय राजनेताओं के अजीबोग़रीब और बहुत ग़लत फैसले इस बात का कारण बने कि जिस तरह भारत पश्चिम के लोगों के बीच अलोकप्रिय था उसी तरह दूसरे राष्ट्रों के बीच भी उसकी बदनामी हो रही है और वह एक साम्राज्यवाद विरोधी नायक और संघर्षरत देश से अब वर्चस्ववादी व्यवस्था का एक सहयोगी बन गया है

 इस्लामी क्रांति के नेता ने देश के श्रमिकों को अपने संबोधन में इस्लाम में काम और श्रमिकों के महत्व पर जोर दिया और ईरान के लिए प्रतिबंधों के आगे झुकना असंभव बताया।

आज पूरे देश के कार्यकर्ताओं ने हुसैनिया इमाम खुमैनी में इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला अली खामेनेई से मुलाकात की, इसे मजबूर नहीं किया जा सकता क्योंकि इसकी उम्मीदें सीमा पार से संबंधित नहीं हैं और यह भावना मजबूत होनी चाहिए -

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों का उद्देश्य इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर दबाव डालना और उसे पीड़ित करना है ताकि वह साम्राज्यवादी और अहंकारी रास्ते पर चले इस्लामी क्रांति ने आगे कहा कि एक जीवित राष्ट्र दुश्मन की शत्रुता से भी अवसर पैदा करता है, और इसका स्पष्ट उदाहरण हथियारों का क्षेत्र है और अन्य क्षेत्रों में दबाव के माध्यम से बड़ी प्रगति हासिल की जाती है - आपने कहा कि ईरान राष्ट्र कार्य, कर्म और राष्ट्रीय एकता के माध्यम से अपनी स्थिरता साबित करनी चाहिए।

इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला अयातुल्ला खामेनेई ने कामकाजी समुदाय की कड़ी मेहनत के प्रति हमारे हृदय से आभारी होने का जिक्र करते हुए कहा कि विभिन्न देश और संस्कृतियां श्रमिक दिवस मनाती हैं, लेकिन श्रमिकों के बारे में भौतिक दुनिया का नजरिया अलग है. इस्लाम के दृष्टिकोण में एक अंतर - आपने कहा कि भौतिक संसार श्रमिक को कुल कलपुर्जों और वाहनों की तरह एक उपकरण मानता है, जबकि इस्लाम में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता और उसके मूल्य के बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण का आधार वे मूल्य हैं जो वह काम के संबंध में मानते हैं। जिस समाज में श्रमिक होंगे, उसकी शक्ति और शक्ति में वृद्धि होगी।

ईरान के राष्ट्रपति डॉ. सैयद इब्राहिम रईसी पाकिस्तान की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद आज सुबह आधिकारिक यात्रा पर कोलंबो पहुंचे।

कोलंबो से प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के राष्ट्रपति डॉ. सैयद इब्राहिम रायसी अपने श्रीलंकाई समकक्ष के निमंत्रण पर कोलंबो पहुंचे हैं, जहां हवाई अड्डे पर श्रीलंका के उच्च पदस्थ अधिकारियों और कुछ लोगों ने उनका स्वागत किया। अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व. राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रायसी ने श्रीलंका के केंद्र में ईरानी इंजीनियरों की उत्कृष्ट कृति "अमा ओया" बांध और पावर प्लांट की बहुउद्देश्यीय परियोजना के उद्घाटन समारोह में कहा कि यह परियोजना ईरान और श्रीलंका के बीच दोस्ती का प्रतीक है। .

राष्ट्रपति ने कहा कि परियोजना की पूंजी श्रीलंका द्वारा प्रदान की गई थी और तकनीकी और इंजीनियरिंग सेवाएं इस्लामी गणराज्य ईरान द्वारा प्रदान की गई थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान अपनी तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमताओं के साथ बीस से अधिक देशों में बड़ी बिजली और पानी परियोजनाओं पर काम कर रहा है।

राष्ट्रपति रायसी ने कहा कि पश्चिम यह दिखाना चाहता था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी उसकी शक्ति में है, लेकिन ईरानी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के ऊर्जावान हाथों ने न केवल ईरान में, बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप और क्षेत्र के देशों में महान उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि आधिपत्यवादी व्यवस्था राष्ट्रों को यह विश्वास दिलाना चाहती है कि आप हमारे बिना, हमारी तकनीक और भागीदारी के बिना कुछ नहीं कर सकते, यह एक उपनिवेशवादी साजिश है जिसे हम अस्वीकार करते हैं -