رضوی

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हौज़ा-ए-इल्मिया खुरासान के अख़लाक़ के शिक्षक ने इंसानी ज़िंदगी में अल्लाह की रज़ामंदी की अहमियत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,किसी भी बंदे की सबसे बड़ी पूंजी खुदा-ए-मुतआल की रज़ा है जो उसी वक्त हासिल होती है जब इंसान नेकी करे और बुराइयों से दूर रहे।

मशहद के प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए हौज़ा-ए-इल्मिया खुरासान के अख़लाक़ के आचार्य हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ग़फ्फ़ारफ़ाम ने रमज़ान मुबारक की छठी दुआ के ख़ास मफ़हूम और उसकी मोमिनाना ज़िंदगी के लिए गहरी तालीमात को बयान करते हुए कहा,इस दुआ में हज़रत इमाम सज्जाद (अ.स.) खुदा-ए-तबारक व तआला से तीन अज़ीम और बुनियादी दरख़्वास्तों के ज़रिए बंदगी और सआदत (सफलता) का रास्ता वाज़ेह करते हैं। ये दुआएं हमारे लिए बेहद अहम सबक़ रखती हैं।

उन्होंने आगे कहा,जिस तरह नेक आमाल और इलाही अहकाम की पाबंदी सआदत और खुशबख्ती का बाइस (कारण) बनती है, उसी तरह गुनाह और इलाही हुदूद (नियमों) को तोड़ना ज़िल्लत (अपमान) और बदबख्ती (दुर्भाग्य) का सबब बनता है। गुनाह इंसान की दुनिया और आख़िरत की जड़ों को काट देता है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ग़फ्फ़ारफ़ाम ने कहा,ज़ुल्म इंसान की ज़िंदगी में सबसे तबाहकुन (विनाशकारी) गुनाहों में से एक है। हिकमत-ए-इलाही (ईश्वरीय न्याय) के तहत कोई भी ज़ुल्म बेअसर नहीं रहता, जैसा कि हुकमा (दार्शनिकों) ने कहा है।

दुनिया में हर अमल का एक रद्दे-अमल (प्रतिक्रिया) होता है।' जो शख़्स अपनी ज़िंदगी को ज़ुल्म की बुनियाद पर क़ायम करेगा, उसे जान लेना चाहिए कि उसका अंजाम भी उसी के ज़ालिमाना रवैये के मुताबिक़ होगा, क्योंकि ज़ुल्म इंसान की जड़ों को काट देता है और उसे रहमत-ए-इलाही  से दूर कर देता है।

उन्होंने आगे कहा,जो चीज़ इंसान को खुदा के ग़ज़ब (क्रोध) के क़रीब करती है, वह गुनाह है। जिस तरह तक़वा और परहेज़गारी खुशबख्ती का सबब बनते हैं, उसी तरह गुनाह और इलाही अहकाम से ग़फ़लत (लापरवाही) न सिर्फ इंसान को रहमत-ए-इलाही से महरूम कर देती है, बल्कि दुनिया और आख़िरत में उसके लिए जहन्नम का बाइस भी बनती है।

हमास के प्रवक्ता हाज़िम क़ासिम ने हमास के एक प्रतिनिधिमंडल की मिस्र यात्रा की जानकारी दी है।

हमास के प्रवक्ता हाज़िम क़ासिम ने हमास के एक प्रतिनिधिमंडल की मिस्र यात्रा की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि हमास आंदोलन का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसकी अगुवाई हमास नेतृत्व परिषद के अध्यक्ष मोहम्मद दरवेश कर रहे हैं, मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंच चुका है।

हाज़िम क़ासिम ने जोर देकर कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल मिस्री नेताओं के साथ बातचीत करेगा। इसमें अरब नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों उन्हें लागू करने के तरीकों और युद्धविराम समझौते के दूसरे चरण को शुरू करने की आवश्यकता पर चर्चा होगी।

इसराइली द्वारा ग़ाज़ा पर किए गए हमलों में दो फ़िलस्तीनी नागरिक शहीद हो गए।

अलजज़ीरा के हवाले से रिपोर्ट दी कि इसराइली टैंकों ने कुछ समय पहले ग़ाज़ा के दक्षिणी हिस्से में रफ़ाह क्रॉसिंग के आसपास व्यापक गोलीबारी की हैं।

इसराइली ड्रोन हमलों के परिणामस्वरूप जो ग़ाज़ा के दक्षिणी शहर रफ़ाह के पूर्व में फ़िलस्तीनी नागरिकों पर किए गए दो फ़िलस्तीनी नागरिक शहीद हो गए।

अलजज़ीरा के संवाददाता ने बताया कि एक इसराइली ड्रोन ने रफ़ाह के पूर्व में अबू हलावा क्षेत्र में फ़िलस्तीनी नागरिकों को निशाना बनाया जिसके परिणामस्वरूप दो फ़िलस्तीनी शहीद हो गए।

इसी संदर्भ में इसराइली सेना ने कहा कि क़रम अबू सलम क्षेत्र में सायरन की आवाज़ गलत पहचान का परिणाम थी यह बयान तब जारी किया गया जब कुछ समय पहले इसराइली स्रोतों ने जानकारी दी थी कि क़रम अबू सलम क्षेत्र में खतरे के सायरन बजने लगे थे।

इसराइली शासन ने जनवरी में हामास के साथ एक युद्धविराम समझौता किया था, लेकिन समझौते की शर्तों का उल्लंघन करके दूसरे चरण की वार्ता में प्रवेश को रोक दिया और पहले चरण को बढ़ाने के दौरान ग़ाज़ा में कैद इसराइली नागरिकों को रिहा करने की मांग की है।

पाकिस्तान ने इजराइल द्वारा फिलिस्तीनियों पर किए जा रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की है और फिलिस्तीनी जनता के साथ अपनी एकजुटता का पुनः समर्थन किया है पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इजराइल के खिलाफ ठोस कदम उठाए और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की असाधारण बैठक में अपने संबोधन में कहा, पाकिस्तान फिलिस्तीनी जनता के साथ खड़ा है और अरब लीग के फैसले का पूरी तरह समर्थन करता है।

उन्होंने कहा, गाजा की पुनर्निर्माण के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि इजराइल फिलिस्तीनियों पर जारी अत्याचारों को रोके और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करे।

यह उल्लेखनीय है कि इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की असाधारण बैठक सऊदी अरब के शहर जेद्दा में ओआईसी के मुख्यालय में आयोजित की गई।

इस बैठक में फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ इजरायली आक्रमण, फिलिस्तीनियों की जबरन स्थानांतरण और उनकी ज़मीन पर कब्ज़े की योजनाओं पर चर्चा की गई, और फिलिस्तीनी जनता को जबरन गाजा से निष्कासित करने वाले किसी भी बयान को नकारा गया। बैठक में संगठन के सदस्य देशों ने भाग लिया और पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री इसहाक डार ने किया।

यह आयत हमें हमेशा अल्लाह की एकता पर विश्वास रखने और बहुदेववाद से बचने की शिक्षा देती है। अल्लाह की दया अपार है, लेकिन अनेकेश्वरवाद एक ऐसा पाप है जो व्यक्ति को अल्लाह की दया से वंचित कर देता है। इसलिए हमें अपना ईमान शुद्ध रखना चाहिए और सभी प्रकार के बहुदेववाद से दूर रहना चाहिए।

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम

إِنَّ اللَّهَ لَا يَغْفِرُ أَنْ يُشْرَكَ بِهِ وَيَغْفِرُ مَا دُونَ ذَٰلِكَ لِمَنْ يَشَاءُ ۚ وَمَنْ يُشْرِكْ بِاللَّهِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلَالًا بَعِيدًا‌ इन्नल्लाहा ला यग़फ़ेरो अय युशरका बेहि व यग़फ़ेरो मा दूना ज़ालेका लेमय यशाओ व मन युशरेको बिल्लाहे फ़क़द ज़ल्ला ज़लालन बईदी (नेसा 116)

अनुवाद: अल्लाह इस बात को क्षमा नहीं कर सकता कि उसका साझीदार बनाया जाए, और वह इसके अतिरिक्त किसी और को क्षमा कर सकता है, और जिसने अल्लाह का साझीदार ठहराया, वह बहुत भटक गया।

विषय:

इस आयत का मुख्य विषय बहुदेववाद की गंभीरता और अल्लाह की क्षमा की सीमा है। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने बहुदेववाद को अक्षम्य पाप घोषित किया है, जबकि वह अपनी दया के माध्यम से अन्य पापों को क्षमा कर सकता है।

पृष्ठभूमि:

यह आयत एक मदनी सूरा है। यह सूरा सामाजिक, पारिवारिक और कानूनी मुद्दों के साथ-साथ आस्था और विश्वास के बुनियादी सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है। यह आयत बहुदेववाद की निंदा करती है, जो इस्लाम में सबसे बड़ा पाप है।

तफ़सीर:

  1. अनेकेश्वरवाद की गंभीरता: अल्लाह तआला ने अनेकेश्वरवाद को एक अक्षम्य पाप घोषित किया है। शिर्क का अर्थ है किसी को अल्लाह के साथ साझीदार बनाना या किसी अन्य को अल्लाह के बराबर मानना। यह कृत्य व्यक्ति को अल्लाह की दया से दूर कर देता है।
  2. क्षमा का दायरा: अल्लाह सर्वशक्तिमान अनेकेश्वरवाद के अलावा अन्य पापों को भी क्षमा कर सकता है, बशर्ते कि बन्दा पश्चाताप करे और अल्लाह की दया की ओर मुड़े।
  3. गुमराही का अंत: जो व्यक्ति शिर्क करता है वह गुमराही की सबसे गहरी गहराइयों में चला जाता है। उसका जीवन और परलोक दोनों बर्बाद हो गए।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. शिर्क सबसे बड़ा पाप है और अल्लाह की दृष्टि में अक्षम्य है।
  2. अल्लाह तआला अपनी दया से अन्य पापों को क्षमा कर सकता है।
  3. जो व्यक्ति अनेकेश्वरवाद करता है, वह पथभ्रष्टता की पराकाष्ठा को पहुँच जाता है।
  4. तौबा और अल्लाह की ओर मुड़ना ही मुक्ति का एकमात्र मार्ग है।

परिणाम:

यह आयत हमें हमेशा अल्लाह की एकता पर विश्वास रखने और अनेकेश्वरवाद से बचने की शिक्षा देती है। अल्लाह की दया अपार है, लेकिन अनेकेश्वरवाद एक ऐसा पाप है जो व्यक्ति को अल्लाह की दया से वंचित कर देता है। इसलिए हमें अपना ईमान शुद्ध रखना चाहिए और सभी प्रकार के बहुदेववाद से दूर रहना चाहिए।

सूर ए नेसा की तफ़सीर

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन खुसरूह पनाह ने कहा, हौज़ा ए इल्मिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में कई अन्य केंद्रों से आगे है और निश्चित रूप से छात्रों और शिक्षकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमताओं से लाभ उठाना चाहिए।

इस्लामी क्रांति सुप्रीम काउंसिल के सचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल हुसैन खुसरूह पनाह ने प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान कहा,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), जिसे एक ओपन-सोर्स के रूप में विकसित किया जाता है मुख्य रूप से एल्गोरिदम और कोडिंग पर आधारित होती है जो कुछ विशेष मूल्यों पर स्थापित होती है।

उन्होंने कहा,इन ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म्स को जो डेटा प्रदान किया जाता है, वह जानकारी में बदल जाता है। इसलिए यह समाज को गुमराही की ओर भी ले जा सकता है और साथ ही इसे सफलता और मार्गदर्शन की दिशा में भी निर्देशित कर सकता है। इसी तरह, AI कई समस्याओं के समाधान में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।

संस्कृतिक क्रांति सुप्रीम काउंसिल के सचिव ने कहा,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक ऐसा उपकरण है, जिसका उपयोग सही और गलत दोनों तरह से किया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा ,मेरे विचार में हौज़ा-ए-इल्मिया ने 'नूर कंप्यूटर सेंटर' और अन्य संस्थानों की स्थापना के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में काफी सफलता प्राप्त की है। इसने कई बेहतरीन उत्पाद विकसित किए हैं, जो वर्तमान में मदरसा, विश्वविद्यालयों, शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए उपलब्ध हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन खुसरूह पनाह ने कहा,संस्कृतिक क्रांति सुप्रीम काउंसिल द्वारा स्वीकृत दस्तावेज़ के अनुसार, हौज़ा-ए-इल्मिया इस क्षेत्र में कई अन्य केंद्रों से आगे है निस्संदेह, इसे इस क्षेत्र में पीछे नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपना मार्ग निर्धारित करना चाहिए और छात्रों व शिक्षकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमताओं से लाभ उठाना चाहिए।

 

अरब जगत के प्रसिद्ध विश्लेषक व टीकाकार ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा वार्ता का क़बूल कर लेना उनकी सरकार और उनके भेजे हुए प्रतिनिधि की निराशा का परिणाम है।

अरब जगत के प्रसिद्ध टीकाकार अब्दुलबारी अत्वान ने ट्रम्प सरकार के साथ वार्ता में कुछ अरब अरब देशों के रवइये पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि ट्रम्प का वार्ता का क़बूल कर लेना उनकी सरकार और उनके प्रतिनिधि की निराशा का परिणाम है।

ज्ञात रहे कि ट्रम्प की सरकार ने फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध हमास की शर्तों पर वार्ता को क़बूल किया है।

उन्होंने लिखा कि ट्रम्प द्वारा हमास के साथ सीधी वार्ता का क़बूल करना इसके बाद हुआ जब वह समझ गये कि हमास उनकी धमकियों से नहीं डरता है और ट्रम्प ने जो यह धमकी दी थी कि नरक के द्वार उसकी ओर खोल दिये जायेंगे वह इस धमकी से लेशमात्र नहीं डरता है।

 

 इसी प्रकार ट्रम्प ने फ़िलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती पलायन कराने का जो प्रस्ताव दिया था वह न केवल विफ़ल हो गयी बल्कि उसका उल्टा परिणाम निकला है क्योंकि अरब और यूरोपीय देशों की जो बैठकें हुई हैं उनमें भी ट्रम्प की इस योजना व प्रस्ताव का विरोध किया गया।

अरब जगत के प्रसिद्ध टीकाकार अब्दुलबारी अत्वान ने कहा है कि ज़ायोनियों ने अमेरिकी बमों से नस्ली सफ़ाये की जो धमकी दी है वह भी नाकाम रहेगी और हमास के साथ अमेरिका की वार्ता उपहार या एहसान नहीं है बल्कि वह फ़िलिस्तीनियों के संबंध में अमेरिकियों और ज़ायोनियों की समस्त योजनाओं की विफ़लता की स्वीकारोक्ति है।

स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि इज़राईस शासन की खुफिया एजेंसी "मोसाद" के लिए जासूसी के आरोप में दोषी व्यक्ति की मौत की सजा की पुष्टि के जवाब में उसने ईरान के राजदूत को तलब किया है।

,स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक हस्तक्षेपकारी बयान जारी करते हुए ईरान में ज़ायोनिस्ट शासन की खुफिया एजेंसी "मोसाद" के साथ जासूसी और सहयोग के आरोपी अहमदरेज़ा जलाली की मौत की सजा पर अमल न करने की मांग की है।

स्वीडन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है,स्वीडन यह चाहता है कि अहमदरेज़ा जलाली की मौत की सजा लागू न की जाए! बयान में आगे कहा गया है,हमने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के साथ मिलकर इस मामले पर बार-बार विरोध दर्ज कराया है।

इसके अलावा बयान में यह भी उल्लेख किया गया है,उनकी मौत की सजा की पुष्टि को देखते हुए हमने स्वीडन में ईरान के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया है।

गौरतलब है कि अहमदरेज़ा जलाली जो स्वीडन में रहने वाले एक ईरानी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं को मई 2016 (ईरानी कैलेंडर के अनुसार, اردیبهشت ۱۳۹۵) में ज़ायोनिस्ट शासन की खुफिया एजेंसी "मोसाद" के साथ संबंधों के कारण गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

ज़ायोनी शासन द्वारा ग़ज़ापट्टी में यूएनआरडब्ल्यूए की गतिविधियों पर प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा के कुछ महीने बीत जाने के बाद, फ़िलिस्तीनियों, विशेषकर कुछ बीमारियों से पीड़ित रोगियों के स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर इस अमानवीय कृत्य का प्रभाव नज़र आने लगा है।

ग़ज़ा को निर्जन बनाने और फिलिस्तीनी भूमि के जातीय सफाए की योजना को लागू करने के उद्देश्य से, ज़ायोनी शासन ने कब्जे वाली भूमि में फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएनआरडब्ल्यूए राहत और रोजगार एजेंसी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की योजना को मंजूरी दे दी है।

एक फिलिस्तीनी महिला "हन्नान अबू सईद", ग़ज़ा के केंद्र में स्थित नुसैरात कैंप में यूएनआरडब्ल्यूए चिकित्सा केंद्र से ब्लड प्रेशर की दवा लेने में नाकामी के बाद, अपने स्वास्थ्य और अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरों के बारे में बात करती है।

एक अन्य फ़िलिस्तीनी महिला "हादी अल-हत्ताब", जबकि स्वयं वह दिल की बीमारियों में ग्रस्त थीं, यूएनआरडब्ल्यूए चिकित्सा केंद्र में जाने के बाद, उन्हें मधुमेह से पीड़ित अपने बेटे के लिए आवश्यक इंसुलिन नहीं मिल सका, और अब वह उसकी हालत फिर से बिगड़ने और अस्पताल में आईसीयू वार्ड में भर्ती कराने को लेकर चिंतित हैं।

यह फ़िलिस्तीनी मां कहती है:

हमें पता चला कि सभी यूएनआरडब्ल्यूए केंद्र बंद हैं। हम यहां अपनी दवाएं लिखवाने आये थे लेकिन इन सबके बावजूद हमें दवा नहीं मिली। इस तरह इज़राइल ने हमें मौत की सज़ा सुना दी है। क्या हमारे साथ जो विपदा आयी वह काफी नहीं थी? मेरा बेटा इंसुलिन और शूगर की दवा ले रहा है, मुझे उसके लिए इंसुलिन नहीं मिल रहा है, अगर वह इंसुलिन नहीं लेगा तो उसे आईसीयू में भर्ती होना पड़ेगा। मेरी क़िस्मत भी ऐसी ही है क्योंकि मैं खुद दिल की बीमारी से परेशान हूं।

वहीं, ग़ज़ा पट्टी की सहायता के रास्ते में इज़राइल की बाधाओं की वजह से यूएनआरडब्ल्यूए के आटे और खाने के खाली गोदामों ने ग़ज़ापट्टी में भूखमरी और अकाल की एक नई लहर की शुरुआत का अलार्म बजा दिया है।

यूएनआरडब्ल्यूए के ख़िलाफ ज़ायोनी शासन का युद्ध कोई नया मुद्दा नहीं है और इसे फिलिस्तीनी शरणार्थियों की समस्या को खत्म करने के लिए इस एजेंसी की गतिविधियों को समाप्त करने के लिए इज़राइल के पिछले प्रयासों में से एक माना जाता है। यह ऐसी स्थिति में है कि जब ग़ज़ा के लोगों को खासकर इस क्षेत्र में युद्ध की स्थिति जारी रहने की छाया में, यूएनआरडब्ल्यूए की राहत सेवाओं की सख्त ज़रूरत है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम ने एक्स सोशल मीडिया पर यूएनआरडब्ल्यूए की गतिविधों पर प्रतिबंध लगाने की इज़राइल की कार्रवाई की निंदा की और कहा: सच्चाई यह है कि फिलिस्तीनी क्षेत्रों में यूएनआरडब्ल्यूए का कोई विकल्प है ही नहीं।

यह संगठन, जिसे 1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा स्थापित किया गया था, कम से कम 5.9 मिलियन फिलिस्तीनियों को आपातकालीन सहायता, फिलिस्तीनियों की शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवाएं प्रदान करता है।

पोप फ्रांसिस की हालत की निरंतर स्थिरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने कहा की काफी सुधार आया है उन्हें शनिवार तक कोई नया मेडिकल अपडेट देने की उम्मीद नहीं है वेटिकन के अधिकारियों ने कहा कि उनकी दिनचर्या में अब डबल निमोनिया और रेस्पिरेटरी थेरेपी के साथ-साथ शारीरिक इलाज भी शामिल है।

पोप फ्रांसिस की हालत की निरंतर स्थिरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने कहा की काफी सुधार आया है उन्हें शनिवार तक कोई नया मेडिकल अपडेट देने की उम्मीद नहीं है वेटिकन के अधिकारियों ने कहा कि उनकी दिनचर्या में अब डबल निमोनिया और रेस्पिरेटरी थेरेपी के साथ-साथ शारीरिक इलाज भी शामिल है।

डबल निमोनिया से उबर गये पोप फ्रांसिस की स्थिति गुरुवार को स्थिर रही और उन्हें सांस लेने की कोई नई दिक्कत या बुखार नहीं हुआ पोप ने अस्पताल से ही काम किया इसके साथ ही वेटिकन ने यह जानकारी दी पोप फ्रांसिस ने एक ऑडियो संदेश के जरिए लोगों की प्रार्थनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.

वहीं उनकी हालत की स्थिरता को देखते हुए डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें शनिवार तक कोई नई जानकारी देने की उम्मीद नहीं है लेकिन उनके पूर्वानुमान के मुताबिक पोप अब भी खतरे से बाहर नहीं हैं वेटिकन ने कहा कि पोप फ्रांसिस ने गुरुवार को दुआ की।

वेटिकन ने कहा कि पोप फ्रांसिस ने गुरुवार को लोगों की प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद देने के लिए एक ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड किया, क्योंकि वह डबल निमोनिया से ठीक हो रहे हैं और उनकी हालत स्थिर है. अधिकारियों ने कहा कि ऑडियो को सेंट पीटर्स स्क्वायर में शाम की रोजरी प्रार्थना की शुरुआत में प्रसारित किया जाना था।

फ्रांसिस की हालत की निरंतर स्थिरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें शनिवार तक कोई नया मेडिकल अपडेट देने की उम्मीद नहीं है. वेटिकन के अधिकारियों ने कहा कि उनकी दिनचर्या में अब डबल निमोनिया और रेस्पिरेटरी थेरेपी के साथ-साथ शारीरिक इलाज भी शामिल है।