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लीबिया के प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार लीबिया और गाज़ा में स्थिरता सही करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करती है।

लीबिया के प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार लीबिया और गाज़ा में स्थिरता सही करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करती है।

सरकार की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, दबीबा ने राजधानी त्रिपोली में लीबिया के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नवनियुक्त विशेष प्रतिनिधि और देश में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएसएमआईएल) की प्रमुख हाना सेरवा टेटेह के साथ बैठक के दौरान यह टिप्पणी की हैं।

बयान में कहा गया,प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा ने आज गुरुवार को लीबिया में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत हाना सेरवा टेटेह से आधिकारिक रूप से अपना कार्यभार संभालने के बाद पहली मुलाकात की है।

बयान में कहा गया,बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र दूत का स्वागत किया उनके कर्तव्यों के निर्वहन में सफलता की कामना की और लीबिया में स्थिरता बढ़ाने चुनाव कराने संक्रमणकालीन चरणों को समाप्त करने के उद्देश्य से यूएन की कोशिशों को राष्ट्रीय एकता सरकार के समर्थन पर बल दिया।

टेटेह ने आशा व्यक्त की कि संयुक्त राष्ट्र लीबिया को समर्थन देने स्थिरता और विकास की आकांक्षाओं को प्राप्त करने में लीबियाई लोगों की सहायता करने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।

गुरुवार को ही संयुक्त राष्ट्र अधिकारी ने कार्यवाहक विदेश मंत्री ताहिर अलबौर से मुलाकात की उन्होंने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को दूर करने और देश को राष्ट्रीय चुनावों की राह पर लाने के लिए सभी लीबियाई हितधारकों के साथ मिलकर काम करने की संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता दोहराई।

 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन क़बांची ने कहा कि इस अंतिम संस्कार के दौरान, हम पूरे विश्व को यह संदेश देंगे कि हम पीछे नहीं हटेंगे और हमारी दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति का खून हमें और मजबूत करता है, और यह कौम कभी नहीं मरेगी।

नजफ़ अशरफ़ के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद सदरुद्दीन क़बांची ने अपने जुमा के खुतबे में शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार के बारे में कहा: इस सप्ताह शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह का अंतिम संस्कार होगा और यहाँ पर यह हैरानी होती है कि एक गंभीर चुनौती का सामना करते हुए इस मुद्दे को कैसे समझा जा सकता है?

उन्होंने कहा: इस अंतिम संस्कार के दौरान, हम पूरे विश्व को यह संदेश देंगे कि हम पीछे नहीं हटेंगे और हमारी दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति का खून हमें और मजबूत करता है, और यह कौम कभी नहीं मरेगी।

इमामे जुमा नजफ़ अशरफ ने अपने खुतबे के दूसरे हिस्से में कहा: आज की सबसे महत्वपूर्ण बात, जिस पर दुनिया की नज़र है, वह फिलिस्तीनियों की बेघरी और इस संदर्भ में संयुक्त राज्य अमेरिका के बयान हैं। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका पर दबाव और उन समस्याओं के कारण पीछे हटने और विनाश की ओर बढ़ रहा है, इस तरह कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा: हमारा देश बहुत भ्रष्ट है और यह दुखद है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन क़बांची ने इराक का ज़िक्र करते हुए कहा: आज इराक आंतरिक और बाहरी संकटों से जूझ रहा है, ऐसे में हम इन चुनौतियों से भविष्य को कैसे समझ सकते हैं?

उन्होंने कहा: हमारा भविष्य पर विश्वास इसलिए सकारात्मक है क्योंकि हमें अल्लाह पर भरोसा है और हमारा इतिहास इस बात का गवाह है, क्योंकि हर चीज़ में धैर्य और विजय है। अल्लाह का फरमान है: (وَإِن تَصْبِرُوا وَتَتَّقُوا لَا یَضُرُّکُمْ کَیْدُهُمْ شَیْئًا व इन तस्बेरू व तत्तक़ू ला यज़ुर्रोकुम कयदोहुम शैआ).

नजफ़ अशरफ के इमामे जुमा ने धार्मिक खुतबे में "इच्छाशक्ति और अल्लाह के निर्णय की निश्चितता" के विषय में मानव विकास के कुछ पाठों का ज़िक्र किया और कहा: क्या इंसानी इच्छाशक्ति अल्लाह के फैसले को बदल सकती है?

उन्होंने कहा: अल्लाह ने जो तय किया है, वही होगा और केवल उस पर दस्तखत करना बाकी है, लेकिन दुआ, रिश्तों की क़ीमत और इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत अल्लाह के फैसले को बदल सकती है और उसके निर्णय की निश्चितता को बदल सकती है।

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकेई ने घोषणा की है कि ईरान लेबनान में हिज़्बुल्लाह के शहीद महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार में उच्च स्तर पर भाग लेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकेई ने घोषणा की है कि ईरान लेबनान में हिज़्बुल्लाह के शहीद महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार में उच्च स्तर पर भाग लेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हिजबुल्लाह लेबनान के शहीद महासचिव सय्यद हसन नसरूल्लाह और हिजबुल्लाह की राजनीतिक परिषद के शहीद प्रमुख सय्यद हाशिम सफीउद्दीन का अंतिम संस्कार 23 फरवरी को बेरूत में किया जाएगा। इस कार्यक्रम में 79 देशों के नेता, अधिकारी और लोग आधिकारिक रूप से भाग लेंगे।

हिजबुल्लाह लेबनान के शहीद महासचिव सय्यद हसन नसरूल्लाह और हिजबुल्लाह की राजनीतिक परिषद के शहीद प्रमुख सय्यद हाशिम सफीउद्दीन का अंतिम संस्कार 23 फरवरी को बेरूत में किया जाएगा। इस कार्यक्रम में 79 देशों के नेता, अधिकारी और लोग आधिकारिक रूप से भाग लेंगे।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़्ज़ा में युद्ध और अपराधों के एक साल बाद 23 सितंबर, 2024 को अपने अपराधों के दायरे को लेबनान तक बढ़ा दिया। 27 सितंबर को बेरूत के दक्षिण में दहिया क्षेत्र पर भारी बमबारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह शहीद हो गए। 3 अक्टूबर 2024 को बेरूत में ज़ायोनी सरकार के हवाई हमलों में सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन भी शहीद हो गए।

शिया उलेमा काउंसिल ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष ने कहा कि जिस्म की सेहत से ज़्यादा रूह की सेहत का ख्याल रखना ज़रूरी है क्योंकि वही अमल क़बूल होता है जिसमें तक़वा शामिल हो लोगों के हक़ को पामाल करने वाला न ही आबिद है और न ही मुत्तक़ी हैं।

मुंबई 21 फरवरी 2025 हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी इमाम ए जुमआ मेलबर्न व अध्यक्ष, शिया उलेमा काउंसिल ऑस्ट्रेलिया ने अपने भारत दौरे के दौरान बैतुल हम्द (सारुल्लाह एजुकेशन कॉम्प्लेक्स, मुंब्रा, ठाणे) में जुमे की नमाज़ के खुतबे के दौरान खिताब करते हुए कहा कि हक़ीक़ी कामयाबी और निजात का रास्ता दूसरों के हक़ अदा करने और तक़वा अपनाने में छिपा है।

उन्होंने कहा कि जिस्म की सेहत से ज़्यादा रूह की सेहत का ख्याल रखना ज़रूरी है क्योंकि वही अमल क़बूल होता है जिसमें तक़वा शामिल हो लोगों के हक़ को पामाल करने वाला न आबिद (उपासक) है और न ही मुत्तक़ी है।

मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने आगे कहा,लोगों की ज़िंदगियों को जहन्नम बनाकर जन्नत नहीं मिल सकती फरिश्ता बनने की कोशिश मत करो, बल्कि एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करो क्योंकि जिब्राईल अलैहिस्सलाम की भी यह तमन्ना थी कि काश वह इंसान होते।

इसके बाद उन्होंने पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स.ल.व. की एक हदीस बयान की जिसमें आपने अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम से फ़रमाया,ऐ अली! सात खूबियों की वजह से जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने तमन्ना की कि काश वे भी इंसान होते,नमाज़े जमाअत,उलेमा की हमनशीनी,दो व्यक्तियों के बीच सुलह कराना,यतीम (अनाथ) का सम्मान,बीमार की अयादत,जनाज़े में शिरकत,हज के दौरान हाजियों को पानी पिलाना,तो ऐ अली! तुम भी इनकी अंजामदेही के लिए कोशिश करो।

मौलाना रिज़वी ने इस हदीस की रोशनी में कहा कि हमें अपनी ज़िंदगी में इन खूबियों को अपनाना चाहिए ताकि हमारी इबादत और आमाल क़बूल हों और हम दुनिया व आख़िरत में कामयाब हो सकें।

नूजद़ शहर के इमाम जुमा ने शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार का जिक्र करते हुए कहा, "बेरूत रविवार को एक ऐतिहासिक दिन का इंतजार कर रहा है। शहीद हसन नसरुल्लाह का अंतिम संस्कार न केवल लेबनान और अरब दुनिया में बल्कि पूरे विश्व में प्रतिरोध और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाएगा।"

नूदज़ शहर के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम अली करीमी ने नमाज़ के खुत्बे में इलाही तक़वा की सलाह देते हुए कहा कि दुनिया और आख़ेरत की भलाई का रास्ता हर मोमिन के लिए, दुनिया और आख़िरत की भलाई हासिल करना है। उन्होंने इमाम सादिक (अ) से एक हदीस का जिक्र करते हुए कहा कि जब अल्लाह किसी बंदे की भलाई चाहता है, तो उसे दुनिया की इच्छाओं से बेपरवाह कर देता है और धर्म में जागरूक और उसको उसकी कमियों का ज्ञान देता है।

इमाम जुमा ने मस्जिदों की सफाई के कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि शाबान के आखिरी दशक को मस्जिदों की इज़्ज़त और सफाई का समय माना जाता है। हमारे महान इमाम ने पहले दिन से मस्जिदों को आध्यात्मिकता, शिक्षा और समाज का केंद्र बनाने का कार्य किया।

उन्होंने क्रांति के सर्वोच्च नेता के निर्देशानुसार का उल्लेख किया और कहा कि रहबरे इंक़ेलाब के अनुसार मस्जिदों को सक्रिय, आकर्षक और प्रभावशाली केंद्रों में बदलना चाहिए जो समाज की आध्यात्मिक और सामाजिक आवश्यकताओं का जवाब दे सकें।

नूदज़ शहर के इमाम जुमा ने शहीद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार समारोह का जिक्र करते हुए कहा कि रविवार को बेरुत एक ऐतिहासिक दिन का इंतजार कर रहा है। शहीद हसन नसरुल्लाह का अंतिम संस्कार न केवल लेबनान और अरब दुनिया में बल्कि पूरे विश्व में प्रतिरोध और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाएगा। यहां तक ​​कि यूरोप और लैटिन अमेरिका के युवाओं के बीच उन्हें विश्व चैंपियन के रूप में भी सराहा गया।

उन्होंने कहा कि शहीद हसन नसरुल्लाह ने अपनी शहादत से प्रतिरोध और स्वतंत्रता की एक स्थायी विरासत छोड़ी। वह केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक मार्ग और एक विचारधारा थे, जो आगे भी जारी रहेगा।

लेबनानी सशस्त्र इस्लामी प्रतिरोध संगठन हिजबुल्लाह के शहीद महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह और शहीद सय्यद हाशिम सफीउद्दीन के ताबूत अंतिम संस्कार समारोह के लिए तैयार कर लिए गए हैं। नसरुल्लाह के बेटे ने जनता से अंतिम संस्कार समारोह में पूरी तरह भाग लेने का आह्वान किया है।

अंतिम संस्कार रविवार 23 फरवरी को होगा और शहीद हसन नसरल्लाह के बेटे सय्यद मुहम्मद महदी नसरूल्लाह ने जनता से इस कार्यक्रम में शामिल होने का आह्वान किया है। उन्होंने अंतिम संस्कार समारोह में अपनी भागीदारी को शहीद नसरुल्लाह के प्रति प्रेम और समर्थन की अभिव्यक्ति बताया।

सय्यद मुहम्मद महदी नसरूल्लाह ने कहा, "सय्यद हसन नसरूल्लाह के अंतिम संस्कार समारोह में भाग लेना शहीद नसरूल्लाह के प्रति अपनी स्थिति और प्रेम को प्रदर्शित करने का दिन है।"

शहीद हसन नसरूल्लाह के बेटे ने कहा, "हमारे दुश्मनों, विरोधियों और दुष्टों ने किसी भी तरह से इस अंतिम संस्कार समारोह को रोकने की पूरी कोशिश की।"

उन्होंने कहा, "जो लोग 23 फरवरी को अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते हैं, उनसे मैं कम से कम इतना तो कह सकता हूं कि - आपने अपने वादे पूरे किए हैं और आप एक भरोसेमंद व्यक्ति हैं।"

इस अंतिम संस्कार समारोह से हिज़्बुल्लाह समर्थकों के बीच एकता और एकजुटता का संदेश जाने की उम्मीद है। शहीद नसरूल्लाह और हाशिम सफीउद्दीन को श्रद्धांजलि देने के लिए लेबनान के विभिन्न हिस्सों से लाखों लोगों के इस कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद है।

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता के साथ गुप्तचरमंत्री, उनके सहायकों, प्रबंधकों और कर्मचारियों की मुलाक़ात जो पहली इस्फ़ंद अर्थात 19 फ़रवरी को हुई थी आज शनिवार को उसे गुप्तचर मंत्रालय की स्थापना की चालिसवीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रकाशित कर दिया गया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने गुप्तचरमंत्री, उनके सहायकों, प्रबंधकों और कर्मचारियों से मुलाक़ात में गुप्तचर मंत्रालय में क्रांतिकारी भावना की सुरक्षा को इस मंत्रालय की विशेषता बताया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के कार्यालय के हवाले से बताया है कि इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि गुप्तचर मंत्रालय वास्तव में क्रांतिकारी और क्रांति के प्रति कटिबद्ध है और जिस तरह से इस मंत्रालय के पुराने अधिकारी व कर्मचारी क्रांतिकारी बाक़ी हैं उसी तरह से इस मंत्रालय के नये अधिकारी व कर्मचारी भी क्रांति के मार्ग में अग्रसर हैं और यह अल्लाह की बड़ी नेअमत है।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने इसी प्रकार गुप्तचर तंत्रों व सेवाओं के मध्य एक दूसरे से सहयोग व समन्वय पर बल दिया। इसी प्रकार उन्होंने गुप्तचर मंत्रालय के लिए नैतिक शुद्धता और तज़किये को भी महत्वपूर्ण और ज़रूरी बताया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अपने बयान के एक अन्य भाग में इस्लामी क्रांति की सफ़लता की 46वीं वर्षगांठ पर अर्थात 22 बहमन को समूचे ईरान में निकाली जाने वाली भव्य रैलियों और उसमें इस्लामी क्रांति के मूल्यों की रक्षा के लिए जवानों और नौजवानों की उपस्थिति को इस्लाम की तरक्क़ी हेतु ईश्वरीय इरादा बताया और कहा कि पश्चिमी देशों यूरोप यहां तक कि अमेरिका में ज़ायोनी सरकार विरोधी प्रदर्शन और जमावड़े, ईश्वरीय इरादे के एक अन्य प्रतीक हैं और पूरी दुनिया में फ़िलिस्तीनी लोगों के प्रति समर्थन में ध्यानयोग्य वृद्धि हो गयी है।

इस मुलाक़ात के आरंभ में इंटेलीजेंस मंत्री हुज्जुल इस्लाम वल मुस्लेमीन ख़तीब ने एक रिपोर्ट में इस मंत्रालय के क्रियाकलापों और सुरक्षा चुनौतियों को निष्क्रिय बनाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी।

ज़ायोनी सरकार यह दावा करती है कि वह दुनिया के यहूदियों के लिए सुरक्षा की आपूर्ति करती है।

इस दावे से वह यहूदियों को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ओर पलायन करने के लिए आकर्षित करने का प्रयास करती है परंतु फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने "तूफ़ाने अक़्सा" ऑप्रेशन में ज़ायोनी सरकार को जो आघात पहुंचाया है उससे इस अतिग्रहणकारी सरकार में मौजूद शून्य स्पष्ट हो गया है और यहूदियों को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ओर आकर्षित व पलायन करने के लिए ज़ायोनी सरकार के पास जो लोकलुभावन नारा व बहाना था उस पर पानी फ़िर गया है।

अज़्ज़ैतूने अध्ययन केन्द्र ने ज़ायोनी सरकार को "तूफ़ाने अक़्सा" ऑप्रेशन में मिलने वाली स्ट्रैटेजिक पराजय के संबंध में अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि  "तूफ़ाने अक़्सा" ऑप्रेशन में ज़ायोनी सरकार की पराजय इस धारणा के समाप्त होने का कारण बनी है कि ज़ायोनी सरकार युद्ध के परिणामों को अपने हित में कर लेगी।

इर्ना के हवाले से बताया है कि "तूफ़ाने अक़्सा" ऑप्रेशन ने इस धारणा को समाप्त कर दिया है कि "फ़िलिस्तीन यहूदियों की सुरक्षित शरण स्थली" है।

ज़ायोनियों की दृष्टि से सुरक्षा मौलिक व बुनियादी चीज़ है और ज़ायोनी सरकार यह दावा करती है कि वह दुनिया के यहूदियों की सुरक्षा की आपूर्ति करती है इस दावे से वह दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के यहूदियों को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन पलायन के लिए प्रोत्साहित करती है परंतु तूफ़ाने अक्सा ने इस अतिग्रहणकारी सरकार को जो आघात पहुंचाया है उससे यहूदियों को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ओर आकर्षित व पलायन करने के लिए ज़ायोनी सरकार के पास जो लोकलुभावन नारा व बहाना था उस पर पानी फ़िर गया है। यही नहीं अवैध अधिकृत की ओर यहूदियों का पलायन तो बहुत दूर की बात बल्कि जो यहूदी व ज़ायोनी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में रह रहे हैं वे भी वहां से जाने की सोच रहे हैं।

अज़्ज़ैतूने अध्ययन केन्द्र की रिपोर्ट में आया है कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के मुक़ाबले में इस्राईल की पराजय क्षेत्र में अमेरिका और पश्चिम की योजना को लागू करने में ज़ायोनी सरकार की भूमिका के समाप्त होने का कारण बनी है और दूसरी ओर अरब देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की योजना पर भी पानी फ़िर गया है और ज़ायोनी सरकार का भयावह व वास्तविक चेहरा इस बात का कारण बना है कि ज़ायोनी सरकार से संबंधों को सामान्य बनाने वाले शासक अपने झुकाव को रोक लें।

 

 

तूफ़ाने अक़्सा कार्यवाही ने ज़ायोनी सरकार के अस्तित्व को असमंजस में डाल दिया है। इसी वजह से ज़ायोनी सरकार के पूर्व युद्धमंत्री Yoav Gallant सहित दूसरे यहूदियों ने इस जंग को इस्राईल के अस्तित्व की जंग का नाम दिया था परंतु दूसरी ओर तूफ़ाने अक़्सा की जो महान उपलब्धियां हैं वे फ़िलिस्तीन को आज़ाद कराने हेतु इस्लामी और अरब राष्ट्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी गयी हैं और बहुत से लोग ज़ायोनी सरकार के खोखलेपन से अवगत हो गये हैं।

अध्ययन केन्द्र अज़्ज़ैतूने ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि तूफ़ाने अक़्सा कार्यवाही ने फ़िलिस्तीनियों, अरबों और इस्लामी राष्ट्रों के जनमत में एक बार फ़िर इस धारणा को जीवित कर दिया कि प्राथमिकता किस बात की होनी चाहिये। इसी प्रकार तूफ़ाने अक़्सा ने इस धारणा को मज़बूत व प्रबल बना दिया कि अतिग्रहणकारियों के मुक़ाबले में सशस्त्र प्रतिरोध वैध व सही है और इस कार्यवाही ने यह साबित कर दिया कि वह फ़िलिस्तीनी जनता की आकांक्षों को पूरा करने का प्रभावी और कारगर हथियार व साधन है।

साथ ही ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पट्टी पर पाश्चिक हमलों और निर्दोष फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अनगिनत जघन्य अपराधों के कारण पूरी दुनिया में एक घृणित सरकार बन गयी है और साथ ही दुनिया के राष्ट्रों विशेषकर पश्चिमी छात्रों व जवानों के मध्य फ़िलिस्तीनी जनता के प्रति समर्थन में ध्यानयोग्य वृद्धि हो गयी है।

न्यूयॉर्क की एक अदालत ने एक अमेरिकी लेबनानी नागरिक को दोषी करार देते हुए उसके खिलाफ फैसला सुनाया जिसने 2022 में नबी ए अक़रम की शान में गुस्ताख़ी करने वाले मुरतद लेखक सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला किया था।

न्यूयॉर्क की एक अदालत ने एक अमेरिकी लेबनानी नागरिक को दोषी करार देते हुए उसके खिलाफ फैसला सुनाया जिसने 2022 में नबी-ए-अकरम स.ल.व.व.की शान में गुस्ताख़ी करने वाले मुरतद लेखक सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला किया था।

अदालत ने 27 वर्षीय हादी मतर को सलमान रुश्दी को क़त्ल करने की कोशिश के आरोप में दोषी ठहराया है उसकी सजा 23 अप्रैल को सुनाई जाएगी जिसकी अधिकतम अवधि 25 साल कैद हो सकती है।

हादी मतर पर न्यूयॉर्क की अदालत में मुकदमा चला जिसने 12 अगस्त 2022 को सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला किया था गुस्ताख़ रुश्दी, जो उस समय 77 वर्ष का था इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुआ और एक आंख की रोशनी खो बैठा हमले के वक्त रुश्दी न्यूयॉर्क में एक भाषण दे रहा था।

अदालत में हादी मतर ने कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दी और बस मेज़ की तरफ देखते रहे। हालांकि जब वे अदालत से बाहर जा रहे थे तो उन्होंने फिलिस्तीन को आज़ाद करो का नारा लगाया। बताया जाता है कि वे हर बार अदालत में आते और जाते समय यही शब्द दोहराते थे।

गौरतलब है कि सलमान रुश्दी को 1988 में प्रकाशित अपनी विवादास्पद किताब शैतानी आयतें के कारण दुनियाभर के मुसलमानों के ग़ुस्से का सामना करना पड़ा था।

इस किताब की प्रकाशन के बाद रुश्दी को जान से मारने की धमकियां मिलीं और उसे गुप्त जीवन जीने पर मजबूर होना पड़ा ब्रिटिश सरकार जिसने इस किताब के प्रकाशन की अनुमति दी थी रुश्दी की सुरक्षा पर भारी खर्च कर रही थी।

हमले से पहले रुश्दी अमेरिका में रह रहा था और वर्षों से सुरक्षा उपायों के तहत जीवन बिता रहा था। 2007 में ब्रिटेन ने रुश्दी को एक अवॉर्ड से सम्मानित किया था जिस पर दुनियाभर के मुसलमानों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

 

जर्मन विदेशमंत्री यूक्रेन में शांति वार्ता को लेकर अमेरिकी सरकार पर दबाव बनाना चाहती थीं।

जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने कहा: यूरोप को अमेरिका पर नैटो में अपने सहयोगियों के साथ रहने के लिए दबाव डालना चाहिए और यूक्रेन पर अनुचित शांति नहीं थोपनी चाहिए।

जर्मन विदेशमंत्री ने चेतावनी दी कि कीव की सहमति के बिना सुरक्षा गैरेंटी के बदले यूक्रेन के क्षेत्र रूस को देने वाला कोई भी समझौता नाकाम हो जाएगा।

उन्होंने आगे कहा: एक झूठी शांति, जो वास्तव में ब्लैकमेल और आत्मसमर्पण है, शांति नहीं है और अधिक हिंसा और युद्ध के लिए भूमि प्रशस्त करती है।

 यूरोप/ रूस एटम: हम ईरान से एक और परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने के बारे में बातचीत कर रहे हैं

 रूस की सरकारी कंपनी रूस एटम के सीईओ एलेक्सी लिकचेव ने कहा कि ईरान में नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए जगह का चयन हो गया है। उनका कहना था: यह कंपनी इस देश में एक और परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने के लिए ईरान से बातचीत कर रही है।

लिकचेव ने ज़ोर देकर कहा: ईरान न केवल बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के क्षेत्र में, बल्कि छोटे परमाणु बिजली घरों के क्षेत्र में भी रूस एटम के साथ सहयोग का इरादा रखता है।

 अमेरिका/ ट्रम्प ने अमेरिकी सशस्त्र बलों के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ़ के प्रमुख को बर्खास्त कर दिया

 एक आश्चर्यजनक क़दम उठाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने देश के सशस्त्र बलों के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के प्रमुख सीक्यू ब्राउन जूनियर को बर्खास्त कर दिया। इस पद पर उनकी उपस्थिति 16 महीने तक रही जिसमें यूक्रेन में तीन साल के युद्ध और पश्चिम एशिया में संघर्षों में वृद्धि भी देखी गयी है।

ज़ायोनी शासन/ मक़बूज़ा वेस्ट बैंक पर लगातार हो रहे हमलों से संयुक्त राष्ट्र संघ चिंतित है

 संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, "मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) वेस्ट बैंक में स्थिति की निगरानी करना जारी रखता है और उत्तर में इजरायली बलों द्वारा चल रहे ऑपरेशन के बारे में चिंतित है, जो 2000 के दशक के बाद से सबसे लंबा है।"

 फिलिस्तीन/ ज़ायोनी शासन द्वारा ग़ज़ा में युद्धविराम समझौते का 350 बार उल्लंघन

 ग़ज़ा में फिलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने शुक्रवार रात को घोषणा की कि ज़ायोनी दुश्मन ने 350 बार समझौते का उल्लंघन किया, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण इंसानी प्रोटोकॉल के कामों में रुकावटें डालना और बाधाएं उत्पन्न करना है।

ईरान के निर्यात में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी

 ईरान के कस्टम विभाग के प्रमुख फ़ूरूद असगरी ने कहा: जारी हिजरी शम्सी वर्ष के 10 महीनों के दौरान, माल का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत बढ़ गया है