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माहे रमज़ान के पच्चीसवें दिन की दुआ (25)

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माहे रमज़ान के पच्चीसवें दिन की दुआ (25)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

أللّهُمَّ اجْعَلني فيہ مُحِبّاً لِأوْليائكَ وَمُعادِياً لِأعْدائِكَ مُسْتَنّاً بِسُنَّۃ خاتمِ أنبيائكَ يا عاصمَ قٌلٌوب النَّبيّينَ.

अल्लाह हुम्मज अलनी फ़ीहि मुहिब्बन ले औलियाएक, व मुआदियन ले आदाएक, मुस तनन बे सुन्नति ख़ातिमि अंबियाएक, या आसिमा क़ुलूबिन नबीय्यीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! मुझे इस महीने में अपने औलिया और दोस्तों का दोस्त और अपने दुश्मनों का दुश्मन क़रार दे, मुझे अपने पैग़म्बरों के आख़री पैग़म्बर की राह व रविश पर चलने की सिफ़त से आरास्ता कर दे, ऐ अंबिया के दिलों की हिफ़ाज़त करने वाले.

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

 

 

 

 

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