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अरब जगत के जाने-माने विश्लेषक अब्दुल बारी अतवान ने फ़िलिस्तीनी प्रशासन के  प्रमुख की हमास और ग़ज़ा प्रतिरोध के खिलाफ अश्लील भाषा के प्रयोग और अभद्रता का उल्लेख करते हुए उन्हें इज़राइल का सहयोगी और बहुत बड़ा देशद्रोही क़रार दिया है।

अरब जगत के जाने-माने विश्लेषक "अब्दुल बारी अतवान" ने पश्चिमी तट के फिलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास द्वारा हमास और प्रतिरोध के विरुद्ध हाल ही में किए गए हमले और उनके द्वारा अभद्र भाषा के इस्तेमाल का उल्लेख करते हुए एक लेख में लिखा: महमूद अब्बास ने हमास और उसके मुजाहिदों का अपमान किया है जिन्होंने डेढ़ साल से अधिक समय तक डटे रहकर ग़ज़ा में इज़राइल की योजनाओं को नाकाम बना दिया है और अपने प्रतिरोध और वीरतापूर्ण कार्रवाइयों से अरब और इस्लामी जगत को गौरवान्वित किया है।

"अब्दुल बारी अतवान" ने इस लेख में लिखा है: नेतृत्व, अश्लीलता या कब्जा करने वाले दुश्मन के साथ मिलीभगत और उसके नरसंहारों को उचित ठहराने के माध्यम से प्राप्त नहीं होता है, बल्कि प्रतिरोध और शहादत के माध्यम से प्राप्त होता है।

अतवान ने महमूद अब्बास द्वारा किए गए खोखले वादों और इस तथ्य का ज़िक्र करते हुए कि वह ग़ज़ा में बच्चों की हत्याएं देख रहे हैं और कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा: सबसे बुरी बात यह है कि आप हमास को जिम्मेदार ठहराते हैं, न कि ज़ायोनी कसाईयों को, जिनके हाथ खून से रंगे हैं। आप चाहते हैं कि कैदियों को मुफ्त में रिहा कर दिया जाए, जबकि हजारों फिलिस्तीनी कैदियों को प्रतिरोध और हमास द्वारा क़ब्ज़े वाली जेलों से रिहा कर दिया गया है।

विश्लेषक कहते हैं: हम महमूद अब्बास से कहते हैं कि इज़राइल को ग़ज़ा में नरसंहार और क़त्ले आम करने के लिए कैदियों का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है, क्या इसमें कोई वीरता थी जब उन्होंने लेबनान में "दैरे यासीन" या "सबरा और शतीला" का नरसंहार किया था? उस वक़्त, यह फ़त्ह आंदोलन था, जिसके आप प्रमुख हैं।

राय अल-यौम के संपादक ने महमूद अब्बास से कहा: ये नरसंहार करने वाले हत्यारे ओस्लो समझौते में आपके साझेदार हैं जो सबसे बड़ा मानवीय विश्वासघात था और आप ही इसे अंजाम देने वाले थे। फिलिस्तीन के नाम पर आपके अधीन 60 हज़ार सैनिक वहां कब्जाधारियों और बसने वालों का समर्थन करने के लिए हैं, फिलिस्तीनियों का नहीं।

विश्लेषक ने यह लिखकर नतीजा निकाला कि: फिलिस्तीनी जनता के प्रतिनिधि महमूद अब्बास और केंद्रीय परिषद ही नहीं हैं जो हमास के खिलाफ इन अपमानजनक बातों को सुनती है और अपनी सांस नहीं रोक सकती बल्कि वे प्रतिरोध के लोग और ग़ज़ा के शहीद हैं, जिनका नेतृत्व शहीद यहिया सिनवार कर रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन के 23 साल आपराधिक क़ब्ज़े वाले शासन की जेलों में सलाखों के पीछे बिताए और शहादत प्राप्त की। खुद कब्जा करने वालों के अनुसार, उनका पोस्टमार्टम होने के बाद पता चवला कि उन्होंने तीन दिनों से कुछ नहीं खाया था। यह फ़िलिस्तीनी जनता का कानूनी और एकमात्र प्रतिनिधि है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि अमेरिका ने परमाणु समझौते (बरजाम) के तहत अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया जिसके परिणामस्वरूप ईरान को समझौते के तहत वादा किए गए आर्थिक लाभ नहीं मिल सके।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि अमेरिका ने परमाणु समझौते (बरजाम) के तहत अपनी मुख्य जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया जिससे ईरान को आर्थिक लाभ नहीं मिला।

ईरान ने 2015 में अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन एक साल बाद भी उसे कोई आर्थिक फायदा नहीं हुआ यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय में आई है जब ईरान और अमेरिका के बीच नई अप्रत्यक्ष वार्ताओं का तीसरा दौर शुरू होने वाला है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने फरवरी 2017 में एक विशेष रिपोर्ट जारी की थी जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि "परमाणु समझौते के एक साल बाद भी ईरान पर वित्तीय प्रतिबंध समाप्त नहीं हुए थे। इस रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया था कि बरजाम पर हस्ताक्षर के बावजूद ईरान पर परमाणु प्रतिबंध जारी रहे और अमेरिकी बाधाओं के कारण ईरानी बैंकों को वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने में समस्याएं रहीं।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने विश्लेषण में लिखा है कि ईरान नए दौर की वार्ता में "गहरे अविश्वास" के साथ शामिल हो रहा है। रिपोर्ट में वर्तमान तकनीकी और विशेषज्ञ स्तर की बातचीत के महत्व पर भी जोर दिया गया है।

विश्लेषकों का कहना है कि पिछले वर्षों में जब ईरान को समझौते के तहत वादे किए गए आर्थिक लाभ नहीं मिले तो उसने अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं से सशर्त दूरी बना ली और यूरेनियम संवर्धन की मात्रा बढ़ाकर दबाव बनाया। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका की वादाखिलाफी या समझौते के उल्लंघन के जवाब में ईरान के पास उचित प्रतिक्रिया देने की क्षमता है।

रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम का विस्तार करते हुए 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन शुरू कर दिया है, जो समझौते में तय सीमा से काफी अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिका और यूरोपीय देशों पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है ताकि वे अपने वादों को पूरा करें।

न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बात को बल दिया है कि बरजाम की असफलता की मुख्य वजह अमेरिका की वादाखिलाफी रही है। रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने समझौते की सभी शर्तों का पालन किया था, लेकिन अमेरिका ने वास्तव में प्रतिबंधों में कोई ठोस ढील नहीं दी, जिसके कारण ईरान को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला।

इस समय नई वार्ताओं के नौ दौर चल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका और यूरोपीय देश अपने वादों को निभाने के प्रति गंभीर नहीं हुए, तो ईरान के पास समझौते से पूरी तरह से हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। रिपोर्ट के अंत में कहा गया है कि मौजूदा हालात में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह अमेरिका पर दबाव डाले ताकि वह अपने वादे निभाए और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

 बगदाद और नजफ अशरफ़ के प्रख्यात शिक्षक और इमाम ए जुमाआ आयतुल्लाह सैयद यासीन मूसवी ने अपने जुमे के खुतबे में ईरान की परमाणु वार्ताओं और इराक के आंतरिक राजनीतिक संकट पर चर्चा की।

बगदाद और नजफ अशरफ़ के प्रख्यात शिक्षक और इमाम ए जुमाआ आयतुल्लाह सैयद यासीन मूसवी ने अपने जुमे के खुतबे में ईरान की परमाणु वार्ताओं और इराक के आंतरिक राजनीतिक संकट पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु मसला एक आंतरिक मामला है और इसमें विदेशी हस्तक्षेप उचित नहीं है लेकिन भौगोलिक और राजनीतिक निकटता के कारण इराक इस से प्रभावित होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान में स्थिरता या अशांति का सीधा असर इराक पर पड़ता है।

आयतुल्लाह मूसवी ने आगे कहा कि अमेरिका ने इराक की स्थिति को ईरान के साथ बातचीत की प्रगति से जोड़ रखा है। उनके अनुसार, जब से ओमान में वाशिंगटन और तेहरान के बीच बातचीत शुरू हुई है, इराक पर अमेरिकी दबाव में कमी आई है, जिसे उन्होंने एक सकारात्मक प्रगति बताया।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध होता है तो इसके परिणाम इराक के लिए विनाशकारी होंगे क्योंकि ईरान क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदलने की क्षमता रखता है जबकि इराक रक्षा के लिहाज से कमजोर है।

बगदाद के इमामे जुमा ने इराक के आंतरिक राजनीतिक हालात की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने आगामी चुनावों की तैयारियों को अराजकता और अनिश्चितता से भरा बताया और संसद में गहरे मतभेदों और सरकार के अन्य संस्थानों में हस्तक्षेप को संकट के मुख्य कारणों में से गिना है।

उन्होंने चुनावों में वोटों की खरीद-फरोख्त और जनमत के साथ छेड़छाड़ की कड़ी निंदा की और कुछ राजनीतिक दलों पर निजी स्वार्थ के लिए सत्ता हथियाने का आरोप लगाया।

आयतुल्लाह मूसवी ने आतंकवादी शख्सियतों जैसे जौलानी को सकारात्मक तरीके से प्रस्तुत करने की चुनावी कोशिशों को नैतिक और राजनीतिक आपदा बताया और कहा कि इराक आज भी आतंकवाद के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहा है।

अंत में, उन्होंने जनता से अपील की कि वे चुनावों में जागरूकता दिखाएं, ईमानदार और देशभक्ति से भरे हुए लोगों का चुनाव करें और देश को भ्रष्टाचार और सत्ता-लोभियों के चंगुल से मुक्त कराएं।

अयातुल्लाह सिस्तानी के कार्यालय ने कहा,इजरायली सरकार द्वारा उत्पादित उन सामानों का उपयोग करना जायज़ नहीं है जो इस सरकार का समर्थन करती हों।

अयातुल्लाहिल उज़मा  सिस्तानी के कार्यालय ने उन दुकानों से खरीदारी के संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब दिया, जिनका मुनाफ़ा इज़राईली सरकार के समर्थन में जाता है।

जब यकीन के साथ यह साबित हो जाए कि वे कंपनियाँ इजरायल का प्रभावी तरीके से समर्थन कर रही हैं, तो उनसे खरीद-फरोख्त करना और उनके उत्पादों का इस्तेमाल करना जायज़ नहीं है।

कार्यालय ने स्पष्ट किया कि इजरायली सरकार द्वारा बनाई गई उन चीज़ों का इस्तेमाल हराम (वर्जित) है जो उस सरकार की मदद करती हों।

इस फतवे में इजरायल को समर्थन देने वाली कंपनियों के उत्पादों के बहिष्कार पर जोर दिया गया है, जब तक कि उनका समर्थन स्पष्ट रूप से सिद्ध हो।

संयुक्त राष्ट्र और भारत के शीर्ष नेताओं के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि नागरिकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है, जिसे किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी भारत और पाकिस्तान के बीच की स्थिति पर ‘बहुत बारीकी से और बहुत चिंता के साथ’ नजर रख रहे हैं। उनके प्रवक्ता ने बताया कि वह दोनों सरकारों से अधिकतम संयम बरतने और यह सुनिश्चित करने की अपील करते हैं कि स्थिति और न बिगड़े।

महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बृहस्पतिवार को दैनिक प्रेस वार्ता में कहा,हम जम्मू कश्मीर में दो दिन पहले 22 तारीख को हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हैं।

दुजारिक इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या गुतारेस ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान की सरकारों से कोई संपर्क किया है।

उन्होंने कहा कि गुतारेस ने कोई सीधा संपर्क नहीं किया है,लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि वह स्पष्ट रूप से स्थिति पर बहुत बारीकी से और बहुत चिंता के साथ नज़र रख रहे हैं।जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए थे जिनमें एक नेपाली नागरिक शामिल था मारे गए लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने कहा, सबसे पहले, मैं जम्मू कश्मीर में हाल ही में हुए हमलों के पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं।

"क्रांति की भारी जिम्मेदारियों के बीच, शहीद बहिश्ती ने हमें सिखाया कि परिवार का ख़याल करना चाहिए।"

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, " डॉ. शहीद बहिश्ती के जीवन की एक याद अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत की जा रही है।"

बार-बार मैंने देखा है कि

कुछ लोग जुमे के दिन अपने काम के लिए डॉ. बहिश्ती से मिलने आते थे और उनकी राय लेना चाहते थे।

लेकिन डॉ. बेहिश्ती उन्हें कहते थे:

"जुमे का दिन मेरे परिवार के लिए है।"

हवालाः किताब सीर ए डॉ शहीद बहिश्ती, पेज 70

दमिश्क, पूर्वी लेबनान के शहर होश अलसैय्यद अली के एक खेत में गुरुवार को एक बम से भरे ड्रोन के विस्फोट में आठ सीरियाई शरणार्थी घायल हो गए। लेबनान की सरकारी राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी।

दमिश्क, पूर्वी लेबनान के शहर होश अलसैय्यद अली के एक खेत में गुरुवार को एक बम से भरे ड्रोन के विस्फोट में आठ सीरियाई शरणार्थी घायल हो गए। लेबनान की सरकारी राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी।

ड्रोन को सीरियाई सीमा के पास तैयार किया गया था और उसमें विस्फोट किया गया, साथ ही कहा कि आठ घायल सीरियाई लोगों को लेबनान के पूर्वी शहर हरमेल के अस्पतालों में ले जाया गया है।

गुरुवार को ही सीरियाई अधिकारियों ने लेबनान के हिजबुल्लाह मिलिशिया पर पश्चिमी सीरिया के होम्स प्रांत के अलकुसैर शहर के पास सीरियाई सेना के ठिकानों पर तोपखाने के गोले दागने का आरोप लगाया।

सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी ‘साना’ द्वारा जारी एक बयान के अनुसार जिसमें एक रक्षा सूत्र का हवाला दिया गया है, लेबनानी क्षेत्र से अलकुसायर क्षेत्र में सीरियाई सेना के ठिकानों पर पांच गोले दागे गए और सेना ने गोलाबारी के स्रोत को निशाना बनाकर जवाब दिया।

रोमानिया के आर्कबिशप ने जामेअतुल मुस्तफ़ा के प्रमुख के पत्र की सराहना करते हुए शांति के लिए साझा संदेश दिया है। उन्होंने ग़ज़्ज़ा और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष समाप्ति के लिए दुआ करते हुए शांति की भावना को बढ़ावा देने पर बल दिया है।

रोमानिया के ऑर्थोडॉक्स चर्च के आर्कबिशप ने जामेअतुल मुस्तफ़ा के प्रमुख को लिखे एक पत्र में उनके शांति संदेश की प्रशंसा की और ग़ज़्ज़ा तथा दुनिया के अन्य हिस्सों में संघर्ष समाप्ति के लिए दुआ की।

डैनियल पाट्रियार्क, रोमानिया के ऑर्थोडॉक्स चर्च के आर्कबिशप, ने जामेअतुल मुस्तफ़ा के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉ. अब्बासी को लिखे एक पत्र में उनके प्रेमपूर्ण पत्र और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद किया।

डैनियल पाट्रियार्क के पत्र का पाठ इस प्रकार हैः

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉ. अली अब्बासी

प्रमुख, जामेअतुल मुस्तफा अल-आलमिया

हम आपके द्वारा 13 जनवरी 2025 को भेजे गए पत्र के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, साथ ही शांति, खुशहाली और सेहत के लिए आपकी शुभकामनाओं के लिए भी हार्दिक धन्यवाद। हम इस अवसर का लाभ उठाते हुए, आप के लिए अल्लाह से आशा, प्रसन्नता और सभी जिम्मेदारियों में अधिक शक्ति की दुआ करते हैं।

ग़ज़्ज़ा, सीरिया, लेबनान और दुनिया के अन्य हिस्सों में हो रही दुखद घटनाओं और संघर्षों को सुनकर हम गहराई से प्रभावित हुए हैं। इस कठिन समय में, जो युद्ध और हिंसा से भरा है, हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह विश्व के राजनीतिक नेताओं के दिलों को बुद्धि और शांति की रोशनी से प्रकाशित करे ताकि युद्ध जल्दी समाप्त हों और स्थायी शांति दुनिया में वापस आए।

सादर,
डैनियल पाट्रियार्क,

रोमानिया के ऑर्थोडॉक्स चर्च के आर्कबिशप

फिलिस्तीनी नेताओं ने फ़िलिस्तीन की केंद्रीय परिषद की बैठक में फिलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख के बयानों को फ़िलिस्तीन के राष्ट्रीय हितों के विपरीत तथा आंतरिक विभाजन को बढ़ाने वाला क़रार दिया है।

बुधवार को फ़िलिस्तीन की केंद्रीय परिषद की बैठक में फिलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास ने ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के निरंतर हमलों के लिए फिलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) को ज़िम्मेदार ठहराया।

महमूद अब्बास ने हमास आंदोलन से ज़ायोनी कैदियों को सौंपने, ग़ज़ा पट्टी पर अपना नियंत्रण समाप्त करने, अपने हथियार फ़िलिस्तीनी प्रशासन को सौंपने और एक राजनीतिक पार्टी बनने का आह्वान किया।

फिलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख के बयान की वजह से फ़िलिस्तीन के आंतरिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, विशेष रूप से तब जब ग़ज़ा पट्टी पर इज़राइल द्वारा भारी बमबारी जारी हैं और युद्ध विराम के प्रयास की लगातार किए जा रहे हैं।

फ़िलिस्तीनी नेशनल असेंबली के सदस्य तैसिर अल-अली ने कुद्स टीवी से एक इन्टरव्यू में एलान किया कि केंद्रीय परिषद में महमूद अब्बास की टिप्पणी उन लोगों का अपमान है, जिन्होंने इन टिप्पणियों के बाद उनसे उम्मीद खो दी थी।

तैसरी अल-अली ने कहा: महमूद अब्बास के शब्द राष्ट्रीय एकता बनाने में बाधा बन गए हैं, क्योंकि कोई भी उन लोगों के साथ एकजुट नहीं हो सकता है जिन पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है और जिन्हें फिलिस्तीनी जनता के नुकसान के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जबकि इन नुकसानों का कारण क़ब्ज़ा करने वाले लोग हैं।

विदेश में फिलिस्तीनी पीपुल्स कांग्रेस के प्रथम डिप्टी माजिद अल-ज़ैर का भी कहना है: वर्तमान परिस्थितियों में, फिलिस्तीनी राष्ट्र को क़ब्ज़े को खत्म करने की दिशा में एकता और आंदोलन की आवश्यकता है और मतभेद को बढ़ाने वाली कोई भी आवाज़ क़ब्ज़ाधारियों के हितों के अनुरूप है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

अल-ज़ैर ने कहा: केन्द्रीय परिषद की बैठक, जो फ़िलिस्तीनी जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली है, एकता का प्रतीक होनी चाहिए, न कि मतभेदों को बढ़ाने वाली होनी चाहिए, और यही वह बात है जिसकी पिछले डेढ़ साल से फिलिस्तीन के साथ एकजुटता में खड़े राष्ट्र अपेक्षा करते हैं।

14वीं पीपुल्स कांग्रेस के सचिव उमर अस्साफ़ ने भी कुद्स टीवी से एक इन्टरव्यू में घोषणा की कि केन्द्रीय और राष्ट्रीय परिषद तथा मुक्ति संगठन और सभी स्वतंत्रता प्रेमी संगठन के सभी प्रतिनिधिमंडल ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के नरसंहार युद्ध के डेढ़ साल के दौरान पूरी तरह से अनुपस्थित थे, और राष्ट्रीय परिषद के बयान प्रतिरोध पर हमले तक ही सीमित थे और यह बैठक फिलिस्तीनियों के हितों के लिए नहीं, बल्कि विदेशी दबाव के जवाब में आयोजित की जा रही है।

फिलिस्तीनी राष्ट्रीय पहल समिति के महासचिव मुस्तफ़ा बरगूसी ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि फिलिस्तीनी केंद्रीय परिषद की बैठक में जो कुछ हुआ वह अस्वीकार्य है और बैठक के दौरान सुनाई देने वाले अनुचित बयान किसी भी तरह से फिलिस्तीनी दलों और पार्टियों की एकता में योगदान नहीं देते हैं, बल्कि आंतरिक विभाजन को बढ़ावा देते हैं।

प्रतिरोध को हथियार सौंपने के अब्बास के बयानों के जवाब में, श्री बरग़ूसी ने कहा कि स्वाभाविक रूप से, यह केवल एक ही तरीके से हो सकता है, और वह है एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी स्टेट का अस्तित्व, जबकि फ़िलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख के पास कोई शक्ति नहीं है और इज़राइल द्वारा इसे पूरी तरह से बांट दिया गया है।

पॉपुलर फ्रंट की केंद्रीय समिति के सदस्य ओसामा अल-हाज अहमद ने भी अल-कुद्स टीवी से बात करते हुए कहा: वर्तमान प्राथमिकता एक नई राष्ट्रीय परिषद का गठन करना और फिलिस्तीनी समूहों के महासचिवों की बैठक आयोजित करना, साथ ही एक राष्ट्रीय एकता सरकार का गठन करना है। 

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए ईरान ने कहा कि वह इस कायराना कृत्य की स्पष्ट एवं कड़े शब्दों में निंदा करता है। ईरानी विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराक्ची ने कहा कि ईरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में और बिना किसी झिझक के निंदा करता है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने अपने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। 

महासचिव ने इस बात पर जोर दिया है कि नागरिकों को निशाना बनाकर किये जाने वाले हमले किसी भी परिस्थिति में अस्वीकार्य हैं। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकवादी हमले से सदमे मे हैं। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। हमारा समर्थन और सहानुभूति प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता के साथ है।

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए ईरान ने कहा कि वह इस कायराना कृत्य की स्पष्ट एवं कड़े शब्दों में निंदा करता है। ईरानी विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराक्ची ने कहा कि ईरान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में और बिना किसी झिझक के निंदा करता है। उन्होंने कहा कि हमारी सहानुभूति और दुआए उन निर्दोष लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपनी जान गंवाई और उनके प्रभावित परिवारों के साथ हैं। साथ ही, उन्होंने भारत सरकार और भारतीय जनता के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। 

अफगानिस्तान ने भी पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की। काबुल में अफगान तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात का विदेश मंत्रालय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हाल ही में हुए हमले की कड़ी निंदा करता है और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है। ऐसी घटनाएं क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों को कमजोर करती हैं। 

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है और आतंकवाद के खिलाफ ढाका के कड़े रुख की पुष्टि की है। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए अपने संदेश में उन्होंने कहा, "पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में हुई जान-माल की हानि पर कृपया मेरी गहरी संवेदना स्वीकार करें।"