
رضوی
हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा की इबादत
हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा रात्री के एक पूरे चरण मे इबादत मे लीन रहती थीं। वह खड़े होकर इतनी नमाज़ें पढ़ती थीं कि उनके पैरों पर सूजन आ जाती थी।
सन् 110 हिजरी मे मृत्यु पाने वाला हसन बसरी नामक एक इतिहासकार उल्लेख करता है कि" पूरे मुस्लिम समाज मे हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा से बढ़कर कोई ज़ाहिद, (इन्द्रि निग्रेह) संयमी व तपस्वी नही है।" पैगम्बर की पुत्री संसार की समस्त स्त्रीयों के लिए एक आदर्श है।
जब वह गृह कार्यों को समाप्त कर लेती थीं तो इबादत मे लीन हो जाती थीं।
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम अपने पूर्वज इमाम हसन जो कि हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा के बड़े पुत्र हैं उनके इस कथन का उल्लेख करते हैं कि "हमारी माता हज़रत फ़ातिमा ज़हरा बृहस्पतिवार व शुक्रवार के मध्य की रात्री को प्रथम चरण से लेकर अन्तिम चरण तक इबादत करती थीं तथा जब दुआ के लिए हाथों को उठाती तो समस्त आस्तिक नर नारियों के लिए अल्लाह से दया की प्रार्थना करतीं परन्तु अपने लिए कोई दुआ नही करती थीं।
एक बार मैंने कहा कि माता जी आप दूसरों के लिए अल्लाह से दुआ करती हैं अपने लिए दुआ क्यों नही करती? उन्होंने उत्तर दिया कि प्रियः पुत्र सदैव अपने पड़ोसियों को अपने ऊपर वरीयता देनी चाहिये।"
हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा एक जाप किया करती थीं जिसमे (34) बार अल्लाहु अकबर (33) बार अलहम्दो लिल्लाह तथा (33) बार सुबहानल्लाह कहती थीं।
आपका यह जाप इस्लामिक समुदाय मे हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा
हज़रत अमीरूल मोमिनीन अ.स.आज भी ज़िन्दा हैं और हम रोज़ उनके उपदेशों नहजुल बलागा का अध्ययन करते हैं।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने कहा,जिस शख्स ने खुदा को पहचान लिया और उसकी मारिफ़त हासिल की तो वह खुद को भी पहचान लेगा और जो खुद को नहीं पहचानता तो वह अल्लाह की मारिफ़त भी हासिल नहीं कर सकता।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने मस्जिद ए आज़म क़ुम में जारी अपने दरस-ए-अख़लाक़ को शरह ए नहजुल बलागा के ख़ुत्बे को बयान करते हुए कहा, अगर हम किताब "काफी" के मवाद पर ग़ौर करें तो हमें मालूम होता है कि मासूमीन अ.स. अपने असहाब से किस तरह गुफ़्तगू करते थे।
इमाम अली अ.स. ने कभी अपने असहाब से नहीं पूछा कि उन्होंने पिछले दरस में क्या सीखा बल्कि उनसे पूछा करते थे कि उन्होंने गुज़श्ता रात को क्या देखा?
हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमुली ने कहा, अंबिया अ.स. जो चीज़ें लाए उनमें सबसे अहम बात यह थी कि इल्म का असल ज़रिया इल्म-ए-हुज़ूरी है न कि इल्म-ए-हुसूली! और इल्म-ए-हुज़ूरी की इब्तिदा (शुरुआत) मारिफ़त-ए-नफ़्स से होती है। इंसान खुद को मफ़हूम से नहीं बल्कि इल्म-ए-हुज़ूरी से जानता और पहचानता है।
उन्होंने आगे कहा,इंसान जब खुद को दरक करता है तो वह उसका हक़ीक़ी और खारजी वजूद होता है, न कि ज़ेहनी तसवीर। कभी इंसान मस्जिद या सड़क का तसव्वुर करता है और उनकी तस्वीरें ज़ेहन में लाता है, जो कि इल्म-ए-हुसूली है लेकिन कभी वह खुद इन चीज़ों को देखता है जो कि इल्म-ए-हुज़ूरी है।
इस मरजए तकलीद ने कहा,पैग़ंबर अक़्दस स.अ.व. के बाद सबसे अज़ीम आलिम हज़रत अली अ.स. थे। वे अल्लाह के इज़्न से फरमाते हैं ""ما للعالم اکبر منی"" यानी सारी दुनिया में मेरी तरह का कोई मर्द नहीं है। पैग़ंबर स.अ.व. ने फरमाया: "अली अंफुसना" यानी अली हमारा नफ़्स हैं। जो कुछ अल्लाह ने इंसानों को देना था वह सब अली अ.स. को दिया अली अ.स. आज भी ज़िंदा हैं और हम रोज़ाना उनके फरामीन नहजुल बलागा का मुताला करते हैं।
उन्होंने कहा: हज़रत अली अ.स. ने फरमाया, माल खर्च करने से कम होता है लेकिन इल्म देने से और बढ़ता है। हमें यह भी रिवायत में मिलता है कि पैग़ंबर स.अ.व. ने फरमाया,अगर मैं माल को दो बार कर्ज़ दूं तो यह सदक़ा देने से कहीं बेहतर है क्योंकि इससे लोगों की इज़्ज़त महफूज़ रहती है और वे अपने काम में मसरूफ़ रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए बुलडोज़र एक्शन पर दिशा निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने बुधवार को देश में बुलडोज़र से संपत्तियों को तोड़े जाने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने बुधवार को देश में बुलडोज़र से संपत्तियों को तोड़े जाने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा है कि किसी व्यक्ति के घर या संपत्ति को सिर्फ़ इसलिए तोड़ दिया जाना कि उस पर अपराध के आरोप हैं, क़ानून और शासन के ख़िलाफ़ है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये दिशा-निर्देश घरों को बुलडोज़र से तोड़े जाने के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए हैं।
जस्टिस गवई ने कहा,एक आम नागरिक के लिए घर बनाना कई सालों की मेहनत सपनों और महत्वाकांक्षाओं का नतीजा होता है।
कई राज्यों में ऐसे लोगों के घरों को तोड़ा है, जिन पर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का शक़ था यह कानून के अनुसार सही नही हैं।
अपना आदेश सुनाते हुए जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ''हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर कार्यपालिका मनमाने ढंग से किसी नागरिक के घर को केवल इस आधार पर तोड़ देती है कि वह किसी अपराध का अभियुक्त है तो कार्यपालिका क़ानून के शासन के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ कार्य करती है।
अगर कार्यपालिका न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए किसी नागरिक पर केवल अभियुक्त होने के आधार पर विध्वंस का दंड लगाती है तो यह शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत का भी उल्लंघन है।
मुस्लिम युवाओं को इस्लामी शिक्षाओं और तकनीक में आगे होना चाहिए।
मलेशिया के प्रधान मंत्री ने कहा आज के दौर में इल्म ज़रूरी है और मुस्लिम युवाओं को इस्लामी शिक्षाओं और तकनीकी कौशल से लैस होना चाहिए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मलेशियाई प्रधान मंत्री अनवर इब्राहिम ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में इस्लामी मूल्यों को शामिल करने के लिए मुस्लिम युवाओं को इस्लामी शिक्षाओं और तकनीकी कौशल से लैस होने पर ज़ोर दिया।
मिस्र में अलअजहर विश्वविद्यालय में एक सार्वजनिक भाषण में अनवर इब्राहिम ने नैतिक एआई समाधान विकसित करने में छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए टेक्नोलॉजी शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक ज्ञान की आवश्यकता पर जोर दिया।
अनवर ने कहा,आज के दौर में इल्म ज़रूरी है और मुस्लिम युवाओं को इस्लामी शिक्षाओं और तकनीकी कौशल से लैस होना चाहिए।
प्रधान मंत्री ने छात्रों को इन क्षेत्रों में प्रगति के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने के साथ इस्लामी अध्ययन, चिकित्सा और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले मलेशियाई लोगों के लिए माली सहायता और छात्रवृत्ति में वृद्धि की भी घोषणा की हैं।
मलेशिया के प्रधान मंत्री ने कहा कि कुरान और अरबी कौशल को बनाए रखते हुए इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य कौशल सीखने की ज़रूरत हैं।
दुश्मनों की बर्बरता से प्रतिरोध पराजित नहीं होगा। लेबनानी सांसद
लेबनान की संसद के सदस्य अली अम्मार ने कहा है कि अगर इसराइली दुश्मन यह सोच रहे हैं कि वे अपनी बर्बरता से प्रतिरोध के संकल्प को कमज़ोर कर देंगे तो यह उनकी भूल है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, लेबनानी संसद सदस्य अली अम्मार ने कल संसद में भाषण देते हुए कहा कि अगर इसराइली दुश्मन यह सोच रहे हैं कि वह अपनी बर्बरता और क्रूरता से प्रतिरोध के संकल्प को कमजोर और धीमा कर देंगे तो हम उन्हें बताते हैं कि यह उनकी भूल है और दुश्मन को पराजय का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने दाहिया दक्षिण और बेकाअ के जनता के धैर्य और स्थिरता को सलाम पेश करते हुए कहा कि दाहिया दक्षिण और बेकाअ के लोगों ने वास्तव में हमें धैर्य और संकल्प का पाठ सिखाया है।
अली अम्मार ने बेघर लेबनानियों को शरण देने वाले सभी लेबनानियों की सराहना भी की हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति उर्दगान का इजरायल से सभी रिश्ते तोड़ने का ऐलान
गाजा युद्ध में इजराइल के नरसंहार पर बढ़ते जनाक्रोश के बीच तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब उर्दगान ने इजराइल के साथ सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है, साथ ही इजराइल को हथियारों की खेप रोकने के लिए एक औपचारिक पत्र भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को सौंपा है।
तुर्की के राष्ट्रपति ने सऊदी अरब और आज़रबाइजान के दौरे के बाद अपने विमान में पत्रकारों के साथ इंटरव्यू मे ''उर्दगान के नेतृत्व में तुर्की गणराज्य की सरकार इज़राइल के साथ संबंध ना तो जारी रखेगी और ना ही स्थापित करेंगी और हम भविष्य में भी इस स्थिति को बनाए रखेंगे। तुर्की इजरायली प्रधान मंत्री नेतन्याहू को गाजा में उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए हर संभव प्रयास करेगा, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने नरसंहार के रूप में वर्णित किया है।
हालाँकि, इस साल मई में इज़राइल पर व्यापार प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद, तुर्की ने इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखा है, जबकि इज़राइल ने क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए पिछले साल अंकारा में अपना दूतावास खाली कर दिया था नवंबर की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र में तुर्की के हथियार प्रतिबंध पहल के लिए समर्थन, जिसका उद्देश्य इस पहल के संबंध में इजरायल को हथियारों और गोला-बारूद के हस्तांतरण को रोकना था इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को प्रस्तुत किया गया है और रियाज़ में शिखर सम्मेलन के दौरान इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए अरब लीग के सभी संगठनों और सदस्यों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया है।
अमीरुल मोमेनीन की विलायत अज़ीम नेमत है: आयतुल्लाह बशीर नजफ़ी
आयतुल्लाहिल उज्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने नजफ अशरफ में अपने केंद्रीय कार्यालय में हशद अल-शाबी के एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उन्हें संबोधित किया और इराक की स्वतंत्रता और सुरक्षा में हशद अल-शाबी के काम की प्रशंसा की।
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने नजफ़ अशरफ में अपने केंद्रीय कार्यालय में हशद अल-शाबी के एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उनसे इराक की स्वतंत्रता और सुरक्षा में हशद अल-शाबी की भूमिका के बारे में बात की।
आयतुल्लाहिल उज़्मा बशीर नजफी ने प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए कहा कि आतंकवादी संगठनों से इराक की आजादी में शहीद मौलिक बलिदान हैं, और उनके पवित्र रक्त के बिना जीत संभव नहीं होती।
उन्होंने हशद अल-शाबी के मुजाहिदीन के कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि ये बहादुर लोग मुस्लिम उम्माह, सच्चे मोहम्मदी इस्लाम, इराक की रक्षा और तीर्थस्थलों और पवित्र अधिकारियों की सुरक्षा के लिए महान बलिदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हशद अल-शाबी के मुजाहिदीन ने शहीदों और घायलों के खून सहित महान मूल्यों की रक्षा में अद्वितीय सेवाएं दी हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहीदों और घायलों के परिवारों की भौतिक और नैतिक जरूरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए और यह सिलसिला जारी रहना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़्मा बशीर नजफ़ी ने अहले-बेत (अ) की शिक्षाओं और सलाह का उल्लेख किया और कहा कि हमें अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए और सही कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि समाज में सुधार हो सके। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि माता-पिता, विशेष रूप से माताओं को, अपने बच्चों के विकास में अमीर अल-मोमिनीन की महानता को उजागर करना चाहिए, क्योंकि अमीर अल-मोमिनीन की विलायत एक अज़ीम नेमत है।
हज़रत फातिमा ज़हरा की जिंदगी इस्लाम की हक्कानीयत पर सबूत
हौज़ा ए इल्मिया के संचार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ने कहा,
हौज़ा ए इल्मिया में प्रतिरोधी मोर्चे के समर्थन और सहायता के लिए बेहतरीन क्षमता और योग्यता मौजूद हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हौज़ा इल्मिया के संचार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मुफीद हुसैनी कोहसारी ने केंद्र प्रबंधन हौज़ा इल्मिया के स्टाफ यूनिट के निदेशकों के साथ एक बैठक में बातचीत करते हुए कहा: मौजूदा परिस्थितियों और प्रतिरोधी मोर्चे की आवश्यकताओं को देखते हुए, हौज़ा इल्मिया के अधिकारियों ने निर्णय लिया है कि हौज़ा इल्मिया भी जनता के साथ मिलकर पूरी तरह से इस क्षेत्र में प्रवेश करे ताकि प्रतिरोधी मोर्चे को और मजबूत बनाया जा सके और उनकी सहायता के लिए संगठित नेटवर्क और गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके।
अपनी बातचीत के दौरान उन्होंने शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की कुछ विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा,शहीद की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह थी कि वे दो विपरीत चीजों को एक साथ लाने की क्षमता रखते थे यह विशेषता समाज और हौज़ा इल्मिया के लिए एक उदाहरण हो सकती है।
हौज़ा इल्मिया के संचार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ने आगे कहा, शहीद सैयद हसन नसरल्लाह ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण, शिया और इस्लामी उम्मत के समर्थन क्रांतिकारी भावना और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय हितों और बौद्धिक व व्यावहारिक कार्यों के बीच संतुलन स्थापित किया और इन सभी द्वंद्वात्मक मामलों में सफलता से निपटे।
उन्होंने आगे कहा,सभी धर्मों के विद्वानों ने उन्हें अपने नेता के रूप में स्वीकार किया क्योंकि वे हमेशा सभी धर्मों के विद्वानों के बीच एकता और सामंजस्य स्थापित करने में सफल रहे।
हुज्जतुल इस्लाम कोहसारी ने शहीद सैयद हसन नसरल्लाह को आध्यात्मिकता के लिए एक पाठशाला करार देते हुए कहा,उनकी शख्सियत और विशेषताएं अंतरराष्ट्रीय हौज़ा के लिए एक आदर्श हो सकती हैं और उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सरकार की बुलडोज़र नीति पर लगाई रोक
बुलडोज़र न्याय के नाम पर जारी भाजपा सरकार की मनमानी पर सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा दी है। देश में बुलडोजर एक्शन विवादों से घिरा रहा है। कई मानव अधिकार संगठन और विपक्षी पार्टियां इसका लंबे समय से विरोध करती आई हैं। अब इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश जारी किए हैं और मनमाने तरीके से चलाए जाने वाले बुलडोजर पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने बुलडोजर कार्रवाई पर फैसला देते हुए कहा कि कानून यह सुनिश्चित करने के लिए है कि लोगों को पता हो कि उनकी संपत्ति मनमाने ढंग से नहीं छीनी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर किसी का सपना होता है कि उसका घर कभी न छिने, हमारे सामने सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका किसी ऐसे शख्स का आश्रय छीन सकती है जिस पर अपराध का आरोप है?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले और मनमाने तरीके से काम करने वाले सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
सकारात्मक और प्रभावी संदेश की पहुँच बुद्धिमानी के साथ होनी चाहिए।
हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने कहा, विभिन्न पहलुओं में जिहादी और सेवामूलक गतिविधियों की जड़ें आध्यात्मिकता और हौज़ा के इतिहास और पहचान में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने मदरसा इल्मिया मअसूमिया में "सामान ए जिहादग़राने हौज़वी" यानी "हौज़ा इल्मिया के वॉलंटियर्स छात्रों की सेवामूलक प्रणाली" के नाम से आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में पूरे देश के जिहादी छात्रों को आध्यात्मिकता और हौज़ा इल्मिया का गौरव करार दिया और कहा जिहादी गतिविधियों का क्षेत्र एक नया और रचनात्मक मैदान समझा जाता है।
उन्होंने कहा, इतिहास में हमारे नेक पूर्वजों, बुजुर्गों और विद्वानों की एक बड़ी संख्या विशेष रूप से वे जो सामाजिक गतिविधियों में संलग्न थे, हमेशा लोगों की सेवा से जुड़े रहे हैं और यह आध्यात्मिकता के लिए बेहद गर्व की बात है।सकारात्मक और प्रभावी संदेश का संप्रेषण समझदारी और उचित सलीके के साथ होना चाहिए।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा, हौज़ा इल्मिया ने विभिन्न स्तरों पर अपने वरिष्ठ विद्वानों की जिहादी और सेवामूलक कार्यों में प्रमुख भूमिका देखी है। हाल के वर्षों में विशेष रूप से कोरोना काल बाढ़ और भूकंप के दौरान आध्यात्मिकता की ओर से जिहादी और सेवामूलक कार्यों में अनुशासन का बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला जिसने मानो इस क्षेत्र में एक नया अध्याय खोला हैं।
उन्होंने आगे कहा, असली धन्यवाद उन जिहादी छात्रों का किया जाना चाहिए जो किसी भी स्तर पर कार्यक्षेत्र में मौजूद रहते हैं।
हौज़ा इल्मिया के संरक्षक ने कहा, हमारी कोशिश होनी चाहिए कि इन समूहों और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय लोगों से जिहादी और सेवा आधारित जन गतिविधियों का उत्साह कभी खत्म न हो।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा ,सकारात्मक और प्रभावी संदेश का संप्रेषण आवश्यक है लेकिन यह समझदारी और उचित सलीके के साथ होना चाहिए।
उन्होंने कहा हमने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे के दौरान देखा कि विद्वान एक तरफ जुझारू भावना के साथ लोगों की सेवा के लिए मैदान में मौजूद थे और दूसरी ओर धार्मिक और नैतिक संदेशों को भी बड़ी समझदारी और उपयुक्त अंदाज़ में श्रोताओं तक पहुँचा रहे थे जो कि सराहनीय है।