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पाकिस्तान के क्वेटा में बम धमाके पर ईरान ने दुःख जताया है ईरानी सरकार ने इस घटना की निंदा करते हुए पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जनाब इस्माइल बकाई ने पाकिस्तानी शहर क्वेटा के रेलवे स्टेशन पर आज सुबह हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है।

उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आतंकवादी कार्रवाइयाँ सभी अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हैं, जिन्हें किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता हैं।

ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आतंकवाद और अतिवाद के खिलाफ देश की सैद्धांतिक नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इस निंदनीय प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए द्विपक्षीय और क्षेत्रीय स्तर पर सभी देशों के बीच सामंजस्य और आपसी सहयोग को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहन समन्वय और मज़बूत सहयोग के लिए ईरान की तत्परता पर भी जोर दिया हैं।

भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने एक बार फिर मुस्लिम समाज को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस और विपक्ष के चुनावी वादों के अनुसार हम मुसलमानों को आरक्षण नहीं लेने देंगे।

भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है, लेकिन जब तक भारतीय जनता पार्टी है, यह नहीं होने दिया जाएगा।

शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलमा के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी।

 उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है, लेकिन जब तक भारतीय जनता पार्टी है, यह नहीं होने दिया जाएगा।

हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने छात्रों को अख़्लाक़ का सबक देते हुए कहा, चार अक्षर पढ़ लेने के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है ज्ञान की कुंजी अल्लाह तआला के हाथ में है और पैगंबर और अहेलबैत अलैहिस्सलाम के पास है हमें इस मामले में विनम्रता से काम लेना चाहिए।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जाफर सुब्हानी ने इमाम सादिक़ अ.स. इंस्टीट्यूट परदेसान में छात्रों और उनके परिवारों को अख़ुलाक़ के पाठ में नसीहत करते हुए कहा, खुदावंद मुतआल ने फरमाया है,"

لا تُصَعِّرْ خَدَّکَ لِلنَّاسِ وَ لا تَمْشِ فِی الْأَرْضِ مَرَحاً إِنَّ اللهَ لا یُحِبُّ کُلَّ مُخْتالٍ فَخُورٍ"

यानी लोगों से घमंड और अहंकार से अपना चेहरा न फेरो और ज़मीन पर घमंड से मत चलो अल्लाह किसी घमंडी और खुदपसंद इंसान को पसंद नहीं करता। (सूरह लुक़मान: आयत 18)

उन्होंने कहा,खुशनसीब हैं वे लोग जो अपने आपको बुरे अख़लाक़ से पाक करते हैं।

आयतुल्लाह सुब्हानी ने आगे कहा,घमंड भी उन्हीं बुरे अख़लाक़ में से एक है। घमंड 'बाब तफअुल' से स्वीकार्यता के अर्थ में है यानी जब इंसान इस हद तक खुद को गिरा देता है कि वह अपनी श्रेष्ठता की खोज को अपनी आदत बना लेता है और यह अवस्था उसकी पहचान में गहरी पैठ बना लेती है और चार अक्षर पढ़कर यह न सोचें कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है।

उन्होंने आगे कहा,घमंडी इंसान अपनी श्रेष्ठता जताने के लिए दो तरह से ज़ुल्म करता है एक खुद पर और दूसरा दूसरों पर क्योंकि वह दूसरों को कमतर समझता है।

आयतुल्लाह सुब्हानी ने कहा,हज़रत लुक़मान ने अपने बेटे को नसीहत की कि 'ऐ बेटे, लोगों से घमंड और अहंकार से अपना चेहरा न फेरो और कभी भी ज़मीन पर घमंड से मत चलो।

हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने छात्रों को अख़्लाक़ का सबक देते हुए कहा, चार अक्षर पढ़ लेने के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है ज्ञान की कुंजी अल्लाह तआला के हाथ में है और पैगंबर और अहेलबैत अलैहिस्सलाम के पास है हमें इस मामले में विनम्रता से काम लेना चाहिए।

 

 

 

 

क़तर ने खुल कर इस्राईल और अमेरिका के हित में क़दम उठाते हुए फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के अग्रणी दल हमास के नेताओं को अपना देश छोड़ने के आदेश दिए हैं। 

ग़ज़्ज़ा में जारी जनसंहार के बीच क़तर ने फिलिस्तीन को ज़ोर का झटका दिया है।  बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि कतर ने अमेरिका के कहने पर लगभग 10 दिन पहले हमास से कहा था कि उसे दोहा में अपना राजनयिक कार्यालय बंद करना होगा। कतर 2012 से दोहा में हमास के अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है। 

कतर ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि उसने हमास के अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है, लेकिन कतर के अधिकारियों ने पिछले साल के दौरान बार-बार कहा था कि वह फिलिस्तीनी नेताओं को निकालने के लिए तैयार हैं और ऐसा तभी करेंगे जब वाशिंगटन इसके लिए औपचारिक रूप से कहेगा। 

 

ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने तेहरान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन,मकतब ए नसरुल्लाह" को संबोधित करते हुए कहा कि उलेमा और इस्लामी विद्वानों को चाहिए कि वह उम्मत ए मुसलिमा का मार्गदर्शन करें और प्रतिरोध के मार्ग में आने वाली रुकावटों को दूर करने में अपनी भूमिका निभाएं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने तेहरान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन "मकतब-ए-नसरुल्लाह" में अपने संबोधन के दौरान कहा कि प्रतिरोधी ने इज़राईल राज्य की सुरक्षा को चुनौती दी है और अब यह राज्य अपनी बचे रहने की लड़ाई में व्यस्त है।

उन्होंने उलेमा और इस्लामी विद्वानों पर जोर दिया कि वह उम्मत-ए-मुसलिमा का मार्गदर्शन करें और प्रतिरोध के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में अपनी भूमिका निभाएं।

आयतुल्लाह आराफी ने आगे कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह उम्मत ए मुसिलिमा की एकता शिया-सुन्नी एकजुटता और फिलिस्तीन की आज़ादी के प्रतीक हैं।

उन्होंने कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह ने व्यक्तिगत हितों को परे रखकर इस्लाम के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास किए हैं और विभिन्न धर्मों के साथ भी दोस्ताना संबंध स्थापित किए हैं।

आयतुल्लाह आराफी ने कहा कि ज़ायोनी राज्य जो पहले हमेशा आक्रामकता का प्रतीक रहा है अब प्रतिरोध के परिणामस्वरूप अपने बचाव के लिए मजबूर हो गया है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस राज्य की वे नींव, जो कभी मजबूत समझी जाती थीं, अब कमजोर हो चुकी हैं और इसका चेहरा वैश्विक स्तर पर एक कब्जा करने वाली और आतंकवादी राज्य के रूप में उजागर हो चुका है।

उन्होंने इस्लामी देशों की सरकारों से मांग की कि वे ज़ायोनी राज्य के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को समाप्त करें।

उनका कहना था कि आज इस्लामी प्रतिरोध ने नई पीढ़ियों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं और इसका प्रभाव भविष्य की प्रतिरोधी नेतृत्व में भी देखा जाएगा।

आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक मीडिया कलाकार और साहित्यकार प्रतिरोध को अपनी पहली प्राथमिकता बनाएं और इस्लामी उम्मत से अपील की कि वे अपने संसाधनों का उपयोग इस्लाम की श्रेष्ठता और ज़ायोनी दुश्मन की हार के लिए करें।

इराकी राष्ट्रीय गठबंधन के प्रमुख,हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने इराक में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि मोहम्मद अलहसन से मुलाकात की और ग़ाज़ा और लेबनान में युद्धविराम पर ज़ोर दिया।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इराकी राष्ट्रीय गठबंधन के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने इराक में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि मोहम्मद अलहसन से मुलाकात की।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मिशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इराक राजनीतिक सुरक्षा और सामाजिक स्तर पर अभूतपूर्व स्थिरता की ओर बढ़ रहा है और क्षेत्रीय स्तर पर अपनी भूमिका को फिर से उजागर करने की आवश्यकता पर जोर दे रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने इराक के विकास में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका को सहायक बताते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में इराक में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं जिनके प्रभाव अब जनता तक पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इराकी राजनीति अब राष्ट्रवादी रुख अपना चुकी है और मतभेद जातीय या सांप्रदायिक आधार से हटकर केवल राजनीतिक क्षेत्र तक सीमित रह गए हैं।

हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा स्थिरता को स्थायी शांति में बदलने के लिए सामूहिक प्रयास जारी रहने चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि इराक को क्षेत्रीय स्थिरता के महत्व को साबित करने के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय भूमिका को फिर से हासिल करना होगा।

उन्होंने मरजा ए आला आयतुल्लाह सीस्तानी के हालिया बयान को इराक और क्षेत्र के मुद्दों के समाधान का रोडमैप बताया और इसके सभी बिंदुओं के समर्थन पर जोर दिया।

हुज्जतुल इस्लाम सैयद अम्मार हकीम ने क्षेत्र की स्थिति पर कहा कि युद्ध की तीव्रता से बचते हुए ग़ज़ा और लेबनान में तुरंत युद्धविराम, बेघर लोगों की मदद और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

 

 

 

 

 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रज़ाई ने कहा,इज़राईल के पास ताकत तो है लेकिन वह जनता की ईमानी शक्ति के सामने कुछ भी नहीं कर सकता।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,ईरान के शहर बलवर्द के इमाम ए जुमाआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रज़ाई ने जुमआ के खुत्बे में सैयद हसन नसरुल्लाह और सरदार अब्बास नीलफरोशन के चहल्लुम के मौके पर कहा, हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम मालिक अश्तर के बारे में फरमाते हैं,अगर वह पहाड़ होते तो एकता और मजबूती का प्रतीक होते।

उन्होंने कहा,दाइश के मुकाबले में बहुत से लोग हारकर किनारे हो गए मगर सैयद हसन नसरुल्लाह हाजी क़ासिम के साथ मजबूती से खड़े रहे।

वह महान अरब थे लेकिन हमेशा खुद को हाजी क़ासिम की तरह विलायत का सिपाही समझते थे। उन्हें धमकियां मिलीं मगर उनका जवाब था 'हैयात मिन्ना ज़िल्ला' यानी हम कभी अपमान को स्वीकार नहीं करेंगे।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रज़ाई ने हज़रत ज़ैनब स.ल. के जन्मदिवस और नर्स दिवस के मौके पर कहा,नर्सिंग केवल अस्पताल तक सीमित नहीं है।

हज़रत रसूल अल्लाह स.ल. ने फरमाया जो किसी बीमार की आवश्यकता पूरी करे वह ऐसा है जैसे उसके सभी गुनाह माफ कर दिए जाएं। जो व्यक्ति किसी बीमार की मदद के लिए प्रयास करता है। चाहे उसकी ज़रूरत पूरी हो या न हो वह उन गुनाहों से ऐसे पवित्र हो जाता है जैसे उस दिन जब उसकी मां ने उसे जन्म दिया था।

उन्होंने आगे कहा,इसी तरह माता पिता की सेवा का वचन भी इंसानियत से लिया गया है जब माता-पिता बूढ़े या बीमार हों तो उनका सम्मान करो क्योंकि अल्लाह की रज़ा माता पिता की रज़ा में है।

नाइजीरिया में होने वाले पारा टेबल टेनिस के अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में ईरानी खिलाड़ी ने कांस्य पदक जीत लिया।

नाइजीरिया में पारा टेबल टेनिस का अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबला इस देश के लागोस शहर में 7 नवंबर से आरंभ हो चुका है जो 10 नवंबर तक चलेगा।

समाचार एजेन्सी इर्ना के हवाले से बताया है कि ईरानी खिलाड़ी मोहम्मद इरफ़ान ग़ुलामी ने सेमीफ़ाइनल में कांस्य पदक जीत लिया।

भारत की शिया उलेमा असेंबली ने इस असेंबली के वरिष्ठ सदस्य मौलाना मुमताज अली की दुखद मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए एक शोक संदेश जारी किया है।शिया उलमा असेंबली इंडिया द्वारा जारी शोक संदेश का पाठ निम्नलिखित है।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन

मैं अल्लाह की बारगाह  में दुआ हूं कि दिवंगत मौलाना शेख मुमताज अली के दरजात आली हो।

हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन मौलाना शेख मुमताज अली आलल्लाह मकामा (मजलिस खास, शिया उलमा असेंबली के सदस्य) ने दिल और दिमाग को दुखद छंद के साथ छोड़ दिया है।

यह मरहूम व मगफ़ूर अमीरुल मोमिनीन, हज़रत अली इब्न अबी तालिब (अ) के कथन "ख़ालेतुन नासा मुखालेततन इन मुत्तुम मआहा बको अलैकुम, व इन इशतुम हन्नो इलेकुम" का एक व्यावहारिक उदाहरण था।जब तक जीवित रहे, लोग उनकी अच्छी वाणी, ईमानदारी और प्रेम, दयालुता और नम्रता, सेवा भावना, सौम्य स्वभाव और सादगी जैसे गुणों के कारण उनसे मिलने को तरसते रहे।

अफ़सोस, ऐसे सर्वांगीण व्यक्तित्व का अचानक निधन हो गया और उनके मित्रों और भक्तों की विस्तृत मंडली निरंतर दुःख में डूबी रही।

शिया उलमा असेंबली मृतकों के परिवारों, शिक्षकों, दोस्तों, विद्वानों और भक्तों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती है।

मैं अल्लाह तआला से दुआ करता हूं कि वह मृतक को एक महान और ऊंचा दर्जा दे और शोक संतप्त को धैर्य और एक बड़ा इनाम दे, आमीन।

सैयद मुहम्मद अस्करी शिया उलमा असेंबली, भारत

 

 

 

 

 

पाकिस्तान में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर एक संदिग्ध आत्मघाती बम विस्फोट के बाद कम से कम 24 लोग मारे गए हैं जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए हैं

एक रिपोर्ट के अनुसार ,पाकिस्तान में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर एक संदिग्ध आत्मघाती बम विस्फोट के बाद कम से कम 24 लोग मारे गए हैं जबकि 50 से अधिक अन्य घायल हो गए हैं जब यात्री पेशावर के लिए ट्रेन रवाना होने के लिए एकत्र हो रहे थे।

विस्फोट के समय रेलवे स्टेशन पर लगभग 100 लोग मौजूद थे अब तक 24 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि 50 से ज़्यादा लोग घायल हैं।

विस्फोट उस वक्त हुआ जब यात्री जफर एक्सप्रेस की रवानगी के लिए प्लेटफॉर्म पर एकत्र हुए थे। ट्रेन को क्वेटा से पेशावर के लिए प्रस्थान करना था।

घायलों को क्वेटा के सिविल अस्पताल ले जाया गया जबकि बचाव और कानून प्रवर्तन दल विस्फोट स्थल पर पहुंच गए और इलाके की घेराबंदी कर दी हैं।

बलूचिस्तान की प्रांतीय राजधानी क्वेटा के अस्पताल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

46 घायलों को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल लाया गया घायलों में से कई की हालत गंभीर है चिकित्सा अधीक्षक ने कहा हैं।

पुलिस ने कहा कि यह विस्फोट एक आत्मघाती बम विस्फोट हो सकता है क्योंकि विस्फोट उस समय हुआ जब सुबह 9 बजे पेशावर जाने वाली ट्रेन में चढ़ने के लिए बड़ी संख्या में यात्री प्लेटफार्म पर एकत्र हो रहे थे।