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हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल शेख़ नईम क़ासिम ने कहा,मैं हिज़बुल्लाह की शूरा का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया। मैं उस सैयद अब्बास मूसा का जानशीन हूँ जिन्होंने मुक़ावमत को ज़िंदा रखने की वसीयत की थी। मैं सैयद हसन नसरल्लाह का जानशीन हूँ जिन्होंने 32 साल तक इज़राईल को नाको चने चबवाए। इंशा अल्लाह, मुक़ावमत ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगी, और मैं इस मिशन के लिए अपनी जान की क़ुर्बानी देने का इरादा रखता हूँ।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल शेख़ नईम क़ासिम ने अपना पहला ख़िताब इस आयत से शुरू किया:

لَن يَضُرُّوكُمْ إِلَّا أَذًى ۖ وَإِن يُقَاتِلُوكُمْ يُوَلُّوكُمُ الْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يُنصَرُونَ.(आले इमरान 111)

उन्होंने कहा, हमने बहुत से शहीद दिए लेकिन हमें यक़ीन है कि जीत हमारी ही होगी शहीद याह्या सिनवार फ़िलिस्तीन और दुनिया के आज़ाद इंसानों के लिए बहादुरी की निशानी थे और उन्होंने अपने आख़िरी लम्हों तक संघर्ष किया।

हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल ने कहा शहीद हाशिम सफ़ी अलदीन प्रतिरोधी योद्धाओं के बारे में सोचते थे और मोर्चे के सबसे उत्कृष्ट लोगों में से एक थे जिन पर शहीद सैयद हसन नसरल्लाह बहुत भरोसा करते थे।

शेख़ नईम क़ासिम ने कहा, मैं हिज़बुल्लाह की शूरा का अत्यंत शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया मैं उस सैयद अब्बास मूसा का जानशीन हूँ जिन्होंने मुक़ावमत को ज़िंदा रखने की वसीयत की मैं सैयद हसन नसरल्लाह का जानशीन हूँ जिन्होंने 32 साल तक ईज़राईल को नाको चने चबवाए इंशा अल्लाह, मुक़ावमत ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगी, और मैं इस मिशन के लिए अपनी जान की क़ुर्बानी देने का इरादा रखता हूँ।

उन्होंने आगे कहा, सबसे पहले हम पर फ़र्ज़ था कि हम ग़ज़ा की मदद करें ताकि क्षेत्र पर नियंत्रण करने के लिए इस्राईल के ख़तरे का सामना किया जाए, जिसका आग़ाज़ ग़ाज़ा से हुआ ग़ाज़ा के लोगों का हम पर जो हक़ था वह उनकी मदद करना था, और यह एक इंसानी अरबी-इस्लामी और मज़हबी हक़ था।

हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल ने कहा, हमसे यह न पूछें कि हमने ग़ज़ा की मदद क्यों की बल्कि दूसरों से पूछें कि उन्होंने ग़ज़ा की मदद क्यों नहीं की?

दुश्मन के ख़िलाफ़ हमारी मुक़ावमत का आग़ाज़ क़ब्ज़े वाले इलाक़ों को आज़ाद कराने के मक़सद से हुआ था। हिज़बुल्लाह के बनने से पहले इस्राईल फ़िलिस्तीनी मुक़ावमत को निशाना बनाने के बहाने लेबनान में दाख़िल हुआ।

इस्राईल को अपनी जारहियत के लिए किसी बहाने की ज़रूरत नहीं है और इतिहास इसका गवाह है।

उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय संकल्पों ने इस्राईली दुश्मन को लेबनान से नहीं निकाला बल्कि मुक़ावमत ने हमेशा सियूनियों को बेइज़्ज़त किया। यह युद्ध सिर्फ़ लेबनान और ग़ज़ा के ख़िलाफ़ इस्राईल का युद्ध नहीं है, बल्कि यह अमेरिका और इस्राईल की क्षेत्र के लोगों को ख़त्म करने और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़े की वैश्विक लड़ाई है।

शेख़ नईम क़ासिम ने इज़राईल हुकूमत को मुख़ातिब करते हुए कहा, हमारी सरज़मीन से निकल जाओ वर्ना भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।

 

 

 

 

 

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने कहा,हमारी सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी यह है कि हम समाज की ईमानी, इन्क़लाबी और सांस्कृतिक पहचान की हिफ़ाज़त करें और यह वह सबसे महत्वपूर्ण काम है जिसे हम ईमानी पहचान को मज़बूत और सुरक्षित बनाकर पूरा कर सकते हैं।

एक रिपोर्टर के अनुसार,हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने आज ईरान के राष्ट्रपति के सहायक और बुनियाद ए शहीद व उमूर ए ऐसारग़रान के प्रमुख सईद औहदी और विलायत ए फक़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलवी मुक़द्दम से क़ुम में अपने दफ्तर में मुलाक़ात के दौरान कहा, हमारी सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी यह है कि हम समाज की ईमानी, इंकलाबी और मूल्य आधारित पहचान की सुरक्षा करें और यह वही सबसे महत्वपूर्ण काम है जिसे हम ईमानी पहचान को मजबूत और सुरक्षित बनाकर अंजाम दे सकते हैं।

उन्होंने कहा, शहीदों के परिवार के आत्मिक और भावनात्मक पहलुओं का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है यह वर्ग इसके लिए उचित समर्थन का पात्र है, और उन्हें समाज में सम्मान का अनुभव होना चाहिए यह हम सभी की जिम्मेदारियों में शामिल है।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने कहा,इसी तरह एक महत्वपूर्ण मुद्दा आम जनता की आर्थिक समस्याएं हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने भी इस पर जोर दिया था और सरकारें भी अपनी क्षमता अनुसार इस पर ध्यान देती रही हैं।

आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने आगे कहा, सेवा की महानता इसमें है कि हम जानें कि किसकी सेवा की जा रही है इस संदर्भ में आपका कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता रखता है क्योंकि आप उन लोगों की सेवा कर रहे हैं जिन्होंने अपने प्राण और सब कुछ कुर्बान किया और उनकी यह कुर्बानी महान उद्देश्यों के लिए थी।

क़ुम अलमुकद्देसा की यात्रा के दौरान ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की।

आज सुबह क़ुम पहुंचने पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.ल.के पवित्र हरम की ज़ियारत की और बारगाह ए करमत में दफ़न किए गए मराजे और उलमा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

उसके बाद उन्होंने कुम  में मौजूद मरायज इकराम से मुलाकात करने के लिए उनके कार्यालय तशरीफ़ लिए गए।

आज गुरुवार को सुबह हज़रत फातिमा मासूमा स.ल. की ज़ियारत करने के बाद ईरान के राष्ट्रपति ने आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी से उनके कार्यालय में मुलाकात की।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जफार सुब्हानी से मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की हैं।

आज सुबह क़ुम पहुंचने पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.ल.के पवित्र हरम की ज़ियारत की और बारगाह ए करमत में दफ़न किए गए मराजे और उलमा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

ईरान के राष्ट्रपति डां पिज़िश्कियान ने पहले आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की मुलाकात करने के बाद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से उनके  कार्यालय में मुलाकात की फिर आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी से मुलाकात की।

ईरान के प्रतिरक्षामंत्री ने कहा है कि ईरान पर हमले के दौरान कोई भी इस्राईली युद्क विमान देश की वायुसीमा में दाख़िल नहीं हुआ है।

उन्होंने उन आरोपों को रद्द कर दिया जिसमें यह कहा जा रहा है कि ईरान पर हमले के दौरान इस्राईली युद्धक विमान देश की वायुसीमा में दाख़िल हुए थे। रक्षामंत्री ने इसी प्रकार उन अफ़वाहों को भी रद्द कर दिया जिसमें यह कहा जा रहा है कि उत्तरी सीमाओं से ईरान पर हमला हुआ था।

ज़ायोनी सरकार ने तनाव में वृद्धि करने वाले कार्य के अंतर्गत 26 अक्तूबर को ईरान पर हमला किया था।

ब्रिगेडियर जनरल अज़ीज़ नसीरज़ादे ने ईरान की वायुसीमा में इस्राईली युद्धक विमानों के दाख़िल होने पर आधारित ख़बरों का खंडन करते हुए कहा कि राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र के अनुसार जब भी किसी देश की वायुसीमा का उल्लंघन होता है तो उस देश को अतिक्रमण का जवाब देने का अधिकार है।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि दुश्मन ने हमारे एअर डिफ़ेन्स सिस्टम और एफ़न्डी सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की परंतु हमारी जो सुरक्षा व पैसिव तैयारी थी उसकी वजह से कोई विशेष नुकसान नहीं पहुंचा।

प्रतिरक्षामंत्री ने इसी प्रकार देश की उत्तरी सीमाओं से हमले होने पर आधारित अफ़वाहों को भी रद्द कर दिया।

ईरान के एअर डिफ़ेन्स के जनसंपर्क विभाग ने एक बयान जारी करके एलान किया था कि ज़ायोनी सरकार ने 26 अक्तूबर को तनावजनक कार्यवाही के अंतर्गत तेहरान,ख़ूज़िस्तान और ईलाम प्रांतों में कुछ सैनिक केन्द्रों पर हमला जिसका ईरानी डिफ़ेन्स ने कामयाबी व सफ़लता के साथ मुक़ाबला किया।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद मक़ावमत शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद संगठन के नए महासचिव को लेकर कई अटकलें चल रही थीं। लेकिन आज हिज़्बुल्लाह ने नए महासचिव का चयन कर लिया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हिज़्बुल्लाह लेबनान की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शेख नईम कासिम को हिज़्बुल्लाह लेबनान का नया सचिव जनरल चुन लिया गया है।

अलजज़ीरा और अलमयादीन के अनुसार,हिज़्बुल्लाह लेबनान की केंद्रीय परिषद ने शेख नईम कासिम को संगठन के सचिव जनरल शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में चुना है।

शेख नईम कासिम कौन हैं?

शेख नईम कासिम का जन्म 1953 में लेबनान के क्षेत्र कफरफीला के एक धार्मिक परिवार में हुआ। उन्होंने धार्मिक शिक्षा मशहूर शिया आलिम ए दीन आयतुल्लाह अलउज़मा मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्ला से प्राप्त की और लेबनान की यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में बैचलर डिग्री हासिल की।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए जनरल सचिव मुस्लिम छात्र संघ के संस्थापकों में से एक हैं, जिसे 1970 के दशक में स्थापित किया गया था। वह उस समय संगठन में शामिल हुए जब संगठन के प्रमुख इमाम मूसा सदर थे।

शेख नईम कासिम 1974 से 1988 तक लेबनान की इस्लामिक धार्मिक शैक्षिक संघ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने लेबनान में अलमुस्तफा स्कूलों के सलाहकार के रूप में भी सेवाएँ दीं। बाद में शेख कासिम ने हिज़्बुल्लाह की बुनियादी गतिविधियों में भाग लिया और 1992 में हिज़्बुल्लाह के डिप्टी सचिव जनरल नियुक्त हुए।

ध्यान रहे कि शेख नईम कासिम पहले ही इजराइल की टारगेट लिस्ट में शामिल हैं जिससे हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए सचिव जनरल की शख्सियत का पता चलता है।

शेख नईम कासिम की किताब (हिज़्बुल्लाह) भी महत्वपूर्ण है।

शेख नईम कासिम की किताब "हिज़्बुल्लाह" के कई भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं और इस किताब का अध्ययन बताता है कि शेख नईम कासिम इजराइल के खिलाफ अधिक सख्त नीति अपनाने के हिमायती हैं।

पाकिस्तान के प्रसिद्ध पत्रकार हामिद मीर ने कहा कि उन्होंने यह किताब 2006 में बेरुत में पढ़ी थी और वहां उन्हें पता चला था कि सैयद हसन नसरुल्ला ने इजराइल के खिलाफ प्रतिरोध को एक रेडलाइन तक सीमित रखा है ताकि इजराइल लेबनान पर इतनी बमबारी न करे कि लेबनान का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो जाए।

शेख नईम कासिम इजराइल के खिलाफ उसी तरह के हमलों के हिमायती रहे हैं, जैसा हमला अक्टूबर 2023 में हमास ने किया था।

शेख नईम कासिम ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि दुश्मन की मजबूत सेना और एयरपावर का एकमात्र हल फिदाई हमले हैं। अगर नईम कासिम ने हिज़्बुल्लाह को उसी रास्ते पर डाल दिया जिसे उन्होंने कई साल पहले अपनी किताब में इंगित किया था, तो मध्य पूर्व का युद्ध अन्य क्षेत्रों में भी फैल सकता है। नेतन्याहू के पास एयरपावर और अमेरिकी ड्रोन हैं लेकिन शेख नईम कासिम के पास हजारों फिदाई हमलावर हैं।

जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक सैन्य विमान में सवार होकर लेबनान से 10 जॉर्डन नागरिकों को निकालने की घोषणा किया है जो लेबनानी लोगों के लिए भोजन, राहत आपूर्ति, दवा और चिकित्सा उपकरण ले गए थे।

,एक रिपोर्ट के अनुसार ,जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक सैन्य विमान में सवार होकर लेबनान से 10 जॉर्डन नागरिकों को निकालने की घोषणा किया है जो लेबनानी लोगों के लिए भोजन, राहत आपूर्ति, दवा और चिकित्सा उपकरण ले गए थे।

मंत्रालय के प्रवक्ता सुफियान कुदाह ने कहा कि लेबनान भेजे गए जॉर्डन के सहायता विमानों की संख्या 14 तक पहुंच गई है, रविवार को दो सैन्य विमान लेबनान के रफिक हरीरी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे।

मंत्रालय ने कहा कि लेबनान में जॉर्डन के नागरिकों के लिए निकासी उड़ानों की संख्या सात तक पहुंच गई है।

कुदाह ने कहा कि रॉयल जॉर्डनियन वायु सेना के विमानों से 174 जॉर्डन नागरिकों को लेबनान से निकाला गया है।

प्रवक्ता के अनुसार, अगस्त के बाद से, 3,353 जॉर्डन नागरिक क्वीन आलिया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के माध्यम से लेबनान से किंगडम लौट आए हैं, इसके अलावा जो जाबेर बॉर्डर क्रॉसिंग के माध्यम से जमीन से पहुंचे थे।

इसके अलावा, लेबनान में जॉर्डन के नागरिकों को निकालने के लिए सात उड़ानें समर्पित की गई हैं, जिससे निकाले गए नागरिकों की कुल संख्या 174 हो गई है।इन निकासी में बेरूत में जॉर्डन दूतावास में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकृत सभी लोग शामिल हैं।

 

 

 

 

 

हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि इस्राइल ने शुक्रवार की रात ईरान की हवाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन ईरानी एयर डिफेंस की समय पर कार्रवाई से इन हमलों को नाकाम कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि इस्राइल ने शुक्रवार की रात ईरान की हवाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन ईरानी एयर डिफेंस की समय पर कार्रवाई से इन हमलों को नाकाम कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।

मशहद में हौज़ा-ए-इल्मिया ख़ुरासान के सहायक सदस्यों की बैठक को संबोधित करते हुए हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने कहा कि ज़ायोनी ताकतों द्वारा दागे गए अधिकांश मिसाइलों को ईरानी एयर डिफेंस ने सफलतापूर्वक रोक लिया।

उन्होंने कहा कि अब इस मामले की जांच जारी है और इस्राइल द्वारा किए गए 86 में से अधिकतर मिसाइलों को विफल कर दिया गया है।

कुछ तत्वों की जल्दबाज़ी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोग रहबर-ए-मुअज़्ज़म की धैर्य और सहनशीलता की रणनीति को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

हुज्जतुल इस्लाम ख़यात ने स्पष्ट किया कि ईरान इस्राइल की इस गलती का उचित समय पर करारा जवाब देगा, लेकिन जनता से अपील की कि वह बेवजह दबाव न डालें।

हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने इमाम ए जुमआ काज़रून की शहादत पर दुःख व्यक्त करते हुए इस मामले की पूरी जांच की मांग की हैं।

उन्होंने ताफ़तान में आतंकवादी हमले का शिकार हुए दस सैनिक जवानों की शहादत पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस आतंकवादी हमले के जिम्मेदारों को उनके अंजाम तक पहुँचाया जाएगा ताकि दुश्मन के लिए यह एक सबक बन सके।

 

 

 

 

 

अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमलों और ज़ायोनी सेना के जनसंहार का सामना कर रहे फिलिस्तीन की हालत बहुत दयनीय है। फिलिस्तीन इन दिनों अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना के हमलों से बेहाल है। ऐसे में भारत ने फिलिस्तीन के लिए मदद भेजी है। 

 भारत ने फिलिस्तीन के लिए 30 टन मदद का जो सामान भेजा है उसमे ज्यादातर मेडिकल का सामान है। हाल ही में भारत ने वादा किया था कि वह फिलिस्तीन के लोगों की मदद करता रहेगा। ताजा मदद उसी कड़ी का हिस्सा है। 

भारत की तरफ से भेजी जा रही मदद की इस खेप में कई तरह की दवाइयां शामिल हैं। भारत का फिलिस्तीनी समर्थन का एक लंबा इतिहास रहा है। भारत ने फिलिस्तीन संकट के समाधान के लिए हमेशा ही दो-राज्य समाधान की बात की है। 

 

 

मीडिल ईस्ट के कसाई के नाम से कुख्यात नेतन्याहू की हठ फिलिस्तीन और लेबनान में लगभग 50 हज़ार लोगों की जान ले चुकी है जबकि लाखों लोग अपाहिज और बेघर हो चुके हैं।

ऐसे में हिज़्बुल्लाह ने जवाबी पलटवार तेज़ किया तो नेतन्याहू को अपनी जान का डर सताने लगा है।

ज़ायोनी रेडियो और टेलीविज़न विभाग ने खबर देते हुए कहा कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नेसेट बैठक में पूछा: यदि अभी कोई ड्रोन यहां आता है, तो हमें कहां जाना चाहिए? हम यह बैठक कहीं और क्यों नहीं करते? मुझे ड्रोन से डर लगता है।  ज़ायोनी नेता ने कहा कि हालाँकि हमारे पास मिसाइलों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए अच्छे सिस्टम हैं।

 मुझे समझ नहीं आता कि नेसेट सत्र अपने स्थायी स्थान पर ही क्यों आयोजित हो रहा है, किसी अन्य स्थान पर क्यों नहीं?

बता दें कि पिछले हफ़्ते ज़ायोनी सेना रेडियो ने शबाक के एक सूत्र के हवाले से कहा था कि कैसरिया में नेतन्याहू के घर पर हिज़्बुल्लाह ड्रोन हमले के बाद वरिष्ठ नेताओं और अधिकारीयों के लिए सुरक्षा उपाय तेज़ कर दिए गए हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, शबाक ने नेतन्याहू के परिवार की सुरक्षा के लिए भारी रकम खर्च की है, जिसकी ज़ायोनी शासन के हलकों में आलोचना हो रही है ।