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25 ज़ायोनी क़स्बों को ख़ाली करने हेतु हिज़्बुल्लाह की अभूतपूर्व मांग
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने 25 अतिग्रहित क़स्बों में रहने वाले ज़ायोनियों से मांग की है कि वे इन क़स्बों को ख़ाली कर दें।
हिज़्बुल्लाह ने एक वीडियो जारी करके कहा है कि वह 25 अतिग्रहित क़स्बों में रहने वाले ज़ायोनियों का आह्वान करता है कि वे इन क़स्बों को ख़ाली कर दें क्योंकि ये क़स्बे दुश्मन सैनिकों के इकट्ठा होने के स्थान में बदल गये हैं।
हिज़्बुल्लाह ने कहा है कि यह 25 क़स्बे प्रतिरोध के हवाई और प्रक्षेपास्त्रिक वैध लक्ष्यों में परिवर्तित हो गये हैं।
उल्लेखनीय है कि ज़ायोनी सरकार के लेबनान पर ज़मीनी हमलों के जवाब में इन हमलों के जवाब में हिज़्बुल्लाह ने 70 से अधिक ज़ायोनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है और 600 से अधिक सैनिकों व अफ़सरों को घायल कर दिया है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के जियालों ने ज़ायोनी सैनिकों से लड़ाई में 28 मिर्कावा टैंकों, 4 बुल्डोज़रों, एक बक्तरबंद वाहन, तीन हेर्मस 450 और एक हेर्मस 900 ड्रोनों को ध्वस्त कर दिया।
ज़ायोनी सैनिकों से ज़मीनी लड़ाई में हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली सफ़लता इस बात का कारण बनी है कि हिज़्बुल्लाह अपने मिसाइली हमलों में अधिक से अधिक ज़ायोनी क़स्बों पर हमले कर सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में हिज़्बुल्लाह ने अपने मिसाइलों की रेन्ज बढ़ा दी है और तेलअवीव से दूर के क्षेत्रों को भी अपने मिसाइलों से लक्ष्य बना रहा है।
यह उस हालत में है जब इससे पहले भी हिज़्बुल्लाह ने अतिग्रहित उत्तरी फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी सैनिकों के लिए हालात को बहुत कठिन बना दिया था और उसकी जवाबी कार्यवाहियां लेबनान की सीमा के निकट रहने वाले ज़ायोनियों के बेघर होने का कारण बनीं थीं।
कुछ आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि लेबनान की सीमा के निकट रहने वाले लगभग 70 प्रतिशत ज़ायोनी इन क्षेत्रों से निकल गये हैं। इस आधार पर कुछ ज़ायोनी क़स्बों के ख़ाली करने पर आधारित हिज़्बुल्लाह की मांग अभूतपूर्व है।
हिज़्बुल्लाह द्वारा ज़ायोनी क़स्बों के ख़ाली करने पर आधारित मांग इस बात की सूचक है कि हिज़्बुल्लाह अतिग्रहित ज़ायोनियों के 25 क़स्बों में अपने हमलों में वृद्धि करने का इरादा रखता है।
अपेक्षा इस बात की है कि ज़ायोनियों के अतिग्रहित क़स्बों में हिज़्बुल्लाह द्वारा हमलों में वृद्धि के बाद इन क़स्बों से और अधिक संख्या में ज़ायोनी दूसरे क्षेत्रों में विस्थापित होंगे।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और उसके वरिष्ठ कमांडरों की शहादत के बाद ज़मीन और आसमान में कामयाबी हासिल करने के लिए हिज़्बुल्लाह का मनोबल बहुत ऊंचा हो गया है।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू के आवास पर हवाई हमला और इसी प्रकार गोलानी ब्रिगेड के ठिकाने पर हमला हालिया सप्ताह में हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली कामयाबी के महत्वपूर्ण नमूने हैं।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह को शहीद किये जाने के बाद ज़ायोनी प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में नवीन व्यवस्था की बात की थी परंतु ज़मीन पर व्यापक युद्ध आरंभ हो जाने के बाद ज़ायोनी सैनिक प्रतिरोध के शूरवीरों से मुक़ाबले में नाकाम हो गये हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई शहीद सैनिकों के परिजनों से मिले
ईरान पर इस्राईल के आतंकी हमलों के बाद पूरी दुनिया की नज़र ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बयान पर टिकी थी। ईरान पर हुए आतंकी हमले के बाद सभी को ईरान के सुप्रीम लीडर बयान का इंतजार था। रविवार सुबह हमले में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों से मिलने के बाद सुप्रीम लीडर ने हमले के बारे में कहा कि इस आतंकी हमले को न तो बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाना चाहिए और न ही इसे कम करके आंकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अवैध राष्ट्र ने हमारी शक्ति का गलत आंकलन किया है। ज़िम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि वह ऐसा उपाय करें कि अवैध राष्ट्र को हमारी शक्ति अच्छी तरह अहसास हो जाए।
उन्होंने कहाकि ईरान स्थिति का गंभीरता से आंकलन कर रहा है। ग़ज़्ज़ा और लेबनान को ईरानी समर्थन को जारी रखने की बात कहते हुए सुप्रीम लीडर ने यहाँ जारी ज़ायोनी सेना के अभियान और फिलिस्तीन जनता के जनसंहार को रोकने के प्रयासों पर भी जोर दिया।
ग़ज़्ज़ा में जनसंहार जारी, ज़ायोनी सेना ने 45 लोगों की हत्या की
फिलिस्तीन में लगभग एक साल से अधिक समय से ज़ायोनी सेना की ओर से आम फिलिस्तीनी नागरिकों का जनसंहार जारी है। अब तक 45 हज़ार से अधिक बेगुनाह लोग ज़ायोनी सेना के हाथों मारे जा चुके हैं। उत्तरी ग़ज़्ज़ा की रिहायशी इमारतों पर बम बरसाते हुए एक बार फिर अवैध राष्ट्र इस्राईल ने 45 लोगों की जान ले ली है।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़ ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा में नागरिक इमारतों को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें 45 नागरिकों की जान चली गई और कई मलबे के नीचे दफन हो गए। पिछले एक साल से ग़ज़्ज़ा में मानवीय संकट अपने चरम पर पहुँच चुका है लेकिन अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
देश के अधिकारियों को लोगों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए
सुरक्षा शहीदों के परिवारों के एक समूह ने आज सुबह (रविवार) इमाम खुमैनी के हुसैनीया में इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला खामेनेई से मुलाकात की।
इस्लामी क्रांति के नेता ने आज सुबह सुरक्षा शहीदों के परिवारों के साथ एक बैठक में कहा: दो रात पहले ज़ायोनी शासन की बुराई को न तो बढ़ाया जाना चाहिए और न ही कम किया जाना चाहिए। उन्हें ईरानी राष्ट्र और देश के युवाओं की ताकत, इच्छाशक्ति और पहल को समझना चाहिए।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा: सुरक्षा के लिहाज से, समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों के दिलों मे डर और संदेह पैदा करना खारिज कर दिया गया है और कुरान इस संबंध में स्पष्ट है।
दो रात पहले ज़ायोनी शासन के बुरे कदम के संबंध में क्रांति के नेता ने कहा: बढ़ा चढ़ा कर बताना और कम करके बताना दोनों गलत हैं, ज़ायोनी शासन की गणना त्रुटि को ठीक किया जाना चाहिए, हमें उन्हें ईरानी राष्ट्र की शक्ति, क्षमता, पहल और इच्छाशक्ति का एहसास कराना चाहिए। दूसरा बिंदु इस कदम से संबंधित है, उन्होंने दो रात पहले यहां जो किया वह दुष्ट है। खैर उन्होंने गलती की, बेशक वे उसको बढ़ा चढ़ा रहे हैं जोकि गलत है, लेकिन ध्यान दें कि इसको कम करके बताना भी गलत है। हम कहते हैं: "नहीं; कुछ भी नहीं था, कोई फ़र्क नहीं पड़ता'' ये भी ग़लत है।
क्रांति के नेता ने कहा: ज़ायोनी शासन की गणना त्रुटि का समाधान किया जाना चाहिए। ईरान की तुलना में उनकी गणना में त्रुटि है। वे ईरान को नहीं जानते, वे ईरान के युवाओं को नहीं जानते, वे ईरानी राष्ट्र को नहीं जानते, वे अभी भी ईरानी राष्ट्र की ताकत, क्षमता, पहल और इच्छाशक्ति को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। हमें उन्हें यह समझाना होगा।'
उन्होंने कहा: हमारे अधिकारियों को काम की गुणवत्ता को पहचानना चाहिए और वही करना चाहिए जो इस देश और इस देश की जनता के लिए सबसे अच्छा हो। [ज़ायोनीवादियों] को अवश्य जानना चाहिए कि ईरानी राष्ट्र कौन है, ईरानी युवा कैसे हैं, यह विचार, यह प्रेरणा, यह साहस, यह तैयारी जो आज ईरानी राष्ट्र में मौजूद है, वह स्वयं एक सुरक्षा निर्माता है। हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।
आयतुल्लाह खामेनेई ने कहा: साइबर स्पेस के संबंध में निर्णय लेने वालों को समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। देश के अधिकारियों को लोगों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए। जो लोग साइबरस्पेस से जुड़े हैं उन्हें इन बातों पर ध्यान देना चाहिए, हर बात साइबरस्पेस में प्रकाशित नहीं होनी चाहिए। देखिए इसका असर क्या होता है, इसका लोगों की सोच पर, लोगों की भावना पर क्या असर होता है। जो लोग वर्चुअल स्पेस के बारे में निर्णय लेना चाहते हैं, जिसका अब अक्सर उल्लेख और चर्चा की जाती है, वे मामले के इस पहलू पर ध्यान दें, इस बात पर ध्यान दें कि साइबर स्पेस में, एक गलत विश्लेषण, एक गलत खबर, किसी मुद्दे की गलत धारणा लोगों को चिंतित, संदेह और भयभीत कर सकती है।
श्रीलंका में हसन नसरल्लाह की याद में शोक समारोह आयोजित किया
7 अक्टूबर को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता के लिए एक समारोह आयोजित किया गया इस समारोह का उद्देश्य इजरायली आक्रामकता की निंदा करना और प्रतिरोध की जज़्बो को उजागर करना है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में 7 अक्टूबर को तूफान अलअक्सा और हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता के लिए एक स्मारक समारोह आयोजित किया गया।
इस समारोह का उद्देश्य इजरायली आक्रामकता की निंदा करना और प्रतिरोध की भावना को उजागर करना था।
इस समारोह में श्रीलंका की विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों के अलावा जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया जिन्होंने फिलिस्तीनी जनता और सैयद हसन नसरल्लाह के मिशन के समर्थन में अपने विचार व्यक्त किए।
वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि शहीदों के मिशन को जारी रखना आवश्यक है और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई जानी चाहिए।
श्रीलंका की जनता ने इस अवसर पर सैयद हसन नसरल्लाह की साहस और दृढ़ता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा और उनके मिशन को दुनिया भर में फैलाया जाएगा।
साथ ही वक्ताओं ने यह संकल्प व्यक्त किया कि फिलिस्तीनी जनता का समर्थन और उनकी भूमि की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास जारी रहेंगे।
समारोह में प्रतिभागियों ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के जारी हमलों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की कड़ी आलोचना की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की कि वह फिलिस्तीनी जनता की समस्याओं पर ध्यान दे और उनकी तत्काल मदद करे।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दो टूक, वक़्फ़ संशोधन बिल मंज़ूर नहीं
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक़्फ़ संशोधन बिल को गलत बताते हुए इसका कड़ा विरोध करने का फैसला किया है। AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने वक्फ बिल को लेकर कहा है कि वह हर हाल में इस बिल का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़े, तो वो ऐसा करेंगे।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक प्रोग्राम में बोलते हुए सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि सरकार का मकसद बोर्ड के अधिकार को कम करना है। उन्होंने दावा किया कि वक्फ जायदाद पर बड़े पैमाने पर कब्जा किया गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि "हमारे लिए यह मौत और जिंदगी का मामला है और हम इसे हर हाल में रोक के रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो मुसलमान जेल को इस तरह भर देंगे कि सरकार के पास बंदियों को रखने के लिए जगह नहीं बचेगी। अगर जरूरत पड़ी तो हम अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
कीव में रूस ने सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, 6 की मौत
रूस ने यूक्रेन में शुरू किये अपने सैन्य अभियान के क्रम में कीव और सेंट्रल यूक्रेन में कई स्थानों पर हमला किय्या जिसमे 6 लोगों के मारे जाने की खबर है। कीव के स्थानीय सैन्य प्रशासन के प्रमुख ने कहा कि रूसी सेना ने रात भर में साढ़े सात घंटे तक शहर पर बमबारी की। पूरी रात हवाई हमले के सायरन बजते रहे। यूक्रेन के इस अधिकारी के अनुसार यूक्रेनी वायु रक्षा प्रणाली ने एक दर्जन रूसी ड्रोन को मार गिराया।
वहीं, यूक्रेन के मध्य क्षेत्र में हुए मिसाइल हमले में पांच लोगों के मारे जाने और कम से कम 21 लोगों के घायल होने की खबर है।
काज़रून के इमाम जुमा की शहादत पर आयतुल्लाह सईदी का शोक संदेश
उन्होंने कहा कि इमाम जुम्मा हमेशा शैक्षणिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और यहां तक कि सैन्य मोर्चों पर दुश्मन के खिलाफ साहस के साथ आगे आए हैं और मारे जाने का डर उनके संकल्प को कभी नहीं डिगा सकता है।
क़ुम के इमाम जुमा आयतुल्लाह सैयद मुहम्मद सईदी ने काज़रून के इमाम जुमा, हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद सबाही की शहादत पर शोक और बधाई का संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि इमामे जुमा हमेशा शैक्षणिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और यहां तक कि सैन्य मोर्चों पर दुश्मन के खिलाफ साहस के साथ आगे आए हैं और जीवन का डर कभी भी उनके दृढ़ संकल्प को डिगा नहीं सकता है।
संदेश का पाठ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन
कजरून के धार्मिक विद्वान इमाम जुमा हुड्जतुल इस्लाम मुहम्मद सबाही की शहादत की खबर सुनकर मुझे गहरा सदमा लगा। एक अंधे दिल और दोषी व्यक्ति के हाथों उनकी शहादत ने साबित कर दिया कि दुश्मन के व्यापक प्रचार के विपरीत, इमामे जुम्मा हमेशा बौद्धिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य मोर्चों पर दुश्मन के खिलाफ साहसपूर्वक खड़े रहे हैं। वे क्रांति के सर्वोच्च नेता के नेतृत्व में राष्ट्र को अंतर्दृष्टि और जागरूकता देने और दुश्मन की साजिशों को उजागर करने का प्रयास करते हैं।
मैं हज़रत फातिमा मासूमा की दरगाह में इस महान धार्मिक विद्वान की शहादत पर काज़रून के वफादार लोगों, उनके परिवारों और प्रियजनों के प्रति अपनी संवेदना और बधाई देता हूं।
हज़रत मासूमा के हरम के संरक्षक, और क़ुम के इमामे जुमा
सैयद मुहम्मद सईदी
आयतुल्लाह ख़ामेनेई शहीद सैनिकों के परिजनों से मिले
ईरान पर इस्राईल के आतंकी हमलों के बाद पूरी दुनिया की नज़र ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बयान पर टिकी थी। ईरान पर हुए आतंकी हमले के बाद सभी को ईरान के सुप्रीम लीडर बयान का इंतजार था। रविवार सुबह हमले में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों से मिलने के बाद सुप्रीम लीडर ने हमले के बारे में कहा कि इस आतंकी हमले को न तो बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाना चाहिए और न ही इसे कम करके आंकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अवैध राष्ट्र ने हमारी शक्ति का गलत आंकलन किया है। ज़िम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि वह ऐसा उपाय करें कि अवैध राष्ट्र को हमारी शक्ति अच्छी तरह अहसास हो जाए।
उन्होंने कहाकि ईरान स्थिति का गंभीरता से आंकलन कर रहा है। ग़ज़्ज़ा और लेबनान को ईरानी समर्थन को जारी रखने की बात कहते हुए सुप्रीम लीडर ने यहाँ जारी ज़ायोनी सेना के अभियान और फिलिस्तीन जनता के जनसंहार को रोकने के प्रयासों पर भी जोर दिया।
हिज़्बुल्लाह का दृढ़ संकल्प; युद्ध के मैदान मे निर्णय
हिज़्बुल्लाह लेबनान हमेशा से प्रतिरोध की अभिव्यक्ति रहा है। हिजबुल्लाह के नेता और कार्यकर्ता न सिर्फ दुश्मन के सामने सीसे की दीवार की तरह खड़े हैं, बल्कि हर युद्ध क्षेत्र में अपनी अनोखी रणनीति से दुश्मन को हैरान और परेशान कर रहे हैं। हाल के दिनों में लेबनानी संसद में हिज़्बुल्लाह के "वफादारी के लिए प्रतिरोध" समूह के प्रमुख मोहम्मद राद ने एक महत्वपूर्ण और निर्णायक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने अमेरिकी दूत की लेबनान यात्रा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
हिज़्बुल्लाह लेबनान हमेशा से प्रतिरोध की अभिव्यक्ति रहा है। हिज़्बुल्लाह नेता और कार्यकर्ता न केवल दुश्मन के सामने सीसे की दीवार की तरह खड़े हैं, बल्कि हर युद्ध क्षेत्र में अपनी अनोखी रणनीति से दुश्मन को हैरान और परेशान कर रहे हैं। हाल के दिनों में लेबनानी संसद में हिज़्बुल्लाह के "वफादारी के लिए प्रतिरोध" समूह के प्रमुख मोहम्मद राद ने एक महत्वपूर्ण और निर्णायक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने अमेरिकी दूत की लेबनान यात्रा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मोहम्मद राद के इस बयान ने क्षेत्र में चल रहे युद्ध की हकीकत को नए नजरिए से पेश किया है। उन्होंने कहा कि इजराइल का मौजूदा आक्रामक युद्ध सिर्फ अल-अक्सा तूफान का जवाब नहीं है, बल्कि एक बड़ी अमेरिकी-ज़ायोनी योजना का हिस्सा है। योजना का लक्ष्य पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करने के लिए गाजा से लेबनान तक सभी प्रतिरोध आंदोलनों को जड़ से उखाड़ फेंकना है; लेकिन हिज़्बुल्लाह के नेतृत्व ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि निर्णय युद्ध के मैदान पर किए जाते हैं और इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बात से आश्वस्त हो रहा है।
अपने बयान में मोहम्मद राद ने स्पष्ट रूप से कहा कि हिजबुल्लाह और उसके मुजाहिदीन के नेतृत्व ने पिछले दो हफ्तों में साबित कर दिया है कि वे ज़ायोनी दुश्मन के किसी भी आक्रमण का जवाब देने के लिए किसी भी क्षण तैयार हैं। हिज़्बुल्लाह की बहादुरी और बुद्धिमान रणनीति के आगे दुश्मन के ज़मीनी हमलों ने घुटने टेक दिए हैं। हिज़्बुल्लाह ने न केवल इन हमलों को विफल कर दिया, बल्कि ज़ायोनीवादियों को उन स्थानों पर निशाना बनाया, जिन्हें वे सुरक्षित समझते थे।
यह महत्वपूर्ण बयान ऐसे समय आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति के दूत "अमोस होचस्टीन" लेबनान सरकार के साथ युद्ध की समाप्ति पर चर्चा करने के लिए लेबनान पहुंचे; लेकिन हिजबुल्लाह की स्थिति स्पष्ट है कि जब तक दुश्मन की आक्रामकता जारी रहेगी, प्रतिरोध पूरी ताकत से जवाब देता रहेगा। युद्ध के मैदान में हिजबुल्लाह के आगे बढ़ने और ज़ायोनीवादियों के पीछे हटने ने दुश्मन को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
हिज़्बुल्लाह के जवाबी हमलों ने न केवल कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों को आतंकित किया है, बल्कि इन हमलों ने साबित कर दिया है कि प्रतिरोध फौलादी है। इजराइल के विभिन्न इलाकों पर सफलतापूर्वक हमला कर हिजबुल्लाह ने दुश्मन को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह किसी भी आक्रमण का जवाब देने में सक्षम है। हिजबुल्लाह के इन हमलों ने न सिर्फ दुश्मन के हौंसले पस्त कर दिए हैं बल्कि उनके लिए उत्तरी इलाकों में रहना एक बुरे सपने में बदल गया है।
यह युद्ध न केवल सैन्य शक्ति का युद्ध है, बल्कि संकल्प, साहस और विश्वास का भी युद्ध है। हिजबुल्लाह ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि युद्ध के मैदान पर शक्ति का संतुलन हमेशा उसके पक्ष में रहा है और रहेगा।
यही कारण है कि हिजबुल्लाह ने अपनी हथियार उत्पादन और प्रतिरोध रणनीति को मजबूत किया है, साथ ही अपनी लोकप्रिय समर्थन प्रणाली में भी सुधार किया है। इसका समर्थन लेबनान में गहरी जड़ें जमा चुका है और लोगों के दैनिक जीवन में अंतर्निहित है। उनकी ताकत इस बात में निहित है कि वे न केवल युद्ध के मैदान में अपनी ताकत दिखाते हैं बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
हाल की घटनाओं ने साबित कर दिया है कि हिजबुल्लाह का दृढ़ संकल्प न केवल अपने देश की सीमाओं की रक्षा करना है, बल्कि फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता को बहाल करना भी है। यह प्रतिबद्धता उनकी आध्यात्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक नींव पर भी आधारित है, जिसमें उनका विश्वास, एकता और मानवता की सेवा के लिए जुनून शामिल है।
इन सभी सन्दर्भों में यह स्पष्ट है कि युद्ध का मैदान तय हो चुका है। दुश्मन के सभी प्रयास, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, तब तक सफल नहीं होंगे जब तक हिजबुल्लाह का दृढ़ संकल्प, विश्वास शक्ति और जनता का समर्थन बरकरार रहेगा। यह एक ऐसी यात्रा है जो न केवल मैदान पर बल्कि दिलों में भी जारी रहती है और यही वह ताकत है जो हिजबुल्लाह को एक अजेय ताकत बनाती है।