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भारत की लेबनान को 33 टन मेडिकल सामग्री भेजने की तैयारी
ज़ायोनी सेना के हमलों से बेहाल लेबनान में तबाही और ज़ायोनी सेना की ओर से चलाये जा रहे जनसंहार के बीच भारत ने लेबनान को बड़ी राहत सामग्री भेजने का निर्णय किया है। लेबनान को भारत की ओर से शुक्रवार को मानवीय सहायता भेजी जानी शुरू हुई है। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लेबनान को भारत ने 33 टन मेडिकल सामग्री भेजने का निर्णय किया है. इसकी पहली 11 टन की खेप शुक्रवार को भेजी गई।
ज़ायोनी हमलों के बाद उपजे संकट के कारण लेबनान को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से मुकाबले के लिए सहायता प्रदान करने के लिए भारत द्वारा यह महत्वपूर्ण मदद भेजी गई है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस खेप में हृदय रोगों की दवाएं शामिल है। चिकित्सा आपूर्ति की अतिरिक्त खेप जल्द ही भेजी जाएगी, जिससे देश की तत्काल स्वास्थ्य आवश्यकताओं को प्रबंधित करने की क्षमता मजबूत होगी। शेष आपूर्ति की दूसरी और तीसरी खेप आने वाले हफ्तों में भेजे जाने की उम्मीद है।
याह्या सनवार की शहादत पर हुज्जतुल इस्लाम क़ुमी की प्रतिक्रिया
प्रमुख साज़मेने तबलीग़ात ए इस्लामी हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन क़ुमी ने हमास के सियासी दफ्तर के प्रमुख याह्या सनवार की शहादत पर अपने सोशल मीडिया पेज पर प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,प्रमुख साज़मेने तबलीग़ात ए इस्लामी
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन क़ुमी ने हमास के सियासी दफ्तर के प्रमुख याह्या सनवार की शहादत पर अपने सोशल मीडिया पेज पर प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं।
उन्होंने अपने संदेश में लिखा,ख़ुदा के मर्द अपनी जिहाद के ज़रिए दुश्मन को ज़िल्लत और शर्मिंदगी में डालते हैं और अपनी शहादत के ज़रिए इस्लाम के सम्मानित मकतब को फैलाते हैं कितनी भाग्यशाली है ऐसी ज़िंदगी और ऐसी मौत......
यह संदेश फिलिस्तीनी प्रतिरोध के एक महान नेता और हमास के सियासी दफ्तर के प्रमुख याह्या सनवार की शहादत के बाद उनकी क़ुर्बानी और जिहाद की याद में सोशल मीडिया पर जारी किया गया हैं।
याह्या सनवार की शहादत मुक़ावेमत की सच्चाई पर ईश्वरीय प्रमाण
हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा अराफ़ी ने एक बयान में फिलिस्तीनी नेता याह्या सनावार की शहादत को मोक़ावमत की सच्चाई पर ईश्वरीय प्रमाण करार दिया है और इसे इज़राईल शासन के अंत की खुशखबरी बताया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह आरफी ने एक बयान में फिलिस्तीनी नेता याह्या सनवार की शहादत को मुक़ावेमत की सच्चाई पर ईश्वरीय प्रमाण करार दिया है और इसे इज़राईल शासन के अंत की खुशखबरी बताया है।
आयतुल्लाह आराफी का पूरा संदेश इस प्रकार है:
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِیم
"وَلَا تَحْسَبَنَّ الَّذِینَ قُتِلُوا فِی سَبِیلِ اللَّهِ أَمْوَاتًا بَلْ أَحْیَاءٌ عِندَ رَبِّهِمْ یُرْزَقُونَ"
इस्लाम के सम्मानित कमांडर बहादुर और दिलेर मुजाहिद फिलिस्तीनी नेता मुक़ावेमत के महान विचारक, हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख अबू इब्राहीम याह्या सनवार की शहादत पर इस्लामी उम्मत सभी मुक़ावेमत के मुजाहिदीन और फिलिस्तीनी जनता को ताज़ियत पेश करता हूं। उनकी शहादत एक महान बलिदान और मुक़ावेमत की सच्चाई पर ईश्वरीय प्रमाण है।
यह शहीद जो वर्षों से फ़िलिस्तीन की आज़ादी की मुहिम में अग्रणी रहे इज़राईल ग़ासिब राज्य के खिलाफ लगातार संघर्ष करते रहे अपनी क़ैद के दौरान उन्होंने हमास के संगठन को और मज़बूत किया और ज़ायोनी राज्य के खिलाफ प्रभावी योजना बनाई उन्होंने अपने जीवन में तूफान अलअक़्सा जैसे गर्वित अभियानों का नेतृत्व किया, जिसने इसराइल को अपूरणीय क्षति पहुंचाई।
निश्चित रूप से यह स्पष्ट है कि दुनिया जल्द ही ज़ायोनी राज्य के पतन और इस ग़ासिब राज्य के विनाश को देखेगी। यह राज्य जो क्षेत्र और इस्लामी जगत में फितना और भ्रष्टाचार की जड़ है जल्दी ही अपने अंत तक पहुंचने वाला है। ज़ायोनी अपराधी सरकार अब अपनी विफलता और पतन की अंतिम सांसें ले रही है।
हौज़ा इल्मिया याह्या सनवार की शहादत के साथ अन्य मुक़ावेमत के कमांडरों की शहादत को भी मुक़ावेमत के मार्ग की सच्चाई पर ईश्वरीय प्रमाण और अल्लाह की मदद का स्पष्ट संकेत मानता है। अल्लाह से दुआ है कि वह सभी शहीदों को ऊंचे दर्जे अता फरमाए, जो तौहीद, इंसानियत, न्याय, सम्मान और प्रतिष्ठा के रास्ते के रौशन चिराग हैं।
अली रज़ा आराफी
प्रमुख हौज़ा इल्मिया ईरान
याह्या सानवार की शहादत पर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई का शोक संदेश
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के नेता यह्या सानवार की शहादत पर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शोक संदेश जारी किया है।
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के नेता यह्या सानवार की शहादत पर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शोक संदेश जारी किया है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
मुजाहिद हीरो कमांडर यह्या सिनवार अपने शहीद साथियों से जा मिले वह रेज़िस्टेंस और जेहाद का चमकता चेहरा थे जो फ़ौलादी इरादे के साथ ज़ालिम व हमलावर दुश्मन के मुक़ाबले में डटे रहे, युक्तिपूर्ण कोशिशों और बहादुरी से उसके मुंह पर तमांचा मारा, इस क्षेत्र के इतिहास में 7 अक्तूबर जैसा वार यादगार के तौर पर छोड़ा।
जिसकी भरपाई नामुमकिन है और उसके बाद इज़्ज़त व सरबुलंदी के साथ शहीदों के ऊंचे दर्जे की तरफ़ उड़ान भरी।
उनके जैसा इंसान जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी क़ाबिज़ व ज़ालिम दुश्मन के ख़िलाफ़ संघर्ष में बिताई उसके लिए शहादत के अलावा कोई अंजाम मुनासिब नहीं है।
उन्हें खो देना निश्चित तौर पर प्रतिरोध के मोर्चे के लिए पीड़ादायक है लेकिन शैख़ अहमद यासीन, फ़त्ही शक़ाक़ी, रन्तीसी और इस्माईल हनीया जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की शहादत के बाद इस मोर्चे की प्रगति में कोई रुकावट नहीं आयी तो सिनवार की शहादत से भी इंशाअल्लाह तनिक भी रुकावट नहीं आएगी हमास ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगा।
हम अल्लाहह की मदद और तौफ़ीक़ से हमेशा की तरह निष्ठावान मुजाहिदों और जांबाज़ों के कांधे से कांधा मिलाए खड़े रहेंगे।
मैं अपने भाई यह्या सिनवार की शहादत पर उनके परिवार, साथी मुजाहिदों और अल्लाह की राह में जेहाद करने वालों से दिली लगाव रखने वाले सभी लोगों को मुबारकबाद और उन्हें खोने पर सांत्वना पेश करता हूँ।
सलाम हो अल्लाह के नेक बंदों पर
सैयद अली ख़ामेनेई
19 अक्तूबर 2024
सिन्वार की शहादत पर ईरान के राजनीतिक और सैनिक अधिकारियों की प्रतिक्रिया
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के राजनीतिक कार्यालय के पूर्व प्रमुख शहीद यहिया सिन्वार
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के राजनीतिक कार्यालय के पूर्व प्रमुख शहीद यहिया सिन्वार की शहादत पर ईरान के उच्च राजनीतिक और सैनिक अधिकारियों ने भी प्रतिक्रिया दिखाई है और बल देकर कहा है कि प्रतिरोध का मोर्चा अपने बहादुरों की शहादत से नहीं रुकेगा।
ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अपने संदेश में यहिया सिन्वार की राह के जारी की ओर संकेत करते हुए कहा कि जिसने अपनी उम्र अतिग्रहणकारी और अत्याचारी दुश्मन से मुक़ाबले में बिताई हो, शहादत के अलावा कोई दूसरी चीज़ उसका प्रतिफ़ल नहीं हो सकती।
सर्वोच्च नेता ने अपने संदेश में कहा है कि उनको खो देना प्रतिरोध के लिए पीड़ादायक है परंतु यह प्रतिरोध शैख़ अहमद यासिन, फ़त्ही शक़्क़ाक़ी, रन्तीसी और इस्माईल हनिया जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की शहादत के बाद इस मोर्चे की प्रगति में कोई रुकावट नहीं आयी तो सिनवार की शहादत से भी इंशाअल्लाह तनिक भी रुकावट नहीं आएगी। हमास ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगा।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने भी अपने संदेश में लिखा है कि अतिक्रमण के मुक़ाबले में जेहाद और आज़ादी को उपहार में देना और ज़मीन के अस्ली मालिकों को अतिग्रहण से रिहाई दिलाना बहुत महान व उच्च लक्ष्य है जो नायकों व बहादुरों के चले जाने से नहीं रुकेगा।
ईरानी संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने भी सोशल प्लेटफ़ार्म एक्स पर लिखा कि शहीद सिन्वार ने अल्लाह से अपने अहद पर अपने पावन लहू से अमल किया। पूरे अस्तित्व से उनके संघर्ष की तस्वीरों से हज़ारों सिन्वार और नस्रुल्लाह प्रतिशित होंगे। इस बार पूरी दुनिया में।
ईरान के विदेशमंत्री अब्बास एराक़ची ने भी सोशल प्लेटफ़ार्म एक्स पर लिखा है कि यहिया सिन्वार मौत से नहीं डरते थे बल्कि ग़ज़ा में वह शहादत की खोज में थे। वह जीवन की अंतिम सांस तक लड़ते रहे। उनकी शहादत क्षेत्र में प्रतिरोध के समस्त जियालों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी चाहे वे फ़िलिस्तीनी हों या ग़ैर फ़िलिस्तीनी।
ईरान की सशस्त्र सेना के चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ मेजर जनरल बाक़िरी ने भी बल देकर कहा है कि रणक्षेत्र में यहिया सिन्वार की शहादत ने दर्शा दिया कि उनकी प्रशिक्षा व प्रशिक्षण इस्लाम धर्म की शिक्षाओं के अनुसार हुआ था और वह उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति के मार्ग में वीरगति को प्राप्त हुए।
ईरान की इस्लामी क्रांति फ़ोर्स सिपाहे पासदारान (IRGc) के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने भी अपने संदेश में लिखा है कि शहीद सिन्वार ग़ज़ा की सुरंगों में नहीं छिपे थे बल्कि वह रणक्षेत्र के केन्द्र में, ज़ायोनी सैनिकों का मुक़ाबला करते हुए, जेहाद के वस्त्र के साथ और प्रतिरोध के जियालों का मार्गदर्शन करते हुए शहीद हुए ताकि ज़ायोनी सरकार ने उनके बारे में जो झूठा प्रचार कर रखा था उसे अपमानित कर दें।
ईरान की सशस्त्र सेना के प्रमुख मेजर जनरल सैयद अब्दुर्रहीम मूसवी ने भी स्पष्ट किया कि यद्यपि रक्तपिपासु ज़ायोनी सरकार से मुक़ाबले में यहिया सिन्वार की शहादत संघर्ष और प्रतिरोध के जियालों के लिए पीड़ादायक थी परंतु उनका पावन लहू प्रतिरोध के जियालों व शूरवीरों के क्रोध की ज्वाला को और भड़का देगी।
हमास ने याह्या सिनवार की शहादत की पुष्टि
एक साल से भी अधिक समय से चल रहे ज़ायोनी सेना के जनसंहार के बीच ग़ज़्ज़ा की गलियों में प्रतिरोधी जवानों का नेतृत्व करने वाले हमास के प्रमुख शहीद याह्या सिनवार की शहादत की पुष्टि हमास ने भी कर दी है।
अल जज़ीरा के हवाले से मेहर न्यूज़ एजेंसी ने खबर देते हुए कहा है कि, हमास के राजनीतिक कार्यालय के उप प्रमुख "खलील अल-हय्या" ने इस आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख याह्या अल-सिनवार की शहादत की खबर की पुष्टि की।
खलील अल-हय्या ने कहा: फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) याह्या अल-सनवार की शहादत पर अरब और इस्लामी उम्मत के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है।
उन्होंने कहा: हम अल-अक्सा तूफान के कमांडर और हमास आंदोलन के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख कमांडर याह्या अल सिनवार की शहादत पर संवेदना व्यक्त करते हैं।
अफगानिस्तान में 2 हज़ार से ज़्यादा महिला सुरक्षा अधिकारी मौजूद
स्थानीय मीडिया ने बताया कि वर्तमान में लगभग 2,000 महिला सुरक्षा अधिकारी अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय में कार्यरत हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,स्थानीय मीडिया ने बताया कि वर्तमान में लगभग 2,000 महिला सुरक्षा अधिकारी अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय में कार्यरत हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने कहा, आंतरिक मंत्रालय के किसी भी कर्मचारी या सदस्य, विशेषकर महिला पुलिस अधिकारियों को पिछले प्रशासन में अपने कर्तव्यों के कारण किसी भी व्यक्तिगत या आधिकारिक खतरे का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ानी के अनुसार, अधिकांश महिला अधिकारी मंत्रालय के सेवा और निरीक्षण विभागों में काम करती हैं।
कुछ महीने पहले तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार ने सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई की रोकथाम पर कानून के अनुसमर्थन की घोषणा की जिसमें 35 लेखों में मनमाने और संभावित रूप से गंभीर प्रवर्तन तंत्र के साथ अफगान आबादी पर महत्वपूर्ण प्रतिबंधों का विवरण दिया गया था।
तथाकथित कानून ड्रेस कोड लागू करता है विशेष रूप से महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपने शरीर और चेहरे को ढंकने का आदेश देता है। डिक्री यह भी लागू करती है कि महिलाओं की आवाज़ सार्वजनिक रूप से नहीं सुनी जानी चाहिए, जो प्रभावी रूप से अफगान महिलाओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार से वंचित करती हैं।
आयतुल्ला बशीर हुसैन नजफ़ी से अल्लामा अबताही ने मुलाकात की
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने अपने केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में, इस्लामी गणराज्य ईरान से आए अल्लामा अबताही और उनके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
आयतुल्लाह अल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने केंद्रीय कार्यालय में अल्लामा अब्तही का उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ स्वागत किया इस मुलाक़ात में उलेमा और इस्लामिक समाज के बीच संबंधों को मजबूत करने पर ज़ोर दिया।
अतिथि प्रतिनिधिमंडल ने अल्लामा अब्तही की किताबें और उनके संगठन के प्रकाशन मरज ए आली क़द्र की ख़िदमत में प्रस्तुत किए,जो उनके सक्रिय संस्थान की बौद्धिक और शैक्षणिक सेवाओं को दर्शाता है।
मरज ए आली क़द्र ने क़ौम के निर्माण में ज्ञान और संस्कृति के महत्व को बताया और उनकी सेवाओं की सराहना की।
मरज ए आली क़द्र ने प्रतिनिधिमंडल और इस्लाम राष्ट्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए और क़यामत के दिन पैगंबर (स अ व आ व) और उनके अहलेबैत (अस) की शिफ़ाअत के लिए बारगाहे ख़ुदावन्दी में दुआ की।
इस्राईल की रक्षा के लिए अपनी सेना तैनात करेगा अमेरिका
अमेरिका के समर्थन से पिछले एक साल से अधिक समय से फिलिस्तीन ओर लेबनान में जनसंहार में लगे इस्राईल के खिलाफ प्रतिरोध के करारे प्रहार से हैरान अमेरिका अब खुद इस्राईल के बचाव के लिए मैदान में उतर आया है।
सीएनएन ने कहा है कि अमेरिकी सेना के लगभग 100 सैनिकों को THAAD मिसाइल रक्षा प्रणाली के साथ काम करने के लिए मक़बूज़ा फिलिस्तीन के क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
इससे पहले एनबीसी न्यूज चैनल ने पेंटागन के एक अधिकारी के हवाले से खबर दी थी कि वाशिंगटन अवैध राष्ट्र इस्राईल पर ईरान के जवाबी मिसाइल हमलों का मुकाबला करने के लिए मक़बूज़ा फिलिस्तीन के क्षेत्रों में THAAD रक्षा प्रणाली तैनात करने पर सहमत हो गया है।
ज़बरन युद्ध में इज़राइल सरकार की हार निश्चित है: मौलवी अब्दुर्रहमान ख़ुदाई
ईरान के शहर बानेह के इमाम ए जुमआ ने कहा,आज इज़राईल खुद को प्रतिरोध के मोर्चे के खिलाफ जंग में फंसा हुआ महसूस कर रहा हैं। इसमें कोई शक़ नहीं कि इस ज़बरन युद्ध में इज़राईल सरकार की हार निश्चित है इसलिए इस्लामी देशों को इस पर विश्वास रखते हुए ग़ाज़ा, फ़िलस्तीन और लेबनान की जनता की मदद करनी चाहिए।
एक रिपोर्टर को इंटरव्यू देते हुए, शहर बानेह के अहले सुन्नत इमाम-ए-जुमआ मौलवी अब्दुर्रहमान ख़ुदाई ने कहा,प्रतिरोधी मोर्चे के साथ युद्ध में ज़ायोनियों को आंतरिक रूप से भी तबाही का सामना करना पड़ा है।
इसलिए आज ज़ायोनी और पश्चिमी दुनिया मुसलमानों के खिलाफ व्यापक मानसिक हमले कर रही है, जिससे सभी मुसलमानों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।
शहर बानेह के इमाम-ए-जुमआ ने आगे कहा, ज़ायोनी दुश्मन ने युद्ध और सैन्य अपराधों के साथ-साथ इस्लामी दुनिया, विशेष रूप से इस्लामी गणराज्य के खिलाफ एक व्यापक मीडिया और मानसिक मोर्चा खोला हुआ है, जिसे हम इन दिनों देख रहे हैं इंशा अल्लाह, सभी क्षेत्रों में ज़ालिम इज़राईल को करारी हार मिलेगी।
मौलवी ख़ुदाई ने कहा, याद रखें कि जब भी ज़ायोनी दुश्मन देखेगा कि इस्लामी देश ग़ाज़ा लेबनान और फ़लस्तीन के लोगों से अलग-थलग हैं, तो निस्संदेह वे मैदान को अपने लिए खाली पाएंगा और यह स्पष्ट है कि यही स्थिति आज उन जगहों पर मुसलमानों के नरसंहार का कारण बन रही है।
इस अहले सुन्नत आलिम ने कहा, आज ज़ायोनी खुद को प्रतिरोधी मोर्चे के मुकाबले में बिखराव की लड़ाई में देख रहे हैं, इसलिए इस्लामी देशों को भी चाहिए कि वे जल्द से जल्द ग़ाज़ा, फ़िलस्तीन और लेबनान के मुसलमानों की पुकार का सकारात्मक जवाब दें।
मौलवी अब्दुर्रहमान ख़ुदाई ने कहा, हमें उम्मीद है कि इस्लामी दुनिया की दूरदर्शिता दुनिया की अन्य क़ौमों को जागरूक करने का कारण बनेगी और बहुत जल्द यह ज़ालिम और इंसानियत का दुश्मन ज़ायोनी राज्य धरती के पटल से गायब हो जाएगी।