
رضوی
इज़राईली हुकूमत का गुस्ताख़ाना अमल बिना जवाब के नहीं रहेगा।आयतुल्लाह अराफी
हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने इज़राइली ज़ालिम हुकूमत की ओर से मरजइयत की तौहीन की निंदा करते हुए कहा,मराजय इकराम की अज़मत मुकद्दस हैसियत किसी भी प्रकार की तौहीन मुसलमान उम्मत और दुनिया के आज़ाद इंसानों के गुस्से का तूफ़ान लेकर आएगी।
हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा अराफ़ी का मरजइयत (धर्मगुरुओं) के बचाव में और ज़ालिम, नापाक, और बच्चों के क़ातिल ज़ायोनी हुकूमत को दी गई चेतावनी पर आधारित पूरा बयान निम्नलिखित है:
وَمَا نَقَمُوا مِنْهُمْ إِلَّا أَنْ یُؤْمِنُوا بِاللَّهِ الْعَزِیزِ الْحَمِیدِ
ज़ायोनी ज़ालिम और नीच हुकूमत ने इस्लाम और शिया समुदाय के बुज़ुर्गों की खुली तौहीन करते हुए और उनकी हत्या के लिए मराजय ए अज़ाम-ए-तकलीद और फ़ी सबीलिल्लाह (अल्लाह की राह में) जिहाद करने वाले मुजाहिदीन की तस्वीरों को निशाना बनाते हुए पेश किया है इस अमल के ज़रिए उन्होंने अपनी बेहयाई की हदें पार कर दी हैं।
मराजय ए अज़ाम दामत बरकातुहुम अल्लाह के नबियों और औलियाओं के नूरानी रास्ते की सिलसिलेवार सबसे बड़ी रहनुमाई करने वाली हस्तियाँ हैं जो उम्मत-ए-इस्लामिया और इंसानियत की भलाई और हिफ़ाज़त करने वाले हैं।
उनका मुसलमान उम्मत में बेमिसाल और बुलंद मकाम है और मुसलमान उनकी हिफ़ाज़त को अपने फराइज़ में से एक समझते हैं।
मराजय ए अज़ाम और उलमाय इकराम (धर्मगुरु), ख़ास तौर पर यह दो नूरानी चेहरे, उम्मत-ए-इस्लामिया और दुनिया के आज़ाद लोगों के दिलों में बेपनाह इज़्ज़त और मकाम रखते हैं। उनकी मुकद्दस हैसियत किसी भी तौहीन का नतीजा दुनिया के आज़ाद इंसानों और मुसलमान उम्मत के शदीद ग़ुस्से की सूरत में सामने आएगा।
मक़ाम-ए-मुअज़्ज़म रहबरी आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम ख़ामेनेई और हुज़ूर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली सिस्तानी की तस्वीरों की इस तरह तौहीन करना एक खुली गुस्ताख़ी है जो इस हुकूमत के रहनुमाओं की जुनूनियत और बेवकूफ़ी को दर्शाता है और इस ग़ासिब हुकूमत की ज़वाल पतन की तरफ़ बढ़ती ज़ालिम और ग़ैरइंसानी हक़ीक़त को सामने लाता है।
हौज़ा ए इल्मिया इस गुस्ताख़ाना अमल की कड़ी मज़म्मत (निंदा) करते हुए ऐलान करता है कि ज़ायोनी आक्रामक हुकूमत का यह घिनौना अमल बे जवाब नहीं रहेगा और उम्मत ए इस्लामिया भी इस गुस्ताख़ी का जवाब दिए बिना नहीं रहेगी।
क़ुम ए मुक़द्दस, नजफ़ ए अशरफ़ और दुनिया भर के हौज़ात-ए-इल्मिया यूनिवर्सिटियाँ इल्मी इदारे और उम्मत ए इस्लामिया इस गुस्ताख़ी की कड़ी मज़म्मत करते हुए, बैनउल अक़वामी तंज़ीमों इल्मी और सक़ाफ़ती महाफिल और मुख्तलिफ़ अदीयान व मज़ाहिब मजहबी फिरकों के उलमा (धर्मगुरुओं) से पुरज़ोर मुतालबा करती हैं कि वह ऐसी घटिया हरकतों के सामने खामोश न बैठें और इल्म, अखलाक़ और रूहानियत का दिफ़ा करें।
हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख:
अली रज़ा अराफ़ी
आयतुल्लाह सिस्तानी की शान में ज़ायोनी शासन की गुस्ताख़ी
इज़राइली चैनल 14 ने हाल ही में शिया मरजा तकलीद, आयतुल्लाह सिस्तानी की एक तस्वीर प्रसारित की, जिसमें उन्हें ज़ायोनी शासन के मुमकेना टारगेट किलिंग में से एक बताया गया।
इज़राइली चैनल 14 ने हाल ही में शिया मरजा तकलीद, आयतुल्लाह सिस्तानी की एक तस्वीर प्रसारित की, जिसमें उन्हें ज़ायोनी शासन के मुमकेना टारगेट किलिंग में से एक बताया गया है।
अपनी आपराधिक नीतियों के तहत, यह निरंकुश सरकार टारगेट किलिंग के माध्यम से इस्लामिक प्रतिरोध मोर्चा के नेताओं को निशाना बनाने की योजना बना रही है, ताकि प्रतिरोध के समर्थकों के दिलों में डर पैदा किया जा सके और उन्हें लेबनान, फिलिस्तीन के लिए अपना समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर किया जा सके।
इजरायली चैनल द्वारा जारी की गई इस तस्वीर में अंसारुल्लाह यमन के नेता अब्दुल मलिक बद्र अल-दीन अल-हौसी, आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी के अलावा, लेबनान में हिजबुल्लाह के उप महासचिव राजनीतिक प्रमुख शेख नईम कासिम, हमास के कार्यालय के प्रमुख याह्या अल-सनवार, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख कमांडर जनरल इस्माइल कानी और इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता को भी ज़ायोनी सरकार की अगली टारगेट किलिंग के निशाने पर दिखाया गया है।
इस्लामिक रेजिस्टेंस फ्रंट ने भी इन ज़ायोनी साजिशों के खिलाफ अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है और घोषणा की है कि वह अपनी तैयारियों, क्षमताओं को बढ़ाकर और लोगों को सूचित करके इन बुरे इरादों के खिलाफ पूरी तरह से लड़ेगा, और अल्लाह ने चाहा तो जीत होगी।
ज़ायोनी मीडिया द्वारा आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी की हत्या को निशाना बनाने की योजना के खुलासे के बाद इराक और ईरान में उनके समर्थकों में आक्रोश की लहर फैल गई है। सोशल मीडिया पर मराज ए इकराम के समर्थन में कई संदेश जारी किए जा रहे हैं।
आइए जानें,आतंकवाद क्या है?
लखनऊ के छोटा इमामबाड़ा में "आइए जानें, आतंकवाद क्या है?शीर्षक से एक सेमिनार का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम का उद्देश्य आतंकवाद की सही परिभाषा इसके कारणों और इस्राइल द्वारा थोपे गए इस युद्ध के दौरान किस तरह से गलत धारणाएं निर्दोष लोगों को प्रभावित कर रही हैं इस पर चर्चा हुई।
इज़रायल-गाजा युद्ध के एक साल के अंतराल में, गाजा में 42,000 से अधिक निर्दोष नागरिक मारे गए हैं और इज़रायल की बमबारी में लेबनान में 2000 लोग मारे गए हैं। जिसमे बड़ी तादाद में औरतें और बच्चे शामिल हैं ।
लेकिन पश्चिमी और भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा जानबूझकर लोगों को गलत जानकारी दे रहा है। मीडिया युद्ध अपराधी इज़रायल और उसके वैश्विक सहयोगी अमेरिका का महिमामंडन कर रहा है, जबकि उसका मुख्य काम लोगों को सच बताना है। साथ ही कठपुतली मीडिया आम फिलिस्तीनियों, लेबनानी और हिज़्बुल्लाह और हमास जैसी प्रतिरोध सेनाबल को आतंकवादी बता रहा है जो कि असत्य और अस्वीकार्य है।
मीडिया द्वारा फैलाया जा रहा गलत सूचना अभियान भारतीय सरकार के कानूनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों दोनों की अवहेलना करता है इन ज्वलंत चिंताओं को संबोधित करने के लिए, बुधवार को लखनऊ के छोटा इमामबाड़ा में "आइए जानें, आतंकवाद क्या है?" शीर्षक से एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आतंकवाद की सही परिभाषा, इसके कारणों और इस्राइल द्वारा थोपे गए इस युद्ध के दौरान किस तरह से गलत धारणाएं निर्दोष लोगों को प्रभावित कर रही हैं, इस पर चर्चा करना था।
इस सेमिनार ने आतंकवाद और मीडिया में इसके गलत चित्रण के बारे में संवाद, जागरूकता और समझ के लिए एक मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम में न्याय, मानवाधिकार और कानून के शासन को बनाए रखने के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दिया गया।
कार्यक्रम में मौलाना कल्बे जव्वाद, स्वामी आनंद नारायण जी महाराज, मौलाना रज़ा हैदर, मौलाना यासूब अब्बास, मौलाना सलमान नदवी, मौलाना जहांगीर आलम कासिमी, मौलाना मुस्तफा मदनी, वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली और एडवोकेट हैदर ऐजाज़ सहित प्रमुख विद्वानों, समुदाय के नेताओं और कानूनी विशेषज्ञों ने बात की इस विषय पर उनके विचार इस प्रकार हैं।
एडवोकेट हैदर ऐजाज़: “अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इज़रायल पर गाजा में नरसंहार करने का आरोप लगाया है और फिलिस्तीन में उसके बसने को अवैध करार दिया है I
पत्रकार कुर्बान अली:दुनिया में इज़रायली आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं है संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इसकी निंदा की है। इजरायल का समर्थन करने के लिए अमेरिका का एजेंडा मानवता की हत्या करना और पश्चिम एशिया में तबाही मचाना है।
मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी, इज़राइल और अमेरिका ने फ़िलिस्तीनियों पर अत्याचार किया है और उनकी ज़मीन पर अतिक्रमण किया है। इज़रायल आतंकवाद का मुख्य स्रोत है उन्होंने हज़ारों महिलाओं और बच्चों को मार डाला है। हिज़्बुल्लाह और हमास महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानी हैं, आतंकवादी नहीं।
मौलाना यासूब अब्बास:इस्लाम का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है इस्लाम में एक निर्दोष व्यक्ति को मारना मानवता की हत्या माना जाता है और एक निर्दोष को बचाना पूरी मानवता को बचाने के समान माना जाता है। लेकिन पक्षपाती मीडिया हिजबुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्लाह को आतंकवादी बता रहा है, जबकि भारतीय समूह द्वारा इसे आतंकवादी समूह की सूची में नहीं रखा गया है।
भारत को हसन नसरल्लाह और ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी का एहसानमंद होना चाहिए, जिन्होंने इराक के तिकरित में आईएसआईएस आतंकवादी समूह से 46 भारतीय नर्सों को बचाया।
मौलाना जहांगीर आलम कासिमी: “धर्म और संप्रदायों से परे मानवता के लिए एकजुट होना समय की मांग है। जब जुल्म बढ़ता है, तो यह जुल्म करने वाले को खत्म कर देता है।
मौलाना मुस्तफा मदनी:किसी भी धर्म में आतंकवाद की कोई गुंजाइश नहीं है और इस्लाम खुद आतंकवाद की अवधारणा की निंदा करता है।
मौलाना सलमान नदवी:इस सेमिनार का मकसद लोगों को जागरूक करना है। इस मामले में शिया और सुन्नी मुसलमान एकजुट हैं फिलिस्तीन और लेबनान में जुल्म करने वालों को सज़ा मिलेगी।
उनके अलावा मौलाना मन्ज़र सादिक, मौलाना इस्तफा रज़ा, मौलाना अख्तर अब्बास, मौलाना हसनैन बाकरी, मौलाना सकलैन बाकरी और डॉ. कल्बे सिब्तैन नूरी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस कार्यक्रम के आयोजकों ने भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र को आवश्यक कदम उठाने के लिए दो ज्ञापन भी भेजे हैं। भारत सरकार को भेजे गए ज्ञापन में फिलिस्तीन के लिए अपने रुख की पुष्टि करने तथा मीडिया चैनलों को लेबनानी मिलिट्रे समूह हिजबुल्लाह और फिलिस्तीनी प्रतिरोधी बल हमास को आतंकवादी समूह के रूप में लेबल न करने की मांग की गई है।
जबकि हम इस तथ्य को जानते हैं कि भारत ने उन्हें आतंकवादी समूहों की सूची में नहीं रखा है। साथ ही शांति और भाईचारे को कायम रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कदम आगे बढ़ाएं।
संयुक्त राष्ट्र को लिखे ज्ञापन में संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया गया है कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इज़राइल के खिलाफ याचिका दायर करे तथा इस युद्ध को रोकने के लिए हस्तक्षेप करे, जिसने सबसे बड़ा मानवीय संकट पैदा किया है तथा विश्व को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर धकेल रहा है।
इस सेमिनार का आयोजन न्याय, सत्य और शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध 30 से अधिक प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा किया गया था जिसमें मजलिसे उलेमा ए हिंद, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड, शिया उलेमा असेंबली, ऐनुल हयात ट्रस्ट, इदारा इल्म ओ दानिश, एचईडब्ल्यूएस, एफएमटी, मेहदियन्स, अवधनामा आदि शामिल हैं।
हिजबुल्लाह;लेबनान से इज़राइल पर कई रॉकेट दागे
इज़रायली सेना ने कहा कि हिज़्बुल्लाह बलों ने मंगलवार को हिफा खाड़ी ऊपरी गलील और मध्य गलील की ओर लगभग 105 रॉकेट दागे और कहा कि हमले का मुकाबला करने के लिए इंटरसेप्टर तैनात किए गए हैं।
इज़रायली सेना ने कहा कि हिज़्बुल्लाह बलों ने मंगलवार को हाइफ़ा खाड़ी ऊपरी गलील और मध्य गलील की ओर लगभग 105 रॉकेट दागे और कहा कि हमले का मुकाबला करने के लिए इंटरसेप्टर तैनात किए गए है।
मैगन डेविड एडोम बचाव सेवा ने बताया कि कई लोग घायल हो गए है और उसे अस्पताल ले जाया गया हैं।
इज़रायली राज्य के स्वामित्व वाले कान टीवी समाचार के अनुसार, हाइफ़ा के उत्तर में एक शहर, किर्यत यम में, एक और रॉकेट एक आवासीय इमारत पर गिरा।
सेना ने कहा अधिकांश प्रोजेक्टाइल को इज़राइल वायु सेना हवाई रक्षा सरणी द्वारा रोक दिया गया था समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसारकई रॉकेट क्षेत्र को हिट करने में कामयाब रहे।
हिजबुल्लाह ने मंगलवार को एक बयान में पुष्टि की कि उसने गाजा में फिलीस्तीनियों का समर्थन करने के लिए दोपहर में उत्तरी इजरायली शहर हाइफा और क्रायोट क्लस्टर जिसमें हाइफा में चार छोटे शहर और दो पड़ोस शामिल हैं।
हमास ने गाज़ा सिटी में इजरायली सैनिकों की हत्या का दावा किया
हमास की सैन्य शाखा अलकसम ब्रिगेड ने घोषणा की है की उन्होंने गाजा शहर में एक हमले में कई इजरायली सैनिकों को मार डाला और घायल कर दिया हैं।
अलक़सम ब्रिगेड के एक प्रेस बयान के अनुसार, उनके सदस्यों ने एंटी कार्मिक बम के साथ दस इजरायली सैनिकों के एक समूह को सफलतापूर्वक निशाना बनाया जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में हताहत हुए।
समाचार एजेंसी ने बताया कि बयान में यह भी कहा गया है कि ब्रिगेड ने निकासी के लिए एक हेलीकॉप्टर को उतरते हुए देखा, लेकिन घटना के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी हैं।
एक अलग घोषणा में ब्रिगेड ने दावा किया कि उन्होंने गाजा शहर के उत्तर में तुवाम क्षेत्र में यासीन 105 मिसाइल से एक इजरायली बख्तरबंद कार्मिक वाहक को निशाना बनाया हैं।
इज़रायली सेना ने घटनाओं पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की हालाँकि, सार्वजनिक इज़राइली रेडियो ने बताया कि गाजा में सैन्य बलों को महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ा और घायल सैनिकों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं।
अलकसम ब्रिगेड ने यह भी कहा कि उन्होंने 114-मिमी क्षमता वाली कई राजम कम दूरी की मिसाइलों का उपयोग करके राफा शहर के पूर्व में सैन्य सभाओं और परिचालन केंद्रों के साथ-साथ इज़राइल में सेडरोट क्षेत्र को निशाना बनाया। इन मिसाइल प्रक्षेपणों से कई हताहत हुए हैं।
हज़ारों इसरायली इज़रायल छोड़ने पर मज़बूर
ग़ासिब इज़रायली अख़बार के आनुसर, प्रतिरोधी मोर्चे की ओर से मिसाइलों की बारिश के बाद हज़ारों यहूदी इसराइल से भागने की इच्छा जाहिर कि हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी अख़बार "माअरिउ" ने प्रतिरोधी संगठनों द्वारा हाल के दिनों में कब्ज़ा करने वाले इसराइल के शहरों पर बढ़ते हमलों के बाद इज़रायल में रिवर्स माइग्रेशन की दर में वृद्धि का खुलासा किया है।
अख़बार ने बताया है कि इस साल की शुरुआत से अब तक एक हज़ार से अधिक ज़ायोनी इसराइल को छोड़कर अपने मूल देशों की ओर वापस जा चुके हैं इस तरह हर महीने लगभग 2200 इज़रायली इसराइल से भाग रहे हैं।
हिब्रू अख़बार ने आगे बताया कि एक इज़रायल संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार, कब्ज़े वाले क्षेत्रों में बसे हर चौथे ज़ायोनी इसराइल छोड़कर जाना चाहते हैं।
दूसरी ओर ज़ायोनी चैनल "कान" ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तूफ़ानए अलअक़्सा" ऑपरेशन के बाद इज़रायली के बीच रिवर्स माइग्रेशन की सोच में स्पष्ट वृद्धि हुई है।
पिछले सालों की तुलना में " तूफ़ान ए अलअक़्सा के बाद अपने मूल देशों की ओर लौटने की दर में कई गुना बढ़ोतरी हुई है।
सूडान में अर्धसैनिक हमले में 20 की मौत कई घायल
गैरसरकारी सूडानी डॉक्टर्स नेटवर्क ने घोषणा किया है कि पश्चिमी सूडान में उत्तरी कोर्डोफन राज्य के एक गांव पर अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के हमले में कम से कम 20 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार,उत्तरी कोर्डोफन राज्य की राजधानी अलओबेद से लगभग 30 किमी पूर्व में अल-दममोकिया गांव पर आरएसएफ के हमले में 20 लोग मारे गए और 3 अन्य घायल हो गए है। पीड़ितों में बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं।
समाचार एजेंसी के अनुसार, नेटवर्क ने अतिरिक्त जानकारी जारी नहीं की है और आरएसएफ ने अभी तक हमले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
सूडान 15 अप्रैल, 2023 से सूडानी सशस्त्र बलों और आरएसएफ के बीच हिंसक संघर्ष में उलझा हुआ है।
मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के हालिया अनुमान के अनुसार, संघर्ष के परिणामस्वरूप लगभग 20,000 मौतें, कई हज़ार घायल और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।
मिस्र और जॉर्डन ने गाज़ा और लेबनान में जंग बंदी की आग्रह की
मिस्र और जॉर्डन ने गाज़ा और लेबनान के खिलाफ इजरायली आक्रामकता को तत्काल रोकने का आह्वान किया और संघर्षों के राजनीतिक समाधान का आग्रह किया हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलट्टी और जॉर्डन के उप प्रधान मंत्री और विदेश मामलों और प्रवासी मंत्री अयमान सफादी ने मंगलवार को काहिरा में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की हैं।
अब्देलट्टी के अनुसार, दोनों मंत्रियों ने बढ़ते क्षेत्रीय राजनीतिक और सुरक्षा संकटों के समाधान पर चर्चा की क्षेत्र को व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में जाने से रोकने के लिए संबंधित पक्षों और अन्य देशों के साथ मिस्र और जॉर्डन के संपर्कों की समीक्षा की है।
अब्देलट्टी ने कहा, चर्चा में गाजा में युद्धविराम तक पहुंचने और गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर क्रूर इजरायली आक्रामकता को रोकने के लिए अरब प्रयासों को जारी रखने के महत्व पर जोर दिया गया है।
मिस्र के राजनयिक ने कहा कि उनकी चर्चाओं में फिलिस्तीनियों को उनकी भूमि छोड़ने के लिए मजबूर करने की इजरायली नीतियों की पूर्ण और पूर्ण अस्वीकृति पर जोर दिया गया, जिससे पड़ोसी देशों की कीमत पर फिलिस्तीनी मुद्दे का खात्मा हो जाएगा।
अपनी ओर से जॉर्डन के विदेश मंत्री ने कहा कि जॉर्डन गाजा और लेबनान पर इजरायली "आक्रामकता" को समाप्त करने के लिए मिस्र के साथ काम करना जारी रखेगा।
फिलिस्तीन की रक्षा हमारी ज़िम्मेदारी है
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने पीड़ित फ़िलस्तीनी लोगों के हक़ में नारे लगाए और कहा कि ग़ाज़ा एक कैदखाने में तब्दील हो चुका है उन्होंने बैनर प्लेकार्ड और झंडे उठा रखे थे और फ़िलस्तीन के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए गुब्बारे छोड़े।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की महिलाओं ने ग़ाज़ा के मज़लूमों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा है कि फिलिस्तीन की रक्षा हमारी साझा ज़िम्मेदारी है।
इस बात का इज़हार जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के महिला विंग की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल समीना सईद ने जेआई यूथ वीमेन लाहौर के तहत आयोजित एकजुटता फिलिस्तीन रैली के दौरान किया।
उन्होंने ग़ाज़ा की जनता के धैर्य और बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि मुस्लिम शासकों की चुप्पी, उम्मत-ए-मुस्लिम की एकता पर सवाल उठाती है।
पंजाब की नाज़िमा नाज़िया तौहीद ने कहा कि लाहौर की बेटियां ख़ास तौर पर युवा, ग़ज़ा के मज़लूम मुसलमानों के दु:ख से व्यथित हैं उनका कहना था कि ग़ज़ा में मुसलमानों की स्थिति से बड़ा कोई मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं है।
लाहौर की नाज़िमा उज़मा इमरान ने कहा कि पाकिस्तानी महिलाओं ने हमेशा फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन किया है और आज भी उनके दिल फिलिस्तीनियों के लिए बेचैन हैं उन्होंने यह भी कहा कि हमें मिलकर फिलिस्तीनियों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठानी चाहिए।
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने पीड़ित फ़लस्तीनी लोगों के हक़ में नारे लगाए और कहा कि ग़ज़ा एक कैदखाने में बदल चुका है उन्होंने बैनर प्लेकार्ड और झंडे उठा रखे थे और फ़लस्तीन के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए गुब्बारे छोड़े।
यह रैली लाहौर में माताओं बहनों और बेटियों की भरपूर भागीदारी के साथ आयोजित की गई, जहां उन्होंने 20 मीटर लंबा फिलिस्तीनी झंडा थामे रखा और अपने अधिकारों के समर्थन में एकजुट आ
नुकसान के बोझ तले दबीं इजराइली बीमा कंपनियां!
ज़ायोनी शासन के सेन्टर इन्शोरेंस ने एलान किया है कि ग़ज़ा में युद्ध से इस कंपनी को 600 मिलियन डॉलर से अधिक का नुक़सान हुआ है।
ज़ायोनी शासन के केंद्रीय बीमा ने एक रिपोर्ट में एलान किया है कि ग़ज़ा के ख़िलाफ युद्ध से इस बीमा कंपनी द्वारा लगाई गई कुल लागत, मुआवजा और पेंशन 2.4 बिलियन शेकेल बराबर (640 मिलियन अमेरिकी डॉलर) थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 70 हज़ार ज़ायोनियों ने इज़राइल की केंद्रीय बीमा एजेंसी को आवेदन दिया है और दावा किया है कि वे युद्ध में घायल हुए हैं।
इस दौरान, ज़ायोनी शासन के केंद्रीय बीमा की घोषणा के अनुसार, अब तक 12 हज़ार 500 से अधिक ज़ायोनियों ने बीमा विभाग में आवेदन किया है और युद्ध में अपनी स्थायी विकलांगता को क़बूल करने का अनुरोध किया है, जिनमें से 11 हज़ार 760 लोग मानसिक बीमारियों की वजह से, 527 लोग विकलांगता के कारण जबकि शारीरिक चोटों के कारण 441 लोगों को मानसिक और शारीरिक चोटें आईं।
ज़ायोनी शासन के केंद्रीय बीमा का अनुमान है कि आने वाले महीनों में, हज़ारों लोगों को विकलांग लोगों की सूची में जोड़ा जाएगा जिन्हें मनोवैज्ञानिक और भौतिक सहायता की ज़रूरत होगी।
7 अक्टूबर से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के मज़लूम और अत्याचारग्रस्त लोगों के खिलाफ ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू कर दिया है।
दूसरी ओर, ग़ज़ा में फिलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक, यमन और सीरिया में अन्य प्रतिरोधकर्ता गुटों ने एलान किया है कि अतिग्रहणकारी शासन अपने अपराधों की क़ीमत चुकाएगा।
प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 41 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 95 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।