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पिज़िश्कियान के आने से इस्राईल क्यों चिंतित है?
अटलांटिक परिषद की वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें लेखक ने कुछ उन कारणों को लिखा है जिनकी वजह से इस्राईल ईरान के निर्वाचित राष्ट्रपति पिज़िश्कियान के आने से चिंतित है।
पिज़िश्कियान के ईरान के नये राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने से इस्राईल के अंदर गंभीर चिंता उत्पन्न हो गयी है। रज़ ज़िमत ने "पिज़िश्कियान इस्राईल के लिए दबाव हो सकते हैं" शीर्षक के अंतर्गत एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने कुछ उन असली कारणों का उल्लेख किया है जिसकी वजह से इस्राईल में गम्भीर चिंता उत्पन्न हो गयी है।
प्रतिरोध के समर्थन का जारी रखना
लेख के लेखक रज़ ज़िमत के अनुसार पिज़िश्कियान के ईरान का राष्ट्रपति चुने जाने की वजह से इस्राईल में जो गंभीर चिंता उत्पन्न हो गयी है उसका एक असली कारण पिज़िश्कियान द्वारा प्रतिरोध का समर्थन है। आठ जुलाई 2024 को पिज़िश्कियान ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नस्रुल्लाह के नाम एक पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने प्रतिरोध के समर्थन को जारी रखने पर बल दिया था।
पिज़िश्किया ने उस पत्र में लिखा था कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अवैध ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में क्षेत्रीय लोगों के प्रतिरोध का सदैव समर्थक रहा है। प्रतिरोध का समर्थन इस्लामी गणतंत्र ईरान की सिद्धांतिक नीति, स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. और सर्वोच्च नेता की आकांक्षा है और पूरी ताक़त के साथ उसका समर्थन जारी रहेगा।
2- ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ ईरान की आक्रामक नीति का परिवर्तित न होना
रज़ ज़िमत का मानना है कि पिज़िश्किया का चयन इस्राईलियों के मध्य इस विचार के मज़बूत होने का कारण बना है कि ईरान का नया राष्ट्रपति इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीतियों में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन उत्पन्न नहीं करेगा। जैसाकि एक ज़ायोनी अध्ययनकर्ता ने हसन नस्रुल्लाह के नाम पिज़िश्किया के पत्र की प्रतिक्रिया में सोशल साइट एक्स पर लिखा कि यह पत्र उसके लिए है जो यह सोच रहा था कि ईरान का नया राष्ट्रपति ईरान की आक्रामक नीति में, जो इस्राईल का अंत चाहता है, परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
3- राष्ट्रपति को विदेशनीति को पूरी तरह परिवर्तित करने का अधिकार का न होना
यह विश्लेषक अपने लेख में यह दावा करता है कि ईरानी नीति के ताने- बाने और ढांचे में ईरानी राष्ट्रपति की ताक़त अधिकतर देश के आंतरिक मामलों में होती है और विदेशनीति को परिवर्तित करने में उसकी क्षमता सीमित है और उसके अनुसार क्षेत्रीय प्रतिरोध में सिपाहे पासदारान और क़ुद्स ब्रिगेड इस संबंध में उसकी शक्ति को कम करती हैं। यद्यपि इस दावे पर बहुत सारे प्रश्न किये जा सकते हैं परंतु अधिकांश डेमोक्रेटिक देशों में केवल सरकार विदेश नीति को तय नहीं करती बल्कि राष्ट्रीय परिषदें और इसी प्रकार देशों की संसदें क़ानून बनाकर इस संबंध में प्रभावी हैं। लेखक के अनुसार ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की यह उम्मीद टूट चुकी है कि इस्राईल के संबंध में ईरान की नीति में कोई परिवर्तन होगा।
4- इस्राईल के लिए ईरान और पश्चिम के बीच लगातार वार्ता का होना
लेखक के अनुसार ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान में इस्राईल के लिए एक बुरी ख़बर व संकेत पूर्व परमाणु वार्ताकार अब्बास इराक़ची का नया विदेश मंत्री होना है। अगर ऐसा हो जाता है तो ईरान और पश्चिम के बीच परमाणु मामले के समाधान की उम्मीद में वृद्धि हो जायेगी। यह वह चीज़ है जो इस्राईल के लिए नुकसानदेह है। इस दृष्टिकोण के अनुसार अगर किसी ऐसे विकल्प का चयन हो जाता जो पश्चिम के साथ वार्ता न करता तो इस्राईल आसानी से विश्व समुदाय को यह समझा सकता है कि ईरान के साथ वार्ता का कोई फ़ायदा नहीं है और ईरान पर अधिक दबाव डालना चाहिये।
5- ईरान के सैनिक व परमाणु कार्यक्रम से चिंता
इस लेख के आधार पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम में प्रगति और इसी प्रकार ईरान के सैनिक कार्यक्रम में प्रगति से इस्राईल के अंदर गम्भीर चिंता उत्पन्न हो गयी है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम में प्रगति, दूर तक मार करने वाली मिसाइल और आधुनिकतम ड्रोन इन चिंताओं में शामिल हैं। हिज़्बुल्लाह, हमास और जेहादे इस्लामी जैसे संगठनों का ईरान द्वारा समर्थन को इस्राईल की सुरक्षा के लिए गम्भीर चुनौती समझा जाता है।
नतीजाः ईरान के नये राष्ट्रपति के रूप में पिज़िश्कियान का चयन इस्राईल की चिंता में वृद्धि का कारण बना है। पिज़िश्कियान द्वारा प्रतिरोध का समर्थन, इस्राईल के ख़िलाफ़ ईरान की आक्रामक नीति से पिज़िश्कियान का सहमत होना, ईरान के सैनिक और परमाणु कार्यक्रम में प्रगति और ईरान और पश्चिम के साथ संबंधों में विस्तार उन चीज़ों में से हैं जिनसे इस्राईल की सुरक्षा चिंताओं में वृद्धि हो गयी है।
गाज़ा के खान यूनिस प्रांत में इज़राईली सेना के हमलों में 20 लोग शहीद
फिलिस्तीनी सूत्रों ने खान यूनिस के पूर्व में कब्जे वाली इज़राईली सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों में कम से कम 20 लोगों की मौत कई अन्य घयाल हो गाए हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,गाज़ा राहत संगठन ने आज सोमवार खान यूनिस के पूर्व में कब्जे वाली इज़राईली सेना द्वारा भारी हमलों की सूचना दी हैं।
फिलिस्तीनी सूचना केंद्र के अनुसार, इज़रायली सेना ने आज सुबह खान यूनिस के पूर्व में हवाई और तोपखाने हमलों का एक नया दौर शुरू किया और क्षेत्र के 400,000 से अधिक निवासियों को निकालने की मांग की हैं।
इस बीच गाजा राहत संगठन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन हमलों में 20 फिलिस्तीनी शहीद और दर्जनों घायल हो गए शहीदों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं शहीदों में एक 2 साल की बच्ची भी शामिल हैं।
खान यूनिस के अलनासिर अस्पताल ने भी खान यूनिस के निवासियों से रक्तदान का अनुरोध किया है और इस अस्पताल में ब्लड बैंक की बिगड़ती स्थिति के बारे में सूचित दी हैं।
ईरानी रडार और ड्रोन सिस्टम की वजह से देश की एयर डिफ़ेंस साइकिल ने पकड़ी तरफ़्तार
इस्लामी गणतंत्र ईरान की वायुसेना के कमांडर ने देश की पश्चिमी एयर डिफ़ेंस इकाइयों की अपनी यात्रा के दौरान कहा: रडार, मिसाइल और ड्रोन सिस्टम ईरान के वायु रक्षा चक्र में दाख़िल हो रहा है।
ईरान की वायु रक्षा सिस्टम्स की प्रगति और विकास, पिछले वर्षों में बहुत तेज़ हुआ है।
ईरान की वायु सेना ने विशेष क्षेत्रों में, विशेषकर यूएवी और राडार के उत्पादन और निर्माण के क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जिससे दुश्मनों में चिंता की लहर दौड़ पड़ी है।
ईरान एयरफ़ोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अली रज़ा सबाही फ़र्द ने देश के पश्चिमी एयर डिफ़ेंस यूनिट की अपनी यात्रा के दौरान कहा: निकट भविष्य में, वायु सेना के विशेषज्ञ और तकनीकी कर्मचारियों के प्रयासों और दृढ़ता की वजह से विभिन्न प्रकार के रडार, मिसाइल, और ड्रोन सिस्टम वायु रक्षा चक्र में दाख़िल होंगे।
श्री सबाही फ़र्द ने पश्चिमी ईरान की वायु रक्षा यूनिटों के कमांडरों और कर्मचारियों से मुलाक़ात में कहा: इस्लामी गणतंत्र ईरान के मुख्य रक्षा क्षेत्र के रूप में एयर डिफ़ेंस, युद्ध में सुधार करने में प्रभावी भूमिका निभाने और सशस्त्र बलों की शक्ति को बेहतर बनाने में सक्षम है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की एयरफ़ोर्स के कमांडर ने कहा: आज इस्लामी ईरान शांति और सुरक्षा की एक सुरक्षित लंगरगाह है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान वर्तमान समय में रक्षा, एयरोस्पेस, मिसाइल, समुद्र और धरती सहित विभिन्न रक्षा क्षेत्रों में विश्व शक्ति के बराबर है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता और कमांडर इन चीफ़ आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ईरानी राष्ट्र की ताक़त के मुख्य घटकों को बयान करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया है कि इस्लामी व्यवस्था के डिफ़ेंस पॉवर का मक़सद, ईरान के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय गुंडों के हमलों को रोकना है।
आयतुल्लाह आराफ़ी रूस की यात्रा पर रवाना
हौज़ा ए इल्मिया के संरक्षक रूसी मुफ्ती और मुस्लिम संस्था के प्रमुख के आधिकारिक निमंत्रण पर इस देश की यात्रा के लिए रवाना हुए हैं।
, हौज़ा इलमिया के संरक्षक आयतुल्लाह आराफ़ी, मुस्लिम विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा करने और अकादमिक कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए ग्रैंड मुफ्ती और रूस के मुस्लिम प्रशासन के प्रमुख के औपचारिक निमंत्रण पर रूस के लिए रवाना हुए। हैं
रिपोर्ट के मुताबिक, यूरेशियाई विद्वानों के पांचवें सम्मेलन में उलेमा के संरक्षक भी हिस्सा लेंगे।
अल-मुस्तफा इंटरनेशनल यूनीवर्सिटी के न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष आयतुल्लाह आराफी रूस के मुसलमानों और शियाओं की अपनी यात्रा के दौरान कुछ सरकारी अधिकारियों, हस्तियों, विद्वानों और मदरसों के प्रतिनिधियों और जमीयत अल-मुस्तफा के स्नातकों से भी मुलाकात करेंगे।
यूरेशियाई विद्वानों और ब्रिक्स सदस्य देशों की पांचवीं बैठक 25 और 26 जुलाई को रूस के कज़ान में होगी।
अनावश्यक प्रदर्शन ने समाज में शालीनता को कम कर दिया
हज़रत मासूमा (स) के हरम के खतीब ने कहा: पहले हमारे भोजों और महफ़िलों में इतनी विलासिता और दिखावे नहीं होते थे, इसलिए हम एक-दूसरे के पास बहुत आते-जाते थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई है कि दुर्भाग्यपूर्ण है। अनावश्यक दिखावे के कारण इनाम कम हो गया है और अब चूँकि कोई व्यक्ति स्वयं ऐसी मेज तैयार नहीं कर सकता है, इसलिए वह दावतों में भाग नहीं लेता है।
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन मुहम्मद सईदी आर्य ने हज़रत मासूमा (स) की दरगाह में बात करते हुए कहा: एक व्यक्ति अल्लाह के रसूल (स) की सेवा में आया और कहा: सिखाओ मैं ऐसा कार्य करूं जिसके करने से ईश्वर भी मुझे पसंद करें, उसके प्राणी भी मुझसे प्रेम करें, मेरी धन-संपत्ति बढ़ाएं, मुझे स्वस्थ बनाएं, मेरी आयु लंबी करें और मुझे अपने करीब कर लें। तो इसके जवाब में नबी करीम (स) ने फरमाया कि ये छह खूबियाँ हैं। जिसके लिए छह और विशेषताओं की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा: अल्लाह के रसूल (स) ने कहा कि यदि तुम चाहते हो कि अल्लाह तुमसे प्यार करे, तो तुम्हें परहेज़गारी अपनानी चाहिए और अल्लाह से डरना चाहिए। और यदि तुम चाहते हो कि परमेश्वर के दास तुम से प्रेम रखें, तो उनके साथ भलाई करो। अमीरुल मोमिनीन (अ) ने नहजुल बलाग़ा में कहा कि लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करो कि वे जीवन में तुमसे मिलना चाहें और यदि तुम मर जाओ तो तुम्हारे लिए रोएँ।
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन सईदी आर्य ने पवित्र पैगंबर (स) के कहने के अनुसार, धन और संपत्ति की वृद्धि को धन की शुद्धता पर निर्भर बताया और कहा: धन की शुद्धता का मतलब है कि जब हम कमाते हैं धन, हम हलाल और हराम से मुक्त हैं। हरम की ओर न जाएं और फिर जो कुछ हमने वैध रूप से अर्जित किया है उस पर ख़ुम्स और ज़कात देने से हमें रोक दें।
उन्होंने कहा: स्वास्थ्य और कल्याण अधिक दान देने और क्षमा मांगने में है, और जीवन का विस्तार दया के कारण है।
हत्या के अपराध में उम्र कैद की सजा काट रहे भाजपा नेता को मिली माफी, आज़ादी का रास्ता साफ
संगम नगरी प्रयागराज में 28 साल पहले समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक जवाहर पंडित की दिनदहाड़े एक-47 से हत्या किए जाने के सनसनीखेज मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले बीजेपी के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की बची हुई सजा को माफ कर उन्हें जेल से रिहा किए जाने का आदेश जारी किया गया है।
योगी सरकार की पैरवी पर सूबे की गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने बीजेपी नेता और पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की बची हुई सजा को माफ कर दिया है।
उम्मीद जताई जा रही है कि इस आदेश के आधार पर बीजेपी के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया के बड़े भाई बीएसपी के पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया और पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया को भी राहत दी जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र न्यायालय के फैसले पर भड़का अवैध राष्ट्र, फिलिस्तीन में जाएं उपस्थिति गैर कानूनी
संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजराइल की मौजूदगी को गैरकानूनी बताते हुए इसे खत्म करने को कहा। साथ ही 57 साल पहले कब्जा की गई जमीन पर इस्राईल के शासन की आलोचना भी की।
ज़ायोनी नेता नेतन्याहू ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के 15-जजों के पैनल के राय की निंदा की। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र यहूदी लोगों की ऐतिहासिक मातृभूमि का हिस्सा है। लेकिन कोर्ट का निर्णय अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित कर सकता है और फिलिस्तीनी राज्य की एकतरफा मान्यता के लिए कदम बढ़ा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में ज़ायोनी बस्तियों का निर्माण और विस्तार, क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, भूमि पर कब्ज़ा और स्थायी नियंत्रण और फिलिस्तीनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
यमन पर ज़ायोनी सेना के बर्बर हमले, 3 की मौत कई घायल
ज़ायोनी सेना ने पश्चिमी यमन में सेना के कई ठिकानों पर हमले किए हैं, जिसमें कम से कम तीन लोग मारे गए और 87 घायल हो गए। जबकि पिछले दिन तल अवीव में यमन सेना ने फिलीस्तीन के समर्थन में एक घातक ड्रोन हमला किया था।
यमन के पश्चिमी बंदरगाह शहर हुदैदह में कई 'सैन्य ठिकानों' पर हमला किया गया। ज़ायोनी सेना ने कहा कि यह हमला हाल के महीनों में अवैध राष्ट्र के खिलाफ हुए 'सैकड़ों हमलों' के जवाब में किया गया है।
मौलाना सैयद मनव्वर रज़ा सिरसिवी का निधन
ख़तीब अहले-बैत, शिया संप्रदाय के उपदेशक, जनाब हाजी मौलाना सैयद मुनवर रज़ा साहब किबला मुमताज़ुल फ़ाज़िल, आज 20 जुलाई, शनिवार, इस दारेफ़ानी से दारे जावदानी तक अचानक गुज़र गया।
एक शमा और बुझी और अंधेरा बढ़ गया है, यह खबर बड़े दुख के साथ दी जा रही है कि ख़तीब अहले-बैत, शिया संप्रदाय के उपदेशक, जनाब हाजी मौलाना सैयद मुनवर रज़ा साहब किबला मुमताज़ुल फ़ाज़िल, आज 20 जुलाई, शनिवार, इस दारेफ़ानी से दारे जावदानी तक अचानक निधन हो गया।
मौलाना दिवंगत सिरसी सादात के निवासी थे, लेकिन ज्ञान और अभ्यास की रोशनी मिहराब और मिम्बर के माध्यम से फैलाई और देश और विदेश में शिक्षण और उपदेश के माध्यम से, अहल अल-बैत का स्कूल हमेशा उज्ज्वल और चमकदार रहेगा।
ईश्वर मृतक को ज्वारे अहल-बैत में जगह दे और सभी शोक संतप्तों और शोक संतप्तों को धैर्य और दया प्रदान करे।
महान हस्ती के परिवार से मुलाक़ात में पिज़िश्कियान ने शहीद सुलैमानी के मार्ग पर चलने पर बल दिया
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने बल देकर कहा है कि शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी का मार्ग एकता और समरसता का मार्ग था और इस शहीद के मार्ग और मक़सद का अनुसरण करना चाहिये।
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के घर जाकर उनके परिजनों से मुलाक़ात की। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस मुलाक़ात में पिज़िश्कियान ने शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी को श्रद्धासुमन अर्पित की और उन्हें संघर्ष व जेहाद और स्वयं से पद को दूर करने का आदर्श बताया।
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि नई सरकार में पूरी निष्ठा के साथ लोगों की सेवा कर सकें और शहीदों के सामने शर्मिन्दा न हों और उनके सामने सर बुलंद हो।
इस मुलाक़ात में शहीद सुलैमानी के परिजनों ने भी जनरल सुलैमानी की सेवाओं को बयान किया और कहा कि शहीद सुलैमानी ने अपनी पूरी उम्र ईरानी लोगों की सेवा में बिता दी और उनका एक प्रसिद्ध जुमला था कि मेरी और मेरे जैसे हज़ारों लोगों की जान ईरानी राष्ट्र पर क़ुर्बान।
प्रतिरोध के महानायक शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के परिजनों ने कहा कि शहीद सुलैमानी जहां राष्ट्रीय हस्ती थे वहीं वह इस्लामी जगत के लिए एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे और वह पार्टी व धड़े से हटकर देखते थे और लोगों को एक विशेष धड़े व गुट के रूप में नहीं देखते थे।
जनरल शहीद क़ासिम सुलैमानी के परिजनों ने इसी प्रकार प्रतिरोध पर ध्यान देने और शहीद सुलैमानी के सम्मानजनक मार्ग को जारी रखने को नई सरकार से ईरानी लोगों की मांग व अपेक्षा बताया और कहा कि इंशा अल्लाह शोहदा मदद करेंगे कि जो लोगों की सेवा का रास्ता है उसमें आप कामयाब रहें।
उल्लेखनीय है कि इस मुलाक़ात के अंत में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के परिजनों ने प्रतिरोध के शहीदों के सरदार जनरल क़ासिम सुलैमानी की एक तस्वीर ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को भेंट किया।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के जेहाद की वर्दी के साथ ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पिज़िश्कियान की तस्वीर
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी सिपाहे पासदारान की क़ुद्स ब्रिगेड और पश्चिम एशिया में अमेरिका और ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में प्रतिरोध के कमांडर थे। इराक़ और सीरिया में आतंकवादी गुट दाइश के ज़ाहिर होने के बाद उन्होंने इन देशों में उपस्थित होकर आतंकवाद से मुक़ाबले की कमान संभाली और इन देशों की सरकारों के सहयोग से आतंकवादी गुट दाइश से मुक़ाबला किया और इराक़ और सीरिया के जिन क्षेत्रों पर दाइश ने क़ब्ज़ा कर लिया था उन क्षेत्रों से दाइश को ख़त्म करने में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी सैनिक टैक्टिकों को लागू करने और साम्राज्यवादियों के षडयंत्रों को नाकाम बनाने में इतने माहिर व दक्ष थे कि उन्होंने जनरल क़ासिम सुलैमानी को छायारहित जनरल की उपाधि दे रखी थी।
अंततः 63 साल की उम्र में 13 दैय 1398 हिजरी शमसी को शुक्रवार की सुबह को इराक़ में अमेरिका की एक आतंकवादी कार्यवाही में जनरल क़ासिम सुलैमानी शहीद हो गये।
अमेरिका की यह आतंकवादी कार्यवाही इस बात का कारण बनी कि ईरान ने इराक़ में अमेरिका की सैनिक छावनी एनुल असद पर जवाबी हमला करके मिसाइलों की बारिश कर दी और उसके बाद ईरान ने पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैनिकों के ख़िलाफ़ ग़ैर आधिकारिक युद्ध आरंभ कर दिया।