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अनवार अल नजफ़ीया फाउंडेशन के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम शेख अली नजफ़ी ने हौज़ा ए इल्मिया और विश्वविद्यालय के सम्मेलन में शिरकत की और इस मौके पर उन्होंने लोगों को हौज़ा ए इल्मिया और विश्वविद्यालय की अहमियत पर संबोधित किया

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के बेटे और अनवार अल नजफ़ीया फाउंडेशन के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम शेख अली नजफ़ी ने मेहमानों को अपने संबोधन में कहा कि हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम हौज़ा ए इल्मिया और विश्वविद्यालय को अहमियत दे।

ह़ज़रत आयतुल्लाह अल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के फ़रज़न्द और केंद्रीय कार्यालय के निदेशक, हुज्जतुल इस्लाम अली नजफ़ी साहब ने नजफ़ अशरफ ने आयोजित हौज़ा और विश्वविद्यालय सम्मेलन में भाग लिया और केंद्रीय कार्यालय का बयान पढ़ा।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा:

हौज़ा और विश्वविद्यालय इराक और विदेशों में सम्मानजनक जीवन की रीढ़ हैं भटकने से बचने के लिए हौज़ा इराकी विश्वविद्यालयों के साथ साथ  इसलिए दुनिया के अच्छे विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है।

हौज़ा के प्रणेता विश्वविद्यालय के स्नातकों के बिना नहीं हैं और विश्वविद्यालय भी अपने सभी कार्यकर्ताओं और अग्रदूतों के साथ-साथ जीवन के सभी चरणों में हौज़ा से सहायता और मार्गदर्शन चाहते हैं।

अल्लाह  ने हमें होज़ा इल्मिया के आशीर्वाद से सम्मानित किया है और इसे नजफ़ अशरफ़ में स्थिर किया है, उसी प्रकार उसने हमें व्यापक विश्वविद्यालयों का भी आशीर्वाद दिया है और ये दो आशीर्वाद मोमेनीन के सम्मान का प्राथमिक कारक है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ प्रोफेसर ऐसे समय में आधिकारिक तौर पर नास्तिकता और विचलित विचारों को फैलाने में भी भाग लेते हैं जब प्रोफेसरों को शिक्षक माना जाता है।

विश्वविद्यालय कैडरों को विश्वविद्यालयों में नैतिक भ्रष्टाचार के प्रसार को रोकना चाहिए, और उन्हें लड़कों और लड़कियों को धर्म का पालन करने और शैतानी रणनीति से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए।

मोहर्रम की पहली तारीख से हज़रत इमाम हुसैन अ.स.का शोक समारोह लंदन में रहने वाले बड़ी संख्या में शियाओं की उपस्थिति के साथ इस्लामिक सेंटर में आयोजित कि गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इंग्लैंड के इस्लामिक सेंटर के सूचना के आधार के अनुसार मुहर्रम के महीने के आगमन के साथ लंदन में रहने वाले विभिन्न राष्ट्रीयताओं के शियाओं ने इंग्लैंड के इस्लामिक सेंटर में इमाम हुसैन अ.स का शोक मनाया और एक बार फिर कर्बला के शहीदों के सरदार को सम्मान देने के लिए उन्होंने अपने इमामों की सीरत को दिखाया हैं।

हज़रत इमाम हुसैन अ.स के लिए एक शोक समारोह इस साल इंग्लैंड के इस्लामिक सेंटर में चार भाषाओं में अलग अलग आयोजित किया गया है और यह केंद्र एक बार फिर इस्लाम के पवित्र पैगंबर के परिवार के सम्मान के लिए इंग्लैंड में रहने वाले बहुत से शियाओं के लिए एक वादा स्थल बन गया है।

राष्ट्रीयताओं के विभिन्न वर्ग, विभिन्न भाषाएँ और रंग, लेकिन एकल और एकजुट प्रेम के साथ, फ़ारसी, अरबी, उर्दू और अंग्रेजी सहित अपनी संस्कृति और भाषा के साथ, इंग्लैंड के इस्लामी केंद्र में काले कपड़े पहनकर और कर्बला के शहीदों के सरदार और उत्पीड़ितों के लिए शोक मनाते हैं।

इस वर्ष मुहर्रम के शोक समारोह की पहली रात को इंग्लैंड के इस्लामिक सेंटर के इमाम हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद हाशिम मूसवी ने फ़ारसी वक्ताओं के लिए एक भाषण में आशूरा क़याम के दर्शन की व्याख्या करते हुए उत्तर दिया।

सवाल यह है कि शिया लोग आशूरा की घटना से पहले मुहर्रम के पहले दशक में शोक क्यों मनाते हैं। शिया इमाम मुहर्रम के महीने की पवित्रता का पालन करने के बारे में सख्त थे, और उनमें से कई खुद को और अपने परिवारों को सैय्यद अल-शुहदा के लिए शोक मनाने के लिए मुहर्रम महीने की शुरुआत से बाध्य मानते थे।

इसलिए, इमाम मासूमीन अ.स की परंपरा के अनुसार, आशूरा के दिन से 9 दिन पहले मुहर्रम के पहले दिन से शोक शुरू हो जाता है।

इंग्लैंड के इस्लामिक सेंटर के इमाम ने भी इमाम हुसैन अ.स के शोक के सामाजिक और व्यक्तिगत परिणामों की ओर इशारा किया और कहा: धर्म और इस्लामी मूल्यों का पुनरुद्धार, उत्पीड़न और बलिदान की याद, एकता और एकजुटता को मजबूत करना, नैतिकता को बढ़ावा देना और मानवता, और आशूरा संस्कृति की शिक्षा और प्रसारण, इमाम हुसैन (अ.स) के लिए शोक का झंडा उठाना सामाजिक है।

इन शोक सभाओं में अहलुल बैत अ.स. के प्रशंसक कर्बला के शहीदों के ज़ुल्म के शोक में विभिन्न भाषाओं में नारे भी लगाते हैं और नौहा और मताम करते हैं।

 

 

 

 

 

रूस के दो दिवसीय दौरे से ऑस्ट्रिया पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्टूबर महीने में एक बार फिर रूस जाएंगे।

 पीएम मोदी के अगले दौरे के लिए उन्हें खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है।

दरअसल, अक्टूबर के महीने में रूस के कजान शहर में ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाना है। पीएम मोदी इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए ही रूस पहुचेंगे।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के हवाले से रूसी समाचार एजेंसी ने बताया,'नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह रूसी राष्ट्रपति पुतिन के निमंत्रण को स्वीकार करके खुश हैं और अक्टूबर में कजान में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

 

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने का भी सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी।

हाईकोर्ट ने इस मामले में पोषणीयता के बिंदु पर सुनवाई करने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी से जवाब तलब कर लिया है।

अदालत ने मस्जिद कमेटी को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी है। इसके अलावा याचिकाकर्ता राखी सिंह के वकील सौरभ तिवारी को मस्जिद कमेटी के जवाब पर अपनी आपत्ति दाखिल करने के लिए अलग से एक हफ्ते का वक्त दिया है। हाईकोर्ट इस मामले में अब 14 अगस्त को सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई।

अमेरिका में बेरिल तूफान जमकर तबाही मचा रहा है। यहां तूफान के कारण पेड़ गिरने और भारी बाढ़ आने से आठ लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने कहा कि तूफान के घातक होने से टेक्सास में सात लोग और पड़ोसी लुइसियाना में एक और व्यक्ति की मौत हो गई।

दक्षिण-पूर्व टेक्सास में 20 लाख से ज्यादा घरों में पावर कट के कारण बिजली चली गई। वहीं, लुइसियाना में 14,000 घरों में भी बिजली नहीं थी। निवासियों के लिए वातानुकूलित आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं जबकि कर्मचारी सेवा बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं।

पिछले सप्ताह भी जमैका, ग्रेनेडा और सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस में तूफान बेरिल भारी तबाही मचाई थी, जहां कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया था।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अपने -अपने संदेशों में आशूरा की घटना के महत्व पर बल दिया और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन की ईश्वरीय, नैतिक और अख़लाक़ी आकांक्षा पर बल दिया।

पाकिस्तान के इस्लामी समाज में और इसी प्रकार इस देश के दूसरे धर्मों व संप्रदायों के मध्य मोहर्रम  महीने का बहुत सम्मान किया जाता है।

मोहर्रम के महीने में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के करोड़ों अनुयाई उनके नाती इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाते हैं।

इस समय समूचे पाकिस्तान में पहली मोहर्रम से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाया जा रहा है। धार्मिक नेता इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन के रहस्यों, एकता और फ़ूट व मतभेद से मुक़ाबला करने और अत्याचार के ख़िलाफ़ संघर्ष करने पर बल देते हैं।

शिया समाज और मुसलमानों से हटकर दूसरे धर्मों के लोग भी विशेषकर पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक ईसाई और हिन्दू भी इस देश के विभिन्न क्षेत्रों में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से अपनी श्रृद्धा व्यक्त और मोहर्रम महीने का सम्मान करते हैं और इस महीने में आयोजित होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने नया हिजरी क़मरी साल और मोहर्रम का महीने आरंभ होने के उपलक्ष्य में अपने- अपने संदेशों में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और कर्बला में उनके वफ़ादार साथियों के प्रति अपनी श्रृद्धा व्यक्त की और आशूरा की घटना को अन्याय व अत्याचार के मुक़ाबले में न्याय की लड़ाई का प्रतीक बताया।

पाकिस्तानी नेताओं के संदेशों में बल देकर कहा गया है कि हज़रत सय्यदुश्शोहदा इमाम हुसैन अलै. और उनके पवित्र परिजनों ने इस्लामी मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी मूल्यवान जानों की क़ुर्बानी दे दी और इस अद्वितीय क़ुर्बानी को समस्त मुसलमानों को एकता, न्याय और अत्याचार से मुक़ाबले के लिए आदर्श क़रार देना चाहिये।

इसी प्रकार हालिया दिनों में पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में मोहर्रम के सम्मान और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन के उद्दश्यों को बयान करने के लिए कांफ्रेन्सें और बैठकें हुई हैं। इन बैठकों व कांफ्रेन्सों में संयुक्त दुश्मनों के षडयंत्रों से होशियार रहने और उनके मुक़ाबले पर बल दिया गया।

उल्लेखनीय है कि दुःख के मोहर्रम महीने के आरंभ में पाकिस्तान के अज़ादार लोग ईरान और इराक़ में मौजूद पवित्र धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं और पाकिस्तान से काफ़ी दूरी तय करने के बाद दसियों हज़ार श्रद्धालु स्वयं को ईरान के पवित्र नगरों क़ुम और मशहद पहुंचाते हैं और उसके बाद वे इराक़ के पवित्र नगर कर्बला रवाना हो जाते हैं।

 

 

लखनऊ के अकबरनगर को जमींदोज करने के बाद कुकरैल रिवर फ्रंट के रास्ते में आ रहे रहीमनगर, खुर्रमनगर, इंद्रप्रस्थ नगर, पंतनगर, अबरारनगर के अवैध निर्माण गिराने के लिए प्रशासन की संयुक्त टीम ने सोमवार से सर्वे शुरू कर दिया।

पहले दिन 20 मकानों में लाल निशान लगाया गया। यह देख इनमें रहने वाले परिवार बिलख उठे।

सुबह 11:30 बजे भारी पुलिस बल के साथ अपर जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार एवं सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता मुकेश वैश्य के संयुक्त नेतृत्व में सिंचाई विभाग की टीम ने रहीमनगर बंधे के पास कुकरैल से 50 मीटर के दायरे की नापजोख शुरू की। टीम ने लगभग एक किमी तक सर्वे किया और कुकरैल रिवर फ्रंट के दायरे में आने वाली जमीन पर लाल निशान लगाया।

टीम जैसे ही रहीमनगर में दाखिल हुई, घरों से पुरुष, महिलाएं व बच्चे निकल आए। मकानों पर लाल निशान लगना शुरू हुए तो महिलाएं रोने लगीं। बिलखते हुए टीम से कहा, जब मकान बन रहे थे तो कोई रोकने क्यों नहीं आया? 40 साल से इन मकानों में रहकर हाउस टैक्स, वाटर टैक्स चुका रहे हैं। कुकरैल रिवर फ्रंट के नाम पर उन्हें उजाड़ने की कोशिश शुरू की गई है। पहले दिन टीम ने जिन 20 घरों में लाल निशान लगाए वे काफी बड़े हैं। दोपहर 2:30 बजे तक सर्वे कर टीम लौट गई। इसमें एलडीए की ओर से अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा व अधिशासी अभियंता राजकुमार आदि थे।

अफसरों ने बताया कि जिन मकानों पर लाल निशान लग रहा है, उनके मालिकों को एलडीए नोटिस देगा। उन्हें घर खाली करने का अल्टीमेटम दिया जाएगा। ऐसा न करने पर बुलडोजर चलेगा।

संकरी गलियों में सर्वे करने में परेशानी हुई तो सिंचाई विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने घरों की छतों पर चढ़कर जायजा लिया। आधा घंटे तक यहां से ही कुकरैल के बंधे के मिलान का आकलन हुआ। टीम को छतों पर चढ़ने के दौरान लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा।

दो खाली प्लॉट के सर्वे के दौरान सुनील नाम के व्यक्ति ने अपर जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार को दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि यह मेरी है। बोले- महानगर की मेरी पुश्तैनी जमीन पर पीएसी मुख्यालय बना है। इसके बदले यह जमीन दी गई थी। वर्ष 1962 में तत्कालीन मंडलायुक्त ने रहीमनगर के इन दोनों प्लॉट की रजिस्ट्री उनके बाबा गिरजा शंकर के नाम कराई थी।

 

आप का नाम हुर्र इब्ने यज़ीद इब्ने नाजिया इब्ने कनब इब्ने इताब इब्ने हुर्रमी इब्ने रियाह इब्ने यार्बू इब्ने खंज़ला इब्ने मालिक इब्ने ज़ेद्मना इब्ने तमीम अल यार्बुई अर्र रियाही था आप अपने हर अहदे हयात मे शरीफ़े क़ौम थे ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत हुर्र इब्ने यज़ीद इब्ने नाजिया इब्ने कनब इब्ने इताब इब्ने हुर्रमी इब्ने रियाह इब्ने यार्बू इब्ने खंज़ला इब्ने मालिक इब्ने ज़ेद्मना इब्ने तमीम अल यार्बुई अर्र रियाही था आप अपने हर अहदे हयात मे शरीफ़े क़ौम थे ।

आप के बाप दादा कि शरफ़अत मुसलेमात से थी पैगमबरे इसलाम के मशहुर सहबी ज़ऐद ईबने उमर इबने कैस इबने इताब जो (अहवज़) के नाम से मशहुर थे और शायरी मे बा- कमाल माने जाते थे वो आप के चचा ज़आत भैइया और आप के खनदान के चशमो चराग थे ।

हज़रते हुरर क शुमार कूफे के रईसों में था ।इब्ने ज़ियाद ने जब आप को एक हज़ार के लश्कर समेत इमाम हुसैन (अलै) से मुकाबला करने के लिए भेजा था उस वक्त आप को एक गैबी फ़रिश्ते ने जन्नत की बशारत दी थी जनाबे हुर्र्र का लश्कर मैदान मारता हुआ जब मकामे “शराफ” पर पंहुचा और इमाम हुसैन (अलै०) के काफिले को देख कर दौड़ा तो तमाजते आफताब और रास्ते की दोश ने प्यास से बेहाल कर दिया था।

मौला की खिदमत में पहुँच कर जनाबे हुर्र ने पानी का सवाल किया। सकिये कौसर के फरजंद ने सराबी का हुकुम दे कर आने की गरज पूछी उन्होंने अरज की मौलाl आप की पेश- कदमी रोकने और आप का मुहासिरा करने के लिए हमको भेजा गया है।

पानी पिलाने से फरागत के बाद इमाम हुसैन (अलै०) ने नमाज़े जोहर अदा फरमाई। हुर्र ने भी साथही नमाज़ पढ़ी। फिर नमाज़े असर पढ़ कर हज़रात इमाम हुसैन (अलै०) ने कूच कर दिया । हुर्र अपने लश्कर समेत काफिला –ऐ –हुस्सैनी से कदम मिलाए हुए चल रहे थे और किसी मकाम पर हज़रत की खिदमत में मौत का हवाला देते थे।

मकसद ये था के  यज़ीद की बैअत करके अपने को हलाकत से बचा लीजिये आप इस के जवाब में इरशाद फरमाते थे “हक पर जान देना हमारी आदत है “ रास्ते में बा- मकाम अजीब तर्माह इब्ने अदि अपने चार साथियों इमाम हुसैन (अलै०) से मिले । हुर्र ने कहा ये आप के हमराही नहीं है इस वक़्त कूफे से आ रहे है यह मै इन्हें आप के हम- रकाब रहने न दूंगा आप ने फरमाया तुम अपने मुआहदे से हट रहे हो ।सुनो ! अगर तुम अपने मुआहदे के खिलाफ इब्ने ज़ियाद के हुकुम पहुँचने से पहले हम से कोई मुजहेमत की तो फिर हम तुम से जंग करेंगे ।

ये सुन कर हुर्र खामोश हो गए और काफिला आगे बढ़ गया । “ कसरे बनी मुकतिल” पर मालिक इब्ने नसर नामी एक शक्स ने हुर्र्र को इब्ने ज़ियाद का हुकुमनामा दिया जिस में मारकूल था की जिस जगह मेरा यह ख़त तुम्हे मिले उसी मक़ाम पर इमाम हुसैन अलै० को ठहरा देना ।

और उस अमर का खास ख़याल रखना की जहाँ वो ठहरे वहां पानी और सब्जी का नामो निशाँ तक न हो इस हुकुम को पाते ही हुर्र ने आप को रोकना चाहा । आप तर्माह इब्ने अदि के मशविरे से आगे बढे और दो मोह्र्रम यौमे पंज्श्म्भा बा- मकामें कर्बला जा पहुचे हुर्र ने आपको बे- गयारह जंगल में पानी से बहुत दूर ठहराया और इस अमर की कोशिश की की `हुकुमे इब्ने जयाद ने फरक न आने पाए ।

 

दूसरी मोहर्र्रम तक ज़मीने कर्बला पर हुर्र रियाही इब्ने ज्याद और इब्ने साद के हर हुकुम की तकमील करते रहे और हालात का जयजा लेते रहे । सुबहे आशूर आप इस नतीजे पर पहुंचे की जन्नत व दोज़ख का फैसला कर लेना चाहिए ।

चुनाचे आप इन्तेहाई तरद्दुद व तफ़क्कुर में इब्ने साद के पास गए और पूछा की क्या वाकई इमाम हुसैन अलै० से जंग की जाए? इब्ने साद ने जवाब दिया बे – शक तन फद्केंगे ,सर बरसेंगे ,और कोई भी हुसैन और उनके साथियों में से न बचेगा ।

ये सुन कर हुर्र रियाही ख़ामोशी के साथ आहिस्ता –आहिस्ता इमाम हुसैन (अलै०) की खिदमत में आ पहुचे । बनी हाशिम ने इस्तकबाल किया । इमाम हुसैन अलै० ने सीने से लगाया । हुर्र ने अरज की मौला ! खता मुआफ मेरे पदरे नामदार ने आज शब् को ख्वाब में मुझे हिदायत की है की मै शर्फे कदम बोसी हासिल कर के दर्जे- ए –शहादत पर फएज हो जाऊ । मौला ! मैं ने ही सब से पहले हुजुर को रोका था । अब सब से पहले हुजुर पर कुर्बान हो जाना चाहता हूँ ।

(मुआर्खींनं का कहना है की इब्ने ज़ियाद और उमरे साद को हुर्र पर बड़ा एतमाद था इसीलिए सब से पहले उन्ही को रवाना किया था और फिरर यौमे आशुर लश्कर की तकसीम के मौके पर भी उन्हें लश्कर के चौथाई हिस्से पर जो कबीला-ए-तमीम व हमदान पर मुश्तकिल ।था सरदार करार दिया था)

इज्ने ज़ियाद दीजिये ताकि गर्दन कटाकर बारगाहे रिसालत में सुर्ख-रू हो सकूं।

इमाम हुसैन अलै० ने इजाज़त दी जनाबे हुर्र मैदान में तशरीफ़ लाए और दुश्मनों को मुखातिब करके कहा ।

“ ऐ दुश्मने इस्लाम शर्म करो अरे तुमने नवासे रसूले को खत लिखकर बुलाया । उन् की नुसरत व हिमायत का वयदा किया और खुतूत में ऐसी बाते तहरीर की के हुजुर को शरअन तामील करना पड़ी और वह जब तुम्हारे दावत नामो पर भरोसा कर के आ गए है तो तुम उन् पर मजलिम के पहाड़ तोड़ रहे हो उन्हें चारो तरफ से घेरा हुआ है और उन् के लिए पानी बनदीश कर दी है ।“

ऐ जालिमो ! सोचो यहुदो नसारा पानी पि रहे है और हर्र किसम के जानवर पानी में लोट रहे है लेकिन आले मोहम्मद एक-एक कतरा-ऐ-आब के लिए तरस रहे है । अरे तुमने मोहम्मद की आल के साथ कितना बुरा सुलूक रखा है ।

जनाबे हुर्र की बात अभी ख़तम न होने पाई थी की तीरों की बारिश शुरू हो गई आप ज़ख़्मी हो कर इमाम हुसैन अलै० की खिदमत में हाज़िर हुए और अरज की, मौला अब आप मुझसे खुश हो गए इमाम हुसैन अलै० ने दुआ दी और फ़रमाया “ऐ हुर्र ! तू फर्दा-ऐ-क़यामत में आतिशे जहानुम से आज़ाद हो गया।

इसके बाद जनाबे हुर्र फिरर मैदान में तशरीफ़ लाए और निहायत बे- जिगरी से नबर्द आज़मा हुए और आप ने पचास दुश्मनों को तहे तेग कर दिया दौराने जंग में अय्यूब इब्ने मश्र्रा ने एक ऐसा तीर मारा जो जनाबे हुर्र के घोड़े की पीठ में लगा और आपका घोडा बे-काबू हो गया आप पयादा हो कर लड़ने लगे नागाह आप का नेजा टूट गया । और आपने तलवार संभाली अलमदारे लश्कर को आप कतल करना ही चाहते थे की ददुश्मनों ने चारो तरफ से तश्दिद हमला कर दिया । बिल आखिर कसूर लई इब्ने कुनना ने सीना –ऐ –हुर्र पर एक ज़बरदस्त तीर मारा जिसके सदमे से आप ज़मीन पर गिर पड़े और इमाम हुसैन अलै० को आवाज़ दी मौला खबर लिजिय ! इमाम हुसैन अलै० जनाबे हुर्र की आवाज़ पर मैदाने जंग में पहुचे और देखा जान – निसार एड़िया रगड़ रहा है ।आप उसके करीब गए और आपने उनके सर को अपनी आगोश में उठा लिया । जनाबे हुर्र ने आँखे खोल कर चेहरा- ऐ – इमामत पर निगाह की और इमाम हुसैन अलै० को बेबसी के आलम में छोड़ कर जन्नत का रास्ता लिया ।

रियाजे शाहदत में है की आप को सब शोहदा की तद्फीन के मौके पर बनी असद ने इमाम हुसैन अलै० से एक फ़रसख के फासले पर गल्बी जानिब दफ़न किया और वहीँ पर आप का रोज़ा बना हुआ है।

हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन साफ़ी गुलपाएगानी ने कहा: मोहर्रम का महीना इस्लाम और शियावाद के दुश्मनों की साजिशों को नष्ट करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन मुहम्मद हसन साफ़ी गुलपाएगानी ने मोहर्रम के पवित्र महीने और हज़रत अबा अब्दिल्लाह के अज़ादारी के दिनों के अवसर पर मसदर अल-ज़हरा (स) के प्रचारकों को संबोधित करते हुए कहा: मुोहर्रम का महीना करीब आ रहा है और हम एक बार फिर मोमेनीन मे ग़मे इमाम हुसैन (अ) की तड़प को देख रहे हैं।

उन्होंने कहा: जैसा कि इस्लाम के पैगंबर ने कहा: हम देखते हैं कि हर साल जब मुहर्रम आता है, तो इन अज़ादारियो और मातमियो की महिमा बढ़ जाती है और लोगों में एक बड़ा बदलाव आता है।

हौज़ा इल्मिया के इस शिक्षक ने कहा: मोहर्रम इस्लाम और शियावाद के दुश्मनों की साजिशों को नष्ट करने का महीना है।

 

उन्होंने आगे कहा, इस महीने में युवाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए और उनके प्रशिक्षण पर काम करना चाहिए क्योंकि दुश्मन इन युवाओं का ध्यान भटकाने और उन्हें गुमराह करने के लिए हर हथकंडा अपना रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन साफ़ी गुलपाएगानी ने कहा: यह वर्ष छात्रों और प्रचारकों के लिए भी एक उत्कृष्ट अवसर है, जिसका हमें उपयोग करना चाहिए और अपने कार्यक्रमों में हुसैनी स्कूल को बढ़ावा देना चाहिए।

 

 

 

 

 

प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात की यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने तीखे शब्दों में आलोचना की है और दोनों नेताओं की मुलाकात को 'निराशाजनक' करार दिया है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने नरेन्द्र मोदी की मॉस्को यात्रा की आलोचना करते हुए मोदी की पुतिन से मुलाकात को "बहुत बड़ी निराशा और शांति प्रयासों के लिए विनाशकारी झटका" बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति ने ठीक उसी दिन मुलाकात की है, जब रूस ने कीव में बच्चों के अस्पताल पर एयरस्ट्राइक किया था, जिसमें कम से कम 20 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट आई है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मॉस्को के बाहर एक उप-नगर नोवो-ओगारियोवो में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनके आवास पर मुलाकात की है, जबकि उनके मुलाकात से पहले 900 किलोमीटर दूर रूसी मिसाइलों ने सुबह के व्यस्त समय में यूक्रेनी शहरों पर भीषण हमले कर दिए, जिनमें कुल मिलाकर कम से कम 37 लोग मारे गए हैं और 170 अन्य घायल हो गए।