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इस्लामी सभ्यता, सीमाओं का विस्तार नहीं हैः वरिष्ठ नेता

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इस्लामी सभ्यता, सीमाओं का विस्तार नहीं हैः वरिष्ठ नेता

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि इस्लामी सभ्यता, ईरानी-इस्लामी प्रगति के आदर्श के बिना संभव नहीं है।

सोमवार को इस्लामी-ईरानी आदर्श केन्द्र कا सर्वेच्च परिषद के सदस्यों ने वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में ईरानी-इस्लामी विकसित आदर्श के उत्पादन को इस्लामी सभ्यता के व्यवहारिक होने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि इस्लामी सभ्यता का अर्थ सीमाओं का विस्तार नहीं बल्कि राष्ट्रों का इस्लाम से वैचारिक रूप से प्रभावित होना है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति का लक्ष्य, इस्लामी सभ्यताओं को व्यवहारिक बनाना बताया। उन्होंने विश्व में प्रचलित विकास के ग़लत और अनुपयोगी आधारों की ओर संकेत करते हुए नये इस्लामी व ईरानी आदर्शों को पेश किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया जिनमें क्रांतिकारी कार्य हों, और इसमें धार्मिक शिक्षा केन्द्रों तथा इस्लाम की मज़बूत व समृद्ध क्षमताओं से लाभ उठाया जाए।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इसी प्रकार दुनिया में मौजूद आदर्शों के बारे में कहा कि विकास के लिए प्रचलित आदर्श, आधारों की दृष्टि से ग़लत और मानववाद तथा ग़ैर ईश्वरीय सिद्धांतों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि प्रभाव व परिणाम की दृष्टि से भी यह उन वचनों को व्यवहारिक नहीं कर सके जो स्वतंत्र और न्याय जैसी चीज़ों के बारे में दिये गए थे।  

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