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शायरों और शोहरत तलब लोगों को नसीहत

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शायरों और शोहरत तलब लोगों को नसीहत

मैंने सुना है कि कुछ लोग वर्चुअल स्पेस पर शेरो शायरी और कविताएँ पोस्ट करते हैं और यह लोकप्रिय भी है। इन कविताओं को हजारों लोग पसंद करते हैं।

यह लाइक और पोस्ट का पसंद किया जाना कोई मानक और मेयार नहीं है, न ही इसका कोई मूल्य और क़द्रो क़ीमत है।

एक शायर और उसके कलाम या एक कवि और कविता को जो चीज़ महत्वपूर्ण बनाती है वह है जनता और जानकार लोगों की राय। उन लोगों के विचार और राय जो शेरो शायरी को समझते हैं। जो अच्छे और बेमतलब की शेरो शायरी को समझते हैं। शेर के अच्छा होने का मेयार लाइक्स नहीं हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई

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