Print this page

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमेरिका को चेतावनी दी

Rate this item
(0 votes)

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमेरिका को चेतावनी दी

ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी और उनकी सरकार के सदस्यों ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से भेंट की। वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने इस भेंट में मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीक़ा के परिवर्तनों तथा देश के महत्पूर्ण आंतरिक मामलों को बयान किया और सीरिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के प्रति चेतावनी दी। वरिष्ठ नेता ने इस भेंट में ज्ञान एवं अर्थव्यवस्था को सरकार की प्राथमिकता बताया और ईरान के राष्ट्रपति को अच्छा, विश्वास पात्र और अच्छे अतीत का स्वामी, क्रांतिकारी व्यक्ति बताया। इस भेंट में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने नई सरकार से मांग की है कि वह अर्थ व्यवस्था और ज्ञान को अपनी प्राथमिकता क़रार दे और मंहगाई को नियंत्रित करके लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करके लोगों में अच्छे भविष्य के प्रति आशा में वृद्धि करे। वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र की स्थिति को संवेदनशील बताया और सीरिया में अमेरिका के सैनिक हस्तक्षेप को एक त्रासदी बताया और कहा कि यदि इस प्रकार की कार्यवाही होती है तो निश्चित रूप से अमेरिकियों को इराक और अफगानिस्तान में हस्तक्षेप की भांति नुकसान उठाना पड़ेगा।

पश्चिम और क्षेत्र के कुछ देशों ने यह दावा किया है कि सीरियाई सैनिकों ने रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया है और अपने इसी दावे को आधार बनाकर उन्होंने सीरिया में सैनिक हस्तक्षेप के लिए गतिविधियां आरंभ कर दी हैं जबकि सीरिया ने बारम्बार इस दावे का कड़ाई से खंडन किया है। अमेरिका सीरिया के शत्रुओं में सबसे आगे है। अमेरिका के विदेशमंत्री जान केरी, युद्धमंत्री चक हैगल अमेरिका के उपराष्ट्रपति जो बाइडेन सहित दूसरे अमेरिकी व पश्चिमी अधिकारियों का कहना है कि सीरिया पर आक्रमण निकट है। पश्चिमी राजनेताओं का कहना है कि सीरिया पर आक्रमण करने के संबंध में निर्णय लेने की उल्टी गिनती आरंभ हो चुकी है। प्रश्न यह उठता है कि क्या अमेरिका को सीरिया सहित किसी देश की जनता से सहानुभूति है? इसलिए वह एसा करना चाहता है? इसका उत्तर स्पष्ट है अमेरिका को किसी भी देश की जनता से कोई प्रेम नहीं है उसे केवल अपने हितों से प्रेम है और वह अपने हितों की पूर्ति के लिए किसी प्रकार की कार्यवाही में संकोच से काम नहीं लेता। वह अफगानिस्तान में तालेबान और अलक़ायदा से मुकाबले का दावा करता है और उन्हें आतंकवादी कहता है जबकि यही अमेरिका सीरिया में अलक़ायदा का समर्थन करता है और उन्हें हर प्रकार के हथियारों से लैस करता है। सारांश यह कि उसका मापदंड केवल उसके हित हैं न कि कोई और चीज़।

Read 1257 times