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हिजाब एक वाजिद शरई हुक्म है जिसकी पाबंदी सब पर लाज़िम है

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हिजाब एक वाजिद शरई हुक्म है जिसकी पाबंदी सब पर लाज़िम है

हौज़ा इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य ने तीनों राष्ट्रीय राज्य संस्थानों की हिजाब कानून के प्रवर्तन में ज़िम्मेदारियों पर जोर देते हुए कहा,हिजाब न केवल एक शरीयत का फर्ज़ है बल्कि यह इस्लामी गणराज्य ईरान की संसद द्वारा कानून भी है।

हौज़ा इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य आयतुल्लाह महमूद रजब़ी ने एक प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान कहा,आज हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि इस्लाम मक़तबे अहल बैत (अ.ल.) और इस्लामी क्रांति के दुश्मन हर अवसर को इस्लामी व्यवस्था के खिलाफ साजिश के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहां,हिजाब एक अनिवार्य शरीयत का आदेश है जिसका पालन सभी पर आवश्यक है। अल्हमदुलिल्लाह हमारे समाज का अधिकांश भाग धार्मिक है और शरीयत के आदेशों का पालन करता है। कभी कभी उत्पन्न होने वाली कुछ बुराइयों को दुश्मन के प्रचार का साधन नहीं बनने देना चाहिए ताकि वह यह धारणा न बना सके कि हमारा समाज हिजाब का विरोधी है।

उन्होंने आगे कहा,दुनिया ने देखा कि विभिन्न घटनाओं में जब दुश्मन ने हिजाब के मुद्दे को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहा तो स्वयं महिलाओं ने इसका सामना किया और दुश्मनों ने भी यह स्वीकार किया कि वे इससे कोई लाभ नहीं उठा सके।

हौज़ा इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य ने कहा,अल्हमदुलिल्लाह हमारा समाज धार्मिक है और इस्लाम, मक़तबे अहल-बैत अ.स. इस्लामी व्यवस्था और नेतृत्व के प्रति वफादार है। लेकिन इसके बावजूद, हमें सतर्क रहना चाहिए और दुश्मनों की साजिशों से होशियार रहना चाहिए ताकि वे किसी भी परिस्थिति का गलत फायदा न उठा सकें।

 

 

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