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हम तेरी इबादत करते हैं; इस 'हम' के दायरे में कौन लोग हैं?

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हम तेरी इबादत करते हैं; इस 'हम' के दायरे में कौन लोग हैं?

कायनात के सभी तत्व, सारे जीव-जन्तु तेरी इबादत करते हैं; यानी कायनात का हर ज़र्रा, अल्लाह की बंदगी की हालत में है, यह वह चीज़ है कि इंसान अगर इसे महसूस कर ले तो समझिए वह बंदगी के बहुत ऊंचे दर्जे पर पहुंच गया है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,हम तेरी इबादत करते हैं; इस 'हम' के दायरे में कौन लोग हैं?उसमें एक मैं हूँ। मेरे अलावा, समाज के बाक़ी लोग हैं; हम के दायरे में पूरी इंसानियत का हर शख़्स है न सिर्फ़ तौहीद को मानने वाले बल्कि वे भी हैं जो तौहीद को नहीं मानते और अल्लाह की इबादत करते हैं।

जैसा कि हमने कहा कि उनकी फ़ितरत में अल्लाह की इबादत रची बसी है उनके भीतर जिससे वे अंजान हैं, अल्लाह की इबादत करने वाला और अल्लाह का बंदा है; हालांकि उनका ध्यान इस ओर नहीं है। इससे भी ज़्यादा व्यापक दायरा हो सकता है जिसमें पूरी कायनात को शामिल माना जाए यानी पूरी कायनात अल्लाह की बंदगी का मेहराब हो।

मैं और कायनात के सभी तत्व, सारे जीव-जन्तु तेरी इबादत करते हैं; यानी कायनात का हर ज़र्रा, अल्लाह की बंदगी की हालत में है, यह वह चीज़ है कि इंसान अगर इसे महसूस कर ले तो समझिए वह बंदगी के बहुत ऊंचे दर्जे पर पहुंच गया है।

वह तौहीद के इस नग़मे को पूरी कायानात में सुनता है यह एक हक़ीक़त है। मुझे उम्मीद है कि अल्लाह की बंदगी और इबादत में हम ऐसे स्थान पर पहुंच जाएं कि इस सच्चाई को महसूस कर सकें

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