यूक्रेन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि ने हाल ही में यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए एक विवादास्पद योजना प्रस्तुत की, जिस पर मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
वाइट हाउस लौटने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करना, अपने प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता बना लिया है। एक ऐसी समस्या जो आसानी से हल नहीं हो सकती।
टाइम्स पत्रिका ने लिखा: यूक्रेन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि सेवानिवृत्त जनरल कीथ केलॉग की योजना के अनुसार, देश को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बर्लिन की शैली में विभाजित किया जाएगा।
केलॉग ने प्रस्ताव दिया कि यूक्रेन को दो क्षेत्रों में विभाजित किया जाए: नीपर नदी के पश्चिम पर ब्रिटिश और फ्रांसीसी शांति सेना का नियंत्रण होगा।
पूर्वी यूक्रेन, जिसमें वर्तमान में मक़बूज़ा क्षेत्र भी शामिल हैं, रूसी नियंत्रण में रहेंगे तथा दोनों भागों के बीच 18 मील चौड़ा असैन्य क्षेत्र बनाया जाएगा।
यूक्रेन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका इन क्षेत्रों में कोई भी ज़मीनी सैनिक नहीं भेजेगा, लेकिन पूर्वी यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर रूसी नियंत्रण को स्वीकार करने पर कीव में नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है।
इस योजना ने रिपब्लिकन और अमेरिकी सहयोगियों के बीच चिंता पैदा कर दी है। कुछ लोगों को चिंता है कि इस प्रस्ताव का अर्थ होगा रूस की मांगों को स्वीकार करना और यूक्रेन की संप्रभुता को कमजोर करना।
कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने भी यूक्रेन के प्रति ट्रम्प प्रशासन की नीतियों में सामंजस्य की कमी पर चिंता व्यक्त की है।
यद्यपि केलॉग को कीव में उनके रूस विरोधी रुख़ को सम्मान दिया गया, लेकिन यूक्रेन की नाजी जर्मनी से तुलना और देश को विभाजित करने के उनके प्रस्ताव ने यूक्रेनी अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
कई लोग इस योजना को क्रेमलिन की मांगों की स्वीकृति और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को ख़तरे में डालने के रूप में देखते हैं।
मार्च 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने घोषणा की कि केलॉग की रूस के साथ वार्ता में कोई भूमिका नहीं होगी और वह केवल यूक्रेन के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे।
यह निर्णय रूस द्वारा 30 दिन के युद्ध विराम को अस्वीकार करने तथा यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति रोकने की मांग के बाद लिया गया।
केलॉग ने इससे पहले कीव की यात्रा करके युद्ध मोर्चों का दौरा किया था तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति विलोदीमीर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की थी, ताकि यूक्रेन की सुरक्षा आवश्यकताओं की गहन समझ हासिल की जा सके।
जबकि कुछ लोग यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की केलॉग योजना को शांति की दिशा में एक क़दम के रूप में देखते हैं, वहीं अन्य लोग चेतावनी देते हैं कि ऐसी योजना रूस की कार्रवाइयों की वैधता को बढ़ा सकती है और यूक्रेन की संप्रभुता को कमजोर कर सकती है।
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत मास्को की सुरक्षा चिंताओं के प्रति पश्चिम की उदासीनता और रूस की सीमाओं के निकट उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) बलों के विस्तार के परिणामस्वरूप हुई।
पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका द्वारा यूक्रेन की सुरक्षा चिंताओं को नज़र अंदाज किये जाने के बाद मास्को ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर सैन्य हमला किया था।
रूस की इस कार्रवाई के जवाब में, पश्चिमी देशों ने पहले ही मास्को के ख़िलाफ व्यापक प्रतिबंध लगा दिए हैं और कीव को अरबों डॉलर के हथियार और सैन्य उपकरण भेज दिए हैं।
रूसी राष्ट्रपति विलादीमीर पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए अपनी शर्तें बार-बार दोहराई हैं जिनमें कीव का नैटो सैन्य गठबंधन में शामिल न होना, मास्को के खिलाफ सभी पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाना, तथा डोनबास और नोवोरोसिया क्षेत्रों से यूक्रेनी सैनिकों की पूर्ण वापसी शामिल है।