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आक़ील और आलिम इंसान कभी भी अलग-अलग विचारधाराओं और फिरकों में नहीं उलझता।

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आक़ील और आलिम इंसान कभी भी अलग-अलग विचारधाराओं और फिरकों में नहीं उलझता।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमुली ने कहा, इब्ने सक्कीत ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से अर्ज किया: या इब्ने रसूल अल्लाह! मक़ातिब, फिरके, क़ौमें, मिल्लतें और बातें बहुत ज़्यादा हैं, हम किस बात को सही समझें?इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया, सबसे पहली बात "अक़्ल" करती है; अक़्ली दलाइल इल्म और दानाई ही असली फ़ैसला करने वाले हैं।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमुली ने अपने एक लिखित बयान में फ़िरकों और मकातिब (विचारधाराओं) पर बात करते हुए कहा,इब्न सक्कीत ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की सेवा में अर्ज किया: या इब्ने रसूल अल्लाह! बहुत सारे मक़तब (विचारधाराएं) हैं, बहुत सारे फिरके हैं, क़ौमें और मिल्लतें भी अलग-अलग हैं और हर किसी की अपनी बात है, तो हम किसकी बात को सही समझें? ऐसे मौके पर सबसे पहले कौन बोलता है?

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया, सबसे पहले अक़्ल (बुद्धि) बोलती है। अक़्ली दलील (तर्क), इल्म (ज्ञान) और दानाई (समझदारी) ही हक़ (सच) को उजागर करती हैं।

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