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ईदे ग़दीर शियओ की महान धरोहर है। सैयदा ज़हेरा बोरकई

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ईदे ग़दीर शियओ की महान धरोहर है। सैयदा ज़हेरा बोरकई

जामियतुल ज़हेरा की प्रबंधक सैयदा ज़हेरा बोरकई ने एक समारोह में संबोधन करते हुए ईद-ए-ग़दीर को अहल-ए-बैत (अ.स.) के शिया मुसलमानों की गौरवशाली और गर्व करने योग्य विरासत बताया हैं।

जामिया अज़ ज़हेरा (स.अ.) की प्रबंधक ने कहा कि ईद-ए-ग़दीर हमें अहल-ए-बैत (अ.स.) की मोहब्बत के उस संदेश की याद दिलाती है, जो इंसान की नजात का एकमात्र साधन है उन्होंने कहा कि जामिया अज़-ज़हरा (स.अ.) का स्थापित होना अल्लाह की एक बड़ी नेमत है, जो अहल-ए-बैत (अ.स.) के चाहने वालों की तरबियत और विलायत के प्रचार का केंद्र है। 

सैय्यदा बोरकई ने कहा कि इस नेमत की शुक्रगुज़ारी का तकाज़ा है कि हम ख़ालिस नीयत के साथ अहल-ए-बैत (अ.स.) की सेवा में जुटे रहें उन्होंने अपने संबोधन में इख़लास हौसला और दीन की सेवा को कामयाबी की कुंजी बताया और कहा कि निराशा दरअस्ल दीनी अक़्दार की अहमियत को न समझने का नतीजा होता है। 

उन्होंने जोर देकर कहा कि जामिया अज़ज़हरा स.अ. से फ़ारिग़ होने वाली तालिबात (छात्राएँ) दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में इल्मी, सामाजिक और सियासी मैदानों में उल्लेखनीय सेवाएँ अंजाम दे रही हैं उन्होंने रहबर-ए-मोअज़्ज़म इंक़िलाब-ए-इस्लामी (ईरान के सुप्रीम लीडर) का हवाला देते हुए कहा कि इमाम ख़ुमैनी (र.अ.) का यह महान इल्मी और दीनी इदारा आज भी अपनी बरकतों के साथ जारी है। 

अंत में, उन्होंने जामिया अज़-ज़हरा (स.अ.) के सभी कर्मचारियों को संस्था की तरक्की के लिए लगातार कोशिश करने की नसीहत की और कहा कि हर इदारे में चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन जामिया अज़-ज़हरा (स.अ.) की कामयाबी उसकी विलायती बुनियादों में छुपी है।

 

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