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अमेरिका और इजरायल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं

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अमेरिका और इजरायल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं

 क़ुम के हौज़ा एल्मिया के प्रतिष्ठित शिक्षक और नेतृत्व विशेषज्ञ परिषद मजलिस-ए ख़ुबरगान के सदस्य ने कहा कि 12 दिन के युद्ध में अमेरिका को इजरायल के अपराधों से अलग करना सिर्फ मूर्खता है क्योंकि शुरू से ही अमेरिका अतिक्रमणकारी इज़राईली सरकार का साझीदार रहा है।

आयतुल्लाह मोहसिन अराकी ने क़ुम में टेलीविजन की उच्च परिषद के प्रबंधकों की बैठक में, 12 दिन के युद्ध के दौरान राष्ट्र का हौसला अफ़जाई, प्रतिरोध और सतर्कता के लिए राष्ट्रीय मीडिया के प्रयासों का शुक्रिया अदा किया और सियोनी सरकार के राष्ट्रीय टेलीविजन की शीशे की इमारत पर हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि सभी मीडिया सदस्यों की इस मुश्किल समय में प्रतिरोध, ईरानी राष्ट्र के प्रतिरोध की हक़ीक़त को दर्शाता है और यह सीरत-ए अलवी और हुसैनी का अमली नमूना है। 

नेतृत्व विशेषज्ञ परिषद के सदस्य ने यह बयान करते हुए कि टेलीविजन के मज़बूत प्रदर्शन ने इस संवेदनशील समय में युद्ध के बयानों के संतुलन को इस्लामी ईरान के पक्ष में मोड़ दिया, कहा कि थोपे गए 12 दिन के भीषण युद्ध में आपने जनता की राय के संगठित नेतृत्व के ज़रिए इस्लामी ईरान की सैन्य ताक़त को हक़ और हक़ीक़त की दिशा में मोड़ दिया। 

उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में मीडिया कर्मियों ने इस अवधि में इस्लामी गणतंत्र ईरान की ताक़त को दुनिया के सामने पूरी तरह से पेश किया। आयतुल्लाह अराकी ने क़ुरान और हदीसों की रौशनी में इस्लाम के इतिहास में मीडिया की भूमिका पर भी ज़ोर दिया। 

उन्होंने अतिक्रमणकारी सियोनी सरकार के साथ 12 दिन के युद्ध को पवित्र रक्षा दफ़ा-ए मुक़द्दस से भी ज़्यादा अहम और मुश्किल बताया और कहा कि इस्लामी ईरान ने अमेरिका जैसी घमंडी ताक़तों के ख़िलाफ़ बहादुराना मुक़ाबला करके यह साबित किया कि मैदान का असली विजेता कौन है। 

आयतुल्लाह मोहसिन अराकी ने यह बयान करते हुए कि इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता, जनता, सशस्त्र बलों और मीडिया ने इस दौरान जो कुछ किया है वह अलवी ताक़त और पहचान की निशानी है, कहा कि इस पहचान को हक़ और सच्चाई के मीडिया के प्रयासों के ज़रिए बयान किया जाना चाहिए और इसे बरकरार रखना चाहिए। 

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ही अमेरिका के साथ युद्ध के मैदान में अंतिम विजेता है, कहा कि इस्लामी ईरान अमेरिका के ख़िलाफ़ नारों में नहीं, बल्कि युद्ध के मैदान में भी सीना तान कर, ताक़त, सत्ता और काबिलियत के साथ खड़ा है और यह राष्ट्र की यक़ीनी जीत के सिवा कुछ नहीं है। 

उन्होंने अमेरिका की तरफ से युद्धविराम की अपील को दुश्मन को नाकाम बनाने में इस्लामी ईरान की जीत का एक और सबूत बताया और कहा कि इस 12 दिन के युद्ध में इजरायल के अपराधों से अमेरिका को अलग करना मूर्खता के सिवा कुछ नहीं है, क्योंकि शुरू से ही अमेरिका इजरायल का अहम साझीदार रहा है।

 

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