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अरबईन अत्याचार के खिलाफ विद्रोह और मजलूम के प्रति वफादारी की घोषणा है

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अरबईन अत्याचार के खिलाफ विद्रोह और मजलूम के प्रति वफादारी की घोषणा है

 मजलिस ए वहदत ए मुस्लिमीन पाकिस्तान के चेयरमैन सीनेटर मौलाना राजा नासिर अब्बास जाफरी ने कहा है कि आज पूरे देश में इमाम हुसैन अ.स.के अर्बाइन के जुलूस-ए-अज़ा निकाले जा रहे हैं। अरबईन सिर्फ एक धार्मिक रिवाज नहीं है, बल्कि यह अत्याचार के खिलाफ विद्रोह और मजलूम के साथ खड़े होने की स्पष्ट घोषणा है।

मजलिस ए वहदत ए मुस्लिमीन पाकिस्तान के चेयरमैन सीनेटर मौलाना राजा नासिर अब्बास जाफरी ने कहा है कि आज पूरे देश में इमाम हुसैन अ.स.के अर्बाइन के जुलूस-ए-अज़ा निकाले जा रहे हैं। अरबईन सिर्फ एक धार्मिक रिवाज नहीं है, बल्कि यह अत्याचार के खिलाफ विद्रोह और मजलूम के साथ खड़े होने की स्पष्ट घोषणा है। 

उन्होंने कहा कि कर्बला की धरती पर इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की कुर्बानी समय और स्थान की सीमाओं से परे है, जो हर युग और हर समाज के लिए आज़ादी और न्याय का संदेश देती है मौलाना राजा नासिर अब्बास जाफरी ने कहा कि इमाम हुसैन (अ.स.) ने यज़ीदियत के खिलाफ हक़ का झंडा बुलंद किया और यह सिखाया कि अत्याचार के सामने चुप रहना भी एक अपराध है। 

उन्होंने कहा,आज जब गाज़ा के मासूम बच्चे भूख और प्यास से तड़प रहे हैं और ज़ालिम ताकतें उनका खून बहा रही हैं, तो मकतब-ए-हुसैनियत हमें यह संदेश देता है कि हम अपनी ज़ुबान, कदम और संसाधनों से मजलूम का समर्थन करें और ज़ालिम के खिलाफ आवाज़ उठाएं।

उन्होंने सरकार और सभी संस्थाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अर्बाइन के जुलूस में पैदल शामिल होने वाले अज़ादारों को परेशान न किया जाए। यह अज़ादारों का संवैधानिक, कानूनी और धार्मिक अधिकार है, जिस पर किसी भी तरह की पाबंदी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि अज़ादारी को रोकने या सीमित करने की कोई भी कोशिश करोड़ों हुसैन (अ.स.) के प्रेमियों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के बराबर होगी। 

उन्होंने कहा कि अर्बाइन का संदेश स्पष्ट है हम किसी भी युग के यज़ीद को स्वीकार नहीं करेंगे, चाहे वह अतीत का हो या आज का इस्राइल और अमेरिका। हम हर मजलूम के साथ खड़े रहेंगे, चाहे वह कर्बला के कैदी हों या गाज़ा में भूख-प्यास से तड़पते मासूम बच्चे।

हमने कल भी हक़ का परचम बुलंद रखा, आज भी उसी परचम के नीचे डटे हैं और क़यामत तक हुसैन (अ.स.) के वफादार रहेंगे। हमारी साँसें मजलूम की ढाल और हमारा खून ज़ालिम के खिलाफ हथियार है।

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