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हाय रसूले खुदा, हाय इमामे हसन" की गूंजीं सदाएं

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हाय रसूले खुदा, हाय इमामे हसन" की गूंजीं सदाएं

 हजरत मोहम्मद मुस्तफा और हज़रत इमाम हसन की शहादत पर निकाला जुलूस अंजुमनों ने नौहा मातम कर पेश किया नज़राने अकीदत

जौनपुर/मुसलमानों के आख़री नबी इस्लाम धर्म के प्रवर्तक रसूले ख़ुदा हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. अ. और उनके बड़े नवासे दूसरे इमाम हज़रत इमाम हसन अ. स. की शहादत की याद में बृहस्पतिवार रात्रि में शबे 27 सफर का जुलूस स्थान हुसैनिया नक़ी फाटक से उठा, जो देर रात संपन्न हुआ।

जुलूस में अन्जुमनो ने "हाय रसूले खुदा, हाय इमामे हसन" नौहा पढ़ा व मातम किया और रसूल व इमाम की शहादत पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान भारी संख्या में महिला पुरूष व बच्चो ने भाग लिया।

नक़ी फाटक में मजलिस हुई जिसमें सोजख़्वानी सैयद मो अब्बास ने अपने साथियों के साथ किया। पेशख़्वानी तल्क़ जौनपुरी ने किया। मजलिस को धर्म गुरु मौलाना महफूजुल हसन खां ने सम्बोधित करते हुए बताया कि मोहम्मद साहब ने ख़ुदा के पैग़ाम को पूरी दुनिया तक पहुँचाया।

मजलूमों, गु़लामों, औरतों, बेसहारा व यतीमों को उनका हक़ दिलाया। मोहम्मद साहब ने इंसानों को मानवता का पाठ पढ़ाते हुए सच्चाई की राह पर चलने व अमन शान्ति का संदेश दिया।इस्लाम धर्म सबको समानता का अधिकार दिलाने का पैग़ाम देता है।

आगे उन्होंने कहा कि अगर इंसान अल्लाह की किताब क़ुरान और मोहब्बते अहलेबैत पर अमल करें तो वो कभी परेशान नहीं हो सकता। हमेशा फलता -फूलता रहेगा बाद खत्म मजलिस शबीहे अलम निकाला गया । उसके बाद नक़ी फाटक के सामने मस्जिद पर एक तक़रीर सै मो हसन नसीम  ने करते हुए रसूले खोदा व इमाम हसन पर हुए मसाएब को पढ़ा तो माहौल ग़मग़ीन हो गया लोग रोने लगे, उसके बाद शबीहे ताबूत निकाला गया।

जिसमें शहर की अन्जुमने जुल्फेक़ारिया बड़ी मस्जिद, अजादारिया बारादुअरिया ने नौहा पढ़ती-मातम करती हुई जुलूस की शक्ल मे मल्हनी पड़ाव होते हुए इमाम चौक वक्फ़ बीकानी बीबी डढ़ियाना टोला तक गई। जुलूस पुन: नक़ी फाटक मे आकर संपन्न हुआ।इस मौके पर बड़ी संख्या में मोमिनीन उपस्थित हुए।

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