इमाम रज़ा (अ) ने एक रिवायत में अपनी शहादत और ज़ियारत के सवाब का ज़िक्र किया है।
यह रिवायत अल ख़िसाल किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الرضا علیه السلام:
ألا وإنّی لَمَقتولٌ بِالسَّمِّ ظُلماً، ومَدفونٌ فی مَوضِعِ غُربَةٍ، فَمَن شَدَّ رَحلَهُ إلى زِیارَتی استُجیبَ دُعاؤهُ وغُفِرَ لَهُ ذَنبُهُ.
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमाया:
जान लो कि मुझे ज़हर देकर नाहक़ मार दिया जाएगा और किसी सुनसान जगह पर दफ़न कर दिया जाएगा। इसलिए जो कोई मेरी ज़ियारत के लिए यात्रा करेगा, उसकी दुआ कुबूल की जाएगी और उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे।
अल ख़िसाल, पेज 144, अध्याय 167