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हज़रत इमाम अली अ.स. की इंसानियत को दो बड़े खतरात से आगाही

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हज़रत इमाम अली अ.स. की इंसानियत को दो बड़े खतरात से आगाही

हज़रत इमाम अली अ.स. ने इंसान के लिए सबसे बड़े दो खतरे बताए हैं, पहला खतरा है खावहीसात ए नफ़्स (इच्छाओं) का पालन करना। नफ़्स की हवस इंसान को ऐसी चाहतों की ओर खींचती है जो कभी-कभी गैर-ज़रूरी या हराम भी हो सकती हैं। यदि इन्हें काबू में न रखा जाए, तो ये आदत बन जाती हैं और इंसान को कमजोर कर देती हैं। दूसरा खतरा है लंबी और अत्यधिक उम्मीदों में फंस जाना। ऐसी उम्मीदें इंसान को ज़िंदगी की हक़ीक़त और अपनी ज़िम्मेदारियों से दूर कर देती हैं, जिससे वह लापरवाह हो जाता है।

मरहूम आयतुल्लाह अज़ीज़ुल्लाह ख़ुशबख्त हौज़ा इल्मिया के उस्ताद-ए-अख़लाक़ ने अपने एक दर्स-ए-अख़लाक़ में "ख्वाहिशात-ए-नफ्सानी और लंबी उम्मीदें" के मौज़ू पर गुफ़्तगू की जिसका खुलासा इस तरह है,हज़रत अली अ.स.फरमाते हैं,मैं तुम्हारे बारे में जिन दो चीज़ों से सबसे ज़्यादा डरता हूं वो हैं,लंबी उम्मीदें और नफ्स की ख्वाहिशों की पैरवी।

इंसान जब ज़िंदगी में आगे बढ़ता है, तजुर्बे हासिल करता है और अलग अलग चीज़ों से लुत्फ़ अंदोज़ होता है तो कई चीज़ों की तरफ दिल माइल होने लगता है। अच्छी खुराक, लज़ीज़ फल, खूबसूरत लिबास और दिल लुभाने वाली चीज़ें उसके ज़हन में जमा हो जाती हैं। फिर वो हमेशा बेहतर और ज़्यादा लज़्ज़त देने वाली चीज़ की तलाश में रहता है।

यह ख्वाहिशें आहिस्ता आहिस्ता बढ़ती हैं और इंसान की ज़िंदगी पर हावी हो जाती हैं। इस मौक़े पर अक्सर वो ये नहीं सोचता कि ये काम दुरुस्त है या गलत, नुकसानदेह है या फायदेमंद; बस दिल की चाहत के पीछे चलता है। यही हवा-ए-नफ्स है।

लेकिन कुछ ख्वाहिशें ऐसी हैं जिन्हें खुदा ने हराम क़रार दिया है। इंसान चाहे कि उनसे लज़्ज़त उठाए, मगर खुदा कहता है,नहीं, ये जाइज़ नहीं।" यही मुक़ाम असल इम्तिहान है अगर इंसान इन हराम ख्वाहिशों को छोड़ दे और सिर्फ हलाल चीज़ों से फायदा उठाए तो उसका अमल इस्लामी होगा।

लेकिन अगर नफ्स के पीछे लग गया तो वो आहिस्ता-आहिस्ता कमज़ोर होता जाएगा यहां तक कि हराम को छोड़ना मुश्किल से मुश्किलतर हो जाएगा। फिर इंसान बड़ी मुसीबतों में मुबतिला हो जाता है।

यही वजह है कि हज़रत अली अ.स.ने फरमाया, मैं तुम्हारे बारे में दो चीज़ों से सख़्त खौफ़ज़दा हूं: एक नफ्स की ख्वाहिशों की पैरवी और दूसरे लंबी उम्मीदें।

इसलिए अगर इंसान सेहतमंद और पाकीज़ा ज़िंदगी गुज़ारना चाहता है तो ज़रूरी है कि वो हराम ख्वाहिशों से भी बचे और गैर-हक़ीक़ी व लंबी उम्मीदों से भी।

 

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