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विलायत-ए-फक़ीह किसी एक गिरोह से नहीं जुड़ी है बल्कि पूरी इंसानियत के सुधार का स्रोत है

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विलायत-ए-फक़ीह किसी एक गिरोह से नहीं जुड़ी है बल्कि पूरी इंसानियत के सुधार का स्रोत है

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हुसैन रफीई ने कहा: विलायत-ए-फक़ीह किसी एक गिरोह से नहीं जुड़ी है बल्कि पूरी इंसानियत के लिए भलाई और सुधार का स्रोत है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम सुप्रीम लीडर की हिदायतों के अनुयायी रहें और उनके रास्ते के सच्चे सिपाही बनें।

हौज़ा इल्मिया में तबलीगी व सांकृतिक मामलों के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हुसैन रफीई ने मदरसा मासूमिया क़ुम में आयोजित तुलेबा और हौज़ा इल्मिया के फारिग़-उत्तहसील छात्रो से खिताब करते हुए कहा: आज हम एक अज़ीम तहज़ीबी जंग के मरहले में हैं, जिसकी एक जानिब मग़रिबी तहज़ीब खड़ी है और दूसरी जानिब इस्लामी तहज़ीब। दोनों तहज़ीबें अपने तईं एक-दूसरे के मुकाबले में मआना रखती हैं।

उन्होंने हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की अज़मत और रूहानी मरकज़ियत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा: इमाम ज़माना अजलल्लाहु तआला फरजहुश्शरीफ़ फर्माते हैं: "ली फी बिन्ति रसूलिल्लाह उस्वतुन हसना" यानी "हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा मेरे लिए उस्वा-ए-हसना हैं"। मालूम हुआ कि दुनिया की अस्ल महवरियत सय्यदा सलामुल्लाह अलैहा की है क्योंकि उनकी रज़ामंदी अल्लाह की रज़ामंदी और उनका ग़ज़ब खुदा के ग़ज़ब के बराबर है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रफीई ने सुप्रीम लीडर की सेहत व तुल-उम्र के लिए दुआ करते हुए कहा: विलायत-ए-फ़क़ीह किसी एक गिरोह से मुताल्लिक़ नहीं, बल्कि पूरी बशरीयत के लिए भलाई व सलाई का सरचश्मा है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम रहबर मुअज़्ज़म की हिदायतों के पैरवी रहें और उनके रास्ते के हकीकी सिपाही बनें।

उन्होंने कहा: हकीकत यह है कि हम अब भी जंग में हैं। जंग का लफ़्ज़ शऊरी ज़िम्मेदारियों के साथ आता है। जब जंग की बात होती है तो यह भी तय करना ज़रूरी होता है कि दुश्मन किस मैदान को निशाना बना रहा है और हमारा दिफाई व फिक्री सफ़ बंदी का निजाम क्या है? लिहाज़ा उसके लिए हमें हर वक्त तैयार रहना चाहिए।

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