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अपनी पहचान और अक़ीदा मज़बूत रखना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है

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अपनी पहचान और अक़ीदा मज़बूत रखना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है

शिया जामा मस्जिद जाफ़रिया रांची में उलेमाए किराम और मोमिनीन से संबोधित करते हुए, भारत में रहबर मोअज़्ज़म के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने कहा कि शिया होना हमारे लिए गर्व की बात है, क्योंकि हमारा मज़हब अक्ल, इंसाफ और अख्लाक की नींव पर स्थापित है।

शिया जामा मस्जिद जाफ़रिया रांची में उलेमाए किराम और मोमिनीन से संबोधित करते हुए, भारत में रहबर मोअज़्ज़म के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने कहा कि शिया होना हमारे लिए गर्व की बात है, क्योंकि हमारा धर्म बुद्धि, न्याय और नैतिकता की नींव पर स्थापित है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हकीम इलाही ने कहा कि बुद्धि और समझ की नींव पर धर्म को मानना शिया मत की विशेषता है। हमारे धर्म में सोचने, समझने और प्रश्न करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। न्यायप्रियता शिया शिक्षाओं का केंद्रीय हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि इमाम अली अलैहिस्सलाम ने कभी भी किसी लाभ या फ़ायदे के लिए अन्याय को स्वीकार नहीं किया। अहले बैत अ.स.के मार्ग पर चलना केवल एक ऐतिहासिक पहलू नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, तक़्वा और सही मार्गदर्शन का रास्ता है। कर्बला का संदेश हमें अत्याचार के सामने डटकर खड़े रहने का साहस देता है और मानव निर्माण का पाठ पढ़ाता है।

रहबर मोअज़्ज़म के प्रतिनिधि ने आगे कहा कि एक शिया की पहचान तीन आधारों पर स्थापित है:

  1. मजबूत अकीदा: अर्थात् अल्लाह, पैग़म्बर (स.अ.व.), अहले बैत (अ.स.), क़यामत और अद्ल-ए-इलाही पर दृढ़ ईमान।
    2. अच्छा अख्लाक :जिसमें सच्चाई, ईमानदारी, साफ़ दिल, सेवा-ए-ख़ल्क़ और स्पष्टवादिता शामिल है।
    3. सामाजिक जुड़ाव :मस्जिद और इमामबाड़ा से संबंध, धार्मिक कार्यक्रमों में भागीदारी, और नई पीढ़ी की शिक्षा दीक्षा।

भारत में वली-ए-फक़ीह के प्रतिनिधि ने कहा कि आज की दुनिया में युवाओं को उनके धर्म और मूल्यों से दूर करने की बहुत कोशिशें हो रही हैं। यदि कोई समुदाय अपनी पहचान खो दे तो उसका भविष्य भी कमज़ोर हो जाता है।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमारे धार्मिक त्योहार, हमारा इतिहास और हमारी आस्थाएं ही हमारी असली ताकत हैं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पाठ हमें अत्याचार के विरुद्ध साहस देता है। इसी तरह, ग़दीर की घटना हमें अल्लाह की ओर से स्थापित सही नेतृत्व का बोध कराती है, और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शिक्षाएँ ज्ञान और शोध की नींव प्रदान करती हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने भारतीय शियाओं के लिए कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ बताते हुए कहा कि बच्चों और युवाओं की धार्मिक शिक्षा को मजबूत करना, आपस में एकता बनाए रखना, मस्जिदों और धार्मिक केंद्रों में शैक्षिक गतिविधियाँ बढ़ाना, आशूरा, ग़दीर और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से आयोजित करना, उच्च शिक्षा और शैक्षणिक क्षेत्रों में पूरी भूमिका निभाना, साथ ही ऐसी पीढ़ी तैयार करना जो ज्ञान, नैतिकता और सेवा का आदर्श हो ये वर्तमान युग में शियाओं की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ हैं।

अंत में उन्होंने कहा कि अपनी पहचान की सुरक्षा वास्तव में इस्लाम की मूल भावना की सुरक्षा है, और इसी से भारत में शिया समुदाय का उज्ज्वल भविष्य जुड़ा हुआ है।

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