हुज्जतुल इस्लाम अहमद लुक़मानी ने हज़रत मासूमा (स.ल.) के हरम में दिए गए अपने भाषण में इस्लामी जीवनशैली के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मानवता वह मूल गुण है जो मनुष्य को मरने के बाद भी जीवित रखती है।
हुज्जतुल-इस्लाम अहमद लुक़मानी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि सिर्फ इंसान होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि ऐसा इंसान बनना आवश्यक है जो जीवन में भलाई, सेवा और नैतिक चरित्र के माध्यम से दूसरों के लिए फलदायी हो, ताकि मृत्यु के बाद भी उसका प्रभाव बना रहे।
उन्होंने शहीद कासिम सुलेमानी का उदाहरण देते हुए कहा कि वह दफन नहीं हुए बल्कि मानो धरती में बो दिए गए हैं, इसीलिए आज दुश्मन उनसे शहादत के बाद अधिक भयभीत है और उनकी तस्वीरें दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मानवता और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में दिखाई देती हैं।
हुज्जतुल इस्लाम लुक़मानी ने इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) से जुड़ा एक वाकया सुनाया कि एक गुलाम ने एक प्यासे कुत्ते को पानी पिलाया ताकि अल्लाह उसके दिल को खुश करे, जिस पर इमाम ने उसके इस कार्य की सराहना की। इस घटना के परिणामस्वरूप गुलाम को आज़ादी मिली और उसका जीवन बदल गया।
उन्होंने पूर्वी जर्मनी के सैनिक क्रिस्टोफ ह्यूमन की घटना भी सुनाई कि उसने युद्ध के दौरान एक बच्चे को सीमा की तारों से पार कराकर उसके परिवार तक पहुँचाया, जिसके कारण उसे मौत की सज़ा सुनाई गई, लेकिन यह कार्य पूरी दुनिया में मानवता का उदाहरण बन गया।
उन्होंने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम) के अख़लाक़ का जिक्र करते हुए बताया कि आप मुस्कुराकर मिलते थे, बच्चों को सलाम करते थे और आप सहनशीलता और धैर्य की उत्कृष्ट मिसाल थे। इसी तरह हज़रत फातिमा (सलामुल्लाह अलैहा) के सम्मान का भी उल्लेख किया और बेटी को रहमत और सुख सौभाग्य बताया।
उन्होंने इमाम हसन अलैहिस्सलाम और इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की घटनाओं के माध्यम से सब्र, दुआ, क्षमा और मानवता का पाठ दिया और अंत में शहीद इब्राहीम हादी की घटना सुनाते हुए कहा कि हमें दैनिक जीवन में मानवता को व्यवहार में अपनाना चाहिए।