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हज़रत सिद्दीक़ा ताहेरा (स.ल.) से मुहब्बत और मुवद्दत अल्लाह तआला की निकटता का साधन है

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हज़रत सिद्दीक़ा ताहेरा (स.ल.) से मुहब्बत और मुवद्दत अल्लाह तआला की निकटता का साधन है

हौज़ा ए इल्मिया की उच्च परिषद के सचिव आयतुल्लाह मुहम्मद मेंहदी शब-ज़िंदादार ने केंद्र प्रबंधन हौज़ा ए इल्मिया इस्फ़हान के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सल्लल्लाहु अलैहा व आलिहा) के पवित्र जन्मदिन की बधाई दी और अहले बैत अलैहिमुस्सलाम के गुणों की पहचान और उन पर ध्यान देने के महत्व पर बल दिया।

हौज़ा ए इल्मिया की उच्च परिषद के सचिव आयतुल्लाह मुहम्मद मेंहदी शब-ज़िंदादार ने केंद्र प्रबंधन हौज़ा ए इल्मिया इस्फ़हान के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सल्लल्लाहु अलैहा व आलिहा) के पवित्र जन्मदिन की बधाई दी और अहले बैत अलैहिमुस्सलाम के गुणों की पहचान और उन पर ध्यान देने के महत्व पर बल दिया।

उन्होंने पवित्र कुरआन की आयतों, विशेष रूप से सूरए कौसर, आयते तत्हीर और आयते मवद्दत का उल्लेख करते हुए हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सल्लल्लाहु अलैहा व आलिहा) के ऊंचे स्थान को असीमित बताया और कहा,पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम का उनके साथ व्यवहार और पूर्ण सम्मान इस महान शख़्सियत की महानता का प्रतीक है। उनकी प्रसन्नता ईश्वर की प्रसन्नता है और उनका नाराज़ होना ईश्वरीय प्रकोप का कारण बनता है।

हौज़ा ए इल्मिया की उच्च परिषद के सचिव ने कहा, हज़रत सिद्दीक़ा ताहिरा सल्लल्लाहु अलैहा व आलिहा का आध्यात्मिक स्थान इतना ऊंचा है कि जिब्रईल अमीन ईश्वरीय आदेश से उन पर उतरते हैं और यह किसी इंसान के लिए वहय से सीधे संपर्क का सर्वोच्च स्तर है।

उन्होंने आगे कहा, हज़रत सिद्दीक़ा ताहिरा सल्लल्लाहु अलैहा व आलिहा से प्रेम और स्नेह केवल पैग़म्बरे इस्लाम (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम) के लिए प्रतिफल नहीं है, बल्कि मनुष्य के आध्यात्मिक विकास और ईश्वर की निकटता का माध्यम है। इसी आधार पर आयते मवद्दत और आयते ततहीर और मुबाहिला उनके पैग़म्बरी के स्थान और उम्मत की मार्गदर्शन में महानता का संकेत हैं।

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