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ईरान और क़तर ने यमन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने पर ज़ोर दिया

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ईरान और क़तर ने यमन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने पर ज़ोर दिया

ईरान और क़तर के विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय हालात पर गंभीर चर्चा करते हुए यमन की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

ईरान और क़तर के विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय हालात पर गंभीर चर्चा करते हुए यमन की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम एशिया में तनाव लगातार बढ़ रहा है और कई देशों की स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।

ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने रविवार, 28 दिसंबर को क़तर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल्ला अल थानी से टेलीफ़ोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्र में चल रहे राजनीतिक और सैन्य घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श किया।

बातचीत में फ़िलिस्तीन और लेबनान की स्थिति पर विशेष चिंता व्यक्त की गई। दोनों मंत्रियों ने कहा कि इज़रायल द्वारा युद्ध-विराम समझौतों का उल्लंघन किया जा रहा है और ग़ाज़ा तथा लेबनान में लगातार हमले किए जा रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने इस स्थिति को गंभीर मानवीय संकट बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की।

ईरान और क़तर के विदेश मंत्रियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इज़रायल पर दबाव डालना चाहिए ताकि वह अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पूरी तरह पालन करे। उन्होंने नरसंहार, कब्ज़े और विस्तारवादी नीतियों को तुरंत समाप्त करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

इसके साथ ही दोनों पक्षों ने यमन की हालिया स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यमन की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और किसी भी प्रकार के विभाजन या बाहरी हस्तक्षेप से बचा जाना चाहिए। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि यमन में स्थायी शांति केवल संवाद, राजनीतिक समाधान और देश की संप्रभुता के सम्मान से ही संभव है।

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