इमाम ज़माना (अ) जीवित और मौजूद हैं और हमारे बीच हैं। कुरआन के असरार, पैग़म्बरों और सभी नबीयों का राज उनके पास है। वे वही हकीकत हैं जिसे "إنا أنزلناه فی لیلة القدر इन्ना अंज़लनाहो फ़ी लैलतिल क़द्र" कहा गया है। इसलिए दुनिया कभी भी हुज्जत से खाली नहीं रहती और वे "वली युल्लाहिल आज़म" और "खलीफ़तुल्लाह" के रूप में हमेशा महवरे हस्ती और उसका नगीना है।
मरहूम अल्लामा हसन ज़ादा आमोली द्वारा इमाम ज़माना (अ) की शख्सियत के बारे में कुछ बयान आपके सामने प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
एक जीवित और मौजूद शख्सियत, जो अल्लाह के सभी नामों का मज़्हर है, इंसान-ए-कामिल, कुरआन के असरार, जिसका शरीर वही वैसा ही है जैसा हमारे पास है, इमाम हसन अस्करी (अ) का बेटा, हज़रत बक़ीयतुल्लाहिल आज़म, अब भी उसी शरीर के साथ जीवित और मौजूद हैं।
वे अपने उसी शरीर से ज़मीन और हवा दोनों में सफर कर सकते हैं।
कुरआन के असरार उनके पास हैं; بسمالله बिस्मिल्लाह से लेकर سینِ منالجنة والناس मिनल जिन्नते वन्नास की सीन तक।
कुरान का राज़ उनके पास है, पैग़म्बर (स) और सभी नबीयों के राज़ उनके इख़्तियार में हैं।
वे ख़लीफ़तुल्लाह हैं। إنا أنزلناه فی لیلة القدر इन्ना अंज़लनाहो फ़ी लैलातिल क़द्र का राज़ उनके पास है, बल्कि वे खुद उसका राज़ और हकीकत हैं।
वे इंसान-ए-कामिल और इमाम हैं, और दुनिया कभी भी बिना इमाम के नहीं रहती।
अब वे जीवित और मौजूद हैं, अपने उसी शरीर के साथ, हमारे इमाम हैं।
जब हम पुकारते हैं, तो वे सुनते हैं; हमारे दिलों के हाल जानते हैं; उनकी रूह हमारी रूहों से जुड़ी हुई है।
वे हमेशा उस अंगूठी के नगीन की तरह जो इंसान के हाथ में होती है, हमारे सामने और हमारे पास मौजूद रहते हैं।
हम पढ़ते हैं, देखते हैं, जानते हैं, और ज़मीनें और दूसरे मकाम उनके सामने हैं; वे वलीयुल्लाहिल आज़म और ख़लीफ़तुल्लाह हैं।
ये बातें रहस्यमय और नेक हालात वाली हैं।
इंसान-ए-कामिल की तुलना अपने आप से करना सही नहीं है; उनका ज़ाहिर रूप इंसान है और हम भी इंसान हैं, लेकिन उनकी हकीकत ऐसी नहीं है।
उनकी जान अल्लाह के सभी नामों का मज़हर है।
आप इस कुरआन को कैसे देखते हैं?
ज़ाहिर में वे हमारे जैसे इंसान हैं, मांस, त्वचा और हड्डियों के साथ हमारे शरीर में शरीक हैं।
लेकिन कुरआन ने अल्लाह के रहस्यों को लाया है, पहले और आखिरी को जीवित किया और प्रकट किया।
मैंने कहा: बिंदु, दायरे का पहला वुजूद है और यही बिंदु है जो दायरे के अंदर घूमता है।
1- इस रास्ते में, अम्बिया (नबी) उस सारबान (साँभर) की तरह हैं।
2- वे कारवां के मार्गदर्शक हैं।
3- और उनके बीच, हमारा सय्यद सबसे बड़ा सालार है।
4- वही इस सफ़र मे पहला और वही आखिरी है।
जो उसाका उत्तराधिकारी है, वही قیةالله बक़ीयतुल्लाह है।
वही बड़ी शख्सियत है जिसकी आज हम रअय्यत हैं।
दुनिया कभी भी हुज्जत से खाली नहीं होती, इंसान-ए-कामिल और इमाम से खाली नहीं होती।
दुनिया हमेशा इमाम और ख़लीफ़तुलल्लाह रखती है, और यह चिराग हमेशा जलता रहता है।