ईरान भ्रमण- 1 ( किरमानशाह )

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ईरान भ्रमण- 1    ( किरमानशाह )

इस कार्यक्रम में हम ईरान के पर्यटन क्षेत्रों से आपको अवगत कराएंगे और ईरान के सुन्दर दृश्यों की आपको सैर कराएंगे।

इस नई कार्यक्रम श्रंखला को किरमानशाह प्रांत और किरमानशाह शहर से शुरु करते हैं। आपने निश्चित रूप से सुना होगा कि नवम्बर 2017 में किरमानशाह में भीषण भूकंप आया था और इस प्रांत के कुछ शहरों को बहुत अधिक नुक़सान पहुंचा था किन्तु आपको जानकार यह हैरानी होगी कि यह ईरान के प्राचीन और सुन्दर शहरों में से एक है।

किरमानशाह इतना अधिक प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध है कि दुनिया भर के लोग यहां की ऐतिहासिक धरोहरों को देखने और यहां के मनोरम दृश्य से आनंदित होने के लिए आते हैं। किरमानशाह में बहुत अधिक प्राकृतिक और मनोरम दृश्य हैं। जो पर्यटक किरमानशाह आता है वह प्रफुल्लित हो जाता है।

जब भी किरमानशाह का नाम आता है तो हमारे मन में क्या चीज़ उभर कर सामने आती है? यहां के प्रसिद्ध चावल के आंटे के बिस्कुट, ताक़े बुस्तान और बीस्तून का नाम ही मन में आते हैं? किरमान शाह जाते ही पहली नज़र बीस्तून नामक शिलालेख पर पड़ती है। यह शिलालेख फ़रहाद तराश का है। यह शिलालेख बहुत प्रसिद्ध है और पत्थर का सबसे बड़ा शिलालेख है। जब इस शिलालेख को देखते हैं तो पर्यटक इसके वैभव से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

किरनमानशाह का बीस्तून इलाक़ा ही दुनिया की प्रसिद्ध धरोहरों में पंजीकृत है। इसमें ज़बरदस्त और अनेक प्रकार की डिज़ाइनें मौजूद हैं। बीस्तून की पहाड़ी पर एक ख़ुदायाने नामक स्थान है। कहा जाता है कि यह स्थान दारयूश हख़ामनेशी के आदेश पर पत्थर पर लिखा गया गया है। बताया जाता है कि यह शिलालेख अकीदी कीलाक्षरी, एलामी और प्राचीन पारसी लिपी में लिखे हुए हैं। यह शिलालेख महान दारयूश की वैभवता का गीत गाता है।

हरकूल की मूर्ति की भी अनदेखी नहीं की जा सकती जो इस क्षेत्र की अद्भुत कलाकृतिया में से एक है। यह बहुत ही सुन्दर मूर्ति है जिसे बड़ी फ़ुर्सत से बनाया गया है । इस मूर्ति के हाथ में एक जाम है जो उसकी सुन्दरता को चार चांद लगा देता है।

बीस्तून की पहाड़ी, शीरीन और फ़रहाद की प्रेम कथा की कहानी सुनती है। शीरीन अरमनी शहज़ादी थी। दुनिया का कोई भी इंसान होगा जिसने फ़रहाद और शीरीन की प्रेम कथा न सुनी हो। बीस्तून क्षेत्र में प्रविष्ट होने से पहले आपको बीस्तून की पहाड़ियों का सामना करना पड़ता है। यह इतना सुन्दर पहाड़ है कि दूर से ही लोग उसको देखते रह जाते हैं। 

यह पहाड़ स्थानीय लोगों विशेषकर पर्यटकों के निकट अपना विशेष महत्व रखता है। इस सुन्दर कांम्लेक्स की तरह एक अन्य सुन्दर चीज़ शाह अब्बासिया कारवांसराए है। इस कारवां सराए को चार ऐवान की शैली पर बनाया गया है। अलबत्ता यह कहा जा सकता है कि इस कारवांसरा में कुछ वर्ष पहले मरम्मत हुई और अब इस पुनर्निमार्ण की वजह से यह बीस्तून लाले नामक एक भव्य होटल में परिवर्तित हो गया है।

बीस्तून के बाद, किरमानशाह से कुछ किलोमीटर की दूरी पर जब हम किरमानशाह में प्रविष्ट होते हैं जो किरमानशाह में प्रविष्ट होने से पहले जो चीज़ हमें सबसे पहले नज़र आती है वह प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्र ताक़े बुस्ताने है। ताक़े बुस्ताने, पत्थरों पर बनी डिज़ाइनों और शिलालेखों का एक समूह है। इस समूह में पत्थर की सुन्दर डिज़ाइनों से शिकार, संगीत यंत्र बजाते हुए लोग, राजा के सिर पर मुकुट लगाने जैसे सुन्दर दृश्य देखने को मिलते हैं।

ताक़े बुस्तान में वास्तव में अर्धचंद्र की तरह तो ताक़ शामिल है जिनमें से एक दूसरे से छोटा है। इन दोनों छोटे ताक़ों के सामने एक छोटी सी झील बहती हुई नज़र आती है जो पहाड़ से निकलने वाले सोते से उत्पन्न हुई है। वहां पर बड़ी संख्या में वृक्ष भी देखे जा सकते हैं जिन्होंने इस स्थान की सुन्दरता को चार चांद लगा दिया है। बताया जाता है कि यह मनोरंजन स्थल महान ख़ुसरू परवेज़ का शिकार स्थल था।

आप कल्पना करें कि जब आप पैदल चल रहे हैं या किसी स्थान से आपका गुज़र हो रहा हो तो आपकी को भुने हुए कबाब की सुगंध आए। दंदे कबाब, हमेशा से किरमानशाह की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों की सेवा के लिए तत्पर रहता है। पहाड़ी क्षेत्रों में बने पार्क जो पर्वातांचल में स्थित हैं, ताक़े बुस्तान के उत्तरी भाग में जबकि दूसरा हिस्सा क्षेत्र के मनोरंजन स्थल से मिला हुआ है। किरमानशाह में बहुत सी सुन्दर इमारतें भी हैं जिनका संबंध प्राचीन कालों से रहा है। यह इमारातें क़ाजारी और पहला शासन श्रंखला के काल से संबंधित हैं। इन्हीं सुन्दर इमारतों में से एक मस्जिदे शाफ़ई है जो बहुत ही सुन्दर और देखने योग्य है। यह ईरान की सुन्दर मस्जिदों में से एक है।

मस्जिदे शाफ़ई को तुर्की की मस्जिदों की वास्तुकला शैली पर बनाया गया है जिसकी ऊंची मीनारों से शहर की सुन्दरता में चार चांद लग गए हैं। इस सुन्दर मस्जिद का दूसरा छोर जिसमें सुन्नी समुदाय के लोग नमाज़ पढ़ते हैं, किरमानशाह के बाज़ार से मिलता है।

किरमानशाह का बाज़ार 150 साल से अधिक साल पुराना है। विभिन्न प्रकार के कारवांसराए, मस्जिदें, व्यायाम स्थल और पारंपरिक स्नानगृह, प्राचीन काल से ही किरमानशाह की एतिहासिक और सांस्कृतिक प्राचीनता की गाथा सुनाते हैं। किरमानशाह का बाज़ार जो अपने समय में मध्यपूर्व का सबसे बड़ा बाज़ार था, मनमोहक गतिविधियों, उत्पादन तथा सांस्कृतिक व सामाजिक कामों का केन्द्र समझा जाता था। इस प्रसिद्ध बाज़ार में मुख्य रूस से ज़रगरों के बाज़ार, इस्लामी बाज़ार और तोपख़ाना बाज़ार की ओर संकेत किया जा सकता है।

इस बाज़ार में आधुनिक वास्तुकला और प्राचीन वास्तुकला के मिश्रण को भलि भांति देखा जा सकता है और यह इतना सुन्दर है कि पर्यटक पहली ही नज़र में खिंचा चला आता है। वर्तमान समय में भी इस बाज़ार में विभिन्न प्रकार के वस्त्रों की बुनाई, हस्तउद्योग, दरी की बुनाई इत्यादि देखा जा सकता है और यह सब किरमानशाह की स्थानीय कला का जीता जागता नमूना पेश करती हैं।

इसी प्रकार यह बाज़ार पर्यटकों के लिए अपने सगे संबंधियों के लिए उपहार ले जाने का मुख्य केन्द्र है। पर्यटक यहां से, काक नामक बिस्कुट, खजूर वाला बिस्कुट, विभिन्न प्रकार की स्थानीय मिठाइयां और इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की , दरियां, वस्त्र और अनेक प्रकार की वस्तुएं अपने सगे संबंधियों के लिए उपहार स्वरूप ले जा सकते हैं।

इसी प्रकार किरमानशाह के मुआवेनुल मुल्क नामक इमामबाड़े की इसारत को देखे बिना आपका क्षेमण अधूरा है। यह इमामबाड़े क़ाजारी शासन काल में बना है। अर्थात इमामबाड़े की इमारत क़ाजारी शासन काल से संबंधित है।  तकियागाह या इमामबाड़े में टाइल का काम इस कला अद्वितीय नमूना पेश करता है। इस इमामबाड़े का प्रांगण बहुत बड़ा है जिसके मध्य में एक सुन्दर सा हौज़ बना हुआ है। इस प्रांगड़ के पश्चिमी छोर में एक हाल है जिसमें आईनाकारी का बेहतरीन नमूना पेश किया गया है। यह हाल हुसैनिया या इमामबाड़े के नाम से प्रसिद्ध है। यह हाल सुन्दर शिलालेखों और डिज़ाइनों से सुसज्जित हैं जिनका संबंध मुज़फ़्फ़रुद्दीन शाह के काल से है। इस तकीयेगाह या इमामबाड़े का लिपी और किताबत संग्राहलय देखने योग्य और अद्वितीय है।

यह कहा जा सकता है कि जो व्यक्ति किरमानशाह आए और यहां के नीले और स्वच्छ पानी को न देखे तो उसने कुछ भी नहीं देखा। किरमानशाह में कई छोटी ब़ड़ी नदियां बहती हैं जिसके स्वच्छ और नीले पानी पर्यटकों को अपनी ओर सम्मोहित करते हैं। किरमानशाह की नीलूफ़र नामक झलि देखने में बहुत ही सुन्दर लगती हैं क्योंकि इन झलियों में सुन्दर नील कमल के फूल मार्गी के मौसम में झील के सतह का बहुत बड़ा भाग इन फूलों की कलियों और पत्तियों से ठक जाता है।

 

 

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