رضوی

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मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 18:44

औरत , शादी शुदा ज़िन्दगी

शादी इंसानी ज़िन्दगी का अहम तरीन मोड़ है जब दो इंसान अलग लिंग से होने के बावजूद एक दूसरे की ज़िन्दगी में मुकम्मल तौर से दख़ील हो जाते हैं और हर को दूसरे की ज़िम्मेदारी और उसके जज़्बात का पूरे तौर पर ख़्याल रखना पड़ता है। इख़्तिलाफ़ की बेना पर हालात और फ़ितरत के तक़ाज़े जुदागाना होते हैं लेकिन हर इंसान को दूसरे के जज़्बात के पेशेनज़र अपने जज़्बात और अहसासात की मुकम्मल क़ुरबानी देनी पड़ती है।

क़ुरआने मजीद ने इंसान को इतमीनान दिलाया है कि यह कोई ख़ारेजी राबता नही है जिसकी वजह से उसे मसायल व मुश्किलात का सामना करना पड़े बल्कि यह एक फ़ितरी मामला है जिसका इंतेज़ाम ख़ालिक़े फ़ितरत ने फ़ितरत के अंदर वदीयत कर दिया है और इंसान को उसकी तरफ़ मुतवज्जेह भी कर दिया है। जैसा कि इरशाद होता है:

و من آيايه ان خلق لکم من انفسکم ازواجا لتسکنوا اليها و جعل بينکم موده و رحمه ان فی ذالک لآيات لقوم يتفکرون (سوره روم)

और अल्लाह की निशानियों में से यह भी है कि उसने तुम्हारा जोड़ा तुम ही में से पैदा किया है ताकि तुम्हे सुकूने ज़िन्दगी हासिल हो और फिर तुम्हारे दरमियान मवद्दत व रहमत क़रार दी है इसमें साहिबाने फ़िक्र के लिये बहुत सी निशानियाँ पाई जाती हैं।

बेशक इख़्तिलाफ़ सिन्फ़, इख़्तिलाफ़े तरबीयत, इख़्तिलाफ़े हालात के बाद मवद्दत व रहमत का पैदा हो जाना एक अलामते क़ुदरत व रहमते परवरदिगार है जिसके लिये बेशुमार शोबे हैं और हर शोबे में बहुत सी निशानियाँ पाई जाती हैं। आयते करीमा में यह बात भी वाज़ेह कर दी गई है कि जोड़ा अल्लाह ने पैदा किया है यानी यह मुकम्मल ख़ारेजी मसला नही है बल्कि दाख़िली तौर पर हर मर्द में औरत के लिये और हर औरत में मर्द के लिये सलाहियत रख दी गई है ता कि एक दूसरे को अपना जोड़ा समझ कर बर्दाश्त कर सके और उससे नफ़रत व बेज़ारी का शिकार न हो और उसके बाद रिश्ते के ज़ेरे असर मवद्दत व रहमत का भी क़ानून बना दिया ताकि फ़ितरी जज़्बात और तक़ाज़े पामाल न होने पाएँ। यह क़ुदरत की हकीमाना निज़ाम है जिससे अलाहिदगी इंसान के लिये बेशुमार मुश्किलात पैदा कर सकती है चाहे इंसाने सियासी ऐतेबार से इस अलाहिदगी पर मजबूर हो या जज़्बाती ऐतेबार से क़सदन

मुख़ालेफ़त करे। अवलिया ए ख़ुदा भी अपनी शादी शुदा ज़िन्दगी से परेशान रहे हैं तो उसका भी राज़ यही था कि उन पर सियासी, और तबलीग़ी ऐतेबार से यह फ़र्ज़ था कि ऐसी औरतों से निकाह करें और उन मुश्किलात का सामना करें ताकि दीने ख़ुदा फ़रोग़ हासिल कर सके और तबलीग का काम अंजाम पा सके। फ़ितरत अपना काम बहरहाल कर रही थी यह और बात है कि वह शरअन ऐसी शादी पर मजबूर और मामूर थे कि उनका एक मुस्तक़िल फ़र्ज़ होता है कि तबलीग़े दीन की राह में ज़हमते बर्दाश्त करें क्योकि तबलीग़ का रास्ता फूलों की सेज से नही गुज़रता है बल्कि पुर ख़ार वादियों से हो कर गुज़रता है।

उसके बाद क़ुरआने हकीम ने शादी शुदा ज़िन्दगी को मज़ीद बेहतर बनाने के लिये दोनो जोड़े की नई ज़िम्मेदारियों का ऐलान किया और इस बात को वाज़ेह कर दिया कि सिर्फ़ मवद्दत और रहमत से बात तमाम नही हो जाती है बल्कि कुछ उसके ख़ारेजी तक़ाज़े भी हैं जिन्हे पूरा करना ज़रुरी है वर्ना क़ल्बी मवद्दत व रहमत बे असर हो कर रह जायेगी और उसका कोई नतीजा हासिल न होगा। इरशाद होता है:

هن لباس لکم انتم لباس لهن (سوره بقره آيت ۱۸۷)

औरतें तुम्हारे लिये लिबास हैं और तुम उनके लिये लिबास हो।

यानी तुम्हारा ख़ारेजी और समाजी फ़र्ज यह है कि उनके मामलात की पर्दा पोशी करो और उनके हालात को उसी तरह ज़ाहिर न होने जिस तरह लिबास इंसान की बुराईयों को ज़ाहिर नही होने देता है। इसके अलावा तुम्हारा एक फ़र्ज़ यह भी है कि उन्हे जम़ाने के सर्द व गर्म से बचाते रहो और वह तुम्हे ज़माने की सर्द व गर्म हवाओं से महफ़ूज़ रखें कि यह मुख़्तलिफ़ हवाएँ और फ़ज़ाएँ किसी भी इंसान की ज़िन्दगी को ख़तरे में डाल सकती हैं और उसके जान व आबरू को तबाह कर सकती हैं। दूसरी जगह इरशाद होता है:

نساءکم حرث لکم فاتوا حرثکم انی شءتم (سوره بقره)

तुम्हारी औरते तुम्हारी खेतियाँ हैं लिहाज़ा अपनी खेतियों में जब और जिस तरह चाहो आ सकते हो। (शर्त यह है कि खेती बर्बाद न होने पाये।)

इस बेहतरीन जुमले से बहुत से मसलों को हल तलाश किया गया है। पहली बात तो यह कि बात को एक तरफ़ा रखा गया है और लिबास की तरह दोनो को ज़िम्मेदार नही बनाया गया है बल्कि मर्द को मुख़ातब किया गया है कि इस रुख़ से सारी ज़िम्मेदारी मर्द पर आती है और खेती की सुरक्षा का सारा इंतेज़ाब किसान पर होता है खेत का इसका कोई ताअल्लुक़ नही होता जबकि पर्दा पोशी और ज़माने के सर्द व गर्म बचाना दोनो की ज़िम्मेदारियों में शामिल था।

दूसरी तरफ़ इस बात की वज़ाहत भी कर दी गई है कि औरत से संबंध और ताअल्लुक़ में उसकी उस हैसियत का लिहाज़ बहरहाल ज़रुरी है कि वह खेत की हैसियत रखती है और खेत के बारे में किसान को यह इख़्तियार को दिया गया जा सकता है कि फ़स्ल के तक़ाज़ों को देख कर खेत को वैसे ही छोड़ दे और खेती न करे लेकिन यह इख़्तियार नही दिया जा सकता है कि उसे तबाह व बर्बाद कर दे और समय से पहले या फस्ल के होने से पहले ही फसे काटना शुरु कर दे इसलिये इसे खेती नही कहते बल्कि हलाकत कहते हैं और हलाकत किसी भी क़ीमत पर जायज़ नही क़रार दी जा सकती।

मुख़्तसर यह कि इस्लाम ने शादी को पहली मंज़िल में फ़ितरत का तक़ाज़ा क़रार दिया फिर दाख़िली तौर पर उसमें मुहब्बत व रहमत की इज़ाफ़ा किया और ज़ाहिरी तौर पर हिफ़ाज़त और पर्दा पोशी को उसका शरई नतीजा क़रार दिया और आख़िर में इस्तेमाल की सारी शर्तें और क़ानून की तरफ़ इशारा कर दिया ताकि किसी बद उनवानी, बेरब्ती और बेलुत्फ़ी पैदा न होने पाये और ज़िन्दगी ख़ुश गवार अंदाज़ में गुज़र जाये।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 18:41

शादी शुदा ज़िन्दगी की सुरक्षा

शादी शुदा ज़िन्दगी की सुरक्षा के लिये इस्लाम ने दो तरह के इंतेज़ामात किये हैं: एक तरफ़ इस रिश्ते की ज़रूरत और अहमियत और उसकी सानवी शक्ल की तरफ़ इशारा किया है तो दूसरी तरफ़ उन तमाम रास्तो पर पाबंदी लगा दी है जिसकी वजह से यह रिश्ता ग़ैर ज़रुरी या ग़ैर अहम हो जाता है और मर्द को औरत या औरत को मर्द की ज़रूरत नही रह जाती है। इरशाद होता है:

ولا تقربوا الزنا انه کان فاحشه و ساء سبيلا (سوره اسراء)

और ख़बरदार ज़ेना के क़रीब भी न जाना कि यह खुली हुई बे हयाई और बदतरीन रास्ता है।

इस आयत में ज़ेना की दोनो बुराईयों की वज़ाहत की गई है कि शादी के मुमकिन होते हुए और उसके क़ानून के रहते हुए ज़ेना और बदकारी एक खुली हुई बे हयाई है कि यह ताअल्लुक़ उन्ही औरतों से क़ायम किया जाये जिन से निकाह हो सकता है तो भी क़ानून से ख़िलाफ़ काम करना या इज़्ज़त से खेलना एक बेग़ैरती है और अगर उन औरतों से रिश्ता क़ायम किया जाये जिन से निकाह मुमकिन नही है और उनका कोई पवित्र रिश्ता पहले से मौजूद है तो यह मज़ीद बेहयाई है कि इस तरह उस रिश्ते की भी तौहीन होती है और उसकी पवित्रता भी पामाल होती है।

फिर मज़ीद वज़ाहत के लिये इरशाद होता है:

ان الذين يحبون ان تشيع الفاحشه فی الذين آمنوا لهم عذاب الهم (سوره نور)

जो लोग इस बातो को दोस्त रखते हैं कि ईमान वालों के दरमियान बदकारी और बे हयाई फ़ैलाएँ तो उन के लिये दर्दनाक अज़ाब (सज़ा) है।

जिसका मतलब यह है कि इस्लाम इस क़िस्म के जरायम को आम करने और उसके फ़ैलाने दोनो को नापसंद करता है इसलिये कि इस तरह से एक तो एक इंसान की इज़्ज़त ख़तरे में पड़ जाती है और दूसरी तरफ़ ग़ैर मुतअल्लिक़ लोग में ऐसे जज़्बात पैदा हो जाते हैं और उनमें जरायम को आज़माने और उसका तजरुबा करने का शौक़ पैदा होने लगता है जिस का वाज़ेह नतीजा आज हर निगाह के सामने है कि जबसे फ़िल्मों और टी वी के ज़रिये जिन्सी मसायल को बढ़ावा मिलने लगा है हर क़ौम में बे हयाई में इज़ाफ़ा हो गया है और हर तरफ़ उसका दौर दौरा हो गया है और हर इंसान में उसका शौक़ पैदा हो गया है जिसका मुज़ाहरा सुबह व शाम क़ौम के सामने किया जाता है और उसका बदतरीन नतीजा यह हुआ है कि पच्छिमी समाज में सड़कों पर खुल्लम खुल्ला वह हरकतें हो रही हैं जिन्हे आधी रात के बाद फ़िल्मों के ज़रिये से पेश किया जाता है और उनके

अपने गुमान के अनुसार अख़लाक़ियात का पूरी तरह से ख़्याल रखा जाता है और हालात इस बात की निशानदही कर रहे हैं कि आने वाला समय उससे भी ज़्यादा बद तर और भयानक हालात साथ लेकर आ रहा है और इंसानियत मज़ीद ज़िल्लत के किसी गढ़े में गिरने वाली है। क़ुरआने मजीद ने उन्हा ख़तरों को देखते हुए ईमान वालों के दरमियान इस तरह के बढ़ावे को मना और हराम क़रार दिया है ताकि एक दो लोगों की बहक जाना सारे समाज पर असर न डाल सके और समाज तबाही और बर्बादी का शिकार न हो। अल्लाह तआला ईमान वालों को इस बला से बचाये रखे।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक ने दोहराया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है और हाल के तनावों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में एजेंसी की निगरानी गतिविधियों को प्रभावित नहीं किया है।

न्यूयॉर्क के दौरे पर आए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ईरान में हमारे निरीक्षकों को वहां की सरकार ने कल ही सूचित कर दिया था जिन परमाणु सुविधाओं का हम प्रतिदिन निरीक्षण करते हैं वे सुरक्षा कारणों से बंद हैं।

राफेल ग्रॉसी ने कहा, "निरीक्षण जारी रखने के लिए ये केंद्र आज खोले गए थे, लेकिन मैंने फैसला किया है कि हमारे निरीक्षक तब तक वापस नहीं लौटेंगे, जब तक स्थिति शांत नहीं हो जाती, इसलिए हम कल अपना काम फिर से शुरू करेंगे।"

यह कहते हुए कि हालिया तनाव से एजेंसी की गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ा है, उन्होंने कहा, "हम ईरान में हैं और अपना काम जारी रखेंगे।"

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में नए विकास के बारे में एक सवाल के जवाब में कुछ राजनीतिक दावों को दोहराया और कहा कि ईरान के पास समृद्ध यूरेनियम का बड़ा भंडार है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान के पास परमाणु हथियार हैं।

उन्होंने कहा, "जहां तक ​​एजेंसी का सवाल है, हमारे पास इस बात की कोई जानकारी या संकेत नहीं है कि ईरान के पास परमाणु हथियार कार्यक्रम है।" ग्रॉसी ने उम्मीद जताई कि वह अगले कुछ हफ्तों में तेहरान का दौरा करेंगे और स्थिति को वापस पटरी पर लाएंगे।

यूएस हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष माइक टर्नर ने ईरान के खिलाफ किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई में वाशिंगटन के हस्तक्षेप के परिणामों की चेतावनी दी है।

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की इंटेलिजेंस कमेटी के प्रमुख माइक टर्नर ने माना है कि अगर अमेरिकी सरकार यह नहीं समझती कि वह बढ़ते युद्ध का सामना कर रही है, इतने बड़े युद्ध का शिकार हो जाओगे जिसके पास बहुत कम विकल्प बचेंगे-

टर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन को इस स्तर पर ईरान के खिलाफ किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई से बचना चाहिए, लेकिन अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि ऐसा करने में अमेरिका की विफलता के कुछ परिणाम होंगे।

माइक टर्नर ने दावा किया कि पश्चिम एशिया में संभावित तनाव को देखते हुए, यूक्रेन और इज़राइल जैसे सहयोगियों को अमेरिकी समर्थन की आवश्यकता होगी।

۔ईरान के विदेश मंत्री ने गाजा को मानवीय और चिकित्सा सहायता भेजने में अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विशेषकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर जोर दिया।

ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियान ने तेहरान में पूर्वी भूमध्य क्षेत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक हनान बाल्खी के साथ एक बैठक में कहा कि गाजा में कब्जे वाले ज़ायोनी शासन के अपराध और नरसंहार केवल बमबारी तक सीमित नहीं हैं। बल्कि घेराबंदी के कारण भुखमरी, बीमारी और दवा की कमी के कारण बच्चे और महिलाएं अपनी जान गंवा रहे हैं।

पूर्वी भूमध्य सागर के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक ने गाजा को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रयासों का भी उल्लेख किया और कहा कि ये प्रयास गाजा के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों और हमलों के कारण हैं अब तक फलदायी साबित नहीं हुआ.

हनान बाल्खी ने आशा व्यक्त की कि गाजा में कब्जे वाले ज़ायोनी शासन के अपराधों के अंत के साथ, फिलिस्तीनी लोगों के लिए मानवीय और चिकित्सा सहायता और टीके, दवा और भोजन तक पहुंच का अवसर मिलेगा।

राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रायसी ने चेतावनी दी है कि ईरान के खिलाफ किसी भी आक्रामकता का ऐसा जवाब दिया जाएगा जो दुश्मन के लिए बेहद दुखद होगा।

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से फोन पर बात करते हुए कहा कि जैसा कि हम पहले ही आधिकारिक स्तर पर घोषणा कर चुके हैं, का वादा ऑपरेशन सादिक के हमलावरों को सज़ा सफलतापूर्वक दी गई।

राष्ट्रपति ने कहा कि अब हम गंभीरता से घोषणा करते हैं कि ईरान के हितों के खिलाफ थोड़ी सी भी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोगों को भयानक, दर्दनाक और कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी।

सैयद इब्राहिम रायसी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से ज़ायोनीवादियों की बाल हत्या, नरसंहार और भयानक अपराधों की श्रृंखला जारी है, लेकिन गाजा के उत्पीड़ित और शक्तिशाली लोग अपनी दृढ़ता और धीरज से सफल होंगे।

राज्य के राष्ट्रपति ने एक बार फिर गाजा में ज़ायोनी सरकार के अपराधों से पूरी तरह से लड़ने की आवश्यकता पर बल दिया और कुछ पश्चिमी देशों द्वारा ज़ायोनी सरकार के अंध समर्थन को क्षेत्र में तनाव का कारण बताया।

इस टेलीफोन वार्ता में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीनी लक्ष्यों के लिए मजबूत जनसमर्थन है, जबकि ज़ायोनी सरकार अपने अपराधों से विश्व जनमत का ध्यान भटकाना चाहती है गाजा में तनाव बढ़ाकर.

क़तर के अमीर ने ज़ायोनी सरकार के अपराधों का जवाब देने में इस्लामी गणतंत्र ईरान की समझ और बुद्धिमत्ता की सराहना की और इसे सभी के लिए एक स्पष्ट संदेश बताया।

ईरान के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को ज़ायोनी शासन का समर्थन बंद करने की याद दिलाते हुए कहा है कि किसी भी हमलावर के पैर तोड़ दिए जाएंगे।

आईआरएनए के अनुसार जनरल अबुल फज़ल शिकारची ने कहा कि हम अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को एक बार चेतावनी देते हैं कि वे पतित, दुष्ट-प्रेमी, तानाशाही, आतंकवादी और बच्चों की हत्या करने वाले ज़ायोनी शासन का समर्थन करना बंद करें।

उन्होंने उक्त तीनों देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि ईरान युद्धप्रिय नहीं है और वह युद्ध का दायरा नहीं बढ़ाना चाहता.

ईरान के सशस्त्र बलों के एक प्रवक्ता ने कहा, "लेकिन अगर इस हताश और असहाय ज़ायोनी शासन सहित कोई भी अपनी सीमा लांघने की कोशिश करेगा, तो उसके पैर तोड़ दिए जाएंगे।"

जनरल अबुलफज़ल शिकारीची ने आगे कहा कि हमने आपको ऑपरेशन प्रॉमिस सादिक में इस्लामिक ईरान के बहादुर और शक्तिशाली लोगों की इस अनदेखी शक्ति का एक हिस्सा दिखाया।

उन्होंने कहा कि हमारी दुश्मन विरोधी मिसाइलों और ड्रोनों ने आपके उन्नत राडार, वायु रक्षा प्रणालियों और तथाकथित आयरन डोम को पूरी गड़गड़ाहट के साथ नष्ट कर दिया और नाजायज और आपराधिक ज़ायोनी शासन के सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया है।

उन्होंने कहा कि हम सलाह देते हैं कि इस्लामी ईरान की वैध और कानूनी कार्रवाई की निंदा करने के बजाय, समझदारी से काम लें और दलदल में डूबी नाजायज, मूर्ख और आतंकवादी ज़ायोनी सरकार का समर्थन न करें और खुद को इज़राइल द्वारा धकेली गई आग में झोंकने से बचें

ईरानी सेटेलाइट कौसर और हुदहुद लांचिंग के लिए तैयार हैं।ईरान के दो रिसर्च सैटेलाइट हुदहुद और कौसर को पतझड़ के मौसम में लांच किया जाएगा

ईरान के दो रिसर्च सैटेलाइट हुदहुद और कौसर को पतझड़ के मौसम में लांच किया जाएगा।

नालेज बेस्ड स्पेस कंपनी के सीईओ हुसैन शहराबी ने कौसर और हुदहुद सैटेलाइट के प्रक्षेपण के बारे में बताया। इनमें एक मेजरमेंट सैटेलाइट कौसर और दूसरा टेलीकम्युनिकेशन नैरोबैंड सैटेलाइट हुदहुद है।

हुसैन शहराबी ने कहा कि इंटरनैश्नल लांच के महत्व और अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में इसके प्रभाव के मद्देनज़र ईरानी सैटेलाइट्स कौसर और हुदहुद को इस बार ईरानी लांन्चरों के बजाए रूसी लांन्चर से प्रक्षेपित किया जाएगा।

नालेजे बेस्ड स्पेस कंपनी के सीईओ ने बताया कि कौसर और हुदहुद उपग्रहों के प्रक्षेपण के तुरंत बाद हम IOD2 के मुद्दे को आगे बढ़ाएंगे।  इस परियोजना में मौजूदा दो उपग्रहों को एक दूसरे से जोड़ कर संयुक्त रूप में प्रक्षेपित किया जाना है ताकि यह उपग्रह, टेलीकम्युनिकेशन और मेजरमेंट के काम को एक साथ अंजाम दे सकें।

सऊदी हज और उमराह मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ यात्रियों के लिए उमराह वीज़ा की वैधता तीन महीने की कर दी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सऊदी हज और उमराह मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ यात्रियों के लिए उमराह वीजा के एक्सपायरी डेट की घोषणा की है।

मंत्रालय के द्वारा यह घोषणा की गई है कि अंतर्राष्ट्रीय तीर्थ यात्रियों के लिए उमराह वीजा के एक्सपायरी की डेट तय कर दी गई है पहले यह डेट Dhul Qadah 29 था जिसे अब आगे बढ़ा दिया गया है।

बताते चलें कि उमराह वीजा के एक्सपायरी के लिए Dhul Qadah 15 का डेट तय किया गया है। कहा गया है कि उमराह वीजा की एक्सपायरी के लिए पहले Dhul Qadah 29 तय किया गया था लेकिन अब इसे बढ़ाकर Dhul Qadah 15 कर दिया गया है।

बताया गया है कि मक्का और मदीना में यात्रियों की बड़ी संख्या को लेकर यह फैसला लिया गया है। वहीं यह कहा गया है कि 3 महीने की उम्र वीजा की वैलिडिटी उसी दिन से शुरू होगी जिस दिन वह वीजा जारी किया जाएगा।

 विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में ईरान, ऊचाइयों को छू रहा है।

स्किमगो इंस्टीट्यूशंस रेटिंग या SCIMAGO रैंकिग को पूरी दुनिया में निजी तथा सार्वजनिक अनुसंधान एवं स्वास्थ्य संस्थानों की सबसे व्यापक रेटिंग प्रणालियों में से एक माना जाता है।  तीन ऐसे कारक हैं जो इस प्रणाली में संस्थानों के मूल्यांकन के लिए बीस महत्वपूर्ण मानदंडों को कवर करते हैं। यह तीन कारक हैं अनुसंधान, नवाचार और सामाजिक प्रभाव।

स्किमगो इंस्टीट्यूशंस रेटिंग, सामान्यतः स्किमगो विषय के दृष्टिगत विश्व के संस्थानों और यूनिवर्सिटियों का मूल्यांकन और उनकी रैंकिंग भी करता है।  सन 2024 की स्किमगो इंस्टीट्यूशंस रेटिंग के हिसाब से तेहरान यूनिवर्सिटी, मध्यपूर्व में कई विषयों के हिसाब से पहले स्थान पर है।

SCIMAGO रेटिंग के हिसाब से तेहरान यूनिवर्सिटी वाणिज्यिक प्रबंधन तथा लेखांकन, वायुमण्डली विज्ञान, आर्किटेक्चर इंजीनियरिंग, भू-विज्ञान, सिविल तथा संरचनात्मक इन्जीनियरिंग में प्रथम स्थान पर है।  इसके बाद औद्योगिक और उत्पादन इंजीनियरिंग, भूगोल, योजना एवं विकास, अंतरिक्ष और ग्रहविज्ञान, अर्थशास्त्र, भवन निर्माण और वित्त के क्षेत्रों में वह अपने इलाक़े में दूसरे नंबर पर है जबकि मध्यूपर्व में ईरान इन विषयों में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है।

इसके अलावा तेहरान यूनिवर्सिटी को इसी रैंकिंग में वाणिज्य प्रबंधन तथा लेखांकन और आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग में दुनिया की 50 चोटी की यूनिवर्सिटियों में से एक बताया गया है।

SCIMAGO ने अपने 2024 के वर्तमान संस्करण में सार्वजनिक, स्वास्थ्य सेवा, उच्च शिक्षा और निजी क्षेत्रों में दुनिया भर के अग्रणी संस्थानों में ईरान के 197 संस्थानों को शामिल किया गया है।