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दिल्ली के इंद्रलोक इलाक़े में नमाज़ पढ़ते लोगों को गालियां देने और लात मारने वाले पुलिस सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है।

सड़क पर नमाज़ अदा करने वाले नमाज़ियों के साथ हिंसा और बदतमीज़ी करने वाले पुलिस अधिकारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों इस इलाक़े में लोगों का ग़ुस्सा भड़क उठा और उन्होंने मैट्रो स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया।

वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़क पर कई लोग एक साथ नमाज़ पढ़ रहे हैं, तभी एक पुलिसकर्मी उन्हें लात मारकर वहां से उठाने लगता है।

हालांकि वहां मौजूद कुछ लोगों ने पुलिसकर्मी की इस हरकत का विरोध भी किया, लेकिन पुलिस अधिकारी ने किसी की एक नहीं सुनी और लोगों के साथ अभद्र व्यवहार किया।

दिल्ली पुलिस ने इस घटना के ज़िम्मेदार सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना से संबंधित पुलिसकर्मी के ख़िलाफ़ विभागीय जांच शुरू हो गई है। उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

ग़ज़ा में भोजन की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की भीड़ पर अमरीकी सेना द्वारा पैराशूट के ज़रिए गिराए जाने वाले कुछ पैलेट मिसाइल बनकर गिर पड़े, जिसमें कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

शुक्रवार को सरकारी मीडिया कार्यालय ने इस घटना में मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए एयरड्रॉप सहायता को युद्ध ग्रस्त भूखे लोगों की सेवा के बजाय एक प्रचार का हथकंडा बताया और ज़मीनी रास्ते से सहायता पहुंचने की अनुमति देने का आह्वान किया।

एक बयान में कहा गया है कि हमने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस तरीक़े से सहायता पहुंचाने से ग़ज़ा में नागरिकों के जीवन को ख़तरा हो सकता है और यही हुआ जब पार्सल नागरिकों के सिर पर गिरे।

ग़ज़ा में इस्राईली युद्ध अपराधों की वजह से लोगों को न केवल भोजन और चिकित्सा आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि जब वे भोजन के पैकेटों की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, तो उन्हें या तो इस्राईली सेना द्वारा निशाना बनाया जाता है, या अमरीकी पैराशूट फ़ेल होने से पैलेट उनके सिरों पर गिरते हैं।

इस घटना ने ज़ायोनी शासन के प्रतिबंधों के बीच, ग़ज़ा में बेहद ज़रूरी मानवीय राहत पहुंचाने की समस्या पर प्रकाश डाला है

अमरीका तथा पश्चिम के धमकी भरे बयानों और हिंसक कार्यवाहियों के बावजूद यमनी, ग़ज़्ज़ावासियों के समर्थन से हाथ पीछे नहीं खींच रहे हैं।

अब उन्होंने एक नया हमला किया है।  यमन की सेना ने अदन की खाड़ी में लाल सागर के भीतर अमरीका के विध्वंसक पोत और जहाज़ पर हमला किया है।

तसनीम समाचार एजेन्सी के अनुसार यमन की सेना के प्रवक्ता यहया सरी ने एक बयान जारी करके बताया है कि देश की सशस्त्र सेना ने दो अलग-अलग आपरेशन में लाल सागर में 37 ड्रोन से एक अमरीकी डेस्ट्रायर और एक अन्य जहाज़ पर हमला किया।

उन्होंने बताया कि अदन की खाड़ी में PROPEL FORTUNE नामक अमरीकी जहाज़ पर मिसाइलों से हमला किया गया।  यमन की सेना के बयान में आया है कि दूसरे आपरेशन में दुश्मन को अधिक नुक़सान पहुंचा।  यहया सरी का कहना था कि वैसे अमरीका के दोनो जहाज़ों पर हमले कामयाब रहे।

यमन की सेना के प्रवक्ता ने इस बात को बलूपर्वक कहा कि जबतक ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनी शासन की कार्यवाही रुक नहीं जाती उस समय तक लाल सागर में हमारे हमले जारी रहेंगे।  याद रहे कि इससे पहले भी यमन की सेना लाल सागर में ज़ायोनी शासन की ओर जाने वाले जहाज़ों को लक्ष्य बनाती रही है।

ईरान के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र महिला कमीशन से इस्राईल को हटाने का आह्वान किया है।

ईरान का कहना है कि ग़ज़ा युद्ध में हज़ारों फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों का नरसंहार करने और बचे हुए लोगों को भूखा मारने की साज़िश करने वाले ज़ायनी शासन को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। 

शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ईरान की मानवाधिकार उच्च परिषद के सचिव काज़िम ग़रीबाबादी ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के नाम पत्रों में यह मांग रखी है।

ग़ज़ा में ज़ायोनी सेना के अपराधों का ज़िक्र करते हुए ग़रीबाबादी ने कहा है कि इस युद्ध में सबसे ज़्यादा दयनीय स्थिति महिलाओं और लड़कियों की है।

उन्होंने कहा कि नाकाबंदी का शिकार ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल ने 31,000 से ज़्यादा लोगों को शहीद कर दिया है, जिसमें 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने ज़ायोनी शासन के व्यवधानों और उल्लंघनों के जवाब में काहिरा में युद्धविराम वार्ता छोड़ दी है।

हमास आंदोलन के बयान में कहा गया है कि हमास का प्रतिनिधिमंडल अपने नेताओं से परामर्श करने के लिए मिस्र की राजधानी क़ाहिरा से रवाना हो गया है जबकि ग़ज़्ज़ा के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के हमलों को रोकने, विस्थापितों को लौटाने और ग़ज़्ज़ा के निवासियों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए बातचीत और प्रयास जारी रहेंगे।

हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ग़ाजी हमद ने यह भी कहा कि ज़ायोनी शासन, ग़ज्ज़ा में युद्धविराम और क़ैदियों के आदान-प्रदान के लिए बातचीत में गंभीर नहीं रहा है और किसी भी युद्धविराम की स्थापना, पूर्णरूप से और व्यापक होनी चाहिए तथा फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।

हमास के राजनीतिक कार्यालय के इस सदस्य ने कहा कि हम एक सम्मानजनक समझौते तक पहुंचने के लिए अपनी बातचीत जारी रखे हुए हैं जो युद्ध की समाप्ति, अतिग्रहणकारी सेनाओं की वापसी, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण और शरणार्थियों की वापसी की गैरेंटी देता है।

3 मार्च से काहिरा में मिस्र, अमेरिका, कतर और हमास की मौजूदगी में ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम की समीक्षा के लिए बातचीत शुरू हो गई है।

हालांकि हमास और फ़िलिस्तीनी गुटों ने पहले युद्धविराम स्थापित करने के लिए अपनी मुख्य शर्तों की घोषणा की थी लेकिन अमेरिका और ज़ायोनी शासन वार्ता में बाधा डालना जारी रखे हुए है।

हमास के नेताओं ने कहा कि ग़ज़्ज़ा से ज़ायोनी शासन की अतिग्रहणकारी सेनाओं की पूर्ण वापसी युद्धविराम को स्वीकार करने के लिए उनकी मुख्य शर्त थी।

ज़ायोनी शासन के हमलों के परिणामस्वरूप अपने घरों से विस्थापित हुए ग़ज़्ज़ा के निवासियों की वापसी भी युद्धविराम स्वीकार करने के लिए हमास की शर्तों में से एक थी।

एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण के लिए शर्तों का प्रावधान है जो युद्ध जारी रहने और अस्पतालों, शैक्षिक केंद्रों और आर्थिक बुनियादी ढांचे पर ज़ायोनी शासन के हमलों से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।ज़ायोनी शासन, ग़ज़्ज़ा में जारी युद्ध के परिणामस्वरूप आंतरिक संकट और आंतरिक विरोध में वृद्धि के बावजूद, युद्धविराम वार्ता को बाधित कर रहा है।

7  अक्टूबर, 2023 को तूफ़ान अल-अक्सा ऑपरेशन की शुरुआत के साथ ही फिलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ता गुटों ने ज़ायोनी शासन पर अपूरणीय प्रहार किया और इस शासन के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की कैबिनेट ने अमरीका के चौतरफा समर्थन के बावजूद फिलिस्तीनी गुटों के खिलाफ हार स्वीकार कर ली है।

ग़ज़्ज़ा में राजनीतिक घटनाक्रम में हमास और अन्य फिलिस्तीनी गुट युद्धविराम को तभी स्वीकार करने को तैयार हैं जब युद्धविराम उनकी शर्तों पर लागू हो।

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर से पहले जो अलामतें ज़ाहिर होंगी उनकी तकमील के दौरान ईसाई दुनिया को फ़तह करने के इरादे से उठ खड़े होगें और बहुतसे मुल्कों पर क़ब्ज़ा कर लेंगे।

 उसी ज़माने में अबूसुफ़यान की नस्ल से एक ज़ालिम पैदा होगा जो अरब और शाम पर हुकूमत करेगा। उसकी दिली तमन्ना यह होगी कि दुनिया को सादात से ख़ाली कर दिया जाये और मुहम्मद (स.) की नस्ल का एक इंसान भी बाक़ी न रहे। लिहाज़ा वह सादात को बहुत बेदर्दी से क़त्ल करेगा।

इसी दौरान रोम के बादशाह को ईसाईयों के एक फ़िर्क़े से जंग करनी पड़ेगी। यह बादशाह एक फ़िरक़े को अपने साथ लेकर दूसरे फ़िरक़े से जंग करते हुए क़ुसतुनतुनिया शहर पर क़ब्ज़ा कर लेगा। क़ुसतुनतुनियाँ का बादशाह वहाँ से भाग कर शाम में पनाह लेगा और नसारा के दूसरे फ़िर्क़े की मदद से अपने मुख़ालिफ़ फ़िर्क़े से जंग करेगा। यहाँ तक कि इस्लाम को फ़तह हासिल होगी। इस्लाम की फ़तह के बावजूद ईसाई यह शोहरत देंगे कि सलीब ग़ालिब आ गई है।। इस पर ईसाईयों और मुसलमानों में जंग होगी और ईसाईयों को कामयाबी मिलेगी।

 मुसलमानों का बादशाह क़त्ल होगा, शाम पर ईसाईयों का झण्डा लहराने लगेगा और मुसलमानों का क़त्ले आम होगा। मुसलमान अपनी जान बचाने के लिए मदीने की तरफ़ भागेगें और ईसाई अपनी हुकूमत को बढ़ाते हुए ख़ैबर तक पहुँच जायेंगे। मुसलमानों की कोई पनाहगाह न होगी और वह अपनी जान बचाने से आजिज़ होंगे। उस वक़्त वह पूरी दुनिया में महदी को तलाश करेंगे ताकि इस्लाम महफ़ूज़ रह सके और मुसलमानों की जान बच सके। इस काम में अवाम ही नही तमाम क़ुतब, अबदाल और औलिया भी इस जुसतूजू में मसरूफ़ रहेंगे। अचानक आप मक्क-ए-मोज़्ज़मा में रुक्न व मक़ाम से बरामद होंगे।.........(क़ियामत नामा, शाह रफ़ी उद्दीन देहलवी)

आप सफ़ा व मरवा के दरमियान से बरामद होंगे। उनके हाथ में हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का असा होगा। आप का काम यह होगा कि आप अल्लाह के मुख़ालिफ़ और उसकी आयतों पर यक़ीन न रखने वलाले लोगों की तसदीक़ नही करेंगे। जब क़ियामत क़रीब होगी तो आप असा व अंगुश्तरी से हर मोमिन व काफ़िर की पेशानी पर निशान लगायेंगे। मोमिन की पेशानी पर हाज़ा मोमिन हक़्क़ा व काफ़िर की पेशानी पर हाज़ा काफ़िर तहरीर हो जायेगा। ....(इरशाद उत तालेबीन  पेज न.400 व क़ियामत नामा )

शिया व सुन्नी दोनों मज़हबों के उलमा का कहना है कि आप क़रआ नामी क़रिये से रवाना होकर मक्क -ए- मोज़्ज़मा में ज़हूर फ़रमायेंगे।............(ग़ायत उल मक़सूद पेज न. 165 व नूर उल अबसार पेज न. 154)

अल्लामा कुन्जी शाफ़ई और अली बिन मुहम्मद साहिबे किफ़ायत उल अस्र अबू हुरैरा के हवाले से नक़्ल करते हैं कि हज़रत सरवरे काएनात ने फ़रमाया कि इमाम महदी क़रिया-ए- क़रआ (यह क़रिया मक्के और मदीने के दरमियान मदीने से तीस मील के फ़ासले पर वाक़े है।) से निकल कर मक्क -ए- मोज़्ज़मा में ज़हूर करेंगे। वह मेरी ज़िरह पहने होंगे, मेरी तलवार लिये होंगे और मेरा अम्मामा बाँधें होंगे। उनके सिर पर अब्र का साया होगा और एक फ़रिश्ता आवाज़ देता होगा कि यह इमाम महदी हैं इनकी इत्तबा करो। एक रिवायत में है कि जिब्राईल आवाज़ देंगे और हवा उसको पूरी काएनात में पहुँचा देगी और लोग आपकी ख़िदमत में हाज़िर हो जायेंगे।

लुग़ाते सरवरी में है कि आप ख़ैरवाँ नामी क़स्बे से ज़हूर फ़रमायेंगे।

मासूमीन का क़ौल है कि इमाम  महदी के ज़हूर का वक़्त मुऐय्यन करना अपने आपको अल्लाह के इल्मे ग़ैब में शरीक करना है। वह मक्के में बे ख़बर ज़हूर करेंगे, उनके सिर पर ज़र्द रंग का अम्मामा होगा, बदन पर रसूल की चादर और पैरे में उन्हीं के जूते होंगे। वह अपने सामने कुछ भेड़ें रखेंगे, कोई उन्हें पहचान न सकेगा और वह इसी तरह बग़ैर किसी दोस्त के तन्हे तन्हा ख़ाना -ए- काबा में आ जायेंगे। जब रात का अंधेरा छा जायेगा और लोग सो जायेंगे, उस वक़्त आसमान से फ़रिश्ते सफ़ बा सफ़ उतरेंगे और जिब्राईल व मिकाईल उन्हें अल्लाह का यह पैग़ाम सुनायेंगे कि अब सारी दुनिया पर उनका हुक्म जारी है। यह पैग़ाम सुनते ही इमाम अल्लाह का शुक्र अदा करेंगे और रुकने हजरे असवद व मक़ामें इब्राहीम के बीच ख़ड़े हो कर बलंद आवाज़ से फ़रमायेंगे कि ऐ वह लोगो ! जो मेरे मख़सूसो और बुज़ुर्गों से हो और ऐ वह लोगो ! जिन्हें अल्लाह ने मेरे ज़हूर से पहले ही मेरी मदद करने के लिए ज़मीन पर जमा किया है आजाओ ! आपकी यह आवाज़ उन लोगों के कानों तक पहुँचेंगी चाहे वह मशरिक में रहते हों या मग़रिब में। वह लोग हज़रत की यह आवाज़ सुनते ही पल भर में हज़रत के पास जमा हो जायेंगे। इन लोगों की तादाद 313 होगी और यह नक़ीबे इमाम कहलायेंगे। उस वक़्त एक नूर ज़मीन से आसमान तक बलंद होगा जो पूरी दुनिया में हर मोमिन के घर में दाख़िल हो जायेगा और इससे उनके दिल ख़ुश हो जायेंगे लेकिन मोमेनीन को यह मालूम न हो सकेगा कि इमाम का ज़हूर हो चुका है।

सुबह को इमाम अपने उन 313 साथियों के हमराह जो रात में उनके पास जमा हो चुके होंगे काबे में खड़े होंगे और दीवार से तकिया लगा कर अपना हाथ खोलेंगे। आपका यह हाथ मूसा के यदे बैज़ा की तरह होगा और आप फ़रमायेंगे कि जो इस हाथ पर बैअत करेगा ऐसा है जैसे उसने यदुल्लाह पर बैअत की हो। सबसे पहले आपके हाथ पर जिब्राईल बैअत करेंगे और उनके बाद दूसरे फ़रिश्ते बैअत करेंगे। फ़रिश्तों के बाद आपके 313 नक़ीब आपकी बैअत करेंगे। इस हलचल से मक्के में तहलका मच जायेगा और लोग हर तरफ़ यही पूछ ताछ करेंगे कि यह कौन शख़्स है ? यह तमाम वाक़ियात सूरज निकलने से पहले अंजाम पायेंगे।

सूरज निकलने के बाद सूरज के सामने एक मुनादी करने वाला बलंद आवाज़ में कहेगा कि ऐ लोगो ! यह महदी- ए- आले मुहम्मद हैं, इनकी बैअत करो। इस आवाज़ को ज़मीन व आसमान पर रहने वाले सभी जानदार सुनेगें। इस आवाज़ के बाद फ़रिश्ते और आपके 313 साथी इसकी तसदीक़ करेंगे। तब दुनिया के हर गोशे से लोग आपकी ज़ियारत के लिए जूक़ दर जूक़ रवाना होंगे और आलम पर हुज्जत क़ायम हो जायेगी। इसके बाद दस हज़ार अफराद आपकी बैअत करेंगे और कोई यहूदी व नसरानी बाक़ी न छोड़ा जयेगा। बस अल्लाह का नाम होगा और इमाम महदी अलैहिस्सलाम का काम होगा। मुख़लेफ़त करने वालों पर आसमान से आग बरसेगी जो जला कर राख कर देगी।

(नूर उल अबसार इमाम सिबलंजी शाफ़ेई सफ़ा नम्बर 155 व आलाम उल वरा सफ़ा न. 264)

उलमा ने लिखा है कि कूफ़े से 27 ऐसे मुख़लिस आपकी ख़िदमत में पहुँचेंगे, जो हाकिम बनायें जायेंगे। किताब मुनतख़ब उल बसाइर में उनके नामों की तफ़्सील इस तरह दी गई है। यूशा बिन नून, सलमाने फ़ारसी, अबू दज्जाना अंसारी, मिक़दाद बिन असवद, मालिके अशतर, सात असहाबे कहफ़ और पन्द्रह लोग जनाबे मूसा की क़ौम से।

(आलाम उल वरा, सफ़ा न. 264 व इरशादे मुफ़ीद सफ़ा न. 536)

अल्लामा अब्दुर रहमान जामी का कहना है कि कुतब, अबदाल, उरफ़ा सब आपकी बैअत करेंगे। आप जानवरों की ज़बान से भी वाक़िफ़ होंगे और जिन्नो इंस में अद्ल व इंसाफ़ करेंगे।

(शवाहेदुन नबूवत सफ़ा न. 216)

अल्लामा तबरसी का कहना है कि आप हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के उसूल पर अहकाम जारी करेंगे। आपको गवाहों की ज़रूरत न होगी। आप हर एक के अमल से अल्लाह के इल्हाम के ज़रिये वाक़िफ़ होंगे।

(आलाम उल वरा सफ़ा न. 264)

इमाम शिबलंजी शषाफ़ेई का बयान है कि जब इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ज़हूर होगा तो तमाम् मुसलमान अवाम व ख़वास ख़ुश हो जायेंगे। उनके कुछ वज़ीर होंगे जो आपके अहकाम पर लोगों से अमल करायेंगे।

(नूर उल अबसार सफ़ा न. 153)

अल्लामा हल्बी का कहना है कि असहाबे कहफ़ आपके वज़ीर होंगे। ........(सीरते हल्बिया)

हमूयनी का बयान है कि आपके जिस्म का साया न होगा।...(ग़ायत उल मक़सूद जिल्द न. 2 सफ़ा न. 150)

हज़रत अली अलैहिस्सलाम का फ़रमान है कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम के असहाब व अंसार ख़ालिस अल्लाह वाले होंगे। आपके गिर्द लोग इस तरह जमा होंगे जिस तरह शहद की मक्खियाँ अपने यासूब  बादशाह के पास जमा हो जाती हैं।.....(अरजेह उल मतालिब सफ़ा न. 469)

एक रिवायत में है कि ज़हूर के बाद आप सबसे पहले कूफ़े तशरीफ़ ले जायेंगे और वहां पर कसीर अफ़राद को क़त्ल करेंगे।

प्रस्तुतकर्ता एस एम् मासूम

माह ऐ रमज़ान इस्लामिक केलिन्डर का ९वां और सबसे पवित्र महीना है जो अब शुरू होने वाला है | दुकाने सज चुकी है बाज़ारों में रोना है | इस महीने में मुसलमानो की सबसे पवित्र किताब क़ुरआन उतरी थी इसी लिए इसे इबादतों का महीना भी कहा जाता है | इस माह दुंनिया के सभी मुसलमान उपवास रखते हैं जो सबको आत्मसंयम , आत्मनियत्रण ,समूची मानव जाति को प्रेम, करुणा और भाईचारे का संदेश देता है |

यह उपवास जो सुबह सूर्य उदय के कुछ पहले शुरू होता है और सूर्यास्त के साथ ख़त्म हो जाता है | इस दौरान खाना , पानी के साथ साथ आत्मसंयम रखना होता है | हर तरह पे पाप से बचना होता है और समस्त मानव जाती को प्रेम सन्देश दिया जाता है और ध्यान रखा जाता है की किसी को भी को दुःख कोई तकलीफ क्कोई नुक्सान हमसे ना पहुंचे |

इस रोज़े का ख़ास मक़सद यह भी है की एक इंसान दूसरे इंसान की भूख प्यास को महसूस करे जिससे पूरे वर्ष गरीबों की मदद करता रहे और यही कारन है की इस महीने दान जिसे सदक़ा , ज़कात खैरात की शक्ल में गरीबों तक पहुंचाया जाता है |

इस माह शाम को रोज़ा खोलते वक़्त सभी धर्म केलोगों को मिलजुल के रोज़ा खोलते देखा जा सकता है जिसे इफ्तार पार्टी का नाम दिया जाता है | इसे हमारे गंगा जमुनी तहज़ीब वाले देश में आपसी भाईचारे ,समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और मुहब्बत को बढ़ाने का एक तरीक़ा भी कहा जा सकता है |

इस रमज़ान के ख़त्म होते ही यह माना जाता है की मुसलमानो को उनका दींन याद दिलाया गया जो अमन और भाईचारे का पैगाम देता है , गरीबों की मदद का पैगाम देता है और दुनिया के समस्त मानवजाति के लिए दिलों में मुहब्बत का सन्देश देता है और आप कह सकते हैं की यह एक महीने का प्रशिक्षण है जिस का मक़सद एक अच्छा इंसान बनाना है |

आर्मीनिया के रक्षामंत्री सोरेन पाइकियान ने तेहरान में ईरान के रक्षामंत्री ब्रिगेडियर जनरल मुहम्मद रज़ा आशतियानी से मुलाक़ात की।

ईरान की राजधानी में होने वाली इस मुलाक़ात में तेहरान तथा ईरवान के बीच वर्तमान सहयोग और आपसी संबन्धों में विस्तार की संभावनाओं की समीक्षा की गई।  ईरान और आर्मीनिया के रक्षामंत्रियों की बैठक में द्विपक्षीय संबन्धों के साथ ही क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।  दोनो ही पक्ष अपनी रूचि के विषयों में महत्वपूर्ण सहमति तक पहुंचे।

इस्लामी गणतंत्र ईरान तथा आर्मीनिया के अधिकारियों की वार्षिक बैठकें, इस बात को दर्शाती है कि दोनो ही पक्ष, आपसी संबन्धों को विस्तृत करने के लिए प्रयासरत हैं।  आर्मीनिया के रक्षामंत्री ने ईरान की यात्रा एसी हालत में कही है कि जब पिछले महीने तेहरान और ईरवान के संयुक्त आयोग की 18वीं बैठक, तेहरान में आयोजित हुई थी।  इस बैठक में द्विपक्षीय संबन्धों को विस्तृत करने के साथ ही दोनो पक्षों ने आपसी सहयोग के स्तर को तीन अरब डालर तक ले जाने पर बल दिया।

यहां पर इस वास्तविकता को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि दूसरे क़रेबाग़ युद्ध की समाप्ति और बाकू एवं ईरवान संकट के समाधान के बाद ईरान और आर्मीनिया के अधिकारियों ने सहयोग के समझौतों पर हस्ताक्षर करके स्ट्रैटेजिक सहकारिता के साथ ही आर्थिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों में भी संबन्धों को विस्तृत किया है।  यही कारण है कि ईरान और आर्मीनिया के अधिकारियों की एक-दूसरे देशों की यात्राएं, विशेष महत्व रखती हैं।

द्विपक्षीय संबन्धों में विस्तार के साथ ही ईरवान के अधिकारियों ने भी पिछले तीन वर्षों के दौरान हमेशा ही सहयोग को अधिक से अधिक बढ़ाने की कोशिशें की हैं।  उदाहरण स्वरूप अक्तूबर में तेहरान में 3+3 की बैठक के आयोजन के अवसर पर आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकल पाशीनियान ने ईरवान में मौजूद इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत से संबन्धों के अधिक विस्तार की बात कही थी।

उन्होंने कहा था कि दक्षिणी क़फ़क़ाज़ क्षेत्र में रेलवे के बुनियादी ढांचे को एकीकृत करने की प्रक्रिया को आर्मीनिया विशेष महत्व देता है।  इसीके बाद ईरवान सरकार के अधिकारी द्वारा तेहरान में आयोजित बैठक में दिया गया बयान दर्शाता है कि आर्मीनिया के अधिकारी, आज़रबाइजान के साथ युद्ध करने में कोई रूचि नहीं रखते हैं बल्कि वे पड़ोसियों के साथ संबन्ध विस्तार के पक्ष में हैं।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आर्मीनिया के रक्षामंत्री की हालिया तेहरान यात्रा सहित तेहरान और ईरवान के अधिकारियों की यात्राएं, आपसी संबन्धों को अधिक से अधिक मज़बूत करने की ओर संकेत करती हैं।  यहां पर इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि दोनो देशों के बीच अन्तर्राष्ट्रीय उत्तरी-दक्षिणी गलियारे के संबन्ध में सहयोग विशेष महत्व रखता है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महिला आयोग से ज़ायोनी शासन को निष्कासित किए जाने की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिनिधि कार्यालय ने ज़ायोनी शासन सरकार द्वारा 9 हज़ार से अधिक महिलाओं की शहादत का उल्लेख किया है और मांग की है कि ज़ायोनी शासन को महिला आयोग से निष्कासित किया जाए।

ईरान के प्रतिनिधि कार्यालय ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को मज़बूत करने और उनके अधिकारों को बहाल करने के लिए अन्याय पर ध्यान देना ज़रूरी है।

बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता के बीच ज़ायोनी शासन ने 9,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी महिलाओं को शहीद कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सीटों पर कब्ज़ा करने वाले ज़ायोनी शासन का क़ब्ज़ा रोका जाना चाहिए।

ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ग़ज़ा पट्टी में 60 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी गर्भवती महिलाएं कुपोषण से जूझ रही हैं क्योंकि ग़ज़ा पट्टी ज़ायोनी शासन के हमलों और जातीय सफ़ाए की कार्यवाहियों के कारण हालात बहुत ख़राब हो गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार की शाम एक बयान में कहा कि ग़ज़ा पट्टी में 49 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है और इनमें अधिकतर प्रजनन की आयु में हैं, हर महीने लगभग 5 हज़ार महिलाएं बच्चों को जन्म दे रही हैं।

युनिसेफ़ ने चेतावनी दी है कि अगर महिलाओं में कुपोषण की यह स्थिति जारी रहती है तो इसका बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल की जंग की वजह से यह इलाक़ा भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है, खाने पीने की वस्तुओं और दवाओं की भारी कमी है जबकि बार बार महामारियां फैल रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र तत्काल क़दम उठाए और ज़ायोनी शासन के हमलों को बंद करवाए। मंत्रालय ने महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थओं और संगठनों से भी कहा है कि वे भी ज़ायोनी शासन पर दबाव डालें कि वह जंग बंद करे।

विश्व महिला दिवस से एक दिन पहले अपने बयान में ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 7 अक्तूबर के बाद से ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी शासन के हमलों में 9 हज़ार फ़िलिस्तीनी महिलाएं शहीद हुई हैं।