
رضوی
हज़रत मासूमए क़ुम (स) के जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न का माहौल
हज़रत फ़ातिमा मासूमए क़ुम (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न समारोहों का आयोजन किया जा रहा है।
पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर ईरान के पवित्र नगर क़ुम सहित पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है और मस्जिदों, इमामबाड़ों में जश्न के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस्लामी केलंडर के 11वें महीने ज़ीक़ादा की पहली तारीख़ सन् 173 हिजरी क़मरी को हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की सुपत्री और हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातेमा का जन्म हुआ था। हज़रत मासूमा क़ुम वह महान महिला हैं जो अपनी निष्ठा, उपासना, पवित्रता और ईशावरीय भय के माध्यम से परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचीं। मुसलमान महिलाओं के मध्य वे एक आदर्श महिला बन गईं। ज्ञान और ईमान के क्षेत्र में हज़रत फ़ातेमा मासूमा की सक्रिय उपस्थिति, इस्लामी संस्कृति व इतिहास में महिला के मूल्यवान स्थान की सूचक है।
उल्लेखनीय है कि हज़रत मासूमा क़ुम, अपने भाई इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात के लिए पवित्र नगर मदीना से मर्वा जा रही थीं। 23 रबीउल अव्वल 201 हिजरी क़मरी को वे पवित्र नगर क़ुम पहुंची। जब हज़रत फ़ातेमा मासूमा क़ुम पहुंचीं तो इस नगर के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। पैग़म्बरे इस्लाम (स) तथा उनके परिजनों से श्रृद्धा रखने वाले लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। मासूमा क़ुम, 17 दिनों तक क़ुम में बीमारी की स्थिति में रहीं। बाद में 27 साल की उम्र में पवित्र नगर क़ुम में उनका स्वर्गवास हो गया। क़ुम नगर में ही उनका मज़ार है।
ईरान के पवित्र नगर क़ुम में हज़रत फ़ातेमा मासूमा का रौज़ा, आज भी लाखों श्रृद्धाओं की आध्यात्मिक शांति का केन्द्र बना हुआ है। हर वर्ष हज़रत मासूमा के जन्मदिवस के अवसर पर पवित्र नगर क़ुम में लाखों की संख्या में एकत्रित होकर जश्न मनाते हैं।
रूस का आरोप भारत के आँतरिक मामलों में दखल दे रहा है अमेरिका
रूस ने अमेरिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह भारत में चल रहे लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के प्रयास कर रहा है। रूस ने दावा किया है कि अमेरिका भारत के चुनावों में दखल देने की कोशिश कर रहा है और उसका एक देश के रूप में सम्मान भी नहीं कर रहा है।
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने आरोप लगाया कि अमेरिका भारत में आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने और आम चुनावों को जटिल बनाने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, रूस ने पन्नू केस में अमेरिका को फटकार लगाई और भारत का साथ देते हुए कहा कि उसने अभी तक आरोपों पर एक भी सबूत पेश नहीं किया।
ज़खारोवा ने कहा कि ‘वॉशिंगटन में भारत की राष्ट्रीय मानसिकता और इतिहास की सरल समझ का अभाव है, क्योंकि अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में निराधार आरोप लगाता रहता है. वॉशिंगटन की कार्रवाई स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है.
यमन सेना ने इस्राईल के तीन जहाज़ों को निशाना बनाया
यमन ने एक बार फिर अपने वादे के अनुरूप ज़ायोनी दुश्मन से जुड़े जहाज़ों को निशाना बनाया। यमनी सशस्त्र बलों ने एक बयान जारी करते हुए ऐलान किया है कि उसने हिंद महासागर और अदन की खाड़ी में ज़ायोनी दुश्मन से जुड़े तीन जहाजों को निशाना बनाया।
यमनी सशस्त्र बलों ने इस बयान में जोर देकर कहा कि यह संयुक्त अभियान अदन की खाड़ी में दो ज़ायोनी जहाजों एमएससी डिएगो और एमएससी जीआईएनए के खिलाफ यमनी नौसेना की मिसाइल और ड्रोन इकाइयों द्वारा चलाया गया था।
यमन सेना ने अपने बयान में कहा कि हमारी मिसाइल इकाई ने हिंद महासागर और अदन की खाड़ी में एमएससी विटोरिया के खिलाफ दो बेहतरीन अभियान चलाए। अल्लाह का करम कि और उसकी मदद से हमने तीनों जहाजों को सीधे और सटीक रूप से निशाना बनाया।
याद रहे कि फिलिस्तीन के खिलाफ अवैध राष्ट्र के बर्बर हमलों के जवाब में यमन ने लाल सागर में ज़ायोनी हितों को निशाना बनाने के अपने अभियान में ज़ायोनी लॉबी समर्थक देशों को भी जवाबी कार्रवाई का निशाना बनाया है।
भाजपा नेता के विवादित बोल, 15 सेकेंड में कर देंगे सफाया
मुस्लिमों के खिलाफ भाजपा नेताओं की लगातार बयानबाज़ी अब सारी सीमाएं लांघती हुई नज़र आ रही है। महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने हैदराबाद से भाजपा की उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए जमकर ज़हर उगला।
मस्जिद पर इशारों में तीर चलाकर विवादों को हवा देने वाली हैदराबाद से भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने आई नवनीत ने कहा कि अकबरुद्दीन ओवैसी ने 15 मिनट पुलिस हटाने की बात की थी, लेकिन हम तो सिर्फ 15 सेकेंड में दिखा देंगे कि क्या कर सकते हैं। इस पर एआईएमआईएम सांसद और अकबरुद्दीन के बड़े भाई असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि आप 15 घंटा ले लीजिए, आपसे कौन डर रहा है। हम तो तैयार हैं।
ओवैसी ने नवनीत राणा को चुनौती देते हुए कहा है कि आपको अब कुछ करके दिखाना होगा। एआईएमआईएम चीफ ने कहा, "हम यहीं बैठे हैं, आप करिए। आपको करके दिखाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बोलिए और 15 सेकेंड नहीं 15 घंटे ले लें। शेर जहां भी रहे, शेर शेर ही होता है।
ओवैसी ने पिछले कुछ सालों में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र करते हुए नवनीत को निशाने पर लेते हुए कहा, "आप क्या हाल करेंगे? 15 सेकेंड क्या एक घंटा ले लीजिए। आप क्या करेंगे ? अखलाक जैसा हाल करेंगे? जैसा मुख्तार के साथ किया वो हाल करेंगे, पहलू खान करेंगे?
ग़ौर तलब है कि लगातार आपत्ति के बाद भी चुनाव आयोग ने अभी तक भाजपा नेता के बयान पर कोई एक्शन नहीं लिया है।
पश्चिम की तीन ख़तरनाक योजना, इस्लामोफोबिया, ईरानोफोबिया और शिया-फोबिया
मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान" "द वर्ल्ड फोरम फॉर प्राक्सिमिटी ऑफ इस्लामिक स्कूल ऑफ द थॉट" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी ने मुस्लिम दुनिया में फूट पैदा करने के लिए वैश्विक अहंकार के लक्ष्यों और योजनाओं को समझाया, और कहा कि इस्लामोफोबिया, शिया-फोबिया और ईरानोफोबिया पश्चिम की ऐसी ख़तरनाक योजना है जो उसने अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बनाई है।
"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान", यह ईरान की एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विश्वभर के धर्मों के लोगों को एक मंच पर लाने का प्रयास करती है। इस संस्था के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम हमीद शहरयारी ने इराक़ में इस्लामिक गणराज्य के राजदूत मोहम्मद काज़िम आले सादिक़ के साथ मुलाक़ात में बग़दाद में आयोजित होने वाले इस्लामिक एकता शिखर सम्मेलन के आयोजन के बारे में चर्चा की। इस मौक़े पर उन्होंने बताया हमारा दृष्टिकोण इस्लामिक राज्यों के संघ के गठन के लिए एक एकल इस्लामिक उम्माह तक पहुंचना है। हुज्जतुल इस्लाम शहरयारी ने कहा कि इस्लामी दुनिया में एकता और आपसी दूरी को कम करने की योजना बनाना और प्रयास करना ईरान की प्राथमिकताओं में से एक है।
"मजमये तक़रीबे मज़ाहिबे इस्लामी ईरान" के महासचिव ने अपने बयान के ज़रिए मुस्लिम दुनिया में विभाजन पैदा करने के लिए वैश्विक अहंकार के लक्ष्यों और उनकी परियोजनाओं को विस्तार से समझाया, और कहा कि इस्लामोफोबिया, शिया-फोबिया और ईरानोफोबिया अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पश्चिम की महत्वपूर्ण योजनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम इस्लामोफोबिया की परियोजना के साथ दुनिया में मुसलमानों को अलग-थलग करने का इरादा रखता है, और शियाफोबिया के साथ, वह इस्लामी दुनिया में धार्मिक विभाजन पैदा करना चाहता है, और ईरानफोबिया के साथ, वह मुस्लिम देशों और इस्लामी गणराज्य ईरान के बीच टकराव पैदा करना चाहता है।
कुर्दिस्तान, गोलिस्तान और उर्मिया प्रांतों में तीन घरेलू शिखर सम्मेलन आयोजित करने और पड़ोसी देशों के विद्वानों और विचारकों को आमंत्रित करने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि शिया और सुन्नी विद्वानों के बीच विचार-विमर्श और सहयोग के निर्माण का महत्व है और इराक़ में दूसरे शिख़र सम्मेलन का आयोजन करने से पश्चिम की शिया-फोबिया परियोजना को असफलता मिली है। हुज्जतुल इस्लाम शहरयारी ने अल-अक़्सा तूफ़ान के बाद ईरानी विद्वानों और बुद्धिजीवियों और इस्लामी दुनिया के अन्य देशों के साथ संबंधों में बदलाव की ओर इशारा किया और ज़ोर दिया कि इस समय जो माहौल बना है वह इस्लामी दुनिया में प्रतिरोध, एकता और सहयोग के मोर्चे को यथासंभव मज़बूत करने का एक अच्छा अवसर है।
ग़ौरतलब है कि दूसरा इराक़ी इस्लामिक एकता सम्मेलन 8 मई बुधवार को अल-अक़्सा तूफ़ान के नारे के साथ बग़दाद में आयोजित किया जा रहा है। साथ ही, इस्लामिक धर्मों के अप्रूवल के लिए विश्व मंच की सर्वोच्च परिषद की बैठक शिया और सुन्नी विद्वानों के एक समूह की उपस्थिति के साथ गुरुवार (20 मई) को इस सम्मेलन के मौक़े पर होगी।
क्या इस्राईली लड़कियों को ज़्यादा से ज़्यादा हिंसा करने वाले सैनिक पसंद हैं?
नाम न छापने की शर्त पर एक स्वतंत्र शोधकर्ता के अनुसार, सोशल नेटवर्क पर इस्राईलियों के अजीब व्यवहार से पता चलता है कि इस्राईली समाज सामूहिक तौर पर पागलपन का शिकार है।
हाल ही में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जिससे पता चलता है कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जब भी यूज़र्स आमतौर पर इस्राईल में डेटिंग ऐप्स पर क्लिक करते हैं, तो उन्हें अक्सर गज़्ज़ा में आपराधिक ज़ायोनी सैनिकों की तस्वीरें दिखाई देती हैं। सामने आई तस्वीरों में एक विस्तृत रेंज के ख़ूंखार सैनिकों को शामिल किया गया है जो वर्दी पहने हुए मुस्कुरा रहे हैं और तस्वीरों में जो ख़ास बात है वह यह है कि ज़्यादातर फोटो में इस्राईली सैनिक सूर्यास्त के समय बंदूक उठाते हुए तस्वीर खींचवाते हैं ताकि एक सडिस्टिक सामग्री उत्पन्न हो।
टिंडर डेटिंग ऐप पर इस्राईली सैनिकों की तस्वीरें
अधिकांश प्रोफ़ाइलों में पुरुषों को सैन्य वर्दी में उनकी छाती पर बंदूकें बांधे हुए दिखाया गया है, लेकिन उनमें से कुछ युद्ध के मैदान में गोलियां चला रहे हैं। स्नाइपर्स कैमरे के सामने खुलकर पोज़ देते हैं और कुछ सैनिक मलबे के बीच से गुज़रते हैं। एक तस्वीर में, एक सैनिक जलती हुई इमारत के सामने मुस्कुरा रहा है जिस पर इस्राईल का झंडा लगा हुआ है। एक दूसरी फोटो में, एक सैनिक फ़िलिस्तीनी घर की दीवार पर लटके महिलाओं के अंडर गार्मेंट के कलेक्शन के सामने पोज़ देता है, जिसके निवासियों को जबरन विस्थापित किया गया हो या, सबसे ख़राब स्थिति में, मार दिया गया हो।
इस्राईलियों ने लंबे समय से डेटिंग ऐप्स टिंडर (Tinder) और हिंज (Hinge) पर अपनी सैन्य गतिविधियों को प्रदर्शित किया है, लेकिन ग़ज़्ज़ा पर आक्रमण शुरू होने के बाद से तस्वीरों का संख्या और तीव्रता बढ़ गई है। टिंडर (Tinder) और हिंज (Hinge) दोनों का कहना है कि उनके प्लेटफॉर्म पर हिंसक सामग्री प्रतिबंधित है।
टिंडर के दिशानिर्देश यह बताते हैः
"किसी भी प्रकार की हिंसक सामग्री को बर्दाश्त नहीं करता है जिसमें ख़ून-खराबा, मृत्यु, चित्र या हिंसा के कृत्यों का विवरण (मनुष्यों या जानवरों के ख़िलाफ़) या हथियारों का उपयोग शामिल हो।"
हिंज ऐप ने भी यह घोषणा की है कि वह उस सामग्री पर प्रतिबंध लगाएगा जो वह कर सकता हैः
"अपमान करना या पीड़ा पहुंचाना, परेशान करना, शर्मिंदा करना,... या किसी भी ग़ैरकानूनी गतिविधि को सुविधाजनक बनाना, जिसमें आतंकवाद, अपमान, नस्लीय घृणा भड़काना आदि शामिल है।"
अंतर्राष्ट्रीय क़ानून विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आम नागरिकों के घरों पर जानबूझकर बमबारी, बर्बरता और चोरी, जो सभी इन डेटिंग प्रोफाइलों में दिखाए गए हैं, युद्ध अपराधों के उदाहरण हैं। ग़ज़्ज़ा युद्ध शुरू होने के बाद से इस्राईल की सड़कों पर बंदूकों की बाढ़ आ गई है। 7 अक्टूबर से कम से कम 100,000 इस्राईलियों को हथियार ले जाने की अनुमति मिल चुकी है और लगभग 200,000 लोग हथियार ले जाने की मंज़ूरी का इंतेज़ार कर रहे हैं। इस चरम सैन्यीकरण ने ऑनलाइन डेटिंग में भी प्रवेश कर लिया है, जहां युद्धक वर्दी पहनना इस्राईली सम्मान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
नाम न बताने की शर्त पर एक स्वतंत्र शोधकर्ता के अनुसारः
"सोशल नेटवर्क पर इस्राईलियों के अजीब व्यवहार से पता चलता है कि इस्राईली समाज सामूहिक तौर पर पागलपन का शिकार है।"
ग़ज़्ज़ा और सोशल नेटवर्क प्लेटफार्मों दोनों में हिंसक व्यवहार इस्राईलियों के बीच बहुत आम है, युद्ध क्षेत्र से तस्वीरों को पोस्ट करना और देखना अब न केवल सामान्य है, बल्कि एक पसंदीदा मनोरंजन बन चुका है। जब आप युद्ध अपराधों को सामान्य कर देंगे और युद्ध अपराधियों को युद्ध नायकों में बदल देंगे, तो ये अपराधी निश्चित रूप से इस्राईली लड़कियों के लिए आकर्षक ऑप्शन्ज़ होंगे।
एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन समर्थक छात्रों की सभा पर डच पुलिस का हमला
दुनियाभर और विशेष कर यूरोप और अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में चल रहे स्टूडेंट मूवमेंट को पुलिस बल की मदद से कुचला जा रहा है। डच पुलिस ने एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन समर्थक छात्रों के प्रदर्शन पर हमला किया और कई को गिरफ्तार कर लिया।
ईको-सिटी नियोम के लिए अपने नागरिकों की हत्या कर रहा है सऊदी अरब
सऊदी अरब सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान के ड्रीम प्रोजेक्ट नियोम सिटी के लिए अपने नागरिकों की हत्या करने से भी पीछे नहीं हट रहा है। सऊदी युवराज की यह परियोजना सऊदी नागरिकों की लाशों से होकर गुज़र रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ईको-सिटी नियोम बसाने के लिए अब लोगों की जान की परवाह भी नहीं की जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुरक्षाबलों और अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट के तहत आने वाले दि लाइन के आस-पास जमीन न खाली करने पर मारने के आदेश दे दिए गए हैं। यह खुलासा 'बीबीसी' की वेरिफाई और आई इन्वेस्टिगेशन टीम ने किया है।
बीबीसी ने एक पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर के हवाले से बताया कि दर्जनों पश्चिमी देशों की कंपनियों की ओर से भविष्य को ध्यान में रखते हुए बसाए जा रहे रेगिस्तानी शहर के लिए जमीन खाली कराने को सऊदी अरब के अधिकारियों ने घातक बल के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
कर्नल रबिह अलेनेजी ने इस बारे में बीबीसी को बताया कि नियोम ईको-प्रोजेक्ट के तहत दि लाइन के रास्ते के लिए उन्हें कुछ गाँवों के लोगों को वहां से हटाने का निर्देश दिया गया था। जगह खाली न करने और विरोध करने की वजह से एक व्यक्ति को गोली मार दी गई जिसकी मौत हो गई।
कर्नल ने आगे बताया कि जिस ऑर्डर को लागू करने के लिए कहा गया था, वह अल-खुरैयबाह के लिए था और यह लोकेशन दि लाइन से 4.5 किमी दक्षिण की ओर थी। रबिह अलेनेजी के मुताबिक, ऑर्डर में कहा गया था कि 'जो कोई भी वहां जमीन खाली करने का विरोध जारी रखेगा, उसे मार दिया जाएगा।
अमेरिका की इस्राईल को धमकी, सैन्य हमले जारी रहें तो हथियार आपूर्ति बंद कर देंगे
अमेरिका के सहायता से ग़ज़्ज़ा में जनसंहार कर रहे इस्राईल ने अमेरिका की मनाही के बावजूद रफह में सैन्य अभियान शुरू कर रखा है। अब अमेरिका ने अपने आदेशों की अवहेलना से नाराज़ होकर इस्राईल को हथियारों की आपूर्ति रोकने की धमकी दी है।
ग़ज़्ज़ा जनसंहार के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रफह हमले को लेकर इस्राईल को चेतावनी दी है। बाइडन ने कहा कि इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा के रफह में कोई बड़ा ऑपरेशन शुरू किया, तो अमेरिका कुछ हथियारों की सप्लाई बंद कर देगा।
बाइडन ने एक बार फिर इस्राईल की सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा अगर इस्राईल रफह की तरफ आगे बढ़ता है, तो हम वो हथियार सप्लाई नहीं करेंगे, जो कि रफह जैसे शहरों के साथ निपटने के लिए मुहैया करवाए जाते रहे हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "वो यह सुनिश्चित करेंगे कि अवैध राष्ट्र पूरी तरह से सुरक्षित रहे। बता दें कि अमेरिका की बार-बार चेतावनी के बावजूद ज़ायोनी सेना रफह में हमले जारी रखे हुए है।
धर्म इंसान को अर्थ देता है/ज़िम्मेदार आध्यात्मिकता की ज़रूरत
ज़हब इंसान को ज़िम्मेदारी समझने का बोध देता है। धर्म के बारे में गहरी सोच का न पाया जाना और कुछ धर्मों के बीच पाए जाने वाले मतभेदों ने शायद कुछ लोगों को धर्म को अनेदखा करते हुए नैतिकता को धर्म से बदलने के लिए प्रेरित किया।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" नामक संस्था के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने एक संबोधन में बताया कि पूरब और पश्चिम में बहुत से लोग धर्म को मानव सोच से ही अलग कर दें। इस प्रकार से वे धर्म को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। इसी के साथ वे बताते हैं कि कुछ लोगों ने धर्म को सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पटल से दूर करते हुए उसको बहुत सीमित कर दें।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी कहते हैं कि धर्म बहुत व्यापक है एसे में हमको उसके बारे में रूढीवादी दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। दीन के बारे में जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है कि उसके प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत ही व्यापक और गहरा होना चाहिए। धर्म, बहुआयामी है। इमसें बाहरी और भीतरी दोनो ही आयामों को दृष्टिगत रखा गया है। यह इंसान की बनावट के हिसाब से मन और आत्मा का प्रशिक्षण करता है। शारीरिक आयाम की दृष्टि से इसके कुछ मूल नियम हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छे और प्रभावी हैं।
कुछ लोग धर्म को भ्रम का कारण मानते हैं जो मानसिक और भावनात्मक दबाव का कारण बनता है। रज़ा रमज़ानी के अनुसार अगर हम धर्म के बारे थोड़ी गहराई से सोचें तो यह, न केवल भ्रम का कारण नहीं है बल्कि भ्रम को दूर करने वाला है। मज़हब इंसान के अंदर पाई जाने वाली गुत्थियों को सुलझाता है। यह उसके मन और आध्यात्मक को आराम देता है। इसी के साथ धर्म, मनुष्य के भीतर ज़िम्मेदारी की भावना को भी जागृत करता है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी का मानना है कि विज्ञान और तकनीक की दुनिया में बढ़ती प्रगति की वजह से कुछ लोग यह मानने लगे कि इस तरक्क़ी की वजह से लोग मज़हब से दूर हो जाएंगे। वह धर्म से कोई संबन्ध नहीं रखेंगे। यहां तक कि पश्चिम में कुछ गुटों ने इस सोच को आम करना शुरू कर दिया कि हम ख़ुदा के बिना भी धर्म रख सकते हैं। यह वह लोग हैं जो धर्म के बारे में गहराई से जानकारी नहीं रखते। उनको धर्म के बारे में आंशिक जानकारी है।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी
हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी कहते हैं कि आजकल लोगों मे अध्यात्म के प्रति लगाव दिन ब दिन तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि आज हम पश्चिम में नक़ली आध्यात्म के साक्षी हैं। अमरीका और यूरोप मे इस समय कम से कम चार हज़ार आर्टिफिश्ल आध्यात्म पाए जाते हैं। जहां कहीं भी नक़ली चीज़ होगी वहां पर अस्ली भी ज़रूर पाई जाती होगी। जबतक अस्ली चीज़ बाक़ी है नक़ली को कोई महत्व नहीं मिल पाएगा।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव कहते हैं कि धर्म, इंसान को यह पाठ देता है कि वह धार्मिक नियमों से जुड़ा रहे। हमारा यह मानना है कि धर्म ही इंसान को वास्तविक शांति प्रदान कर सकता है। दूसरे शब्दों में धर्म के माध्यम से ही इंसान वास्तविक शांति तक पहुंच सकता है।
श्री रज़ा रमज़ानी के अनुसार इस आध्यात्म पर विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। आज वे भौतिक आयाम के अतरिक्त सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक आयाम की ओर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हम जैसे-जैसे आगे की तरफ़ बढ़ रहे हैं विश्व समुदाय में धर्म और आध्यात्म की आवश्यकता बढ़ रही है।
हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी ने यह बताया कि धर्म के बारे में गहरी सोच का न पाया जाना और कुछ धर्मों के बीच पाए जाने वाले मतभेदों ने ही शायद कुछ लोगों को धर्म को अनेदखा करते हुए नैतिकता को धर्म से बदलने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना है कि हमारा मानना है कि धर्म को अगर उसके सही और व्यापक अर्थों में समझा जाए तो दीन के भीतर जो नैतिकता है वह स्वयं ही प्रकट होगी।
इसका यह मतलब नहीं है कि मज़हबी सोच का इंसान बहुत ही तन्हाई पसंद होता है बल्कि यह सोच, मानव समाज में शांति उत्पन्न करने के अतिरिक्त मनावीय संबन्धों को भी विकसित करती है। यह आध्यात्मिकता जो सच्ची धार्मिक शिक्षाओं से पैदा हुई है वह एक ज़िम्मेदार आध्यात्मिकता है।
हुज्जतुमल इस्लाम रमज़ानी ने कोरोना काल का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान में उस ज़माने में बहुत से स्वास्थ्यकर्मी, डाक्टर, धार्मिक छात्र, यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और समाज के अन्य वर्गों के लोगों ने अपनी जान को ख़तरे में डालकर लोगों की सेवा की। इस काम में को लोग शहीद भी हो गए।
इस बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह मेरी इच्छाओं में से एक है। काश मानवताप्रेमी इस सहायता की ख़ूबसूरती को अच्छे ढंग से पेश किया जाए। अगर कोई इंसान वास्वत में ईश्वरीय सोच का स्वामी हो जाए तो फिर वह कभी भी इस तरह की परेशानी का शिकार नहीं होगा।
"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने संबोधन के अंत में फ़िलिस्तीन के मुद्दे का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस समय ग़ज़्ज़ा के मानवताप्रेमी समर्थन के लिए अहलेबैत के मानने वालों के बीच एकता बहुत ज़रूरी है। वे लोग जो मानवता की सुरक्षा करना चाहते हैं उनको चाहिए कि वे एकजुट होकर ग़ज़्ज़ा के यतीम बच्चों के लिए चैन-सुकून उपलब्ध करवाएं।वर्तमान समय में ग़ज़्ज़ा को मानवता के आधार पर मानवीय सहायता की बहुत ज़रूरत है।