
رضوی
सिला ऐ रहमी का असर हमारी ज़िन्दगी की खुशियों पे पड़ता है
अल्लाह ने हमें ख़ल्क़ किया दुनिया में भेजा और हमारे तरबियत से ज़रिये पैदा किये | नबी पैग़म्बर इमाम अपनी हिदायतों की किताब क़ुरआन साथ साथ मां बाप दिए जिस से की हम दुनिया में टेंशन फ्री ज़िन्दगी गुज़ार सकें और कामयाब वापस अल्लाह के पास अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए वापस पलट के आएं |
हमें बार बार दुनिया की लज़्ज़तें अपनी तरफ खींचती रही हम अल्लाह की इन नेमतों के ज़रिये बेहतर ज़िन्दगी गुज़ारने की जगह उन लज़्ज़तों के ग़ुलाम होते गए |हमने अपना एक अलग निज़ाम अपनी सहूलियतों के हिसाब से बना लिया और उसी अनकहे दुनियावी क़ानून के मुताबिक़ जीने लगे यह हमारे उलेमाओं की देंन है की हम अपने अक़ीदे तो नहीं भूले अमल तराज़ू पे कमज़ोर हो ते रहे |
और नतीजा यह हुआ कि मुसलमान सिर्फ नाम के रहे या कह लें कमज़ोर इमान वाले मुसलमान बन के रह गए |
अक़ीदा याद है अल्लाह की हिदायत की किताब क़ुरआन को पहचानते हैं , मस्जिदों में जमात से नमाज़ें पढ़ते हैं , नबी पैग़म्बर इमाम की सीरत का इल्म है तो अमल के दुरुस्त होने के रास्ते हमेशा खुले हुए हैं , उम्मीद की सकती है | मसलन हम ऐसे मुसलमान है की जब हराम की कमाई का मौक़ा हाथ लगता है तो जी भर के कमाते है और फिर उसी हराम की कमाई ने नेकियाँ करने लगते है जो की जाया हो जाती है और आमालनामा खाली |
हमारी नेकियाँ में सुकून का सबब और बदी परेशानी का सबब हुआ करती हैं यह एक ऐसा सच हैं जो हमारे मानने या ना मानने से नहीं बदलता | ऐसे ही कुछ नेकियों का सिला फायदा दुनिया में फ़ौरन मिलता है और कुछ गुनाहों की सजा दुनिया में ही मिलना शुरू हो जाती है |
ऐसे ही दो गुनाह हैं ग़ीबत और क़ता ऐ राहमि | जहां ग़ीबत हमारी नेकियों को खाते हुए समाज में खालफिशार की वजह बनते हुए , अल्लाह की रहमतों से हमें दूर करता करता है | हमारे दुआ क़ुबूल न होने की वजह बनता है यह गुनाह उसी तरह क़ता ऐ रही हमारी ज़िन्दगी को कम करता है और अल्लाह की रहमतों से दूर करता है |
सिला ऐ रहमी
आज के दौर में पश्चिमी सभ्यता का असर मुसलमानो पे पड़ता साफ़ दिखाई देता है | इस्लाम हर तरह की बेहयाई बेशर्मी, ना इंसाफ़ी ,के खिलाफ है | इस्लाम ने अकेले सिर्फ खुद के लिए जीने हो हराम क़रार दिया है और हर मुसलमान पे अपने समाज अपने आस पास के लोगों के प्रति एक ज़िम्मेदारी तय कर रखी है | अल्लाह ने बारह बार क़ुरान में सिला ऐ रहमी और कता ऐ रहमी का ज़िक्र किया है और साफ़ साफ़ कहा है जो सिला ऐ रही करेगा लम्बी खुशहाल िन्दगी पाएगा और जो क़ता ऐ रहमि करेगा उसपे अल्लाह की लानत होगी |
सिला ऐ रहमी का मतलब यह होता है की वे रिश्तेदार जो आपके जन्म से रिश्तेदार है जैसे औलादें, माँ बाप ,भाई बहन ,चाचा फूफी खाला मामू और उनकी औलादें वगैरह | यहां यह कहता चलूँ की हदीसों में यह सिलसिला भाई बहनो ,फूफी खला और उनकी औलादों पे रुका नहीं हैं बल्कि आगे उनकी और उनकी औलादों तक जाता है लेकिन कम से कम औलादें, माँ बाप ,भाई बहन ,चाचा फूफी खाला मामू और उनकी औलादों के साथ सिला ऐ रही वाजिब है |
इस्लाम में इन क़रीबी रिश्तेदारों की एक दूसरे के लिए एक ज़िम्मदेरी तय की गयी है और यह इतना सख्त क़ानून है की अल्लाह हदीस ऐ क़ुद्सी में कहता है अगर तुम अपने इन क़रीबी रिश्तेदारों के साथ ताल्लुक़ात ख़त्म करोगे तो जन्नत से महरूम रहोगे और अल्लाह तुमसे रिश्ते ख़त्म कर देगा ।
इमाम से मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फरमाते हैं की सिला ऐ रहमी रूह की ताज़गी और रिज़्क़ में इज़ाफ़े की वफ्फ होती है और रिश्तेदारों से नाता तोड़ देना (क़ता ऐ रहमी) चाहे वे नालायक़ ही क्यों न हों रिज़्क़ में कमी , अचानक मौत की वजह होती है |
इस सिलसिले में कहा गया है की अगर रिश्ते आपस में ठीक न भी हों तो भी सामने मिलने पे सलाम करना खैरियत दिल से पूछना और दूर हैं तो खतों से फ़ोन से खाल चाल लेना और परेशानी की मदद करना सिला ऐ रहमी है |
अलकाफ़ि से रवायत है की एक सहाबी ऐ इमाम मुहम्मद जाफर ऐ सादिक़ अलैहिस्लाम उनके पास आया और अपने रिश्तेदारों की शिकायत की और कहा वे उसे इतना परेशान करते हैं की मजबूर हो के उसने खुद को क़ैद कर लिया है | इमाम ने फ़रमाया सब्र करो और तुम उनसे रिश्ते न तोडना कुछ दिन में तुम्हे राहत मिलेगी |
उस शख्स ने कुछ दिन गुजरने के बाद जब देखा कोईफर्क नहीं उसके रिश्तेदारों के बर्ताव में तो उसने फैसला किया की अब क़ानूनी तौर पे उनकी शिकायत बादशाह और काज़ी से की जाय | अभी वो सोंच ही रहा था की की उसके इलाक़े में प्लेग फैला और उसके वे रिश्तेदार जो उसका जीना हराम किये थे इस बीमारी की वजह से मर गए | वो शख्स इमाम के पास फिर से गया तो इमाम ने बताया उनपे यह अज़ाब अपने क़रीबी रिश्तेदारों से रिश्ता तोड़ने उनका हक़ मारने और उन्हें परेशान करने की वजह से आया | Shaytan, vol. 1, pg. 515; al-Kafi
दुसरी रवायत है की हसन इब्ने अली जो इमाम जाफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम का चहेरा भाई था किसी बात पे उनकी इमाम से अनबन हो गयी और वो इस हद तक चला गया की उसने इमाम पे हमला कर दिया |
इमाम का जब आखिरी वक़्त आया तो उन्होंने कहा उस भाई को 70 दीनार उसको भी दिए जाएँ | लोगों ने कहा या मौला आप उसे ही ७० दीनार दे रहे हैं जिसने आप्पे हमला किया था |
इमाम ने कहा अल्लाह ने जन्नत बनायीं और उसमे खुशबु पैदा की और ऐसी खुशबु की उसे दो हज़ार की दूरी से भी महसूस किया जा सकता है लेकिन जन्नत क्या वो शख्स जन्नत की खुशबु भी नहीं पा सकता जिसने अपने रिश्तेदारों से ताल्लुक़ात ख़त्म किये हों या जो माँ बाप का आक़ किया गया हो | Hikayat-ha-e-Shanidani, vol. 5, pg. 30; Al-Ghunyah of (Sheikh) Tusi, pg. 128
इमाम जफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम फरमाते हैं की रिश्तेदारों से नाता न तोडा करो क्यों मैंने क़ुरआन मी तीन जगह ऐसे लोगों पे अल्लाह को लानत करते देखा है |
इमाम जाफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम ने कहा अपने को हलिका से बचाओ क्यों की यह ज़िंदगियाँ खराब कर देता है \ किसी से पुछा हालीक़ा क्या है तो इमाम ने कहा रिश्तेदारों से रिश्ते तोडना |
एक शख्स ने हज़रात मुहम्मद सॉ से पुछा अल्लाह की नज़र में सबसे ना पसंदीदा काम क्या है ?
जवाब आया शिर्क करना |
क़ता ऐ रहमी
बुरे काम को बढ़ावा देना और अच्छे को रोकना |
हज़रात मुहम्मद सॉ ने फ़रमाया तीन काम जिनकी सजा दुनिया और आख़िरत दोनों में मिलती है
ना इंसाफ़ी, रिश्ते तोडना और झूटी क़सम खाना
क़ुरान में अल्लाह फरमाता है
हे लोगो! अपने पालनहार से डरो जिसने तुम्हें एक जीव से पैदा किया है और उसी जीव से उसके जोड़े को भी पैदा किया और उन दोनों से अनेक पुरुषों व महिलाओं को धरती में फैला दिया तथा उस ईश्वर से डरो जिसके द्वारा तुम एक दूसरे से सहायता चाहते हो और रिश्तों नातों को तोड़ने से बचो (कि) नि:संदेह ईश्वर सदैव तुम्हारी निगरानी करता है। (4:1) सूरा ऐ निसा
और याद करो उस समय को जब हमने बनी इस्राईल से प्रतिज्ञा ली कि तुम एक ईश्वर के अतिरिक्त किसी की उपासना नहीं करोगे, माता पिता, नातेदारों, अनाथों और दरिद्रों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे, और ये कि लोगों के साथ भली बातें करोगे, नमाज़ क़ाएम करोगे, ज़कात दोगे, फिर थोड़े से लोगों को छोड़कर तुम सब अपनी प्रतिज्ञा से फिर गए और तुम मुहं मोड़ने वाले लोग हो। (2:83)
(हे पैग़म्बर) वे आपसे पूछते हैं कि भलाई के मार्ग में क्या ख़र्च करें? कह दीजिए कि माता-पिता, परिजनों, अनाथों, दरिद्रों तथा राह में रह जाने वालों के लिए तुम जो चाहे भलाई करो, और तुम भलाई का जो भी काम करते हो, निःसन्देह ईश्वर उसको जानने वाला है। (2:215)
इमाम मुहम्मद बाक़िर फरमाते हैं सिरात पुल्ल है और इसके एक तरफ होगा सिला ऐ रही और दूसरी तरफ अमानतदारी | इनदोनो के बिना यह पुल्ल पार नहीं पार नहीं कर सकेगा कोई |
हज़रत मुहम्मद सॉ से किसी ने पुछा की ऐसा कौन स अमल है जो किसी की उम्र घटा सकता है और बढ़ा सकता है ?
रसूल ने कहा क़ता ऐ रही उम्र घटा देता है और सिला ऐ रही उम्र को बढ़ाता है और यह तादात तीन से तीस साल तक बताई गयी है |
इमाम ऐ रज़ा से एक बार दो लोग मिलने आय तो इमाम ने बात चीत के दौरान एक शख्स से कहा ऐ शख्स तू क़िस्मत वाला है क्यों की इस सफर में आज के दिन तेरी मौत थी लेकन अल्लाह ने उसे पांच साल बढ़ा दी | उस शख्स ने पुछा अल्लाह इतना मेहरबान क्यों हुआ ? तो इमाम बोले रास्ते में सफर के तेरी फूफी का घर पड़ता था और तुझे उसकी मुहब्बत आयी और तू उनसे मिलने चला गया | अल्लाह ने इस सिला ऐ रहमि की वजह से तेरी उम्र बढ़ा दी |
रवायतों में है की ५ शख्स उसी दिन इंतेक़ाल कर गया जो दिन इमाम ने बताया था |
रफह पर हमले के बाद भी हमास का खात्मा न मुमकिन : ब्रिटेन
फिलिस्तीन में इस्राईल की ओर से जारी जनसंहार को भरपूर समर्थन दे रहे ब्रिटेन ने कहा है कि रफह पर इस्राईल के बर्बर हमलों के बाद भी फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के सशस्त्र दल हमास का खात्मा न मुमकिन है।
गार्जियन के अनुसार ब्रिटेन ने रफ़ह पर ज़ायोनी जेना के ज़मीनी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ब्रिटिश उप विदेश मंत्री एंड्रयू मिशेल ने रफ़ह पर ज़ायोनी हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया है।
इस समाचार पत्र के मुताबिक ज़ायोनी सरकार के हमले को खुली आक्रामकता बताए जाने के बावजूद ब्रिटेन ने इसकी निंदा करने से परहेज किया है। ब्रिटिश अधिकारी ने कहा है कि रफह पर जमीनी हमले से हमास को खत्म करने का सपना पूरा नहीं होगा।
गार्जियन के मुताबिक, ब्रिटिश प्रतिक्रिया अमेरिका के साथ पूर्ण समन्वय के बाद आई है, जिसने इस्राईल पर दबाव डालने के बजाय युद्धविराम को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। उधर, शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि रफह पर हमले के दौरान ज़ायोनी सेना ने अभी तक किसी तक लाल रेखा को पार नहीं किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ज़ायोनी प्रधान मंत्री के साथ बातचीत के दौरान रफह क्रॉसिंग पर इस्राईल के नियंत्रण पर कोई आपत्ति नहीं जताई। ज़ायोनी सरकार का कहना है कि रफ़ह क्रॉसिंग पर ज़ायोनी सेना के कब्ज़े के बाद याह्या अल-सिनवार को बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकेगा।
फिलिस्तीन में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की मांग
गाम्बिया की राजधानी बंजुल में हुई बैठक के अंत में इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने एक बयान में गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ सभी आक्रामकता को रोकने के लिए तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का आह्वान किया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को गाम्बिया की राजधानी बंजुल में हुई इस्लामिक सहयोग संगठन के नेताओं की 12वीं बैठक के अंत में इस संगठन के सदस्य देशों ने एक बयान में कहा तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम और गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ सभी प्रकार की आक्रामकता को समाप्त करने का आह्वान करते हुए, उन्होंने ग़ज़्ज़ा पट्टी को चिकित्सा और खाद्य सहायता, पानी और बिजली की आपूर्ति और तत्काल सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बयान में कहा गया है: "हम ग़ज़्ज़ा में और नरसंहार की चेतावनी देते हैं। भूख, पानी की कमी और ईंधन कटौती ग़ज़्ज़ा में और विनाश का कारण बन रही है। हम फिलिस्तीनी लोगों से उनकी भूमि से विस्थापित होने का आह्वान करते हैं। निर्वासन या जबरन निर्वासन के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं और ऐसे जघन्य कृत्य का विरोध करने के लिए तैयार हैं।
इस संगठन के सदस्य देशों ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और मध्यस्थता के महत्व पर भी जोर दिया और इस तरह इस्लामी देशों के बीच तनाव मुक्त माहौल पर जोर दिया।
बयान में कहा गया है: हम गरिमापूर्ण जीवन के महत्व पर जोर देते हैं और उन देशों में मुस्लिम समुदायों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन करते हैं जो इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य नहीं हैं, हम उन अल्पसंख्यकों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं जो इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य नहीं हैं। जो लोग उत्पीड़न, अन्याय और आक्रामकता का सामना कर रहे हैं, हम उनकी जायज मांगों का समर्थन करते हैं और उनके अधिकारों, सम्मान, धर्म, धर्म और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक मांग करते हैं।
बयान में कहा गया है: हम गाजा में इस्राईली शासन की निरंतर आक्रामकता का मुकाबला करने में अपनी एकजुटता की पुष्टि करते हैं, जो सबसे बुनियादी नैतिक मूल्यों का सम्मान किए बिना छह महीने से अधिक समय से जारी है, और हम दुनिया के देशों से मांग करते हैं कि वे उपाय करें गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए नरसंहार के अपराध को रोकें और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी आदेश का पालन करें।
फिलिस्तीन के समर्थन में मुंबई के बड़े स्कूल ने मुस्लिम प्रिंसिपल को किया बर्खास्त
फिलिस्तीन में इस्राईल की ओर से पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से जनसंहार जारी है। ऐसे में दुनियाभर के कोने कोने में इस्राईल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन कर रहे हैं जो बंगलादेश समेत एशिया के कई देशों तक फ़ैल चूका है लेकिन इन सबके बीच मुंबई के एक नाम स्कूल ने अपनी मुस्लिम प्रिंसिपल को सिर्फ इसलिए बर्खास्त कर दिया क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के समर्थन वाली एक पोस्ट को लाइक किया था।
मुंबई के एक प्रमुख स्कूल के प्रबंधन ने घोषणा की कि उसने प्रिंसिपल प्रवीन शेख को बर्खास्त कर दिया है। उन्हें बर्खास्त करने की खबर देते हुए स्कूल ने कहा कि यह निर्णय इसलिए किया गया ताकि वो यह सुनिश्चित कर पाएं कि एकता और समावेशिता के हमारे लोकाचार से समझौता नहीं किया जा रहा है।
मुंबई के विद्याविहार इलाके में सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल प्रवीन शेख ने पद से उनकी "बर्खास्तगी" को "पूरी तरह से अवैध, कठोर और अनुचित" बताया और "राजनीति से प्रेरित" कार्रवाई पर आश्चर्य व्यक्त किया। शेख ने अपने बयान में इसे पूरी तरह से गैर कानूनी बताया है और कहा है कि वह स्कूल के इस फैसले से हैरान हैं। यह कठोर और अनुचित कार्रवाई है। यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित लगती है। मुझे हमारी कानूनी प्रणाली और भारतीय संविधान में दृढ़ विश्वास है और मैं फिलहाल अपने कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही हूं।
बता दें कि शेख पिछले 12 वर्षों से स्कूल से जुड़ी हुई थीं और सात साल पहले उन्होंने प्रिंसिपल के रूप में कार्यभार संभाला था।
नेतनयाहू को गरिफ़्तार करने की फिराक़ में हैं हालैण्ड के वकील
अपनी गिरफ़्तारी की संभावना को लेकर नेतनयाहू बहुत टेंशन में है।
हालैण्ड के कुछ वकीलों ने हेग स्थित इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट से अनुरोध किया है कि नेतनयाहू और इस्राईल के अन्य अधिकारियों को गिरफ़्तार करने का वारेंट जारी किया जाए।
सन 1998 में रोम चार्टर के आधार पर नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और बलात्कार जैसे अपराधों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट का गठन किया गया था।
अवैध ज़ायोनी शासन और अमरीका ने हालांकि रोम चार्टर पर हस्ताक्षर तो किये हैं किंतु वे इस न्यायालय के सदस्य नहीं हैं।
उधर फरवरी में दक्षिणी अफ्रीका की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में ज़ायोनी शासन की शिकायत की गई थी जिसपर न्यायालय ने ज़ायोनी शासन से हर महीने अपनी कार्यवाहियों की एक रिपोर्ट इस न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया था।
अवैध ज़ायोनी शासन ने न केवल यह कि इसको अंजाम नहीं दिया बल्कि नेतनयाहू की जंगी मशीन अभी भी चल रही है। इस समय उसने अपने पाश्विक अपराधों के लिए रफह को लक्ष्य बनाया है।
कुछ दिन पहले मीडिया में यह रिपोर्ट सामने आई थी कि नेतनयाहू और कुछ ज़ायोनी अधिकारियों के विरुद्ध सज़ा का आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा। इस आदेश को लेकर नेतनयाहू, असमान्य दबाव का शिकार है। यह विषय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवैध ज़ायोनी शासन के लिए बहुत बड़ी बदनामी है।
नेतनयाहू ने अपनी गिरफ्तारी के आदेश को रुकवाने के लिए जो बाइडेन सरकार पर ध्यान केन्द्रित कर रखा है। इस बात की संभावना बहुत कम ही है कि ज़ायोनी अधिकारी, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश से अचंभित होंगे।
दूसरी ओर हिब्रू भाषा के संचार माध्यमों ने यह बात स्वीकार की है कि अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की ओर से नेतनयाहू की गिरफ़्तारी का संभावित आदेश, ज़ायोनी प्रधानमंत्री की गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है।
इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट के कार्यालय ने एक बयान जारी करके कोर्ट के अधिकारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की धमकी, उसको रोब मे लेने या बाधाए पैदा करने जैसे कामों के प्रति सचेत किया था कि न्यायालय की स्वतंत्रता और उसकी निष्पक्ष्ता उस समय कमज़ोर हो जाती है जब उसके या उसके अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिशोध की धमकी दी जाती है।
इस कार्यालय की ओर से कहा गया है कि बिना कार्यवाही किये भी न्यायालय को धमकी देना रोम कन्वेंशन के आधार पर अपराध हो सकता है।
इससे पहले ही जानकार सूत्रों ने बताया था कि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट के प्रासीक्यूटर ने ग़ज़ा के अश्शफ़ा और नासिर अस्पतालों के कर्मचारियों के साथ बात की है।
अपना नाम छिपाने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि इन अस्पतालों में जो घटनाएं घटीं उनकी भी जांच करके उसको रिपोर्ट से अटैच किया गया है। एसा लगता है कि हालैण्ड और दक्षिणी अफ्रीका के वकीलों की यह कार्यवाही, नेतनयाहू पर अधिक से अधिक दबाव बनाकर उसको गिरफ़्तार करवाने के लिए अन्य देशों के वकीलों के लिए आदर्श बनेगी।
चुनाव आयोग का X को आदेश, भाजपा की पोस्ट हटाओ
चुनाव आयोग ने कर्नाटक भाजपा के एकाउंट से आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंत डिलीट करने का आदेश दिया है। ग़ौर करने वाली बात है कि इसी पोस्ट को लेकर चुनाव आयोग ने भाजपा को यह पोस्ट हटाने का आदेश दिया था लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने चुनाव आयोग के आदेश को कोई महत्व नहीं दिया।
चुनाव आयोग ने इस संबंध में कहा कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) को 5 मई को ही उस पोस्ट को हटाने को लिए कहा था लेकिन उसे अब तक नहीं हटाया गया है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) से कथित तौर पर ‘बीजेपी4कर्नाटक’ हैंडल से एक आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंत हटाने का आदेश दिया है। आयोग ने मुस्लिम आरक्षण विवाद पर भाजपा की कर्नाटक इकाई द्वारा साझा किए गए एनिमेटेड वीडियो को हटाने का निर्देश दिया है।
इस मामले में निर्वाचन आयोग की तरफ से एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस मुद्दे पर शिकायत दर्ज करवायी गयी थी। कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि इस तरह के पोस्ट से कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
ईरान के साथ गैस पाइप लाइन पूरी करेगा पाकिस्तान, अमेरिका के आगे झुकने से इंकार
पाकिस्तान ने वर्षों से ईरान के सतह अटकी गैस परियोजना को पूरा करने का मन बना लिया है और वह ईरान के साथ अपनी इस योजना को पूरा करने के लिए अमेरिकी दबाव की अनदेखी करने के लिए राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखा रहा है।
यह बातें पाकिस्तान में ईरान के काउंसल जनरल हसन नूरियान ने कहा कि अमेरिका के दबाव को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान और ईरान महत्वाकांक्षी गैस पाइपलाइन पर आगे बढ़ सकते हैं।
हसन नूरियान ने कहा है कि ईरान और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच लंबे समय से अटकी गैस पाइपलाइन परियोजना को पूरा करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। पाइपलाइन से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हम परियोजना को पूरा करने के लिए पाकिस्तान में राजनीतिक दृढ़ संकल्प देख रहे हैं और जल्दी ही सभी अड़चनों को दूर करते हुए इसे पूरा करने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।
नूरियान ने कहा कि पाइपलाइन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के तहत नहीं आती है और दोनों देश इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। अगर पाकिस्तान पाइपलाइन पर काम नहीं करता तो उस पर ईरान की तरफ से कोई कानूनी कार्रवाई होगी या नहीं इस बारे में हसन नूरियान ने कुछ भी नहीं कहा।
इस्राईली सैन्य अधिकारियों की मिस्र में आई शामत
व्यापारी के भेस में सक्रिय इस्राईली सैन्य अधिकारी की मिस्र में हत्या की गई।मिस्र के इसकंदरिया नगर में ज़ायोनी सेना के एक जनरल की हत्या कर दी गई।कुछ सूत्रों ने बताया है कि एक मिस्री युवक ने ज़ायोनी सेना के उस जनरल की हमला करके हत्या कर दी जो एक व्यापारी के भेस में वहां पर सक्रिय था।
इस्राईल के टेलिवज़न चैनेल-12 ने इस ख़बर को इस ढंग से पेश किया है कि इस्राईल के एक व्यापारी की मिस्र के इसकंदरिया नगर में हत्या कर दी गई।हिब्रू भाषा के एक चैनेल कान के अनुसार अवैध ज़ायोनी शासन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस व्यक्ति की हत्या की जांच की जाएगी।
अलअक़सा तूफ़ान आप्रेशन की शुरूआत से ही मिस्र के भीतर लोगों के कुछ गुटों ने इस्राईल के सैन्य अधिकारियों की पहचान करके उनपर हमले किये जिनमें कई को मौत के घाट उतार दिया गया।
ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के हमले के दो हफ्तों के बाद मिस्र के एक पुलिवाले ने अपनी रिवाल्वर से इस्राईल के स्पेशल सैन्य दस्ते पर गोलीबी करके 6 इस्राईलियों की हत्या कर दी थी।
दूसरी ओर रफ़ह में ज़ायोनी सैनिकों के सैन्य आपरेशन की शुरूआत के साथ ही मिस्र ने इस बारे में इस्राईल को चेतावनी दी है।
आज सुबह मिस्र के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके सचेत किया है कि यह काम, क्षेत्र में स्थाई शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से किये जाने वाले प्रयासों को ख़तरे में डाल देगा।
यह बयान, फ़िलिस्तीन के रफ़ह नगर में इस्राईल की सैन्य कार्यवाही की निंदा करते हुए कहता है कि तनाव बढ़ाने वाली यह ख़तरनाक कार्यवाही, दस लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों की जान को ख़तरे में डाल रही है।
इस संबन्ध में फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधी गुटों का कहना है कि एसा काम, बेगुनाह फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जधन्य अपराध है। उनका कहना है कि रफह पर इस्राईल के हमले की पूरी ज़िम्मेदारी अमरीकी सरकार और पश्चिमी समाज पर आती है। इसी के साथ फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का कहना है कि वह हर प्रकार की धमकी का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है।
इसी तरह से रफह पर ज़ायोनियों के हमले के संदर्भ में मिस्री मूल के एक अमरीकी शोधकर्ता साम यूसुफ़ ने ट्वीट करके ज़ायोनियों के हाथों मिस्र की संप्रभुता के उल्लंघन की आलोचना की है।
इमाम हुसैन अ.स. के रोज़े की तरफ से कैंसर पीड़ित बच्चों का मुफ्त इलाज
इमाम हुसैन के रोज़े से संबंधित स्वस्थ उपचार एवं शिक्षा विभाग से जुड़ इंटरनेशनल ऑन्कोलॉजी फाउंडेशन वारिस ने 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के इलाज से संबंधित ताजा तरीन आंकड़े जारी करते हुए कहा कि इस संस्था ने मार्च-अप्रैल की अवधि में 15 वर्ष से कम आयु के कम से कम 938 लोगून को उपचार सुविधा मुहैय्या कराई।
इस फाउंडेशन ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मार्च और अप्रैल 2024 में, वारिस इंटरनेशनल ऑन्कोलॉजी फाउंडेशन ने 15 वर्ष से कम उम्र के कैंसर से पीड़ित 938 बच्चों को अपनी उपचार सेवाएं प्रदान कीं।
इस बयान में कहा गया है कि अपनी स्थापना के बाद से और इमाम हुसैन के रोज़े की प्रबंधक समिति की प्रत्यक्ष देखरेख में, यह संस्था 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपनी विभिन्न सेवाएँ निःशुल्क प्रदान कर रही है। इसके साथ ही, परामर्श, जांच और उपचार सहित सभी सेवाएं सबसे कुशल चिकित्सा कर्मचारियों और नवीनतम उपकरणों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
अहले बैत के चाहने वालों को इत्तेहाद की ज़रूरत,:आयतुल्लाह रमज़ानी
अंतर्राष्ट्रीय संगठन मुस्लिम डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर से आयोजित सम्मलेन "दीन, स्वास्थ्य और मानवीय सहायता" को संबोधित करते हुए अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के सेक्रेटरी जनरल आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा कि
अगर हम धार्मिक शिक्षाओं पर ग़ौरो फ़िक्र करें तो मालूम होगा कि धर्म मुश्किल पैदा करने वाला नहीं बल्कि मुश्किलों को दूर करने वाला है। धर्म मानव अस्तित्व की मुश्किलों का दूर करता है इंसान की ज़िन्दगी की गिरहों को खोलता है और इंसान को सुकून और शांति देता है और इंसानों के आपसी संबंघों के विकास में एक प्रकार की जिम्मेदारी का एहसास कराता है।
पश्चिम में हमारा सामना नकली आध्यात्मिकता से होता है। अमेरिका और यूरोप में लगभग चार हजार नकली अध्यात्म हैं। जहां भी फर्जीवाड़े की बात होती है तो यह साफ है कि असली भी हमारे पास है और जब तक वह असली है, फर्जीवाड़े ज़्यादा देर नहीं ठहर सकता।अपने बयान में फिलिस्तीन संकट का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज, हमें ग़ज़्ज़ा में मानवीय सहायता के लिए अहले बैत अस के चाहने वालों की एकता और इत्तेहाद की आवश्यकता है।
आयतुल्लाह रमज़ानी ने कहा कि जो लोग मानवता के रक्षक हैं उन्हें एकता और एकजुटता के साथ ग़ज़्ज़ा के यतीमों के अम्न और शांति के लिए काम करना चाहिए। आज ग़ज़्ज़ा को मानवीय दृष्टिकोण के साथ मानवीय समर्थन की जरूरत है।