
رضوی
ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पाकिस्तानी उलेमा की मुलाक़ात
हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा शिफ़ा नजफ़ी और मौलाना तसव्वुर हुसैन जो इन दिनों बेल्जियम में मुक़ीम हैं ने मरज ए आलीक़द्र आयतुल्लाहिल उज़मा हाफिज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से उनके केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ में मुलाक़ात की।
हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा शिफ़ा नजफ़ी और मौलाना तसव्वुर हुसैन जो इन दिनों बेल्जियम में मुक़ीम हैं ने मरज ए आलीक़द्र आयतुल्लाहिल उज़मा हाफिज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से उनके केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ में मुलाक़ात की।
इस मुलाक़ात में मरज ए आलीक़द्र ने इमाम हुसैन अ:स की अज़मत बयान करते हुए फ़रमाया कि आख़िरत में जब मोमिनीन को इमाम हुसैन अ:स की ज़ियारत नसीब होगी, तो वे इस ज़ियारत से सैर नहीं होंगे।
उन्होंने यह भी फ़रमाया कि कुछ क़ुरआनी आयात इस हक़ीक़त की तरफ इशारा करती हैं कि आख़िरत में जब तक इमाम हुसैन (अ:स) की ज़ियारत करने वाले मोमिनीन जन्नत में दाख़िल नहीं होंगे, तब तक उनके लिए जन्नत के दरवाज़े नहीं खोले जाएंगे।
दूसरी जानिब, इन उलमा-ए-किराम ने मरज ए आलीक़द्र की सेहत के बारे में दिरयाफ़्त किया और उनकी लंबी उम्र के लिए दुआ की।मरज ए आलीक़द्र ने इन उलमा-ए-किराम की कोशिशों को सराहा और उनके लिए और ज़्यादा नेकी व खैर की तौफ़ीक़ात में इज़ाफ़े की दुआ की।
सुप्रीम लीडर की दूरदर्शी रणनीति ने अमेरिका को बातचीत के बंद रास्ते पर ला खड़ा किया
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रज़ा खुदरी ने कहां,इस्लामी गणराज्य ईरान हमेशा रहबर-ए-मआज़्ज़म की दूरदर्शिता और रणनीति के चलते इज़्ज़त, ताक़त और राष्ट्रीय हितों की हिफ़ाज़त पर ज़ोर देता रहा है।
इमाम ए जुमआ चुग़ादक, हुज्जतुल इस्लाम रज़ा खुदरी ने कहां,ऐसे हालात में जब इस्लामी गणराज्य ईरान, रहबर-ए-मआज़्ज़म की दूरदर्शिता और रणनीति के तहत हमेशा इज़्ज़त, ताक़त और राष्ट्रीय हितों की हिफ़ाज़त पर ज़ोर देता आया है, अमेरिका से होने वाले ग़ैरप्रत्यक्ष (indirect) भी मुकम्मल योजना के साथ और इंशा अल्लाह ईरान के फ़ायदे में जारी हैं।
उन्होंने आगे कहा,इन बातचीतों का मक़सद इलाक़ाई मसलों का हल निकालना है और ये इस बात को साबित करता है कि शर्तें तय करने में पहल ईरान की तरफ़ से हो रही है।
हुज्जतुल इस्लाम रज़ा खुदरी ने कहा,रहबर-ए-मआज़्ज़म की समझदार और दूरअंदेशी रणनीति ने अमेरिका को बातचीत की बंद गली (dead end) में पहुँचा दिया है।
उन्होंने यह भी कहा,बातचीत के ढांचे के ताय्युन में ईरान की बरतरी साफ़ तौर पर नज़र आती है। अमेरिका सीधे बातचीत करना चाहता था लेकिन इस्लामी गणराज्य ईरान ने मज़बूत इरादे के साथ ग़ैर-प्रत्यक्ष बातचीत की शकल को तय किया।
इमामे जुमा चुग़ादक ने ज़ोर देते हुए कहा,अमेरिका अपनी तमाम बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद ईरान से बातचीत पर मजबूर है अगर रहबर-ए-मआज़्ज़म की हिकमत-ए-अमली न होती, तो कभी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ़ से रहबर-ए-मआज़्ज़म को बातचीत की दरख़्वास्त वाला ख़त न भेजा गया होता।
वैश्विक समुदाय ग़ाज़ा में मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए कठोर क़दम उठाए
हुज्जतुल इस्लाम सैयद हुसैन हुसैनी ने आज शहर परदीस में जुमआ की नमाज़ के खुत्बों के दौरान ज़ायोनी क़ाबिज़ हुकूमत की बर्बरता की निंदा करते हुए कहा,हम हर रोज़ ग़ाज़ा में बेगुनाह लोगों के कत्लेआम को देख रहे हैं। यह ज़ुल्म अब बंद होना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हर संभव तरीके से मज़लूम फ़िलस्तीनी जनता की मदद के लिए क़दम उठाना चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम सैयद हुसैन हुसैनी ने आज शहर परदीस में जुमआ की नमाज़ के खुत्बों के दौरान ज़ायोनी क़ाबिज़ हुकूमत की बर्बरता की निंदा करते हुए कहा,हम हर रोज़ ग़ाज़ा में बेगुनाह लोगों के कत्लेआम को देख रहे हैं। यह ज़ुल्म अब बंद होना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हर संभव तरीके से मज़लूम फ़िलस्तीनी जनता की मदद के लिए क़दम उठाना चाहिए।
उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा,लोगों को चाहिए कि वे रहबर-ए-मुअज़्ज़म की वेबसाइट के माध्यम से फ़िलस्तीन के लिए अपनी मदद भेजें।
सैयद हुसैन हुसैनी ने आगे कहा,ध्यान रहे कि आर्थिक रूप से छोटी सी मदद और सोशल मीडिया पर फ़िलस्तीन के समर्थन में कोई भी गतिविधि इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने में असरदार हो सकती है।
इमाम ए जुमा परदीस ने यह भी कहा,अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में इस्लामी गणराज्य ईरान के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और न ही आएगा। हम हमेशा अपनी सिद्धांतवादी नीतियों पर क़ायम रहे हैं।
यूएनआरडब्ल्यूए की चेतावनी फिलिस्तीनियों को गंभीर अकाल का सामना
एजेंसी के मीडिया एवं संचार कार्यालय के निदेशक अनस हमदान ने कहा कि सहायता प्रतिबंध ग़ज़्ज़ा के लोगों के लिए सामूहिक दंड के समान है। इस प्रतिबंध से दो मिलियन फ़िलिस्तीनीयो को गंभीर अकाल का सामना करना पड़ सकता है।
फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) ने चेतावनी दी है कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में भोजन के बिना गुजर रहा प्रत्येक दिन ग़ज़्ज़ा वासियो को गंभीर भूख संकट की ओर धकेल रहा है, जिसके परिणाम 2 मिलियन से अधिक लोगों के लिए गंभीर हो सकते हैं। लाखों नागरिक पहले से ही नाकाबंदी और भूख के कारण भयानक स्थिति से पीड़ित हैं, तथा 1 मार्च से शुरू हुई ग़ज़्ज़ा पर इजरायली आक्रमण और नाकाबंदी और अधिक तबाही मचा रही है।
मार्च के प्रारम्भ में युद्ध विराम समझौते के प्रथम चरण की समाप्ति के बाद से ही इजरायल, ग़ज़्ज़ा पट्टी में मानवीय सहायता और वाणिज्यिक वस्तुओं के प्रवेश को रोक रहा है। यूएनआरडब्ल्यूए ने कहा कि इससे आवश्यक आपूर्ति की भारी कमी हो गई है तथा ग़ज़्ज़ा में खाद्यान्न भंडार समाप्त हो गया है।
ग़ज़्ज़ा में एजेंसी के मीडिया एवं संचार कार्यालय के निदेशक अनस हमदान ने कहा कि ग़ज़्ज़ा पर सहायता प्रतिबंध गाजा के लोगों के लिए सामूहिक दंड के समान है, जिन्होंने 16 महीने से अधिक समय से चल रहे विनाशकारी युद्ध के दौरान बहुत कष्ट झेले हैं। हमदान ने अल जज़ीरा नेटवर्क को दिए बयान में बताया कि चिकित्सा आपूर्ति और भोजन की आपूर्ति का सिलसिला समाप्त हो रहा है। इससे मानवीय संकट गहरा रहा है। उन्होंने बताया कि 19 जनवरी 2025 से मार्च के प्रारम्भ तक युद्ध विराम अवधि के दौरान, यूएनआरडब्ल्यूए ने ग़ज़्ज़ा पट्टी में लगभग 1.7 मिलियन फिलिस्तीनियों को खाद्य सहायता प्रदान की।
कुछ लोग अमेरिका का वास्तविक चेहरा छिपाने की कोशिश कर रहे हैं
रूदसर के इमाम जुमआ ने कहा, दुश्मन इस स्थिति में, जब ईरान और अमेरिका के बीच वार्ता की चर्चा हो रही है, यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि हमारे लोगों को यह समझाया जाए कि समस्याओं से निकलने का अमेरिका के साथ वार्ता के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
रूदसर के इमाम जुमआ ने कहा, दुश्मन इस स्थिति में, जब ईरान और अमेरिका के बीच वार्ता की चर्चा हो रही है, यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि हमारे लोगों को यह समझाया जाए कि समस्याओं से निकलने का अमेरिका के साथ वार्ता के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
हुज्जतुल इस्लाम अबुलकासिम इब्राहीमी नूरी ने इस हफ्ते रूदसर की जुमा नमाज़ के खुत्बे में ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता के संदर्भ में कहा,संभावना है कि दुश्मन इस स्थिति में जब ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता की चर्चा हो रही है।
यह संदेश देने की कोशिश करेगा कि हमारे लोगों को यह समझाया जाए कि समस्याओं से निकलने का अमेरिका के साथ वार्ता के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। वे लोगों के जीवन में मुश्किलें और रुकावटें पैदा करना चाहते हैं, हमें सतर्क रहना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा,ईरानी इस्लामिक रिपब्लिक ताकत और गर्व की स्थिति में इस वार्ता में जा रही है। दुर्भाग्य से, कुछ लोग बैठे हैं और हर दिन कमजोरी का संदेश बाहर भेज रहे हैं।
रूदसर के इमाम जुमा ने कहा,हमें सतर्क रहना चाहिए कि कुछ लोग अमेरिका का वास्तविक चेहरा हमारे सामने छिपाने या सजाने की कोशिश न करें। अमेरिका और ट्रम्प की हरी झंडी के साथ ही सियोनिस्ट शासन ने गाजा में खून की होली खेली है।
ईरान ने कभी युद्ध शुरू नहीं कियाः आयतुल्लाह सय्यद मुज्तबा हुसैनी
इराक़ मे सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सय्यद मुज्तबा हुसैनी ने अपने बयान में कहा कि ईरान हमेशा पीड़ितो का समर्थन करता है और इस्लामी क्रांति की शुरुआत से कभी भी युद्ध शुरू नहीं किया है।
इराक़ मे सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सय्यद मुज्तबा हुसैनी ने अपने बयान में कहा कि ईरान हमेशा पीड़ितो का समर्थन करता है और इस्लामी क्रांति की शुरुआत से कभी भी युद्ध शुरू नहीं किया है।
उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान हमेशा नैतिकता, न्याय और शांति के सिद्धांतों का पालन करता रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान हमेशा पीड़ितों का समर्थन करता है, अत्याचार को रोकने और पीड़ित राष्ट्रों की रक्षा करने के लिए उनके साथ खड़ा रहता है।
ईरान ने फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया और बोस्निया जैसे देशों की मदद उनकी अपील पर की है। यह सहायता युद्ध के लिए नहीं बल्कि अत्याचारियों के खिलाफ वैध रक्षा के रूप में थी।
आयतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि इस्लामी क्रांति की शुरुआत से ही अमेरिका ने ईरान के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया है। अमेरिका कभी भी निष्पक्ष बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ और हमेशा अपनी इच्छा थोपने की कोशिश करता रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा: अमेरिका न केवल न्यायपूर्ण बातचीत के लिए तैयार नहीं है, बल्कि वह मूल रूप से देशो के आत्मसमर्पण की मांग करता है, न कि उनके साथ रचनात्मक संवाद करने की कोशिश करता है। और अमेरिका की ईरान के साथ शत्रुता केवल इस कारण है कि ईरान उनकी दमनकारी नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध करता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपने अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के सैन्य उपयोग को हराम (निषिद्ध) बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी विकास हर स्वतंत्र देश का अधिकार है।
सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि ने पश्चिमी देशों द्वारा ईरान पर दबाव डालने की आलोचना करते हुए कहा कि वे ईरान की रक्षा क्षमता को कमजोर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ईरान कभी भी अपनी रक्षा शक्ति को छोड़ने वाला नहीं है, क्योंकि यह उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
उन्होंने अमेरिका को दुनिया में सबसे बड़ा परमाणु हथियार धारक बताते हुए उसकी आलोचना की और कहा कि वह अन्य देशों के अधिकारों का विरोध करने का नैतिक अधिकार नहीं रखता। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान हमेशा न्याय, शांति और सहयोग का समर्थक रहा है।
इज़रायली वायु सेना के रिजर्व सैनिकों द्वारा ग़ज़्ज़ा युद्ध समाप्त करने का आह्वान
इज़रायल की वायु सेना के रिजर्व सैनिकों का कहना है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध "राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों" के लिए लड़ा जा रहा है। उनकी मांग से नाराज हुए इजरायली प्रधानमंत्री ने उन्हें "मुट्ठी भर लोग" कहा।
इजराइली वायुसेना के वर्तमान और पूर्व रिजर्व सैनिकों के एक समूह ने ग़ज़्ज़ा में बंद सभी कैदियों की वापसी का आह्वान किया, भले ही इसका मतलब युद्ध को समाप्त करना ही क्यों न हो। इजरायली मीडिया में प्रकाशित एक पत्र में रिजर्व सैनिकों ने लिखा, "युद्ध जारी रखने से घोषित लक्ष्यों में से कोई भी हासिल नहीं होगा, बल्कि बंधक सैनिकों और निर्दोष नागरिकों की मौत होगी।"
रिजर्व सैनिकों ने कहा, "केवल समझौता ही बंधकों को सुरक्षित वापस ला सकता है, जबकि तख्तापलट से अनिवार्यतः बंधकों की हत्या होगी और हमारे सैनिकों की जान को खतरा होगा।" "उन्होंने इजरायलियों से इसके खिलाफ लामबंद होने की अपील की।" पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व सैन्य प्रमुख डैन हालुट्ज़ भी शामिल हैं। पत्र प्रकाशित होने के बाद नेतन्याहू ने उनकी कड़ी आलोचना की, उन्हें मुट्ठी भर लोग कहा और कहा कि वे इजरायली समाज को भीतर से तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने हस्ताक्षरकर्ताओं पर सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए कहा, "ये सैनिक सैनिकों या जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।"
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज़ ने पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेना और वायु सेना प्रमुखों से मामले से उचित तरीके से निपटने का आह्वान किया। इज़रायली अख़बार हारेत्ज़ के अनुसार, वायु सेना प्रमुख ने पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सक्रिय रिजर्व सैनिकों को बर्खास्त करने का फैसला किया है, लेकिन उनकी संख्या का उल्लेख नहीं किया। यह ध्यान देने योग्य बात है कि इजरायल का अनुमान है कि ग़ज़्ज़ा में अभी भी 59 बंधक हैं, जिनमें से कम से कम 22 जीवित हैं। उन्हें ग़ज़्ज़ा युद्ध विराम और कैदी विनिमय के दूसरे चरण में रिहा किया जाना था, जिसके तहत इजरायल को ग़ज़्ज़ा से अपने सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुलाना होगा और युद्ध को स्थायी रूप से समाप्त करना होगा।
इस बीच, नेतन्याहू ने पिछले सप्ताह ग़ज़्ज़ा पर हमले तेज करने की कसम खाई थी, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की योजना को लागू करने के प्रयास चल रहे हैं, जिसमें ग़ज़्ज़ा से फिलिस्तीनियों को बाहर निकालना भी शामिल है। और इस ज़ायोनी योजना के तहत पिछले अक्टूबर से अब तक 50,800 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।
अमेरिका ने फिर यमन पर हमला किया
अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने हाल ही में यमन के विभिन्न क्षेत्रों पर फिर से हमला किया है। यह हमले इजरायल का समर्थन करने और फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार में यमन की भूमिका को कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए हैं।
अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने हाल ही में यमन के विभिन्न क्षेत्रों पर फिर से हमला किया है। यह हमले इजरायल का समर्थन करने और फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार में यमन की भूमिका को कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए हैं।
हमले के लक्ष्य,अल हुदायदाह बरा क्षेत्र पर कम से कम 2 बार हमला किया,सना (यमन की राजधानी)बनी हशीश इलाके पर 3 बार बमबारी।मारिब और सादा भी हमलों से प्रभावित हुए।
स्थानीय सूत्रों ने अमेरिकी लड़ाकू विमानों को यमन की राजधानी के ऊपर कम ऊंचाई पर उड़ते देखा है।यह हमले इजरायल का समर्थन करने और यमन की सैन्य क्षमता को कमजोर करने के लिए किए गए हैं।
यमन के हौथी गुट ने फिलिस्तीन के समर्थन में लाल सागर में इजरायली जहाजों पर हमले किए थे, जिसके जवाब में अमेरिका ने यमन पर हमले तेज कर दिए हैं।
अमेरिका ने इजरायल के समर्थन में यमन पर फिर से हमले किए हैं, लेकिन अभी तक बड़े पैमाने पर नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है। यमन के हौसी गुट ने इन हमलों के बावजूद फिलिस्तीन का समर्थन जारी रखने की घोषणा की है।
सभी मुसलमानों को एकजुट होकर जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए आवाज़ उठानी चाहिए
जन्नतुल बक़ीअ के विध्वंस के 102 साल पूरे होने पर मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद का विरोध प्रदर्शन, पवित्र मज़ारों के पुनः निर्माण की मांग की
लखनऊ 11 अप्रैल: जन्नतुल बक़ीअ के विध्वंस के 102 साल पूरे होने पर मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद द्वारा जुमे की नमाज के बाद आसिफी मस्जिद में विरोध प्रदर्शन किया गया इस मौके पर प्रदर्शनकारी अपने हाथों में ऐसे बैनर व पोस्टर लिए हुए थे जिसमें सऊदी सरकार और आले सऊद शासको के ख़िलाफ़ मुर्दाबाद के नारे लिखे हुए थे।
साथ ही प्रदर्शनकारियों के हाथों में "जन्नतुल बक़ी का निर्माण करो की मांग वाले बैनर भी थे। इस मौक़े पर प्रदर्शनकारियों ने वक़्फ़ कानून के खिलाफ भी प्रदर्शन किया और सरकार से वक्फ संशोधन कानून को वापस लेने की मांग की।
मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सऊदी सरकार को ज़ायोनी सरकार की बदली हुई शक्ल बतलाया। उन्होने कहा कि जो लोग रसूल अल्लाह (स.अ.व) की पत्नियों और उनके साथियों की तौहीन का झूठा इलज़ाम शियो पर लगा कर उन्हें काफिर कहते हैं, वो जन्नत उल बक़ी में मौजूद रसूल अल्लाह की पत्नियों और उनके साथियों की क़ब्रों के विध्वंस पर ख़ामोश क्यों हैं?
उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स.अ.व) की मुजरिम है, क्योंकि उन्होंने पैग़म्बर की बेटी, उनकी आल ओ औलाद, पत्नियों और असहाब की कब्रें ध्वस्त कर दी हैं। मौलाना ने आगे कहा कि सऊदी सरकार ब्रिटेन और औपनिवेशिक शक्तियों की गुलाम है।
उन्होंने कहा कि सऊदी मुफ्तियों ने आज तक इस्लाम और कुरान का अपमान करने वालों के खिलाफ कोई फतवा जारी नहीं किया, लेकिन इस्लामी समुदायों के काफ़िर होने के फतवे देते रहते हैं। इससे पता चलता है कि ये सभी मुफ्ती औपनिवेशिक शक्तियों के ख़रीदे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में बार, क्लब और कैसीनो खुल रहे हैं। रियाद शराब और शबाब का केंद्र बन चूका है। प्रसिद्ध नर्तकियों को नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, लेकिन एक भी मौलवी इसकी निंदा करते हुए बयान नहीं देता। मौलाना ने कहा कि ग़ाज़ा युद्ध ने आले सऊद के चेहरे पर पड़ा नक़ाब हटा दिया है और अब मुसलमान उनकी हक़ीक़त से बा ख़बर हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सभी मुसलमानों को एकजुट होकर जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए आवाज़ उठानी चाहिए। यह हमारा इंसानी और इस्लामी कर्तव्य है। मौलाना ने कहा कि जन्नतुल बक़ी को ध्वस्त हुए 102 साल बीत चुके हैं, क्या मुसलमानों का ग़ैरत अभी तक अपने पैग़म्बर (स.अ.व) की बेटी, उनके परिवार, औलाद, पत्नियों और साथियों की कब्रों पर हुए ज़ुल्म का विरोध करने के लिए जागृत नहीं हुई है?
मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी, मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी, मौलना शबाहत हुसैन और खानकाह सलाहुद्दीन से बाबर सफ़वी ने भी तक़रीर करते हुए सऊदी सरकार से जन्नत उल बाक़ी के पुनः निर्माण की मांग की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और भारत सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि सऊदी सरकार पर जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए दबाव डाला जाये ताकि पवित्र मज़ारों के निर्माण की अनुमति हमें दी जा सके।
विरोध प्रदर्शन में मौलाना सरताज हैदर ज़ैदी, मौलाना फ़िरोज़ हुसैन ज़ैदी, मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी, मौलाना फैज़ अब्बास मशहदी, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना नज़र अब्बास ज़ैदी समेत बड़ी संख्या में मोमनीन शामिल हुए निज़मत आदिल फराज़ ने अंजाम दी।
इस अवसर पर मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद ने जन्नतुल बक़ी के पुनः निर्माण के लिए संयुक्त राष्ट्र, दिल्ली स्थित सऊदी अरब दूतावास और भारत सरकार को ईमेल के माध्यम से एक मेमोरेंडम भी भेजा।
वक्त संशोधन बिल ने मुसलमान की भावनाओं को ठेस पहुंचा।उमर अब्दुल्लाह
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने विधानसभा में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सत्तारूढ़ दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों के प्रदर्शन का बचाव करते हुए कहा कि हाल में पारित इस कानून से केंद्र शासित प्रदेश के बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने विधानसभा में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सत्तारूढ़ दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों के प्रदर्शन का बचाव करते हुए कहा कि हाल में पारित इस कानून से केंद्र शासित प्रदेश के बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
अब्दुल्लाह ने विपक्षी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व पर भी पलटवार किया जिन्होंने श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन में केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू के साथ उनकी हालिया मुलाकात को लेकर उन पर निशाना साधा अब्दुल्लाह ने कहा कि आलोचना करने वाले वही लोग हैं, जो भारतीय जनता पार्टी भाजपा की गोद में बैठ गए और जम्मू-कश्मीर को बर्बाद कर दिया।
उन्होंने कहा, सदन के अधिकतर सदस्य वक्फ संशोधन अधिनियम से नाराज थे और सदन में अपनी बात रखना चाहते थे। दुर्भाग्य से उन्हें इस मामले पर अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा,वे विधानसभा के भीतर मुस्लिम बहुल क्षेत्र की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करना चाहते थे। लेकिन जो काम सदन के भीतर नहीं हो सकता, उसे हम सदन के बाहर करेंगे। संसद में पारित विधेयक ने जम्मू-कश्मीर के बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
वक्फ मुद्दे पर चर्चा की मांग को अध्यक्ष द्वारा अस्वीकार किए जाने के खिलाफ गैर-भाजपा दलों के विरोध के कारण लगातार तीन दिन तक कार्यवाही बाधित रहने के बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी वक्फ मुद्दे पर भावी कार्रवाई के बारे में विस्तार से बताएगी। कश्मीर घाटी में अपनी व्यस्तताओं के कारण बजट सत्र के अंतिम तीन दिन अनुपस्थित रहने वाले अब्दुल्ला ने कहा कि विधानसभा में ‘‘अजीब चीजें’’ हुईं, जहां कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनके खिलाफ बोला।
परोक्ष रूप से उनका इशारा पीडीपी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेताओं की ओर था, जिन्होंने हाल में श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन में अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू की मेजबानी करने को लेकर उनसे सवाल किया था।