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किर्गिस्तान में भड़की हिंस एके बीच विदेश छात्र हिंसक भीड़ के निशाने पर हैं। हिंसक भीड़ ने 4 पाकिस्तानी छात्रों की निर्ममता से हत्या कर दी, जिसके बाद सभी विदेशी छात्रों में डर का महौल बन गया है। छात्रों का आरोप है कि उनके मदद मांगने के बाद भी पाकिस्तान की एंबेसी ने कोई मदद नहीं की।

किर्गिस्तान की राजधानी बिशकेश में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्र एक नई मुसीबत में फंस गए हैं। यहां के लोकल लोग इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर हमलावर हो गए हैं। ऐसी ही एक हिंसक भीड़ ने पूरे शहर में उत्पात मचाया और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के साथ मारपीट की है। इस हमले का सबसे ज्यादा शिकार पाकिस्तानी छात्र हुए हैं। भीड़ के अटैक से करीब 4 पाकिस्तानी छात्रों की मौत हो गई है। जिसके बाद वहां पढ़ने गए सभी विदेशी छात्रों में डर का महौल है।

पाकिस्तानी छात्रों के मुताबिक हिंसा तब भड़की जब मिस्र के कुछ छात्रों ने वहां लूटपाट मचा रहे लोकल चोरों से मारपीट कर ली जिसके बाद वहां के लोकल लोग अंतरराष्ट्रीय छात्रों को चुन-चुन कर मारने लगे।

 

पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने एक बार फिर अपने साथ हो रहे अन्याय पर आवाज़ उठाते हुए कहा कि उन्हें अन्याय करते हुए जेल में डाला गया। बुशरा बीबी ने जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश पर अविश्वास जताया।

190 मिलियन पाउंड घोटाले के मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा इमरान खान, उनकी पत्नी और अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। एनएबी द्वारा राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश (एनएओ) 1999 के तहत आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी अदालत में गुस्से में दिखीं। सुनवाई के दौरान वह अपने पति से अलग बैठीं रहीं। इसके बाद बुशरा बीबी कठघरे में गईं और न्यायाधीश से कहा कि उन्हें न्यायाधीशों पर भरोसा नहीं है। उन्होंने रावलपिंडी की अडियाला जेल में 15 मई को होने वाली सुनवाई के बारे में सूचित नहीं किए जाने की शिकायत की।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने एक भाषण में कहा कि क़ुरआन आज के मानव समाज को उस संकट से मुक्ति प्रदान करने वाली किताब है जिस वैचारिक, नैतिक और दूसरे संकटों का सामना पश्चिम को है।पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजन क़ुरआन के वास्तविक सर्वोत्तम आदर्श हैं।

मजमये अहले बैत जहानी अर्थात वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने तेहरान के अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में किताबों के अनावरण कार्यक्रम में कहा कि जहां भी विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान में प्रगति होगी जैसे साइंस, फ़िज़िक्स, कमेस्ट्री, थिआलॉजी, दर्शन और तर्कशास्त्र तो वहां का समाज भी प्रगति करेगा। समाज की प्रगति वही नैतिक और अमली दृष्टि से समाज के समस्त लोगों की प्रगति है और इस संबंध में जितनी अधिक जानकारी होगी वह समाज उतना ही समृद्ध होगा।

वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के महासचिव ने कहा कि अल्लामा हसन ज़ादा आमूली फ़रमाते हैं कि महान ईश्वर ने इंसान को दो लक्ष्यों से पैदा किया है एक ज्ञान और दूसरे समृद्ध के लिए।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने भाषण के एक अन्य भाग में वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली की गतिविधियों की ओर संकेत किया और कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता के आरंभिक वर्षों में वैज्ञानिक प्रगति की दृष्टि से ईरान 57वें स्थान पर था परंतु आज हम प्रगति के 15वें पायदान पर पहुंच गये हैं और कुछ विषयों में हम दुनिया के दसवें देश हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली ने एक वर्ष में 175 किताबों व रचनाओं का अनुवाद किया है जो एक परिवर्तन और महत्वपूर्ण काम है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली का दूसरा काम शिया इंसाइक्लोपीडिया तैयार करना है और वर्ष 1402 हिजरी शमसी में 22 भाषाओं में आठ हज़ार से अधिक किताबों को दाखिल किया गया। अहलेबैत इंटरनेश्नल विश्वविद्यालय भी आठ विषयों से 23 विषयों तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में कोई अहलेबैत और अहलेबैत की विचारधारा का अध्ययन करना चाहता है तो उसे वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के अध्ययनों व शोधों का पढ़ना चाहिये। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंब्ली के पास आस्था, वैचारिक, नैतिकता, अमली और अहकाम व धार्मिक आदेश के संबंध में जानकारियों का भंडार है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता बल देकर कहते हैं कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंब्ली को चाहिये कि वह अहलेबैत को समाज के प्रतिभाशाली और समाज के समस्त लोगों से परिचित कराये, वे मानवता के सर्वोत्तम आदर्श हैं और चूंकि मानव समाज इन हस्तियों से अवगत नहीं है इसलिए वह दूसरों का अनुसरण करने लगा है। अहलेबैत बेहतरीन आदर्श और क़ुरआन के वाक़ई व वास्तविक आडियन्स हैं।

Assembly of Experts for Leadership (असेम्बली ऑफ़ इक्सपर्टस फ़ार लीडरशीप) के सदस्य ने कहा कि अभी हमने क़ुरआन से वास्तविक अर्थों में संपर्क स्थापित नहीं किया है और उससे मानूस नहीं हुए हैं। हम क़ुरआन के अंदर मौजूद वास्तविकताओं और इशारों से अवगत नहीं हुए हैं और हम क़ुरआन से अपरिचित हैं। क़ुरआन आज भी ग़रीब है यानी लोगों ने इसे छोड़ दिया है। क़ुरआन मानव समाज को उन संकटों से मुक्ति देने वाली किताब है जिनका उसे सामना है। जो भी क़ुरआन से संपर्क स्थापित करेगा वह कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं करेगा। क़ुरआन मात्र वह किताब है जो आज के मानव समाज को मुक्ति दे सकता है। अगर हम धर्म की सही व्याख्या कर सकें और उसका सही अर्थ बयान कर सकें तो सभी के अंदर प्रेम के साथ धार्मिक रुझान पैदा होगा। उन्होंने कहा कि एक समय था जब पश्चिम आध्यात्मिकता से मुकाबला करता था और आज यही पश्चिम है जिसका आध्यात्मिका की ओर रुझान पैदा हो गया है मगर झूठे आध्यात्मिकता की ओर। इस समय यूरोप और अमेरिका में शायद तीन से चार हज़ार झूठी आध्यात्मिकता मौजूद है। 

कार्लोस कास्टाना, डॉन जुआन, इरफ़ान माज़िकी और इरफ़ान हलक की किताबों की ओर रुझान इस बात का सूचक है कि इस समय हमें विश्व में धार्मिक आध्यात्मिकता और धार्मिक सांस्कृतिक निर्धनता का सामना है।

वारणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और धार की कमल मौला मस्जिद विवाद के बीच अब जौनपुर की अटाला मस्जिद का विवाद भी चर्चा में आ गया है। भारत की कई ऐतिहासिक मस्जिदों को लेकर हिन्दू पक्ष की ओर से दावे किये जा रहे हैं जिन्हे प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के बाद भी अदालतों की ओर सुनवाई के लिए मंज़ूर किया जा रहा है जो विवाद को और हवा दे रहा है।

जौनपुर के सिपाह मोहल्ले में गोमती किनारे में मौजूद अटाला मस्जिद दुनिया भर में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। अटाला मस्जिद को लेकर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यहां अटल देवी के मंदिर को तोड़कर अटाला मस्जिद बनाई गई है।

इस दावे को लेकर कोर्ट में एक वकील ने दावा पेश किया है. सिविल जज सीनिअर डिवीजन कोर्ट में अटाला मजिस्द को अटाला माता मंदिर बताते हुए आगरा के वकील अजय प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, मैनेजमेंट कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ दावा पेश किया है।

जय प्रताप सिंह ने दावा किया है कि कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी किताब में अटाला मस्जिद की नेचर व कैरेक्टर को हिन्दू बताया है। अटाला मस्जिद ASI के अधीन एक प्रोटेक्टेड मोनुमेंट है और एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है।

यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में जारी अपने सैन्य अभियान को ग़ज़्ज़ा जनसंहार बंद न होने तक जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि हम ज़ायोनी दुश्मन के लिए सामान ले जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना जारी रखेंगे।

अपने सैन्य अभियान को अब सिर्फ लाल सागर, अदन की खाड़ी या अरब सागर तक सीमित न रखते हुए यमन ने एलान किया है कि हम जहाँ तक दुश्मन के हितों को निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं वहां तक हमले करेंगे।

यमन के लोकप्रिय जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव ने कहा कि जो कंपनियां ज़ायोनी दुश्मन तक सामान पहुंचाती हैं, उनके जहाजों को हम हर उस क्षेत्र तक निशाना जहाँ तक हम हमला करने में सक्षम हैं। यमनी सशस्त्र बलों द्वारा घोषित ऑपरेशन का चौथा चरण भूमध्य सागर तक सीमित नहीं है और इसमें कब्जे वाले क्षेत्रों में माल परिवहन करने वाले सभी जहाज शामिल हैं।

 

सेनेगल में इस साल की शुरुआत में होने वाले चुनाव से कुछ समय पहले ही जेल से रिहा होने और अपनी पार्टी को जीत दिलाने वाले सेनेगल के प्रधानमंत्री ने इस देश में फ़्रांस की सैन्य उपस्थिति का जमकर विरोध किया।

सेनेगल के प्रधान मंत्री ओस्मान सोनको ने मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भी फ्रांस और पश्चिम के प्रयासों की आलोचना की, जो उनके अनुसार सेनेगल और अन्य अफ्रीकी देशों के मूल्यों और संस्कृति के विपरीत हैं।

रायटर्स के अनुसार सोनको को सेनेगल के आंतरिक मामलों में फ्रांसीसी हस्तक्षेप की मुखर आलोचना के लिए जाना जाता है। ऐसी स्थिति में जब क्षेत्र के अन्य देशों ने पहले ही फ्रांस के साथ संबंध तोड़ने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं, उनकी मुखर टिप्पणियों ने उनके चुने हुए उम्मीदवार को देश के राष्ट्रपति चुनाव जीतने में मदद की। उस्मान ने कहा कि मैं सेनेगल की अपनी नियति स्वयं निर्धारित करने की इच्छा पर जोर देना चाहता हूं, जो सेनेगल में विदेशी सैन्य अड्डों की दीर्घकालिक उपस्थिति के साथ असंगत है।

 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की ज़मानत के बाद भी आम आदमी पार्टीकी मुश्किलें ख़त्म होती नज़र नहीं आ रही है। स्वाति मालीवाल विवाद में भाजपा की दिलचस्पी के बाद अब संघ से जुड़े संगठन भी खुलकर सामने आ गए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक, मुख्य सरंक्षक और संघ के सीनियर नेता इंद्रेश कुमार ने स्वाति मालीवाल के सपोर्ट में बयान देते हुए लोगों से महिलाओं का सम्मान और स्वाभिमान बढ़ाने वाली सरकार चुनने की अपील की है।

एक समारोह में वोटरों को अलर्ट करते हुए इंद्रेश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल की तुलना करते हुए कहा कि एक तरफ ऐसा शख्स है, जो औरतों की इज्जत को बढ़ाने में लगा है, तो दूसरी तरफ ऐसा व्यक्ति है, जो अपने ही दल की राज्यसभा सांसद को अपने घर बुलाकर बुरी तरह पिटवाता है।

 

ज्ञान, हर अच्छाई की जड़ है जबकि उसके मुक़ाबले में अज्ञानता, हर बुराई की जड़ है।

ब्राज़ील के साऊ पाऊलो नगर में इसी महीने एक कांफ्रेंस आयोजित हुई जिसका शीर्षक था, "इस्लाम, वार्ता और ज़िंदगी का धर्म" इस अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में "मजमए जहानी अहलैबैत" के महासचिव ने भाग लिया।  हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने इसमें विशेष मेहमान के रूप में हिस्सा लिया।

इस कांफ्रेंस में ब्राज़ील के न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधि, इस देश की काफेड्रेशन आफ कार्डिनल के प्रतिनिधि, कुछ ईसाई धर्मगुरू और वहां के राजनीतिक शख़सियों ने भी भाग लिया।  कांफ्रेंस में हिस्सा लेने वाले वक्ताओं ने धर्मो के मध्य संवाद पर बहुत ज़ोर दिया।  यहां पर हम इस्लाम और शियत के बारे में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी के विचारों के कुछ हिस्से पेश कर रहे हैं।

अपने संबोधन के आरंभ में उन्होंने शिया मुसलमानों की दृष्टिकोण से ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला।  उन्होंने कहा कि ज्ञान, हर अच्छाई की जड़ है।  उसके मुक़ाबले में अज्ञानता, हर बुराई की जड़ है।  अगर कोई इंसान ख़ुद को अच्छी तरह से पहचान ले तो वह अपने पालनहार को भी पहचान सकता है।

इस बारे में उन्होंने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के इस कथन का उल्लेख किया जिसमें आप कहते हैं कि अगर इंसान ख़ुद को सही ढंग से पहचान ले तो दूसरे लोगों को भी अच्छी तरह से पहचान लेगा।  धिक्कार को अज्ञानता पर।  सबसे पहली अज्ञानता स्वयं अपने बारे में है।  हर वह इंसान जो अपने से ही अनजान हो वह गुमराह हो सकता है।  जब कोई ख़ुद गुमराह हो जाता है तो वह दूसरों को भी गुमराह बना देता है।  एसे में हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि पहले हम ख़ुद को पहचानें।  अरस्तू ने अपनी एकेडमी में लिख रखा था कि ख़ुद को पहचानो।  स्वयं को पहचानना, इंसानियत की तरक़्क़ी का राज़ है।  एसे में इंसान, दूसरों के बारे में अपनी ज़िम्मेदारी समझने लगता है।

इमाम अली, इंसाफ़ की आवाज़

उन्होंने आगे कहा कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम को सारे मुसलमान मानते हैं।  शिया मुसलमान उनको अपना पहला इमाम कहते हैं।  सुन्नी मुसलमान भी हज़रत अली अलैहिस्सलाम को चौथे ख़लीफ़ा के रूप में मानते हैं।  उनके भीतर बहुत सी विशेषताएं थीं जिनमे से एक न्याय भी था।  लेबनान के एक मश्हूर लेखक "जार्ज जुरदाक़" ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के बारे में एक किताब लिखी है।  इस किताब का नाम हैं "सौतुल एदाला"।  यह किताब पांच वोल्यूम में लिखी गई है।  मैं चाहता हूं कि इस किताब का तरजुमा स्पैनिश और पोरटोगीज़ ज़बान में किया जाए।  जार्ज जुरदाक़, हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शहदाई थे।

इस्लाम, वार्ता और ज़िंदगी का धर्म नामक अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में "मजमए जहानी अहलैबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी

वार्ता करने वाले बनो

मजमए जहानी अहलैबैत के महासचिव कहते हैं कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम का कहना है कि लोग दो हिस्सों में बंटे हुए हैं।  एक दीनी भाई हैं जबकि दूसरे सृष्टि में तुम जैसे हैं।  हमको यह सिखाया गया है कि हम ईसाइयों और यहूदियों को अपना दीनी भाई पुकारें।  पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) सबसे बात किया करते थे।  एक जगह पर ख़ुदा, पैग़म्बरे इस्लाम से कह रहा है कि कह दो कि तुम भी अपनी बातों को पेश करो और साथ में बात करो।

यहां तक कि वह लोग जो किसी को भी नहीं मानते हैं उनके साथ भी बात करो।  उनके सामने अपना तर्क पेश करो।  अगर तुम्हारी बात को न माना जाए और तुम्हारे तर्क को ठुकरा दिया जाए तो तुम उन बातों पर सब्र करो जो तुम्हारे विरुद्ध कही जाएं।  अगर तुम उनसे अलग होना चाहो तो उनके साथ नेकी से पेश आओ और नर्मी से अलग हो जाओ।

पैग़म्बरे इस्लाम के परिजन वार्ता के पक्षधर

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी, पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों को वार्ता का पक्षधर बताते हुए कहते हैं कि इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम और इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम जैसे हमारे धार्मिक मार्गदर्शकों ने इसाइयों के साथ भी वार्ता की।  उन्होंने अन्य धर्म के मानने वालों के साथ भी बातचीत की।  हमको एक-दूसरे से बात करके उनको समझना चाहिए।  इस्लाम, शांतिपूर्ण जीवन का प्रचार करते थे।  लोगों को एक-दूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण ढंग से व्यवहार करना चाहिए।  इस्लाम चाहता है कि इंसान अपनी प्रकृति को नष्ट न करे और न ही उसको दूषित करे।

दुश्मनों की ज़मीन के पेड़ों को न काटो

इस्लामी शिक्षा संस्थान और यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले इस धर्मगुरू का कहना था कि हमारे पास इस बात के पुष्ट प्रमाण मौजूद हैं कि आज से 1250 साल पहले इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने 50 अधिकारों के बारे में लिखा था।  इमामों का कहना हे कि प्रकृति या नेचर को नुक़सान न पहुंचाओ।  दुश्मनों तक के पेड़ों को भी नहीं काटो, उनको न जलाओ।  उनके पानी को दूषित न करो।  यह सब पर्यावरण के लिए ख़तरा हैं।  पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम तथा उनके पवित्र परिजनों के कथनों में बहुत ही डिटेल से पर्यावरण के बारे में बात की गई है।

तेहरान पुस्तक मेले के निरीक्षण के अवसर पर ईरान के राष्ट्रीय प्रसारण संगठन आईआरआईबी के एक प्रतिनिधि द्वारा इस्लामी क्रांति के नेता के साथ साक्षात्कार।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान पुस्तक मेले के निरीक्षण के अवसर पर, ईरान की राष्ट्रीय प्रसारण एजेंसी (आईआरआईबी) के प्रतिनिधि द्वारा इस्लामी क्रांति के नेता के साथ एक साक्षात्कार हुआ था, जिसे प्रस्तुत किया जा रहा है।

रिपोर्टर: बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम. सलामुन अलैकुम, ज्ञान बढ़ाने और सूचना के स्तर को ऊपर उठाने वाले इस केंद्र और माहौल में एक बार फिर महामहिम से मिलने और आने का सौभाग्य मिलना बहुत खुशी की बात है। यदि अनुमति हो, तो मैं  तेहरान अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले और किताबें पढ़ने की संस्कृति के बारे में कुछ प्रश्न पूछना चाहूँगा।

पहला प्रश्न महामहिम के अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में निरन्तर भ्रमण के दर्शन से सम्बन्धित है कि आप हर वर्ष इस पुस्तक मेले में आते हैं और वास्तव में सूक्ष्मता, सुकुमारता एवं पूर्ण मनोयोग से विस्तृत निरीक्षण करते हैं। यहाँ आने से पहले ही रास्ते भर यह स्पष्ट था। नव प्रकाशित पुस्तकों और उनके लेखकों पर आपकी नज़र यह दर्शाती है कि आप पुस्तकों पर पूरा ध्यान देते हैं और उन्हें बहुत गंभीरता से परखते हैं और यह केवल सांकेतिक निरीक्षण नहीं है। आपकी समीक्षा का समाज और पुस्तक प्रकाशकों के लिए क्या संदेश है?

बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम। आपको मुझसे जो पूछना चाहिए वह इस कार्य का संदेश नहीं है, बल्कि इसकी प्रेरणाएँ हैं। सबसे पहले, यह पुस्तक में मेरी व्यक्तिगत रुचि, पुस्तक के साथ मेरे लगाव और परिचितता से प्रेरित है। दूसरा चरण पुस्तक का प्रचार-प्रसार है। मैं पुस्तकों को अधिक से अधिक लोकप्रिय देखना चाहता हूँ। क्योंकि मुझे लगता है कि हमें किताबों की ज़रूरत है। अलग-अलग क्षेत्रों के सभी लोगों, अलग-अलग उम्र और अलग-अलग ज्ञान के स्तर के लोगों को किताब पढ़ने की ज़रूरत है और किताब को सही अर्थों में पढ़ना चाहिए, किताब की जगह कोई नहीं ले सकता। मैं चाहता हूं कि किताबें पढ़ने का चलन आम हो। आज किताब पढ़ने की जगह दूसरे शौक जैसे सोशल मीडिया आदि ने थोड़ी सी ले ली है। यह सही नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि सोशल मीडिया का रुख न करें या अखबार न पढ़ें। पढ़ते रहिये! लेकिन ऐसा न हो कि ये किताबें पढ़ने की जगह ले लें। किताब में लोगों की अर्थव्यवस्था, क्रय शक्ति और उनके ख़ाली समय में जगह होनी चाहिए। किताबें पढ़ने में कुछ समय अवश्य व्यतीत करें। मैं चाहता हूं कि यह लोकप्रिय हो। मेरा यहां आना इस लिहाज से कारगर साबित हो सकता है.' यह एक प्रेरक भी है।

रिपोर्टर: आपने जिस बिंदु की ओर इशारा किया वह प्रश्न का दूसरा भाग था। किताब को दयालु मित्र कहा जाता है और इस दयालु मित्र पर हमेशा ध्यान देना चाहिए। जैसा कि आपने कहा, सोशल मीडिया ने एक ऐसा माहौल बना दिया है जिसमें समाज, विशेषकर बड़े बच्चे और युवा, काफी आकर्षक हैं और किताबें न पढ़ने के मामले में यह गंभीर चिंता का विषय है। आपने जनता के बारे में तो कहा, लेकिन इस क्षेत्र के जिम्मेदार लोगों और इस क्षेत्र में सक्रिय लोगों को साहित्य के प्रचार-प्रसार के संबंध में आपकी क्या सलाह है?

इस्लामी मार्गदर्शन और संस्कृति मंत्रालय, या इस्लामी प्रचार जैसी जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों को पुस्तकों के प्रकाशन में सहायता करनी चाहिए। हमें उनकी मदद करनी चाहिए. हालाँकि, इस वर्ष मैंने इन पुस्तक केन्द्रों पर जाकर पूछा तो पाया कि सभी या कुछ प्रकाशकों को जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा मदद की जा रही है। मदद मिलनी चाहिए. यह पहला कार्य है.

जो लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं उन्हें किताबों को बढ़ावा देने के लिए साइबरस्पेस का भी उपयोग करना चाहिए। यह कर्तव्य है कि जो लोग सोशल मीडिया पर काम करते हैं, वे भी लोगों में किताबों के प्रति प्रेम पैदा करें और अच्छी किताबों से परिचय कराएं। विभिन्न क्षेत्रों में, साहित्य में, इतिहास में, कला में, वैज्ञानिक और धार्मिक विषयों पर कई अच्छी और उपयोगी पुस्तकें हैं। इस वर्ष मैं देख रहा था कि अल्हम्दुलिल्लाह जिन केंद्रों पर मैं गया, वहां नई छपी किताबें कम नहीं हैं। उनका परिचय दें ताकि लोगों को पता चले कि उन्हें कौन सी किताबें पढ़नी हैं और कौन सी किताबें माँगनी हैं।

रिपोर्टर: मेरा आखिरी सवाल यह है कि आप अब तक लगभग आधी प्रदर्शनी देख चुके हैं और बाकी देखेंगे इंशाअल्लाह, इस साल के अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले की खास बात क्या है जिसने महामहिम का ध्यान आकर्षित किया?

दो या तीन चीजें मुझे महत्वपूर्ण लगीं: एक नए काम का जुड़ना; मैंने जिन प्रकाशकों के स्टॉलों का दौरा किया, उनमें उल्लेखनीय नए कार्य प्रस्तुत किए गए या नए कार्यों पर रिपोर्ट दी गई। खरीदारी की एक और समस्या थी. मैं अक्सर पूछता हूं कि खरीदारी कैसी है, बिक्री कैसी है, अक्सर वे कहते हैं अच्छा है। जिन लोगों से मैंने पूछा उनमें से सभी या अधिकांश ने कहा कि बिक्री अच्छी है, लोग आ रहे हैं।

दूसरा मुद्दा किताबों की संख्या का मुद्दा है. छपने वाली किताबों की संख्या बहुत कम हो गई थी, मैंने देखा कि नहीं! वे कहते हैं, अत्यंत गंभीर पुस्तकों की 3000, 2000, 2500 और 1000 प्रतियां छपीं। कुछ किताबों के लिए यह संख्या अच्छी है. किताबों के नए संस्करणों के बारे में भी यही सच है। कुछ पुस्तकें कई बार छप चुकी हैं। मैंने इसे प्रसारण संगठनों के स्टालों पर देखा। यह बहुत अच्छा है। अल्हम्दुलिल्लाह, यह इस साल के लिए अच्छी खबर है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो लोग बड़े बच्चों और युवाओं, यानी शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों से चिंतित हैं, उन्हें मेरी सिफारिश है कि बड़े बच्चों और युवाओं के लिए पढ़ने की स्थिति अनुकूल बनाई जाए और उन्हें अच्छी किताबें उपलब्ध कराई जाएं। हालाँकि, परिवार के सदस्यों के भी अपने स्थान पर कर्तव्य होते हैं ।

उन्हें यह करना चाहिए कि जो संस्थाएं बड़े बच्चों और युवाओं के संबंध में सक्रिय हैं, उन्हें जिम्मेदारी का एहसास करना चाहिए और युवाओं के लिए पुस्तक पढ़ने के अवसर प्रदान करना चाहिए। युवाओं को साक्षरता की बहुत आवश्यकता है। साहित्य, इतिहास, विरासत और व्यक्तित्व से परिचित कराती पुस्तकें। ये ऐसे विषय हैं जिनमें वास्तव में अंतर है। इसी प्रकार विभिन्न घटनाओं की पुस्तकें भी हैं। वर्तमान में, उदाहरण के लिए, संवैधानिक आंदोलन पर कुछ किताबें पहले से ही मौजूद हैं। देश में संवैधानिक आंदोलन के नाम पर जो कुछ हुआ उसकी सही और यथार्थवादी नजरिए से व्याख्या करने की जरूरत है। इस विषय पर बहुत कम या कोई किताबें नहीं हैं या पढ़ने लायक बहुत कम किताबें हैं। ये वे कार्य हैं जिन्हें निष्पादित करने की आवश्यकता है। संवैधानिक आन्दोलन जैसी अनेक घटनाएँ हैं। रक्षा पवित्रता के बारे में हम जितना भी लिखें, कम है। जितना अधिक कहो उतना कम है. बहुत जगह है. क्रांति के बारे में कम लिखा गया है, इमाम (र) के मामले में भी यही बात है। इमाम इतिहास के एक प्रतिष्ठित और दुर्लभ व्यक्ति हैं। हमने इमाम के बारे में कितनी किताबें लिखी हैं? क्या लिखा है? यह बहुत महत्वपूर्ण है। ये वे कार्य हैं जिन्हें निष्पादित किया जाना चाहिए। पुस्तकों का प्रकाशन बहुत महत्वपूर्ण है, जो अधिकतर संस्कृति मंत्रालय, तब्लीगी संस्थाओं और साहित्य एवं कला विभागों की जिम्मेदारी है, लेकिन पुस्तकों का प्रचार-प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग और विश्वविद्यालयों आदि की जिम्मेदारी है।

ग़ज़ा में हालिया नस्लकुशी से पहले शेवरॉन कंपनी की तेल और गैस पाइपलाइनों सुरक्षा के लिए गश्त करने वाले इस्राईली सैनिकों ने फ़िलिस्तीनी मछुआरों पर सीधे गोलियां बरसाई थीं और कई को गिरफ़्तार कर लिया था।

2020 में इस्राईली लड़ाकू विमानों को जेपी-8 जेट फ़्यूल की आपूर्ति के लिए अमरीका ने 3 बिलियन डॉलर की लागत का एक समझौता किया था।

डेटाडेस्क की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि अक्तूबर 2023 के बाद जेपी-8 जेट ईंधन से भरे 3 अमरीकी टैंकर इस्राईल के लिए रवाना हुए थे।

टेक्सास के कॉर्पस क्रिस्टी में स्थित वैलेरो एनर्जी रिफ़ाइनरी इस ईंधन की आपूर्तिकर्ता है। जब हम यह रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, उस वक़्त भी एक अन्य टैंकर ओवरसीज़ सन कोस्ट भूमध्य सागर में इस्राईल की ओर जा रहा है।

जेट ईंधन की आपूर्ति और उसके परिवहन मार्ग को बंद करना, ज़ोयनी युद्ध मशीन को रोकने के लिए महत्वपूर्ण क़दम हो सकता है।

बंदरगाहों में हड़ताल, कार्यकर्ताओं को संगठित करना, बंदरगाहों के कर्मचारियों द्वारा जहाज़ों को सेवाएं प्रदान नहीं करना और ट्रेड यूनियनों द्वारा जहाज़ों को लंगर डालने से रोकना ग़ज़ा में नरसंहार को रोकने में मदद कर सकता है।

इसके अलावा, इस्राईल की ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश को रोकने से इस शासन की विस्तारवादी नीतियों पर क़ाबू पाने में मदद मिलेगी।

हालिया वर्षों में फ़िलिस्तीन के पानियों से चोरी की गई गैस के उत्पादन और निर्यात से इस्राईल ने काफ़ी पैसा कमाया है।

इन परियोजनाओं का इस्तेमाल, इस्राईल को वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक क्षेत्र के रूप में स्थापित करना और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए राजस्व उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। इस पैसे को उसके 23.4 बिलियन डॉलर के वार्षिक सैन्य बजट में इंजैक्ट किया जाता है।

इस्राईल के ऊर्जा उद्योग में निवेश को रोकना

गैस संरचना की सीधे तौर पर अवैध क़ब्ज़े और औपनिवेशिक हिंसा में भूमिका है। उन 12 कंपनियों में निवेश को रोका जाना चाहिए, जो अक्तूबर 2023 में ग़ज़ा के तट पर गैस की खोज में सामिल हैं।

बीपी, ऐनी और डाना पेट्रोलियम जैसी कंपनियों ने न सिर्फ़ इस्राईल की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व निवेश किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लंघन में सीधे तौर पर भूमिका निभाई है। इस निवेश ने फ़िलिस्तीनी प्राकृतिक संसाधनों में अरबों डॉलर की आय को ख़तरे में डाल दिया है।

निवेश को रोकना, इस कॉरपोरेट लूटमार को उजागर करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।

फ़िलिस्तीन के लिए यूके एनर्जी एम्बार्गो (जिसने बीपी को लक्षित किया है) या शेवरॉन आउट ऑफ़ पेलिस्टाइन जैसे समूह आज ज़मीनी स्तर पर इस ज़िम्मेदारी को अदा कर रहे हैं। उनकी कार्यप्रणाली इस्राईल और इस्राईली ऊर्जा कंपनियों में निवेश करने वालों के लिए राजनीतिक लागत को बढ़ा देना है।

यह संगठन जनता में जागरुकता फैलाकर तेल, गैस और औपनिवेशिक क़ब्जे के बीच के संबंधों को उजागर कर रहे हैं।

इस तरह के समूहों और छात्र आंदोलनों को इतालवी सरकारी कंपनियों Eni, Total Energies और ग्रीक के स्वामित्व वाली Energean के ख़िलाफ़ इसी तरह का अभियान चलाने की ज़रूरत है। जो इस्राईल द्वारा फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों से तेल और गैस चुराने का परमिट हासिल कर चुकी हैं। 

कार्यकर्ताओं को यूरोपीय संघ को भी निशाना बनाना चाहिए, जिसने इस्राईली गैस के निर्यात का महत्वपूर्ण भाग ख़रीदा है और ग़ज़ा में नरसंहार के दौरान इस्राईल की ओर से उसकी खेप प्राप्त की है।

जहाज़ों को रोकना

इस्राईली गैस ले जाने वाले टैंकर नियमित रूप से बेल्जियम, वेल्स, मार्सिले, टस्कनी और रेवेना में रुकते हैं। अगर यूरोपीय कार्यकर्ता इस्राईल से आयात की जाने वाली गैस की लागत को बढ़ा दें और इन जहाज़ों को रोक दें तो उस पर ऊर्जा प्रतिबंध लगाया सकता है और उसकी युद्ध मशीन में डाले जाने वाले धन पर रोक लगाई जा सकती है।

इस्राईल में निवेश पर प्रतिबंधों विशेष रूप से ईंधन के क्षेत्र में प्रतिबंधों से फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने में मदद मिल सकती है।

इस क्षेत्र में सक्रिय समूहों में से एक डिसरुप्ट पावर ग्रूप है। यह इस्राईल के अपराधों का विरोधी समूह है, जो इस्राईल की युद्ध और नरसंहार मशीन में भूमिका निभाने वाले वैश्विक ऊर्जा स्रोतों की जांच करता है।