رضوی

رضوی

अफ़ग़ानिस्तान में भारी बारिश और बाढ़ के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई 2000 से अधिक घर बाढ़ में बाह गए हैं हज़ारों लोग घायल हैं जबकि हालात इतने भयावह हैं कि ट्रक्स और गाडी के माध्यम से राहत सामग्री भी नहीं पहुंचाई जा सकती जिसके लिए मजबूरी में गधों और खच्चरों का सहारा लिया जा रहा है।

अफगानिस्तान के कई क्षेत्रों में भारी बाढ़ के बाद विश्व खाद्य कार्यक्रम ने बताया कि अधिकांश बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ट्रकों द्वारा पहुंच योग्य नहीं हैं। संगठन ने एक तस्वीर साझा की, जिसमें सहायता कर्मी गधों का उपयोग करके बगलान में आपातकालीन आपूर्ति कर रहे हैं। यूएन डब्ल्यूएफपी ने एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी। डब्ल्यूएफपी को लोगों को भोजन दिलाने के लिए हर विकल्प का सहारा लेना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालात इतने खराब हैं कि कुछ इलाक़ों में दो हफ़्तों से बिजली भी नहीं है।

विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़ने वाली ईरानी महिलाओं के परिचय के तहत, समीरा जन्नतदोस्त की ज़िंदगी के बारे में जानिए कि उन्होंने कब से कुकिंग का काम शुरू किया, कितनी किताबें लिखीं, कितनी क्लासें चलाती हैं और उन्हें कौन कौन से इनाम मिल चुके हैं।

समीरा जन्नतदोस्द ईरान की पहली महिला शैफ़ हैं, जिन्हें फ़ूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइज़ेशन (एफ़एओ) द्वारा ईरानी व्यंजनों की प्रथम महिला और देश के तकनीकी और व्यावसायिक संगठन द्वारा ईरान की सर्वश्रेष्ठ महिला के रूप में चुना गया है।

आज हम आपका परिचय समीरा जन्नतदोस्त से करवा रहे हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन या एफ़एओ ने ईरान की प्रथम महिला शैफ़ के तौर पर चुना है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के प्रतिष्ठित पुरस्कारों और ख़िताबों से नवाज़ा जा चुका है। उन्होंने कुकिंग बुक की विश्व प्रतियोगिता में पहले स्थान के लिए गोरमैंड अवार्ड्स और बेस्ट ऑफ़ द बेस्ट अवार्ड जीते हैं। इसी प्रतियोगिता में 2018 में उन्हें उनकी ड्राई स्वीट्स किताब के लिए एक विशेष पुरस्कार दिया गया और उनकी हॉट एंड कोल्ड ड्रिंक्स किताब को दुनिया की शीर्ष 7 पुस्तकों में से एक के रूप में मान्यता दी गई।

समीरा जन्नतदोस्त

 जन्नतदोस्त अब तक 6 किताबें लिख चुकी हैं। अध्ययन की दृष्टि से यह किताबें बहुत महत्वपूर्ण हैं और बड़ी संख्या में लोगों ने इनका स्वागत किया है। भविष्य में भी उनकी नई किताबें बाज़ार में आने वाली हैं।

वह ईरान के पश्चिमोत्तर में स्थित तबरेज़ शहर की रहने वाली हैं और उनके 3 बच्चे हैं। उन्होंने 11 साल की उम्र में खाना बनाना शुरू कर दिया था। ख़ुद उनका कहना है कि मुझे खाना बनाने से ज़्यादा किसी दूसरे काम में आनंद नहीं आता था। उन्होंने 25 साल की उम्र से खाना बनाने की शिक्षा देना शुरू किया और सन 1371 हिजरी शम्सी में तबरेज़ में खाद्य उद्योग के क्षेत्र में तकनीकी और व्यावसायिक संगठन से जुड़ी एक आधिकारिक वर्कशॉप का उद्घाटन किया।

उनका कहना हैः अगर महिलाओं को सफल जीवन जीना है तो अपने घर के किचन से शुरुआत करना चाहिए। खाना बनाना उनके लिए एक ऐसी रस्म है, जिसमें एक महिला, लज़ीज़ खाना चखने और परिवार को एक साथ लाने और परिजनों के बंधन को मज़बूत करने की भूमिका अदा करती है।

समीरा जन्नतदोस्त के लिए खाना बनाना एक पवित्र पेशे की तरह है। एक ऐसा पेशा, जिसके लिए समय देना पड़ता है, दिलसोज़ी करनी पड़ती है और उसे जीवित रखना पड़ता है। यही वजह है जब उन्होंने खाना बनाने पर अपनी पहली किताब प्रकाशित की तो उसकी प्रस्तावना में उन सभी महिलाओं का शुक्रिया अदा किया जो आज भी खाना तैयार करने को महत्व देती हैं और उसका सम्मान करती हैं।

समीरा जन्नतदोस्त अपनी एक किताब के साथ

 उन्होंने अपनी इस किताबा की प्रस्तावना में लिखा हैः मेरी यह किताब उन सभी लोगों को समर्पित है, जो अभी भी अपने प्रियजनों के साथ अपने प्यार और स्नेह को खाने की टेबल पर साझा करते हैं। एक समझदार मां और पत्नी जानती है कि वह अपने जीवनसाथी और बच्चों के साथ अपने प्यार और स्नेह को लज़ीज़ खाने के ज़रिए ज़ाहिर कर सकती है। याद रखिए कि मां के खाने की महक हमेशा के लिए हमारे दिमाग़ में  बस जाती है और हम मां के खाने की तुलना में कोई भी खाना पसंद नहीं करते हैं। दस्तरख़ान का सम्मान ही परिवार का सम्मान है।

जन्नत दोस्त क़दम ब क़दम आगे बढ़ी हैं, ताकि एक ईरानी महिला के रूप में ईरानी खानों को नया जीवन प्रदान कर सकें और उन्हें नए रंग और नई महक के साथ दस्तरख़ान पर सजा सकें। वह कहती हैः जब तक ईरानी खाना है, तो पास्ता की क्या ज़रूरत है? सही में बड़ा अफ़सोस होता है कि विविध प्रकार के ईरानी खानों के बावजूद, लोग पास्ता और पित्ज़ा जैसे विलायती खाने खाते हैं। हर देश में वर्षों बीत जाने के बाद, लोग इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि वहां की जलवायु के दृष्टिगत कौन से खाने बेहतर रहेंगे, ताकि लोग स्वस्थ रह सकें। उदाहरण स्वरूप, भारत के लोग मिर्च और मसालों वाले खाने खाते हैं ताकि भारत के उमस भरे मौसम में रह सकें, या उत्तरी ईरान में लोग जो खाने खाते हैं, वह आज़रबाइजान में खाए जाने वाले खानों से अलग हैं। ऐसे में क्या यह सही है कि हम इस खाने की समृद्ध संस्कृति को पैरों तले रौंद दें और ऐसे देशों का खान-पान अपना लें, जिनका ईरान की परम्परा से कोई लेना-देना नहीं है?

जन्नतदोस्त अपनी एक क्लास में

 ख़ास तौर पर रमज़ान के महीने के लिए मुरब्बा या जैम और हलवा बनाने की उनकी क्लासों में सबसे ज़्यादा भीड़ रहती है। इस संदर्भ में वह ख़ुद कहती हैः शुरुआत में जब मुझे ज़्यादा अनुभव नहीं था तो मुझे अपना कोई मनपसंद मुरब्बा या हलवा तैयार करने में महीनों लग जाते थे लेकिन मैंने कभी भी किसी की कॉपी करने की कोशिश नहीं की और दूसरे स्रोतों से पढ़ाने का प्रयास नहीं किया। आपको यक़ीन नहीं होगा कि मैंने एक बोरी मूली का इस्तेमाल किया था ताकि उससे अच्छा जैम बना सकूं। संक्षेप में कहूं तो मैंने खाना बनाने में तरह तरह के नए नए नुस्खों का इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से न सिर्फ़ तबरेज़ बल्कि दूसरे शहरों की महिलाएं भी मेरी खाना बनाने की क्लासों में भाग लेने के लिए रुची लेने लगीं। इसीलिए मैंने अपनी वर्कशॉप पानीज़ की दूसरी शाख़ा की तेहरान में स्थापना की।

जन्नतदोस्त ने जब किताब लिखना शुरू किया तो कई लोगों ने सलाह दी कि विभिन्न देशों के खानों के बारे में लिखो, ताकि उसकी ज़्यादा बिक्री हो। लेकिन उन्होंने सिर्फ़ अपने दिल की बात सुनी। उनका कहना हैः मैं एक ईरानी शैफ़ हूं, इसलिए बेहतर होगा कि पहले ईरानी खानों की बात करूं और उन्हें पूरी दुनिया के सामने पेश करूं। "आशपज़िये मिलल" किताब में खाना पकाने के अपने अनुभवों के ज़रिए मैंने भोजन के स्वाद को अपने राष्ट्र के स्वाद में बदल दिया। मैंने किताब की शुरुआत में यह स्पष्टीकरण दिया है ताकि अगर कोई ग़ैर-ईरानी व्यक्ति इस किताब को पढ़े तो उसे एहसास हो कि मैं अपने राष्ट्र के स्वाद को महत्व देती हूं और मैंने खानों के स्वाद को ईरानी शैली में और अपने देश वासियों के अनुसार बदल दिया है।

उन्होंने टीवी कार्यक्रमों में भी खाना बनाना सिखाया है, और राष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिताओं में एक विशेषज्ञ और एक महिला उद्यमी के रूप में काम किया है। इन दिनों उनका सारा ध्यान, क्लासों और किताबों पर है। इस बारे में वह कहती हैः ईरानी व्यंजन का अच्छी तरह से परिचय नहीं करवाया गया है। आप दुनिया में जहां भी जाते हैं, यहां तक ​​कि यूरोपीय देशों में भी तो आप देखते हैं कि उनके सबसे अच्छे होटलों में एक चीनी या भारतीय रेस्तरां होता है, लेकिन आपको ईरानी रेस्तरां नहीं दिखाई देगा। इसकी वजह यह है कि हम अपने खाने की संस्कृति को अच्छी तरह से पेश नहीं कर सके हैं। ऐसी किताबों के प्रकाशन से हो सकता है कि आज ईरानियों के ख़राब पोषण की जगह, उचित संस्कृति ले ले।

जन्नतदोस्त आगे कहती हैः ईरानी खानों का एक लम्बा इतिहास और संस्कृति है। ईरानी खानों ने यह रूप हकीम अबू अली सीना के ज्ञान व अनुभवों के आधार पर और क्षेत्रीय व जलवायु के अनुसार यह रूप लिया है। प्राचीन काल से ही ईरानी यह बात जानते हैं कि किस चीज़ को किस चीज़ के साथ खाना चाहिए तो लाभ होगा और किस चीज़ को किस चीज़ के साथ खाने से नुक़सान होगा। उन्हें पता है कि किन मसालों और सब्ज़ियों को मिलाकर खाने से शरीर स्वस्थ रहेगा, इसीलिए उन्हें साथ में खाया जाना चाहिए।

उनका मानना है कि खाना बनाना, सिर्फ़ पेट भरने के लिए खाना बनाना ही नहीं है। बल्कि यह एक कला है। खाना बनाना एक सुंदर अनुभव है, जो परिवार की नींव को मज़बूत करता है, अगर सही तरीक़े से काम किया जाए तो सभी एक दस्तरख़ान पर इकट्ठा हो जाते हैं और परिवार और उसके स्वास्थ्य की अवधारणा को एक वास्तविकता प्रदान करता है।

इस ईरानी महिला ने विश्व स्तर पर साबित कर दिया कि दुनिया के सभी प्रसिद्ध शैफ़ मर्द नहीं है। इसलिए कि ईरानी महिलाएं अपने मूल खानों की वजह से दुनिया में ईरान के नाम को ऊंचा कर सकती हैं। जिस तरह से कि वे खेल या दूसरे क्षेत्रों में कर रही हैं।

दक्षिणी गाजा के राफा क्षेत्र की केंद्रीय आपातकालीन समिति का कहना है कि राफा शहर पर ज़ायोनी सेना के जमीनी हमले की शुरुआत के बाद से लगभग 120 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं और सैकड़ों घायल हो गए हैं।

हमारे संवाददाता के अनुसार राफ़ा की केंद्रीय आपातकालीन समिति ने शनिवार को अपने बयान में कहा कि राफ़ा शहर में ज़ायोनी सरकार के नरसंहार में लगभग तीस फ़िलिस्तीनी नागरिक शहीद हो गए, जबकि इसमें शहीदों की संख्या शहर दो हजार तक पहुंच गया है. बयान में कहा गया है कि जमीनी ऑपरेशन की शुरुआत के बाद से लगभग 120 लोग शहीद हो गए हैं और सैकड़ों घायल हो गए हैं। समिति ने जोर देकर कहा कि ज़ायोनी सरकार द्वारा गाजा पट्टी के विभिन्न क्षेत्रों पर बमबारी के कारण हजारों निवासियों को प्रांत के केंद्र और पश्चिम में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जहां विस्थापित लोग रह रहे हैं।

बयान में कहा गया है कि गाजा के विभिन्न इलाकों, खासकर राफा पर ज़ायोनी सरकार की भारी बमबारी के कारण उनकी जान ख़तरे में है। समिति ने कहा कि राफा क्रॉसिंग के बंद होने से उन नागरिकों के जीवन पर असर पड़ेगा जो तुरंत सहायता पर निर्भर हैं, जिन्हें कब्जे वाले ज़ायोनी शासन राफा क्रॉसिंग से प्रवेश करने से रोक रहा है। राफा की केंद्रीय आपातकालीन समिति ने कहा कि राफा क्रॉसिंग को बंद करना राफा में एकमात्र कुवैती अस्पताल के संचालन को रोकने के बराबर होगा, जो आवश्यक वस्तुओं की गंभीर कमी और शहीदों और घायलों की संख्या में वृद्धि के कारण अभी भी सीमित है। काम हो रहा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सार्वजनिक बहस के निमंत्रण को लोकतंत्र के लिए सकारात्मक पहल बताया और कहा कि इस तरह की बहस से संबंधित पक्षों के दृष्टिकोण को समझने और विकल्प चुनने में मदद मिलेगी.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वह किसी भी मुद्दे पर पीएम मोदी के साथ सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हैं और अगर ऐसा होता है, तो वह या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे इसमें भाग लेंगे. राहुल गांधी ने कहा कि प्रमुख दलों के लिए स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक मंच के माध्यम से देश के सामने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करना एक सकारात्मक पहल होगी। कांग्रेस इस पहल का स्वागत करती है और बहस का निमंत्रण स्वीकार करती है। देश को यह भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस चर्चा में हिस्सा लेंगे.

इस संबंध में पूर्व जज मदन बी लोकर, पूर्व जज अजीत पी शाह और पत्रकार एन राम की ओर से मिले निमंत्रण का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस बहस के लिए तैयार है. उन्होंने पत्र के जवाब में लिखा कि 'आपके निमंत्रण पर मैंने श्री खड़गे जी से बात की है. हम सहमत हैं कि इस तरह की चर्चा से हमें अपने दृष्टिकोण को समझने और विकल्प चुनने में मदद मिलेगी। कांग्रेस नेता ने बहस के लिए तय स्थान और समय की जानकारी देने का अनुरोध किया है ताकि इसमें भाग लेने की तैयारी की जा सके.

हज 2024 के लिए भारतीय हज यात्रियों का 10 इम्बार्केशन पॉइंट से प्रस्थान जारी है। आज दिल्ली इम्बार्केशन के आईजीआई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सउदीया एयरलाइंस के दो विमानों मे लगभग 800 हज यात्री मदीना के लिए रवाना हुए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,दिल्ली/ हज 2024 के लिए भारतीय हज यात्रियों का 10 इम्बार्केशन पॉइंट से प्रस्थान जारी है आज दिल्ली इम्बार्केशन के आईजीआई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सउदीया एयरलाइंस के दो विमानों मे लगभग 800 हज यात्री मदीना के लिए रवाना हुए।

जिसमें बिना महरम के 58 महिला भी हज बैतुल्लाह के लिए रवाना हुईं गौरतलब है कि अल्पसंख्यक मामलों और महिला एवं बाल मंत्री ने प्रधानमंत्री की महिला अधिकार नीति को और मजबूत करते हुए 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र की  महिलाओं को बिना महरम अकेले हज पर जाने का अवसर प्रदान किया है। इस नीति के तहत 2024 में 4665 महिलाएं अकेले हज कर सकेंगी।

जिनमें सबसे ज्यादा संख्या केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक,महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की महिलाओं की है। इस अवसर पर हज कमेटी आफ़ इंडिया   के अधिकारियों और कर्मचारीयों  विशेष कर महिला कर्मचारीयों ने  आईजीआई हवाई अड्डे पर हज यात्रियों, विशेषकर बिना महरम वाली महिला हज यात्रियों को शुभकामनाएं दीं।

सीईओ डॉ. लियाकत अली अफाकी, डिप्टी सीईओ नजीम अहमद  के साथ महिला स्टाफ ने फूल और चॉकलेट देकर रुखसत किया। डॉ. अफाकी ने इस अवसर पर सभी हज यात्रियों से भारत सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का भरपूर लाभ उठाने की अपील की।

धैर्य रखें और उन कमियों को नज़रअंदाज़ करें जो तमाम प्रयासों के बावजूद रह जाती हैं।  हज की इबादत में मशगूल रहें और दुआ करें कि पूरे विश्व खासकर हमारे देश भारत मे शांति, व्यवस्था, मानवता और भाईचारे का माहौल स्थापित रहे।

कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के संयुक्त सेना प्रमुख ने गाजा में युद्ध जारी रखने के लिए नेतन्याहू की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि गाजा के खिलाफ युद्ध जारी रखने से कोई फायदा नहीं है।

आईआरएनए की रिपोर्ट के अनुसार, कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के संयुक्त सेना प्रमुख हर्ज़ी हलेवी ने बताया कि गाजा से इजरायली सेना की वापसी के बाद, तहरीक अल-इस्ताकम के मुजाहिदीन फिर से संगठित हो रहे हैं वहां खुद ने कहा कि गाजा इजराइल हमास के अलावा किसी अन्य सरकार के गठन की कोशिश नहीं कर रहा है। एक ज़ायोनी अख़बार ने भी इसराइली सैन्य सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि हमास पर जीत का कोई रास्ता नहीं बचा है.

कुछ ज़ायोनी अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि युद्ध के बाद किसी भी निर्णय में इज़रायली कैबिनेट की कोई भागीदारी नहीं है, जिसके कारण इज़रायली लोगों की जान को ख़तरा हो गया है। गाजा युद्ध में अब तक छह सौ बीस इज़रायली सैनिक मारे जा चुके हैं और राफा पर हमला न करने के अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद, नेतन्याहू कैबिनेट राफा पर हमला करने पर जोर दे रही है। इजराइली अखबार मारिव ने भी गाजा युद्ध के अप्राप्य परिणामों का जिक्र किया है और इस बात पर जोर दिया है कि रफाह पर इजराइल के हमले से स्थिति और खराब हो जाएगी. हाल के महीनों में नेतन्याहू कैबिनेट पर गाजा युद्ध खत्म करने और राफा पर हमला न करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी बढ़ गया है।

 

प्रदर्शन के दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारी और पुलिस आमने-सामने आ गए, इस दौरान पथराव के जवाब में पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी.पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की संयुक्त कार्रवाई समिति के केंद्रीय नेतृत्व ने हिंसक घटनाओं पर उदासीनता व्यक्त की है.

केंद्रीय नेतृत्व ने न सिर्फ इन हिंसक घटनाओं पर उदासीनता जताई बल्कि यह भी दोहराया कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और रहेगा. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के खिलाफ दुष्प्रचार किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है, हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है.

याद रहे कि 10 मई से पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में सस्ती बिजली और सस्ते आटे की आपूर्ति को लेकर विरोध प्रदर्शन और हड़तालें चल रही हैं.

 

हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के तीसरे दिन आज आज़ाद कश्मीर में सभी व्यापारिक केंद्र, कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।

प्रदर्शन के दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारी और पुलिस आमने-सामने आ गए, इस दौरान पथराव के जवाब में पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी.

प्रदर्शनकारियों ने महंगी बिजली नहीं, महंगा आटा नहीं, के नारे लगाए, जिला प्रशासन ने मीरपुर में धारा 144 लगा दी है. प्रदर्शनकारियों से झड़प के दौरान गोली लगने से घायल एएसआई की मौत हो गई.

अवामी एक्शन कमेटी ने महंगाई और टैक्स के खिलाफ मीरपुर से मुजफ्फराबाद तक लंबे मार्च की घोषणा की है.

इराक के इस्लामी प्रतिरोध ने कब्जे वाले क्षेत्रों के दक्षिण में रेमन हवाई अड्डे पर मिसाइल हमला किया है।

अल-मायादीन चैनल के मुताबिक, इराक के इस्लामिक प्रतिरोध ने अपने बयान में कहा है कि हमने कब्जे वाले इलाकों में रेमन एयरबेस को निशाना बनाया है. बयान के मुताबिक, यह हमला उन्नत किस्म की अल अरकिब क्रूज मिसाइल से किया गया. यह हमला गाजा पट्टी में निर्दोष फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के अपराधों और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के प्रति उसके समर्थन के जवाब में किया गया था।

पिछले दिनों क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में किए गए अभियानों में इराक़ के इस्लामी प्रतिरोध ने चेतावनी दी थी कि यदि ज़ायोनी सरकार ने गाज़ा पर अपने हमले जारी रखे, तो वह इस सरकार के ठिकानों के ख़िलाफ़ अपने अभियान तेज़ कर देगी। कब्जे वाले क्षेत्रों में विभिन्न अभियानों के दौरान, इस समूह ने हमेशा गाजा के लोगों के समर्थन और कब्जे वाले ज़ायोनी शासन के खिलाफ हमले पर जोर दिया है।

ईरान की वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग है जैसी पश्चिमी संचार माध्यम दिखाते हैं।

आयरलैण्ड के एक फिल्म निर्माता जान मुरे ने हाल में एक इंटरव्यू में कहा है कि पश्चिमी संचार माध्यम हमेशा ही ईरान को चित्रों के माध्यम से बुरा दिखाने में लगे रहे हैं।  शुरू से मैं यह सोचता आया हूं कि घटने वाली घटनाओं को लेकर ईरान, बहुत धैर्यवान रहा है।

उन्होंने ईरान की मेहर न्यूज़ एजेन्सी को दिये अपने साक्षात्कार में बताय कि मैं संचार माध्यमों विशेषकर प्रेस टीवी के माध्यम से ईरान से परिचित हुआ।  अपनी हालिया ईरान की यात्रा में मैं वहां के कुछ संचार माध्यमों से अवगत हुआ।

मैं हमेशा ही ईरान की संस्कृति और ईरान की इस्लामी क्रांति के साथ ही उपनिवेशवाद और वर्चस्ववाद के विरुद्ध ईरान के संघर्ष से प्रभावित रहा हूं।  उन्होंने सुब्ह नामक दूसरे इंटरनैशनल मीडिया फेस्टिवल के आयोजन और इसमें पश्चिमी संचार माध्यमों की उपस्थिति के बारे में कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में पश्चिम के स्वतंत्र मीडिया संस्थानों की उपस्थति उपयोगी हो सकती है।

ईरान की वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग है जैसी पश्चिमी संचार माध्यम दिखाते हैं।

जान मुरे ने कहा कि पश्चिमी संचार माध्यम ईरान को तीसरी दुनिया के देश में रूप में पेश करते हैं।  जिसने भी ईरान की यात्रा की है उसको यह वास्तविकता पता है कि जो पश्चिमी संचार माध्यम दिखाते हैं, ईरान उससे बहुत भिन्न है।  ईरान पहुंचकर मैंने पाया कि यह बहुत ही सुन्दर देश है।

यह मेरे लिए बहुत ही विचित्र था।  मैंने लंबे समय तक ईरान की संस्कृति विशेषकर सासानी काल की संस्कृति और उसके इस्लामी संस्कृति में बदलने की शैली का अध्ययन किया।  यह विषय मेरे लिए बहुत ही रोचक था।  हालांकि पश्चिमी संचार माध्यम ईरान को एक कमज़ोर देश दिखाना चाहते हैं।  इस तरह से वे अपने देश के लोगों को ईरान जैसे देश की जानकारियों से दूर रखते हैं।

आयरलैण्ड के इस फिल्म निर्माता ने अपने इंटरव्यू में कहाः

इस विचार को दूर करने के लिए और पश्चिमी जनमत से संपर्क के लिए बेहतरीन रास्ता यह है कि संपर्क चैनेल स्थापित किये जाएं और पश्चिम के स्वतंत्र संचार माध्यमों से संपर्क को विस्तृत किया जाए।  स्वतंत्र मीडिया के माध्यम से अब हम एक नए चरण में दाख़िल हुए हैं।  सोशल मीडिया और डिजीटल मीडिया का दायरा बढ़ रहा है।  ईरान जैसे देश के साथ संपर्क बनाने की बेहतरीन भूमिका मौजूद है।

जान मूरे कहते हैं कि इस समय हम देख रहे हैं कि फ़िलिस्तीनियों के साथ खुलकर अन्याय किया जा रहा है।  अफ़सोस की बात है कि फ़िलिस्तीनियों के साथ बहुत नाइंसाफ़ी की जा रही है।  इस बारे में पश्चिम के स्वतंत्र संचार माध्यम, ईरानी संचार माध्यमों के विचारों से एकमत हैं।  एसे में परस्पर सहयोग की भूमिका उपलब्ध कराई जा सकती है।

पश्चिमी संचार माध्यम हमेशा की ईरान की बुरी छवि पेश करते आए हैं

मूरे के अनुसार मीडिया के क्षेत्र में पश्चिमी, ईरान जैसे देशों से वर्षों आगे हैं लेकिन वे हमेशा ही ईरान की बुरी तस्वीर पेश करने में लगे रहते हैं।  मैं पहले से यह सोचता आया हूं कि घटने वाली घटनाओं को लेकर ईरान ने बहुत धैर्य से काम लिया है।

यह फिल्म निर्माता कहता हैः

ग़ज़्ज़ा में इस्राईल की ओर से किये जा रहे जातीय सफाए और आयरलैण्ड में ब्रिटिश उपनिवेशवाद द्वारा किये गए अत्याचारों में बहुत समानता है।  इसपर अमरीकी और ब्रिटेन की नई पीढ़ी की प्रतिक्रियाएं आई हैं।  यह बात इस्राईल की तबाही और ज़ायोनी विचारधारा के समाप्त होने की उम्मीद को बढ़ाती है।  मैं सोचता हूं कि इस्राईल से 11 अक्तूबर के बाद से जो कुछ किया है उससे उसने वापस न लौटने के रास्ते का चुनाव किया है।

याद रहे कि 19 मई से 21 मई 2024 तक सुब्ह नामक दूसरे इंटरनैशनल मीडिया फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा।  इस फेस्टिवल में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के फिल्म निर्माताओं तथा कार्यक्रम बनाने वालों से भाग लेने का आह्वान किया गया है।

ईरान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकवादी घोषित करने के कनाडाई संसद के कदम को नासमझीपूर्ण, शत्रुतापूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सिद्धांतों के विपरीत बताते हुए कहा है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स एक आतंकवादी के खिलाफ अभियान का नेता है आतंकवाद.

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के खिलाफ कनाडाई संसद की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह शत्रुतापूर्ण कार्रवाई ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है और ईरान की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ है। है।

उन्होंने कहा कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ईरान के सशस्त्र बलों के साथ मिलकर देश की सीमाओं की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ अभियान के साथ-साथ क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करने में अपनी पूरी भूमिका निभा रही है। नासिर कनानी ने कनाडाई सांसदों की अतार्किक कार्रवाई पर निशाना साधा और कहा कि ये सदस्य एक दशक से अधिक समय से दमनकारी ज़ायोनी सरकार के प्रभाव में कुछ प्रतिबंधित समूहों के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कनाडाई सांसदों को ईरान की सेना की स्थिति और तथ्यों पर विचार करना चाहिए, जो ईरान के मूल संविधान के अनुसार, अपनी आधिकारिक पहचान के साथ क्षेत्र में आतंकवाद से लड़ रही है और शांति और स्थिरता स्थापित करने में पूरा सहयोग कर रही है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि कनाडा के शत्रुतापूर्ण कदम से आईआरजीसी के अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इस्लामी गणतंत्र ईरान इस तरह के अवैध और मूर्खतापूर्ण कदम पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार सुरक्षित रखता है।