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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की सुबह ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों पर कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी से मुलाक़ात की।

उन्होंने पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान, ख़ूज़िस्तान की जनता की बहादुरी और उनके चमत्कार को, जनता के हौसले और संकल्प और इस्लामी ईमान के संगम का नतीजा बताया और इस्लामी गणतंत्र की शब्दावली के चयन में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की दूरदृष्टि की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो चीज़ इस्लामी सिस्टम की मज़बूती और तरक़्क़ी और बहुत सी रुकावटों व साज़िशों पर उसके हावी होने का कारण बनी वो जनता और इस्लाम पर भरोसे का नतीजा थी और भविष्य में भी मुश्किलों पर हावी होने की राह, इसी सोच का जारी रहना है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने इमाम महदी अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की भव्य ईद की मुबारकबाद देते हुए, जनता के संबंध में इमाम ख़ुमैनी की सोच और इसी तरह इस्लाम के संबंध में उनके व्यापक व सर्वोच्च नज़रिए का गहराई से अध्ययन करने पर बल देते हुए कहा कि इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी आंदोलन के लिए बिल्कुल शुरआती के दिनों से लेकर इस्लामी क्रांति की कामयाबी तक और उसके बाद भी हमेशा जनता पर भरोसा किया और वो इस्लाम को, राजनीति और समाज के संचालन के लिए एक उपयोगी दीन समझते थे और इसीलिए वो ईरान की तरक़्क़ी और बड़े बड़े काम जारी रखने का रास्ता समलत करने में कामयाब हुए।

उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान के दुश्मन का सबसे अहम समस्या, ईरानी जनता और इस्लाम की सही पहचान का न होना बताया और कहा कि ईरानी जनता के दुश्मन, अपने अंदाज़ों और योजनाओं की बुनियाद पर इस बात से संतुष्ट थे कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अपनी उमर के 40 साल पूरे नहीं कर पाएगा लेकिन ईरान की तरक़्क़ी नहीं रुकी और अल्लाह की कृपा, जनता के हौसले व इरादे और ईमान के कारण यह तरक़्क़ी आगे भी जारी रहेगी।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच में जनता और ईमान पर भरोसे से चमत्कार दिखाने का एक और उदाहरण, ग़ज़्ज़ा के आज के हालात को बताया और कहा कि रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ की दृढ़ता और उन्हें ख़त्म करने की ओर से दुश्मन को निराश कर देना और इसी तरह बमबारियों और मुश्किलों के मुक़ाबले में ग़ज़्ज़ा की जनता का सब्र, उनके मज़बूत ईमान का पता देता है।

उन्होंने ग़ज़्ज़ा के मामले में मानवाधिकार के पश्चिमी सभ्यता के दावों की पोल खुल जाने और उनके ढोंग व पाखंड का पर्दाफ़ाश हो जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि पश्चिम वालों ने, जो एक अपराधी को मौत की सज़ा दिए जाने पर हंगामा खड़ा कर देते हैं, ग़ज़्ज़ा में 30 हज़ार बेगुनाह लोगों के नरसंहार पर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं और अमरीका पूरी ढिठाई से ग़ज़्ज़ा में बमबारी रुकावने के प्रस्ताव को लगातार वीटो कर रहा है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि यह पश्चिमी सभ्यता और पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी का वास्तविक चेहरा है जिसके ज़ाहिर में सूट पहने हुए और होंठों पर मुसकुराहट सजाए राजनेता नज़र आते हैं लेकिन भीतर एक पागल कुत्ता और ख़ूंख़ार भेड़िया है।

उन्होंने अपनी स्पीच के अंत में कहा कि हमें पूरा यक़ीन है कि ये पश्चिमी सभ्यता कभी अपने मक़सद तक नहीं पहुंचेगी और इस्लाम की सच्ची सभ्यता और उसका सही तर्क इन सब पर हावी हो जाएगा।

ईरान में आज मानवता को मुक्ति दिलाने वाले इमाम मेहदी (अ) का शुभ जन्म दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।

कल रात से ही ईरान में लोग, विभिन्न धार्मिक स्थलों में एकत्रित होकर इमाम मेहदी (अ) का शुभ जन्म दिवस मना रहे हैं।

हज़रत इमाम मेहदी (अ) धरती पर ईश्वर के अंतिम दूत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (स) के अंतिम उत्तराधिकारी हैं।  उनके शुभ जन्म दिवस को पूरे ईरान में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।  इस अवसर पर लोग, एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे हैं।  जगह-जगह पर स्टाल लगाए गए हैं जहां से लोगों को मिठाइयां, चाय, शरबत और अन्य प्रकार की खाने की चीज़ें बांटी जा रही हैं।

मानवता के मोक्षदाता हज़रत इमाम मेहदी (अ) का जन्म 15 शाबान सन 255 हिजरी क़मरी को शुक्रवार के दिन, सुबह के समय, इराक के सामर्रा शहर में हुआ था। हज़रत इमाम मेहदी (अ) के पिता का नाम इमाम हसन अस्करी और माता का नाम नरजिस ख़ातून है। जब आपका जन्म हुआ तो उस समय का शासक, मोतमिद अब्बासी था।वर्तमान समय में  इमाम मेहदी (अ) लोगों की नज़रों से ओझल हैं।  ईश्वर के आदेश पर वे एक दिन प्रकट होेकर पूरी दुनिया में शांति, सुरक्षा और न्याय स्थापित करेंगे।

आपके प्रकट हो जाने के बाद पूरी दुनिया में कहीं भी न कोई अत्याचार नहीं होगा, किसी के साथ किसी प्रकार का अन्याय और भेदभाव नहीं होगा।  उस काल में पूरी दुनिया में चारों ओर न्याय और शांति स्थापित होगी।

हज़रत इमाम मेहदी (अ) के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर हम सबको ढेरों बधाई पेश करते हैं।

15 शाबान 255 हिजरी कमरी उस महान हस्ती के जन्म दिवस का शुभ अवसर है जो पूरी दुनिया को न्याय और शांति से भर देगा।

15 शाबान का दिन मानवता को मुक्ति दिलाने वाले का जन्मदिन है। 15 शाबान को बहुत से गैर शिया भी खुशी और जश्न मनाते हैं। 15 शाबान उस महान हस्ती के जन्मदिवस की पावन बेला है जो किसी एक जाति या धर्म के लोगों का कल्याण नहीं बल्कि वह पूरी मानवता का कल्याण करेगा और उसे परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचायेगा।

हज़रत इमाम मेहदी धरती पर ईश्वर के अंतिम दूत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (स) के अंतिम उत्तराधिकारी हैं। उनका जन्म 15 शाबान, शुक्रवार के दिन, सुबह के समय, 255 हिजरी क़मरी को इराक के सामर्रा शहर में हुआ था। हज़रत इमाम मेहदी (अ) के पिता का नाम इमाम हसन अस्करी और माता का नाम नरजिस ख़ातून है। जब उनका जन्म हुआ तो उस समय का शासक मोतमिद अब्बासी था। हज़रत इमाम महदी (अ) का जीवन तीन कालों में बंटा हुआ है।

पहला काल जन्म से 260 हिजरी क़मरी तक है जिसमें उनके पिता हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की शहादत हुई, दूसरा काल 260 से 329 हिजरी क़मरी तक है जिसमें वे दूसरों की नज़रों से ओझल रहे और केवल कुछ विशेष लोगों के माध्यम से ही जनता के संपर्क में थे, इस काल को ग़ैबते स़ुग़रा कहा जाता है। तीसरा काल वह है जिसमें वे पूरी तरह लोगों की नज़रों से ओझल हो गए और इसे ग़ैबते कुबरा कहा जाता है और यह काल 329 हिजरी क़मरी से आरंभ हुआ और अब तक जारी है और महान ईश्वर जब तक चाहेगा तब तक इस काल को जारी रखेगा।

 

महामुक्तिदाता का जन्म किस प्रकार हुआ इस बारे में इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की फुफ़ी हज़रत हकीमा खातून कहती हैं।

इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने किसी को मुझे बुलाने के लिए भेजा और कहा कि आज शाम को मेरे साथ इफ्तार करें। जब मैं उनके पास आ गयी तो इमाम हसन अस्करी ने मुझसे फरमाया कि आज रात को महान ईश्वर के प्रतिनिधि का जन्म होगा। इस पर मैंने पूछा कि यह प्रतिनिधि किससे पैदा होगा तो इमाम ने फरमाया कि नरजिस से। मैंने कहा कि मैं नरजिस के अंदर गर्भ की कोई अलामत नहीं देख रही हूं इस पर इमाम ने फरमाया कि विषय यही है जो मैंने कहा।

इसके बाद इमाम फरमाते हैं कि नरजिस आयीं और मैंने उनका हालचाल पूछा और कहा कि आप मेरी धर्मपत्नी हैं। मेरी बात पर नरजिस को आश्चर्य हुआ और उन्होंने कहा कि यह कौन सी बात है जो आप कह रहे हैं? इस पर मैंने कहा कि आज रात को महान ईश्वर तुम्हें एक बेटा प्रदान करेगा जो लोक- परलोक का आक़ा व मौला होगा। मेरी इस बात से नरजिस शर्मा गयीं।

बहरहाल हज़रत हकीमा खातून कहती हैं कि रोज़ा खोलने के बाद मैंने एशां की नमाज़ पढ़ी और उसके बाद सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी। जब आधी रात गुज़र गयी तो मैं उठी और मैंने नमाज़े शब पढ़ा। उसके बाद दोबारा मैं सो गयी। उसके कुछ समय के बाद मैं दोबारा उठी। उस वक्त नरजिस भी उठ गयी थीं और वह भी नमाज़े शब पढ़ीं। उसके बाद मैं कमरे से बाहर गयीं ताकि देखूं कि सुबह हुई या नहीं। मैंने देखा कि बिल्कुल भोर का समय है और नरजिस नमाज़े शब के बाद दोबारा सो गयीं। मेरे दिमाग में यह सवाल पैदा हुआ कि अभी तक महान ईश्वर के प्रतिनिधि का जन्म क्यों नहीं हुआ? करीब था कि मेरे दिल में संदेह उत्पन्न हो जाता।

अचानक इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझे पास वाले कमरे से आवाज़ दी और कहा कि फूफी जल्दी मत कीजिये कि वादे का समय निकट है। मैं भी बैठा हूं। मैंने पवित्र कुरआन के सूरे यासिन की तिलावत की है। जब मैं पवित्र कुरआन की तिलावत कर रहा था तो नरजिस नींद से जाग गयीं। कुछ रिवायतों के आधार पर हज़रत हकीमा खातून कहती हैं कि जब नरजिस ख़ातून जाग गयीं तो इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझसे फरमाया कि उनके लिए सूरे क़द्र की तिलावत करूं। जब मैं सूरे क़द्र की तिलावत कर चुकी तो नरजिस से पूछा कि कैसी तबीयत है तो उन्होंने कहा कि जो मौला ने कहा है वह होने वाला है। मैंने सूरे कद्र की दोबारा तिलावत की। मैंने सुना कि जो बच्चा नरजिस के पेट में है वह भी मेरे साथ सूरे क़द्र की तिलावत कर रहा है मैं डर गयी। मैंने नरजिस से पूछा कि किसी चीज़ का आभास कर रही हो तो उन्होंने कहा हां।

इसके कुछ क्षणों के बाद महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ। यह वह मौका था जब इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझे आवाज़ दी और कहा कि फूफी मेरे बेटे को मेरे पास लाइये। जब मैं शिशु को इमाम के पास ले गयी तो उन्होंने उसे अपनी आगोश में लिया और शिशु के हाथ और आंख पर हाथ फेरा और दाहिने कान में अजान और बायें कान में इक़ामत कही। इसके बाद इमाम ने शिशु से कहा मेरे बेटे बोलो उसके बाद उस शिशु ने कहा «اشهد ان لا اله الا الله، و اشهد ان محمدا رسول الله

उसके बाद शिशु ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम और दसरे इमामों की इमामत की गवाही दी और जब खुद के नाम की गवाही का समय आया तो कहा मेरे पालनहार! मेरे वादे को पूरा फरमा और हमारे अम्र को पूरा कर और हमें साबित कदम रख और हमारे ज़रिये ज़मीन को न्याय से भर दे।हजरत हकीमा खातून कहती हैं कि जब मैं सातवें दिन इमाम की सेवा में थी तो उन्होंने मुझसे अपने बेटे को मांगा तो मैं नन्हें शिशु को कपड़े में लपेट कर इमाम के पास ले गयी। उस वक्त इमाम ने शिशु से कहा मेरे बेटे मुझसे बोलो। यह वह वक्त था जब उसने पवित्र कुरआन की वह आयत पढ़ी जिसमें महान ईश्वर कहता है कि हम उन लोगों पर एहसाना करना चाहते हैं जो ज़मीन पर कमज़ोर कर दिये गये हैं।

एक दूसरी रिवायत में है कि जब महामुक्तिदाता इमाम ज़मान अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ तो उनके पावन अस्तित्व से एक प्रकाश निकला जो आसमान में फैल गया और आसमान से सफेद पक्षी ज़मीन पर आ रहे हैं और वे अपने परों को महामुक्तिदाता के पावन शरीर से मस करके दोबारा उड़ रहे हैं। उसके बाद इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझे आवाज़ दी और मुझसे कहा कि हे फूफी शिशु को मेरे पास लाइये। जब मैंने शिशु को लिया तो उसकी दाहिनी भुजा पर पवित्र कुरआन की  «جاء الحق و زهق الباطل ان الباطل کان زهوقا.» " आयत लिखी हुई थी। इस आयत का अर्थ है कि हक आ गया और बातिल जाने वाला है और बेशक बातिल जाने वाला है।

महान ईश्वर ने महामुक्तिदाता के जन्म से पूरी मानवता पर वह एहसान किया है जिसका वह पात्र नहीं थी। यह महान ईश्वर के असीमित दया की एक झलक है। महान ईश्वर महामुक्तिदाता के ज़रिये मानवता को शिखर का मार्ग तैय करने का रास्ता दिखायेगा। महामुक्तिदाता पवित्र कुरआन की आयते बल्लिग़ की अंतिम निशानी हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम जब अपने जीवन का अंतिम हज करके वापस मदीने जा रहे थे तो रास्ते में महान ईश्वर के विशेष फरिश्ते हज़रत जिब्रईल नाज़िल हुए और उन्होंने अल्लाह का वह आदेश सुनाया जिसमें वह कह रहा है कि हे रसूल वह संदेश पहुंचा दीजिये जो अल्लाह की तरफ से उतारा जा चुका है और अगर आपने यह आदेश नहीं पहुंचाया तो पैग़म्बरी का कोई काम अंजाम ही नहीं दिया। अल्लाह लोगों से आप की रक्षा करेगा।

आयत के अंदाज़ से यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि अल्लाह ने जो आदेश पहुंचाने के लिए पैग़म्बरे इस्लाम से कहा है कि वह पैग़म्बरी के सारे कार्यों से श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण है और अगर पैग़म्बरे इस्लाम उसे अंजाम नहीं देंगे तो उनकी पैग़म्बरी ही अधूरी रह जायेगी।

आयते बल्लिग़ नाज़िल होने के बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने हाजियों को रुकने का आदेश दिया और कहा कि जो हाजी आगे चले गये हैं उन्हें पीछे आने के लिए कहा जाये और जो हाजी पीछे रह गये हैं उनकी प्रतीक्षा की जाये। इस प्रकार सारे हाजी जमा हो गये और रिवायतों में मैदाने ग़दीर में इकट्ठा होने वाले हाजियों की संख्या एक लाख 20 तक बतायी गयी है।

जब सारे हाजी इकट्ठा हो गये तो पैग़म्बरे इस्लाम ऊंटों के कजावे से बनाये गये मिंबर पर गये और महान ईश्वर का गुणगान करने के बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम को दोनों हाथों से उठा कर कहा कि जिस जिस का मैं मौला हूं उस उस के यह अली मौला हैं और उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने दुआ कि हे पालनहार! हक को उधर उधर मोड़ जिधर जिधर अली मुड़ें। उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि जो लोग यहां मौजूद हैं वे उन लोगों को बतायें जो यहां नहीं हैं। इसके बाद समस्त हाजियों ने अमीरुल मोमिनीन कहकर हज़रत अली अलैहिस्सलाम के हाथ पर बैअत की और उन्हें मुबारकबाद दी।  

महान ईश्वर ने पवित्र कुरआन की आयते बल्लिग़ नाज़िल करके बता दिया कि पैग़म्बरे इस्लाम के बाद इस्लामी समाज का नेतृत्व हज़रत अली अलैहिस्सलाम करेंगे और यह सिलसिला आज तक जारी है। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपनी बारमबार की हदीसों में अपने अंतिम उत्तराधिकारी का नाम बताया है और इस समय पूरी दुनिया पैग़म्बरे इस्लाम के अंतिम उत्तराधिकारी महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर की प्रतीक्षा में है।

दुनिया के लगभग समस्त धर्मों में महामुक्तिदाता के आने की शूभसूचना दी गयी है। पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं कि इमाम महदी मेरे वंश से होंगे और ईश्वर उन्हें उस समय प्रकट करेगा जब दुनिया अन्याय व अत्याचार से भर चुकी होगी और वह पूरी दुनिया को न्याय से उस तरह से भर देंगे जिस तरह वह अन्याय से भरी होगी।

15 शाबान उस महान व्यक्ति का जन्म दिन है जो पूरी दुनिया में शांति, सुरक्षा और न्याय स्थापित करेगा। पूरी दुनिया में कहीं भी न कोई अत्याचारी होगा न अत्याचार, किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा, पूरी दुनिया में चारों ओर न्याय और शांति की बहार होगी

 

 भारत के हैदराबाद शहर की इस्हाक़ मस्जिद में गरीब लोगों के लिए एक स्वास्थ्य क्लिनिक खोली ग़ई है।
यह क्लिनिक हेल्पिंग फाउंडेशन की पहल पर इस क्षेत्र में लोगों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए खोली ग़ई है।
मस्जिद के इमाम जमाअत मौलाना फाएक़ खान ने कहा, कि "हम इस क्षेत्र में सैकड़ों गरीब लोगों की सेवा करने वाले मस्जिद केंद्रित स्वास्थ्य केंद्र के लिए उत्सुक थे, और हम लोगों की सेवा के लिए मस्जिद का हिस्सा बनने के लिए खुश हैं।
सहायता फाउंडेशन के मोज्ताबा हसन अस्करी ने यह भी कहा: कि "हम विभिन्न मस्जिदों में समान केंद्र खोलने की योजना बना रहे हैं। पर्याप्त आकार की कई मस्जिदें हैं जिन्होंने समान मेडिकल सेंटर खोलने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। हम बीमारियों के प्रकार के आधार पर उचित राज्य में अस्पतालों खोलने, और मरीजों के लिए मुफ्त परिवहन के साथ प्रदान करना चाहते हैं।

 

शारजाह इंटरनेशनल बुक फेयर, भारतीय प्रकाशन के बुकस्टोर में अरबी, अंग्रेजी और हिंदी में "द स्टोरीज ऑफ़ द कुरान" और "पैगंबर के साथ 365 दिन"  किताबों के पेश होने का गवाह बना।
प्रदर्शनी में भारतीय प्रकाशकों में से एक ने कहा: "ये किताबें हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित हुई हैं, और इन पुस्तकों का भी मुसलमानों के अलावा गैर-मुस्लिमों द्वारा स्वागत किया गया है।
इस प्रकाशक ने कहा: शारजाह के अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में और इसी तरह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में कुरानी कहानियों गैर-मुसलमानों ने अभूतपूर्व स्वागत किया है और पुस्तक प्रकाशित होने के बाद दो साल दौरान दो मिल्युन प्रतियां बेची गई हैं।
उन्होंने कहा कि किताब " पैगंबर (स.व.) के साथ 365 दिन " का भी गैर-मुस्लिमों ने अभूतपूर्व स्वागत किया गया और लगभग 20,000 प्रतियां बेची गई हैं।
साथ ही, 77 देशों के 1874 प्रकाशकों के साथ "द स्टोरी ऑफ लेटर्स" नामक शारजाह का 37वां अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला बुधवार, 31अक्टूबर से शुरू हुआ और आज, 11 नवंबर को समाप्त होगय।

 

अंतर्राष्ट्रीय कुरआनी समाचार एजेंसी  ने Emirati के अल-बायान वेबसाइट का हवाला देते हुए बताया कि आज तीसरी अंतर्राष्ट्रीय महिला अमीरात कुरान तियोगिताके सातवें दिन, ईरान से ज़हरा खलीली समरिन, मोरक्को से साकिना अल-मुग़ाज़ी, अफगानिस्तान से सफुरिया अब्दुल रहीम काजी, इंडोनेशिया से इस्तेक़ामा सलमीन राना,मैमुना लो सेनेगल और आएशा कमारा कैमरून गिना से एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करेंग़ें।
टूर्नामेंट के प्रतिभागी के बीच दुबई अंतर्राष्ट्रीय कुरान पुरस्कार संस्कृति और विज्ञान क्लब में आयोजित की जाएग़ी।
उल्लेखनीय है कि तीसरी अंतर्राष्ट्रीय अमीरात महिला कुरान प्रतियोगिता पुरे कुरआन के हिफ्ज़ के क्षेत्र में हुआ जो रविवार 4 नवंबर से 63 देशों की भागीदारी के साथ शुरू हुआ था और 16 नवंबर तक जारी रहेग़ा। टूर्नामेंट पिछले शुक्रवार (9 नवंबर) को बंद कर दिया गया था और इसकी गतिविधियों को कल (10 नवंबर) फिर से शुरू किया गया था।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अगर जेहाद व शहादत की भावना व्यापक हो जाए तो पूरब और पश्चिम की ओर झुकाव समाप्त हो जाएगा।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पश्चिमी ईरान के क़ज़वीन प्रांत के शहीदों के बारे में सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं से मुलाक़ात में, कहा है कि शहादत और जेहाद की भावना, अन्य सभी रुझानों को समाप्त कर देती है। यह मुलाक़ात पांच नवम्बर को हुई थी और इसमें वरिष्ठ नेता के संबंधोन को रविवार को क़ज़वीन में सम्मेलन के दौरान प्रसारित किया गया। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शहीदों को देश में आध्यात्मिक जीवन की रौनक़ और वास्तविक लक्ष्यों की ओर क़दम बढ़ते रहने का कारण बताया और कहा कि शहीद, अपने जीवन में अपने शरीर व आत्मा के साथ इस्लाम की सेवा करता है और शहादत के बाद आध्यात्मिक वातावरण पैदा करके इस्लामी समाज की सेवा करता है।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने शहीदों की आवाज़ को ईश्वर से प्रेरित बताया और कहा कि शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करने से जागृत और सचेत करने वाली उनकी यह आवाज़ सभी के कानों तक पहुंच जाती है और हृदयों को बदल देती है। इसी आधार पर अगर अगर जेहाद व शहादत की भावना फैल जाए तो पूरब और पश्चिम और कुफ़्र व नास्तिकता की ओर झुकाव समाप्त हो जाएगा। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शहीदों की याद मिटाने और उनके महान काम में त्रुटि निकालने का प्रयास करने वालों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यद्यपि इराक़ द्वारा ईरान पर थोपे गए युद्ध की समाप्ति को 30 साल हो चुके हैं लेकिन शहीदों को न केवल यह कि भुलाया नहीं जा सकता बल्कि वे दिन प्रति दिन समाज में जीवित होते जा रहे हैं क्योंकि वे आदर्श और रोल माॅडल हैं।

 

चीन ईरान का पहला व्यापारिक साझेदार है और ईरान से प्रति वर्ष 15 बिलियन अमरीकी डॉलर का तेल ख़रीदता है, जबकि चीनी अधिकारियों के मुताबिक़, उनका देश आज भी ईरानी तेल का सबसे बड़ा ख़रीदार माना जाता है।

इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार चीन हमेशा से ईरान के ऊर्जा बाज़ार को अपने तेल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में देखता आया है। चीनी सरकार इस बात को भलीभांती जानती है कि घरेलू व्यापार के विकास के स्तर को बनाए रखने के लिए उसका ईरान के ऊर्जा स्रोतों तक पहुंच बनाए रखना आवश्यक है। चीनी अधिकारियों ने इस्लामी गणतंत्र ईरान को ऊर्जा के मामले में दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली देश क़रार दिया है। चीनी अधिकारी मानते हैं कि तेल के उत्पादन से संबंधित ईरान की दिन प्रतिदिन बढ़ती क्षमता और शक्ति को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 के बाद चीन द्वारा ईरान से उत्पाद ख़रीद में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने में आई है जबकि पिछले दो वर्षों में चीन ने कुल मिलाकर 5 लाख 30 हज़ार से 6 लाख 55 हज़ार बैरल कच्चा तेल ईरान से लिया है। हाल ही में अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, चीन को ईरान से तेल लेने में छूट मिली है, इसलिए यह आशा भी व्यक्त की जा रही है कि चीन की तेल कंपनियां ईरान से तेल ख़रीद में और अधिक बढ़ोतरी करेंगी।

इस बीच चीनी अधिकारियों और अधिकांश विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और चीन के बीच मौजूद व्यापारिक संबंधों पर किसी भी तरह के दबाव से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, विशेष रूप से तेहरान और बीजिंग के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में एक दूसरे का सहयोग हमेशा जारी रहेगा और इसपर किसी भी तरह के प्रतिबंधों का असर नहीं पड़ने वाला है।  

 

भारत में नोटबंदी लागू हुए आज दो वर्ष पूरे हो गए जिस असवसर पर विपक्षी दल प्रदर्शनों के लिए तैयार हैं।

नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने नोटबंदी के फैसले को फिर ग़लत बताया है।  ममता बनर्जी ने  ट्वीट करके नोटबंदी के फैसले को ग़लत ठहराया है।  ममता ने ट्वीट में लिखा है कि 'नोटबंदी आपदा की आज दूसरी सालगिरह है।  उन्होंने लिखा है कि नोटबंदी के लागू करने के वक्त मैंने इसके दुष्परिणाम बताए थे।  उनका कहना है कि अब प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, आम लोग और विशेषज्ञ सभी मेरी कही बातों पर सहमति जता रहे हैं।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने लिखा है कि सरकार ने देश को धोखा देकर नोटबंदी घोटाला किया था।  इसने भारत की अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों के जीवन को बर्बाद कर दिया।  ममता बनर्जी का कहना है कि जिन्होंने ऐसा किया है जनता उन्हें दंडित करेगी।

ज़ी न्यूज़ के अनुसार  दूसरी ओर भारत के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने नोटबंदी की सालगिरह पर देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।  कांग्रेस ने कहा है कि नोटबंदी के दो साल होने पर वह शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगी।  पार्टी ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को बर्बाद और तहस-नहस करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोगों से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि दो साल पहले नोटबंदी के तुगलकी फरमान से देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तबाह करने के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे।

मनीष तिवारी ने कहा कि दो साल पहले आठ नवंबर को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तकरीबन 16.99 लाख करोड़ रूपये मूल्य की मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया।  उस तुगलकी फरमान के लिए तीन कारण दिए गए थे कि इससे काले धन पर रोक लगेगी, जाली मुद्रा बाहर होगी और आतंकवाद को वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी लेकिन दो साल बाद इनमें से कोई भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया।

तिवारी ने कहा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था में आठ नवंबर 2016 की तुलना में चलन में ज्यादा नकदी है।  उन्होंने कहा कि कांग्रेस, आठ नवंबर 2018 को मांग करेगी कि भारतीय अर्थव्यस्था को बर्बाद तथा तहस-नहस करने के लिए प्रधानमंत्री को देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। . यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे, उन्होंने कहा कि सभी नेता और कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे.

ज्ञात रहे कि 8 नवंबर सन 2016 को स्थानीय समय के अनुसार रात आठ बजे भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीवी चैनलों और रेडियो के माध्यम से ऐलान किया था कि उस समय से 500 तथा 1000 रुपयों के नोट चलने से बाहर हो जाएंगे।  मोदी का कहना था कि इन नोटों की जगह नए नोट लाए जाएंगे।  इसके बाद भारत में पुराने नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिए अफरातफरी मच गई थी।  भारत सरकार को यह अनुमान था कि नोटबंदी के फैसले से भारत का काला धन सामने आ जाएगा, हालांकि आरबीआई के आकंड़े मुताबिक ऐसा नहीं हुआ।  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था कि नोटबंदी का सीधा असर जीडीपी पर पड़ेगा, जो बाद के दिनों में सही साबित हुआ।

 

तेहरान के जुमे के इमाम ने कहा है कि दुनिया में अमरीका की शक्ति क्षीण हो रही और इस देश के ख़िलाफ़ दुनिया के राष्ट्रों की नफ़रत बढ़ रही है।

तेहरान के जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने, 4 नवंबर की रैली और तेहरान में अमरीकी जासूसी के अड्डे पर नियंत्रण की वर्षगांठ की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस्लामी क्रान्ति ने पहली बार दुनिया में अमरीका की नाक रगड़ी और विश्व शक्ति के रूप में इस देश के आधिपत्य को तोड़ दिया।

उन्होंने ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ पिछले 40 साल से अमरीकी धमकी व पाबंदियों की ओर इशारा करते हुए कहाः "इन अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों की वजह से ईरानी राष्ट्र वैज्ञानिक, सैन्य और राजनैतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ और साथ ही क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़ा है।"

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि पिछले 40 साल में अमरीका ईरानी राष्ट्र के मुक़ाबले में हारा है, कहा कि ईरान के ख़िलाफ़ अमरीकी दुष्प्रचारों का कोई असर नहीं है और अब दुनिया भर में अमरीका से नफ़रत बढ़ रही है।

जुमे के इमाम ने इसी तरह बहरैन में सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के महासचिव शैख़ अली सलमान को आले ख़लीफ़ा शासन की दिखावटी अदालत की ओर से उम्र क़ैद की सज़ा सुनाए जाने के फ़ैसले की आलोचना करते हुए, इसे आले ख़लीफ़ा शासन की काली करतूतों की संज्ञा दी।