رضوی
हज के संबंध में विशेष कार्यक्रम (1)
ईश्वरीय धर्म इस्लाम का एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम व उपासना हज है। हज इस्लाम के व्यापक कार्यक्रमों का एक छोटा साभाग है। हज ऐसी उपासना है जिसमें नमाज़ पढ़ी जाती है दुआ की जाती है धन खर्च किया जाता है बहुत से आनंदों का कुछ दिनों के लिए त्याग किया जाता है, वतन से दूरी और बहुत सारी कठिनाइयों को सहन किया जाता है।
हज करने का बहुत अधिक पुण्य है। हज के पुण्य के संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के बहुत सारे कथन मौजूद हैं। जैसाकि एक रवायत में आया है कि एक अरब, व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम की सेवा में आकर कहने लगा कि मैं हज करना चाहता था लेकिन नहीं कर पाया। मेरे पास बहुत अधिक धन है आप मुझे आदेश दीजिये कि अपने धन को इस प्रकार खर्च करूं कि हज जैसा पुण्य मुझे मिले। पैग़म्बरे इस्लाम ने उसके उत्तर में कहा मक्के के अबी क़ुबैस पर्वत को देखो। अगर इस पर्वत के बराबर तुम्हारे पास लाल सोना भी हो और उसे ईश्वर के मार्ग में खर्च कर दो तब भी तुम्हें वह पुण्य नहीं मिलेगा जो एक हज करने वाले को मिलता है। उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने हज और उसके संस्कारों के बहुत सारे पुण्य को उस अरब के लिए बयान किया।
पवित्र कुरआन में बहुत सारी आयतें हैं जो हज और उसके संस्कारों के बारे में हैं। पवित्र कुरआन के सूरे आले इमरान की आयत नंबर ९७ में हम पढ़ते हैं कि लोगों पर ईश्वरीय कर्तव्य है कि जिस किसी में भी उस घर तक पहुंचने की क्षमता हो वह इस घर का हज करे और जो कोई इन्कार करे तो निःसन्देह, ईश्वर पूरे संसार से आवश्यकतामुक्त है”
इस आयत से यह समझ में आता है कि हज उन लोगों के लिए अनिवार्य है जो इसकी क्षमता रखते हैं और जो व्यक्ति क्षमता होने के बावजूद इसे अंजाम नहीं देता उसे कुफ्र अर्थात इंकार करने वालों की भांति बताया गया है। इस प्रकार के शब्द का प्रयोग केवल इसी आयत में आया है और हज को अंजाम न देने वाले को नास्तिक की भांति बताया गया है।
इस आधार पर जब एक मुसलमान के पास हज पर जाने और अपने परिवार का खर्च मौजूद हो तो उस पर हज अनिवार्य है। पवित्र कुरआन में जब हज पर जाने वालों का उल्लेख होता है तो सबसे पहले पैदल जाने वालों का वर्णन होता है। पवित्र कुरआन के सूरे हज की २७वीं आयत में आया है” हे पैग़म्बर लोगों को हज के लिए आमंत्रित करो ताकि लोग निर्बल सवारियों पर बैठकर दूर से आयें” बहुत से अवसरों पर एसा होता है कि बहुत से लोगों के पास सवारी से मक्का जाने की क्षमता नहीं होती है। इस आधार पर वे पैदल मक्का जाते हैं किन्तु मक्का जाने की क्षमता उनके अंदर होती है इसलिए हज उन पर अनिवार्य होता है। एक रवायत में आया है कि एक व्यक्ति ने इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम से पूछा कि क्या हज अमीर और ग़रीब दोनों पर अनिवार्य है? इमाम ने उत्तर दिया कि हज हर छोटे बड़े इंसान पर अनिवार्य है और अगर हज पर जाने में किसी के सामने कोई मजबूरी है तो ईश्वर उसकी मजबूरी को स्वीकार करेगा”
पवित्र कुरआन काबे को ज़मीन पर एकेश्वरवाद का पहला घर बताता और उसके मुबारक होने पर बल देता है। पवित्र कुरआन के सूरे आले इमरान की आयत नंबर ९६ में हम पढ़ते हैं” लोगों के लिए जो सबसे पहला घर बनाया है वह मक्का में है जो विभूति और विश्ववासियों के मार्गदर्शन का स्रोत है”
पवित्र कुरआन के कुछ व्याख्याकर्ताओं के अनुसार काबा इस कारण विभूति और बरकत का स्रोत है कि उसमें आध्यात्मिक, भौतिक, राजनीतिक, व्यक्तिगत और सामाजिक आदि आयामों से बहुत अधिक विभूतियां है। जब हज के लिए जाने वाला इंसान स्वयं को लाखों व्यक्तियों के मध्य देखता है तो वह स्वयं को महासागर में एक बूंद की भांति पाता है और उसका प्रयास होता है कि वह भी महान ईश्वर का भला बंदा बन जाये। हज के आध्यात्मिक वातावरण में हाजी को चाहिये कि वह अपने दिल को ईश्वर के अतिरिक्त हर चीज़ से पवित्र कर ले और केवल उसी पर ध्यान दे। राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से जब हाजी स्वयं को दूसरे हाजियों की पंक्ति में देखता है तो वह स्वयं को अकेला नहीं पाता है और अपने भीतर शक्ति का आभास करता है तथा शत्रु पर विजय व सफलता के प्रति अधिक आशान्वित हो जाता है।
काबा महान ईश्वर की शक्ति का स्पष्ट चिन्ह है। सूरे आले इमरान की आयत नंबर ९७ में काबे को स्पष्ट निशानी के रूप में याद किया गया है। काबे का पूरे इतिहास में बाक़ी रहना महान ईश्वर की शक्ति का एक चिन्ह है जबकि इतिहास में विभिन्न शत्रुओं ने इसे ध्वस्त करने का पूरा प्रयास किया था। हज़रत इब्राहीम जैसे बड़े पैग़म्बर के काल की चीज़ों का मौजूद होना स्वयं महान ईश्वर की शक्ति का चिन्ह है जैसे हजरूल असवद और हजरे इस्माईल नामक पत्थरों का मौजूद रहना जो स्वयं कई हज़ार वर्ष पुराने हैं। पवित्र कुरआन के महान ईरानी व्याख्या कर्ता अल्लामा तबातबाई इस बारे में लिखते हैं” काबे की एक बड़ी निशानी मकामे इब्राहीम अर्थात इब्राहीम नाम का स्थल है, दूसरे उसकी सुरक्षा है और तीसरे सक्षम लोगों पर हज का अनिवार्य होना है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जिन चीज़ों का उल्लेख किया गया उनमें से हर एक में महान व सर्वसमर्थ ईश्वर की निशानियां हैं। दुनिया वालों की नज़र में मक़ामे इब्राहीम, काबे की सुरक्षा और हज संस्कार से बड़ी क्या निशानी है? वह कार्य व उपासना जिसकी पुनरावृत्ति प्रतिवर्ष लाखों हाजी करते हैं।
पवित्र कुरआन के सूरे हज की २९वीं और ३३वीं आयतों में काबे को बैते अतीक़ के नाम से याद किया गया है। अतीक़ यानी स्वतंत्र। यह आज़ाद घर है और महान ईश्वर के अतिरिक्त इसका कोई दूसरा मालिक नहीं है। हाजी पूरी स्वतंत्रता के साथ काबे की परिक्रमा करते हैं ताकि स्वतंत्रता एवं आज़ादी का पाठ सीख सकें और दूसरों के दास न बनें और अपने कार्यों व मामलों की बागडोर दूसरों के हवाले न करें। काबा वह पवित्र स्थान है जिसके चारों ओर परिक्रमा करने से हाजी शैतानी इच्छाओं व सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं” इच्छाओं का दास खरीदे हुए दास से भी तुच्छ होता है और खरीदा हुआ दास उससे प्रतिष्ठित व श्रेष्ठ होता है काबे की परिक्रमा इंसान को गलत इच्छाओं व क्रोध से मुक्ति दिलाती है
काबे की महानता के लिए इतना ही काफी है कि महान ईश्वर ने उसे अपना घर बताया है यहां पर इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि जब ईश्वर निराकार और सर्वव्यापी है और निराकार एवं सर्वव्यापी चीज़ को किसी स्थान की ज़रूरत नहीं होती है तो उसने काबे को अपना घर क्यों कहा? उसका उत्तर यह है कि महान ईश्वर ने जिन कारणों से काबे को अपना घर कहा है उनमें से एक कारण यह है कि काबे में ईश्वर की उपासना की जाती है उसकी परिक्रमा की जाती है काबे के अंदर जान बूझकर किसी चींटी को भी मारना पाप है। जिस तरह से महान ईश्वर की महानता अकल्पनीय है उसी तरह से काबे की महानता की भी कल्पना नहीं की जा सकती। महान ईश्वर ने अपने दो दूतों हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल को उसके निर्माण का आदेश दिया ताकि वे उसकी दीवारों और स्तंभों को ऊपर उठायें और उसे पवित्र रखने का भी उन्हें आदेश दिया। काबा पवित्रता का घर है और जो काबे में हो तथा उसकी परिक्रमा कर रहा हो उसे भी पवित्र होना चाहिये। इस आधार पर हज़रत इब्राहीम अपने बेटे हज़रत इस्माईल की सहायता से महान ईश्वर की ओर से दिये गये आदेश का पालन करते हैं और काबे का निर्माण करते हैं और जो चीज़ भी अनेकेश्वाद की निशानी थी उसे मिटा दिया। पवित्र कुरआन ने काबे की सुरक्षा की भी सिफारिश की है और महान ईश्वर सूरे तौबा की १७वीं आयत में बल देता है कि काफिरों को मस्जिदों को आबाद करने का अधिकार नहीं है। क्योंकि जो महान ईश्वर के होने पर ईमान नहीं रखता वह उसकी उपासना भी नहीं करेगा। तो फिर वह किस तरह ईश्वर की उपासना के स्थान को आबाद करेगा? सूरे तौबा की १८वीं आयत में हम पढ़ते हैं” ईश्वर की मस्जिदों को केवल वही आबाद करेगा जो ईश्वर और प्रलय के दिन पर ईमान रखता होगा, नमाज़ पढ़ता होगा, ज़कात देता होगा और ईश्वर के अतिरिक्त किसी से नहीं डरता होगा, उम्मीद है कि इस प्रकार के गुट मार्गदर्शन प्राप्त करने वालों में होंगे”
इस आधार पर न केवल अनेकेश्वरवादियों और काफिरों को मस्जिदों विशेषकर काबा के निर्माण का अधिकार नहीं है बल्कि उन मुसलमानों को भी इस कार्य की अनुमति नहीं है जिनका ईमान कमज़ोर हो और वे शत्रुओं से डरते हों। अलबत्ता यहां इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि मस्जिद के निर्माण और उसके पुनरनिर्माण में अंतर है और जो आयत उसके निर्माण के बारे में आई है उसकी व्याख्या में आया है कि काबे को आबाद करना उसके निर्माण से हटकर है और उसके आबाद करने में वह चीज़ें भी शामिल हैं जो सुविधाएं व सेवाएं काबे का दर्शन करने वालों के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं। जो चीज़ें मुसलमानों को एकत्रित होकर हज करने के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं ताकि मुसलमान आसानी से हज कर सकें, नमाज़ पढ़ सकें और दुआ आदि कर सकें सब काबे को आबाद करने की पंक्ति में आती हैं। स्पष्ट है कि इस प्रकार की व्यवस्था को वर्तमान समय में प्राथमिकता प्राप्त है। इस प्रकार से कि मस्जिदुल हराम यानी काबे और दूसरी मस्जिदों को शत्रुओं के मुकाबले में लोगों की जागरुकता का केन्द्र होना चाहिये।
चीन में अमेरिकी नागरिकों पर हमला, हालत गंभीर
अमेरिकी स्कूल और विदेश विभाग के अधिकारियों ने खबर देते हुए कहा है कि पूर्वोत्तर चीन के बीहुआ विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे आयोवा के कॉर्नेल कॉलेज के चार प्रशिक्षकों पर एक पार्क में चाकू से हमला किया गया है। कॉर्नेल कॉलेज के अध्यक्ष जोनाथन ब्रांड ने एक बयान में कहा कि जब प्रशिक्षक बीहुआ के एक संकाय सदस्य के साथ पार्क में थे, उसी समय उन पर हमला हुआ। हमलावार घटना को अंजाम देने के बाद मौके से फरार हो गए।
यह टीचर्स अमेरिका और चीन के बीच चल रहे पार्टनरशिप प्रोग्राम के तहत चीन के शहर जीलिन में मौजूद बेइहुआ यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे थे। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में बताया कि वह चाकू मारने की खबरों से अवगत है और स्थिति पर नजर रख रहा है। प्रशिक्षकों को कितनी चोट पहुंची और हमला साजिशन था या कोई और कारण था, इन सब के बारे में अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
जम्मू में तीसरे दिन भी आतंकी हमला, डोडा में पुलिस पर हमला
जम्मू में आतंकी घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। तीन दिन में तीसरे आतंकी हमले ने इस इलाक़े में दहशत फैला दी है। जम्मू संभाग में आतंकी वारदातों में इजाफा हुआ है। तीन दिनों में तीसरी आतंकवादी घटना हुई है। रविवार को रियासी जिले में आतंकियों ने बस पर हमला कर दिया था, जिसमें नौ लोगों की मौत हुई थी और 41 लोग घायल हुए थे।
इसके बाद जिला कठुआ की तहसील हीरानगर की गांव सोहले सैडा में आतंकवादियों ने गोलीबारी की, जिसमें एक नागरिक घायल हो गया।
अब तीसरा आतंकी हमला डोडा में हुआ। देर रात डोडा के छत्रगलां में भी आतंकियों ने नाका पार्टी पर हमला किया। आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई से मुठभेड़ शुरू हो गई। इस हमले में सेना के पांच जवान और एक एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) घायल हो गया।
तालिबान शासन में महिलाओं की हालत दयनीय, संयुक्त राष्ट्र ने की वैश्विक कार्रवाई की अपील
अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के साथ ही हालात सुधरने के बजाए दिन प्रतिदन और बिगड़ते जा रहे हैं। अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताते हुए कहा है कि दमन रोकने के लिए वैश्विक कार्रवाई की ज़रूरत है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कई चिंताजनक आंकड़े पेश किए गए हैं। जिनके अनुसार, अफगानिस्तान में 11 लाख लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं और एक लाख से ज्यादा महिलाएं यूनिवर्सिटी में पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन वूमन ने अपनी एक नई रिपोर्ट में अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में यूएन वूमन संस्था ने अफगानिस्तान में महिलाओं का दमन रोकने के लिए वैश्विक कार्रवाई की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में बीते कई दशकों में जो प्रगति हुई थी, उसे तालिबान के तीन वर्षों के शासन में ही मिटा दिया गया है।
फिलिस्तीन में नस्लीय सफाया कर रहे हैं मानवाधिकारों के दावेदार : सेनेगल
सेनेगल के प्रधानमंत्री ने फिलिस्तीन में जारी क़त्ले आम पर चिंता जताते हुए कहा कि खुद को बड़ा लोकतंत्र और मानवाधिकारों का रक्षक बताने वाले ही आज फिलिस्तीन में जारी क़त्ले आम और नस्लीय सफाये में लगे हुए हैं।
सेनेगल के प्रधानमंत्री उस्मान सोन्को ने फ़िलिस्तीनी शहीदों के सम्मान में एक मिनट का मौन और दुआ के एक कार्यक्रम में कहा कि जो लोग अपने आप को दुनिया की बड़ी डेमोक्रेसी के रूप में याद करते हैं और जो लोग मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करते हैं आज वही फ़िलिस्तीनी लोगों के नस्ली सफ़ाये में सबसे बड़े अपराधी हैं।
सेनगल के प्रधानमंत्री उस्मान सोन्को ने इस देश के राष्ट्रपति से मांग की है कि उनका देश भी उस शिकायत में दक्षिण अफ्रीका के साथ हो जाये जो उसने राष्ट्रसंघ में की है।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2023 को दक्षिण अफ्रीक़ा ने जायोनी सरकार के विरुद्ध मुक़द्दमा दर्ज करते हुए ज़ायोनी सरकार पर गज्जा पट्टी में नस्लीय सफाया करने का आरोप लगाया है।
भागवत के सहारे विपक्ष ने साधा निशाना, हिंसा में झुलस रहे मणिपुर का दौरा करें मोदी
पिछले लगभग एक साल से हिंसा का सामना कर रहे मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार और खुद नरेंद्र मोदी ने उदासीन रवैया अपना रखा है जिस पर संघ प्रमुख मोहन भगवत ने भी अपने हालिया बयान में कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार औरखास कर मोदी को नसीहत दी है।
भागवत ने एक दिन पहले कहा था कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है और हिंसाग्रस्त राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार करना चाहिए।
अब विपक्षी दलों ने उनके बयान के सहारे फिर से प्रधानमंत्री को घेरते हुए कहा की उन्हें भागवत की बात पर कान धरने चाहिए। विपक्षी दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें मणिपुर का दौरा करना चाहिए जहां एक साल से अधिक समय से हिंसा हो रही है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि शायद मोहन भागवत के बयान के बाद अब पीएम मोदी मणिपुर का दौरा करें। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, अगर एक तिहाई प्रधानमंत्री की अंतरात्मा या मणिपुर के लोगों की बार-बार की मांग को नहीं गया है तो शायद भागवत पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए जारी कर सकते हैं। उन्होंने आगे लिखा, याद कीजिए 22 साल पहले वाजपेयी ने मोदी से राजधर्म निभाने को कहा था।
निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, विपक्ष की सलाह पर ध्यान देना पीएम मोदी के डीएनए में नहीं है, लेकिन उन्हें आरएसएस प्रमुख के शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि संघ प्रमुख ने मणिपुर हिंसा पर चिंता व्यक्त करने में बहुत देर कर दी। प्रधानमंत्री ने हर संकट पर चुप्पी साध रखी है, चाहे वह पूर्वोत्तर के राज्य में हिंसा हो, या दिल्ली में किसानों और महिला पहलवानों का विरोध प्रदर्शन हो।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, संघ प्रमुख भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार करने का सुझाव दिया है, लेकिन उम्मीद नहीं है कि पीएम उनके सुझाव पर ध्यान देंगे, बल्कि उसकी अनदेखी करेंगे। वह केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे और भारतीय संविधान को बदलने का प्रयास करेंगे।
भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की साजिश का आरोप, हाई कोर्ट ने ज़मानत देने से किया इंकार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की साज़िश रचने के आरोप में नदी बनाए गए तीन लोगों को ज़मानत देने से इंकार कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति अजय गडकरी, न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने रजी अहमद खान, उनैस उमर खय्याम पटेल और कय्यूम अब्दुल शेख की जमानत याचिका खारिज की। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने आपराधिक बल का उपयोग करके सरकार को डराने की साजिश रची थी।
अदालत ने तीनों को यह कहते हुए जमानत देने से इन्कार कर दिया कि उन्होंने 2047 तक भारत को एक इस्लामिक देश में बदलने की साजिश रची थी। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया तीनों के खिलाफ सबूत हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर 2022 में प्रतिबंध लगा दिया था।
मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ईलात बंदरगाह पर इराकी रेसिस्टेंस का ड्रोन हमला
फिलिस्तीन के समर्थन में चलाए जा रहे अपने अभियान के तहत इराकी प्रतिरोधी संगठनों ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ईलात बंदरगाह पर ड्रोन हमले की खबर दी है।
रसिस्टेंस ने अपने बयान में कहा कि ज़ायोनी शासन का मुकाबला जारी रखने, ग़ज़्ज़ा के निवासियों की मदद करने और ज़ायोनीवादियों द्वारा फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या के जवाब में, हमारे मुजाहिदीन ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ईलात में ज़ायोनी शासन के सैन्य हवाई अड्डे को ड्रोन से निशाना बनाया।
इराकी प्रतिरोध ने मकब्बूजा फिलिस्तीन के दक्षिण में स्थित इलियट में एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण लक्ष्य को ड्रोन हमलों का निशाना बनाया।
बता दें कि इराकी प्रतिरोध ने इस से पहले अपने अभियान के अंत में धमकी दी थी कि अगर ग़ज़्ज़ा के खिलाफ ज़ायोनी अभियान को न रोका गया तो इस्राईल के खिलाफ हमारे हमले व्यापक और अधिक विध्वंसकारी होंगे।
हमास पर अमेरिका ने दबाव बढ़ाया, यूएन में ग़ज़्ज़ा प्रस्ताव को मंज़ूरी
अमेरिका ने एक बार फिर हमास पर दबाव बढ़ते हुए उसे बाइडन के शांति प्रस्ताव के आगे झुकने के लिए विवश करना शुरू कर दिया है।
अवैध राष्ट्र इस्राईल के दौरे पर पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने दावा किया कि दुनिया इस योजना के समर्थन में है। उन्होंने दोहराया कि हमास पर इसे स्वीकारने का दबाव है।
पिछले 8 महीने से फिलिस्तीन जनता के जनसंहार में लगे इस्राईल को भरपूर सैन्य एवं आर्थिक समर्थन दे रहे अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने कहा की ज़ायोनी पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी प्रस्ताव पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। उन पर ग़ज़्ज़ा में युद्ध के बाद की योजना लागू करने का दबाव है।
बता दें कि 8 अक्टूबर को ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी हमलों कोई शुरुआत के बाद से अमेरिका के ज़ायोनी विदेश मंत्री आठवीं बार इस्राईल यात्रा पर आए हुए हैं।
हिज़्बुल्लाह ने कुछ इस तरह से इस्राईल को दीवाना बना रखा है
अल-जज़ीरा टीवी चैनल ने हिज़्बुल्लाह का वीडियो जारी किया, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से हिज़्बुल्लाह इस्राईल के सैनिकों पर नज़र रखे हुए है, यहां तक कि कमरों में भी उसकी उनपर नज़र है।
पार्सटुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, वैश्विक प्रतिरोध के प्रतिनिधि के रूप में हिज़्बुल्लाह ने 8 अक्तूबर से ही स्पेशल ज़ोन में इस्राईल के जासूसी के केन्द्रों और रडारों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था।
हिज़्बुल्लाह ने मेरून सैन्य अड्डे को 7 बार निशाना बनाया है और तबरिया में इस्राईल के दो जासूसी बैलून को भी नष्ट किया है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोधी संगठन के हमलों में सीमावर्ती इलाक़ों के आसमान पर इस्राईल का वर्चस्व अब कमज़ोर पड़ गया है, यही वजह है कि हिज़्बुल्लाह के ड्रोन इस्राईल के रडारों को चकमा देकर और ख़तरे का अलार्म बजे बिना लक्ष्यों को निशाना बना रहे हैं। इसके अलावा, हिज़्बुल्लाह लेबनान की वायु सीमा में इस्राईल के कई ड्रोन विमानों का शिकार कर चुका है।
इस्लामी प्रतिरोध ने अरब अल-अरामेशा में अपने जासूसी ड्रोन विमानों द्वारा महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा कीं और इस इलाक़े में स्थित ज़ायोनी सेना के अड्डे को निशाना बनाया, जिसमें एक दर्जन से भी ज़्यादा ज़ायोनी सैनिक मारे गए और ज़ख़्मी हो गए।
हिज़्बुल्लाह ने अपने हमलों का दायरा बढ़ा दिया है। इस्राईल के दो जासूसी बैलूनों को मार गिराए जाने के बारे में कहा जा सकता है कि इस्लामी प्रतिरोध ने बहुत ही होशियारी से यह काम किया है। लेबनानी सैन्य अदालत के पूर्व प्रमुख मुनीर शहादा ने मेहर न्यूज़ एजेंसी के साथ बातचीत में कहा हिज़्बुल्लाह ने रणनीति के तहत पहले कंट्रोल रूम को निशाना बनाया, उसके बाद बैलून को मार गिराया। क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता, तो कंट्रोल रूम ऑटोमैटिक तरीक़े से बैलून में मौजूद जानकारियों को डिलीट कर देता।
दूसरे बैलून को सीमा से 32 किलोमीडर अंदर तबरिया के इलाक़े में मार गिराया गया। हिज़्बुल्लाह ने सिर्फ़ इस बैलून को ही नहीं गिराया, बल्कि अपने जासूसी ड्रोन को इस्राईल के काफ़ी भीतर घुसा दिया, जिसके बाद वह ड्रोन बैलून से जानकारियां एकत्रित करके और लक्ष्यों की वीडियो और तस्वीरें लेकर वापस लौट आया।
अल-जज़ीरा टीवी पर जो वीडियो हिज्बुल्लाह ने जारी किया है, उसमें देखा जा सकता है कि इस्राईली सैनिकों की समस्त गतिविधियों पर हिज़्बुल्लाह की नज़र है और यहां तक कि बेत हीलल में वह इस्राईली सैन्य बैरकों पर मिसाइलों की बारिश कर सकता है। सोशल मीडिया पर घायल इस्राईली सैनिकों की कई तस्वीरें भी वायरल हुई हैं।
इससे हिज़्बुल्लाह ने साबित कर दिया है कि उसके ड्रोन विमान दुश्मन के बारे में सटीक जानकारियां एकत्रित कर रहे हैं, इस हद तक कि इस्राईली सैन्य अड्डों में आने-जाने वाली गाड़ियों की भी पहचान की जा सकती है।
इसके अलावा, हाल ही में हिज़्बुल्लाह ने आत्मघाती ड्रोन का भी अनावरण किया है, जो 2 साम-5 मिसाइल अपने साथ ले जा सकता है। इस तरह से यह ड्रोन एक ही साथ तीन लक्ष्यों को निशाना बना सकता है। यह ड्रोन हमला करने के अलावा, टारगेट की वीडियो और तस्वीरें भी भेजा सकता है। अलमास मिसाइल में भी यह टेक्नॉलोजी मौजूद है।













