हिज़्बुल्लाह ने लेबनान को राजनीतिक संकट से निकाल लिया

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हिज़्बुल्लाह ने लेबनान को राजनीतिक संकट से निकाल लिया

हिज़्बुल्लाह महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए मीशल औन के समर्थन और सअद हीरी के प्रधान मंत्री बनने का विरोध न करने से लेबनान के राजनीतिक धर्मसंकट से निकलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

रविवार को हिज़्बुल्लाह प्रमुख ने बेरूत में एलान किया था कि हिज़्बुल्लाह राष्ट्रपति पद के लिए मिशेल औन के नाम का समर्थन करेगा और उसे सअद हरीरी के प्रधान मंत्री बनने पर भी कोई आपत्ति नहीं है।

उन्होंने उल्लेख किया कि संसद के अगले सदन में राष्ट्रपति के चुनाव में हिज़्बुल्लाह के सांसद भाग लेंगे और मीशल औन का समर्थन करेंगे। सूत्रों का कहना है कि हिज़्बुल्लाह के इस एलान के बाद, 31 अक्तूबर को राष्ट्रपति के रूप में मीशल औन का चयन लगभग तय है।

इससे पहले 20 अक्तूबर को सअद हरीरी ने मीशल औन से मुलाक़ात की थी। लेबनानियों की नज़र में यह मुलाक़ात ऐतिहासिक थी और लोगों को मानना था कि इससे देश के 13वां राष्ट्रपति के चुनाव के लिए रास्ता साफ़ हो गया है।

मीशल औन एक ईसाई हैं और हिज़्बुल्लाह से उनके अच्छे राजनीतिक संबंध रहे हैं। लेबनान में मई 2014 के बाद से राष्ट्रपति चयन का मुद्दा अधर में लटका हुआ था, क्योंकि 8 मार्च और 14 मार्च राजनीतिक धड़ों के बीच राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर मतभेद था। हिज़्बुल्लाह और उसके सहयोगी दलों ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर सऊदी अरब समेत कई देशों के दबाव के सामने घुटने नहीं टेके, जिसके कारण इन देशों की साज़िशों पर पानी फिर गया, ऐसी स्थिति में सअद हीरीरी के पास मीशल औन के नाम पर सहमति देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

हरीरी ने मीशल औन के समर्थन की घोषणा के बाद कहा था कि राष्ट्रपति की कुर्सी ख़ाली रहने के ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं, इसलिए राष्ट्र के हित में इसके लिए क़दम उठाना ज़रूरी है।

मीशल औन ने रविवार को ही हसन नसरुल्लाह से मुलाक़ात की और राष्ट्रपति के चुनाव में उनके सुझावों का स्वागत किया। हिज़्बुल्लाह ने एक बार फिर राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखते हुए क्षेत्रीय देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश किया है।

 

 

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